UP BOARD SOLUTION FOR CLASS 9 HINDI CHAPTER 10 BADAL KO GHIRATE DEKHA HAI KAVY KHAND (NAGARJUN)

UP BOARD SOLUTION FOR CLASS 9 HINDI CHAPTER 10 BADAL KO GHIRATE DEKHA HAI KAVY KHAND (NAGARJUN)

UP BOARD SOLUTION FOR CLASS 9 HINDI
UP BOARD SOLUTION FOR CLASS 9 HINDI CHAPTER 10 BADAL KO GHIRATE DEKHA HAI KAVY KHAND (NAGARJUN)
10-- बादल को घिरते देखा है (नागार्जुन )


(क) अतिलघु उत्तरीय प्रश्न


1– नागार्जुन जी का जन्म कब और कहाँ हुआ ?
उत्तर — – नागार्जुन जी का जन्म सन् 1911 ई० में दरभंगा जिले के सतलखा ग्राम में हुआ था ।
2– नागार्जुन जी का असली नाम क्या था ?
उत्तर — – नागार्जुन का असली नाम वैद्यनाथ मिश्र था ।
3– नागार्जुन जी मैथिली में किस नाम से लिखते थे ?
उत्तर — – नागार्जुन जी मैथिली में ‘यात्री’ नाम से लिखते थे ।
4– नागार्जुन जी का यह नाम कैसे पड़ा ?
उत्तर — – बौद्ध धर्म से प्रभावित होकर महात्मा बुद्ध के प्रसिद्ध शिष्य के नाम पर इन्होंने अपना नाम ‘नागार्जुन’ रख लिया ।
5– नागार्जुन जी को कौन-कौन से सम्मान से सम्मानित किया गया ?
उत्तर — – नागार्जुन जी को उनकी रचनाओं पर उत्तर प्रदेश के ‘भारत-भारती’, बिहार के ‘राजेंद्र प्रसाद’ तथा मध्य प्रदेश के ‘कबीर’ सम्मान से सम्मानित किया गया ।
6– नागार्जुन किस युग के कवि हैं ?
उत्तर — – नागार्जुन प्रगतिवादी युग के कवि हैं ।
7– नागार्जुन जी ने किस भाषा-शैली का प्रयोग किया है ?
उत्तर — – नागार्जुन जी की भाषा सरस, सरल, व्यावहारिक एवं प्रभावोत्पादक है । इन्होंने मुक्तक व प्रबंध शैली को अपनाया है ।

(ख) लघु उत्तरीय प्रश्न

1– प्रस्तुत कविता में कवि नागार्जुन ने कौन-से पर्वत के किस स्थान का वर्णन किया है ?
उत्तर — – प्रस्तुत कविता में कवि नागार्जुन ने हिमालय पर्वत की चोटियों की प्राकृतिक सुषमा का वर्णन किया है ।

2– ‘कस्तूरी मृग’ अपने आप से क्यों चिढ़ता है ?
उत्तर — – कस्तूरी मृग अपनी नाभि में स्थित अदृश्य कस्तूरी की मनमोहक सुगंध से उन्मुक्त होकर उसकी खोज में इधर-उधर दौड़ता रहता है, जबकि वह सुगंध उसकी नाभि से ही आ रही होती है । जब वह चंचल व युवा मृग उस कस्तूरी को प्राप्त नहीं कर पाता तो वह अपने आप पर झुंझलाता व चिढ़ता है ।

3– कविता में कवि नागार्जुन ने किन्नर-किन्नरियों के विषय में क्या कहा है ?
उत्तर — – कविता में कवि ने किन्नर प्रदेश का वर्णन किया है । जहाँ लाल और सफेद भोजपत्रों से बनी हुई कुटिया में किन्नर और किन्नरियों के जोड़े विलासमय क्रीड़ाएँ करते रहते हैं । इनके बाल अनेक प्रकार के रंगों वाले सुगंधित फूलों से सजे रहते हैं । इनके गले में इंद्र नीलमणि की बनी माला, कानों में नीलकमलों के कर्णफूल तथा उनकी चोटियों में लाल कमल सुशोभित होते हैं ।
4– कविता में किन्नर और किन्नरी किस वातावरण में और कौन-सी मुद्रा में वंशी बजाते वर्णित किए गए हैं ?
उत्तर — – कविता में किन्नर और किन्नरियों को मदिरापान के बाद मदमस्त अर्थात् मस्ती के वातावरण में मृग की छाल पर आसन मुद्रा में वंशी बजाते वर्णित किया गया है ।


5– ‘बादल को घिरते देखा है कविता के आधार पर बादलों के प्राकृतिक सौंदर्य का वर्णन कीजिए ।
उत्तर — – ‘बादल को घिरते देखा है’ कविता में कवि ने हिमालय पर्वत पर उमड़ते बादलों की सुंदरता का मनोहारी वर्णन किया है । जिनकी बूंदें ऊँची-ऊँची चोटियों पर मोती के समान प्रतीत होती हैं । ये बादल ऊँचे हिमालय के कंधे पर विराजमान दिखाई पड़ते हैं । जो क्षणभर में एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुँचकर बरस जाते हैं । यक्ष ने भी अपनी प्रिया के पास इन्हीं बादलों को अपना संदेश देकर दूत बनाकर भेजा था । कैलाश पर्वत की ऊँची चोटियों पर ये बादल अपने अस्तित्व के लिए शक्तिशाली हवा से गरज-गरज कर संघर्ष करते हैं ।
6– ‘शैवालों की हरी दरी पर, प्रणय-कलह छिड़ते देखा है । ‘ पंक्ति में कवि क्या व्यक्त करना चाहता है ?
उत्तर — – प्रस्तुत पंक्ति में कवि का तात्पर्य है कि सुख-दुःख तो आते रहते हैं । दुःख के बाद आने वाला सुख अति सुखदायी होता है । जिस प्रकार शाप के कारण रातभर चकवा-चकवी अलग होकर विलाप करते रहते हैं, परंतु प्रात:काल होने पर जब उनका पुनर्मिलन होता है तो वे प्रसन्न होकर मानसरोवर की काईरूपी हरी दरी के ऊपर प्रेम क्रीड़ा करने लगते हैं । किसी समय ये दोनों वियोग से दु:खी थे, परंतु अब मिलन के सुख से प्रेम क्रीड़ा कर रहे हैं । यही काल का रहस्य है ।

(ग) विस्तृत उत्तरीय प्रश्न

1– ‘बादल को घिरते देखा है । ‘ कविता में कवि का क्या उद्देश्य निहित है ?
उत्तर — – इस कविता के माध्यम से कवि नागार्जुन ने हिमालय पर्वत की प्राकृतिक सुषमा व उस पर बरसने वाले बादलों की सौंदर्य छटा का अनुपम वर्णन किया है । कविता के द्वारा कवि का उद्देश्य मनुष्यों को सुख-दुःख में समान बने रहने की प्रेरणा देना है । कवि ने चकवा-चकवी के माध्यम से दुःख के बाद आने वाले सुख का अनुपम उदाहरण दिया है । जिस प्रकार रातभर वियोग के बाद चकवा-चकवी प्रात:काल मिलन होने पर सुखपूर्वक प्रेम-क्रीड़ा करने लगते हैं, उसी प्रकार जीवन का सत्य यही है कि दु:ख के बाद ही सुख आता है । कवि ने धन के देवता कुबेर के माध्यम से (जिसके अभिशाप से यक्ष अपनी प्रिया से अलग हो गया था । )
मनुष्य को सावधान किया है कि संसार परिवर्तनशील है । यहाँ धन और वैभव कुछ भी स्थिर नहीं रहता है । कवि ने मेघ और तूफानी हवा के माध्यम से कहा है कि अपने अस्तित्व को बनाए रखने के लिए असमर्थ भी समर्थ से संघर्ष कर सकता है । कस्तूरी मृग के उदाहरण से कवि ने अपनी सामर्थ्य पहचानने की सलाह दी है । जिस प्रकार कस्तूरी मृग अपनी नाभि में स्थित कस्तूरी को नहीं पहचान पाता और उसकी खोज में इधर-उधर दौड़ता रहता है, उसी प्रकार मनुष्य भी अपने अंदर की सामर्थ्य को नहीं पहचान पाता और असफल होकर दु:खी होता रहता है । इस कविता में कवि का प्रमुख उद्देश्य प्रतीकों देकर मनुष्य को सचेत करना है ।

2– नागार्जुन की रचनाओं का उल्लेख करते हुए उनका साहित्यिक परिचय भी प्रस्तुत कीजिए ।
उत्तर — – रचनाएँ- नागार्जुन ने छः से अधिक उपन्यास, एक दर्जन कविता-संग्रह, दो खंडकाव्य, दो मैथिली (हिंदी में भी अनूदित) कविता-संग्रह, एक मैथिली उपन्यास, एक संस्कृत काव्य ‘धर्मलोक शतकम’ तथा संस्कृत की कुछ अनूदित कृतियों की रचना की ।
(अ) कविता-संग्रह- अपने खेत में, युगधारा, सतरंगे पंखों वाली, प्यासी पथराई आँखें, खून और शोले, तालाब की
मछलियाँ, खिचड़ी विपल्व देखा हमने, हजार-हजार बाँहों वाली, पुरानी जूतियों का कोरस, तुमने कहा था, इस
गुबार की छाया में, ओम मंत्र, भूल जाओ पुराने सपने, रत्नगर्भ, भस्मांकुर (खंडकाव्य)
(ब) उपन्यास- रतिनाथ की चाची, बलचनमा, बाबा बटेसरनाथ, नई पौध, वरुण के बेटे, दुखमोचन, उग्रतारा,
कुंभीपाक, पारो, आसमान में चाँद तारे
(स) व्यंग्य- अभिनंदन
(द) निबंध संग्रह- अन्नहीनम क्रियानाम
(य) बाल साहित्य- कथा मंजरी भाग-1, कथा मंजरी भाग-2, मर्यादा पुरुषोत्तम, विद्यापति की कहानियाँ
(र) मैथिली रचनाएँ- पत्रहीन नग्न गाछ (कविता-संग्रह), हीरक जयंती (उपन्यास)
(ल) बांग्ला रचनाएँ- मैं मिलिट्री का पुराना घोड़ा (हिंदी अनुवाद)

(व) नागार्जुन रचना संचयन- ऐसा क्या कह दिया मैंने

साहित्यिक परिचय– नागार्जुन हिंदी और साहित्य के अप्रतिम लेखक और कवि थे । हिंदी साहित्य में उन्होंने ‘नागार्जुन’ तथा मैथिली में ‘यात्री’ उपनाम से रचनाएँ की । नागार्जुन ने जीवन के कठोर यथार्थ एवं कल्पना पर आधारित अनेक रचनाओं का सृजन किया । अभावों में जीवन व्यतीत करने के कारण इनके हृदय में समाज के पीड़ित वर्ग के प्रति सहानुभूति का भाव विद्यमान था । अपने स्वार्थ के लिए दूसरों का शोषण करने वाले व्यक्तियों के प्रति इनका मन विद्रोह की भावना से भर उठता था । सामाजिक विषमताओं शोषण और वर्ग-संघर्ष पर इनकी लेखनी निरंतर आग उगलती रही । अपनी कविताओं के माध्यम से इन्होंने दलित, पीड़ित और शोषित वर्ग को अन्याय का विरोध करने की प्रेरणा दी । अपने स्वतंत्र एवं निर्भीक विचारों के कारण इन्होंने हिंदी साहित्य जगत में विशिष्ट पहचान बनाई । इनकी गणना वर्तमान युग के प्रमुख व्यंग्यकारों में की जाती है ।

3– कवि नागार्जुन के जीवन का परिचय देते हुए उनके काव्य की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए ।
उत्तर — – सही अर्थों में नागार्जुन भारतीय मिट्टी से बने आधुनिकतम कवि हैं । ये प्रगतिवादी युग के कवि हैं । जन संघर्ष में अडिग आस्था, जनता से गहरा लगाव और एक न्यायपूर्ण समाज का सपना, ये तीन गुण नागार्जुन के व्यक्तित्व में ही नहीं, उनके साहित्य में भी घुले-मिले हैं । निराला के बाद नागार्जुन अकेले ऐसे कवि हैं, जिन्होंने इतने छंद, इतने ढंग, इतनी शैलियाँ और इतने काव्य रूपों का इस्तेमान किया है । पारंपरिक काव्य रूपों को नए कथ्य के साथ इस्तेमाल करने और नए काव्य कौशलों को संभव करने वाले वे अद्वितीय कवि हैं । जीवन परिचय- प्रगतिवाद के गौरवपूर्ण स्तंभ नागार्जुन का जन्म सन् 1911 ई–में दरभंगा जिले के सतलखा ग्राम में हुआ था ।

नागार्जुन हिंदी और मैथिली के अप्रतिम लेखक और कवि थे । उनका असली नाम वैद्यनाथ मिश्र था परंतु हिंदी साहित्य में उन्होंने नागार्जुन तथा मैथिली में यात्री उपनाम से रचनाएँ कीं । इनके पिता श्री गोकुल मिश्र तरउनी गाँव के एक किसान थे और खेती के अलावा पुरोहिती आदि के सिलसिले में आस-पास के इलाकों में आया-जाया करते थे । उनके साथ-साथ नागार्जुन भी बचपन से ही ‘यात्री’ हो गए । आरंभिक शिक्षा प्राचीन पद्धति से संस्कृत में हुई किंतु आगे स्वाध्याय पद्धति से ही शिक्षा बढ़ी । राहुल सांकृत्यायान के ‘संयुक्त निकाय’ का अनुवाद पढ़कर वैद्यनाथ की इच्छा हुई कि यह ग्रंथ मूल पालि में पढ़ा जाए । इसके लिए वे लंका चले गए, जहाँ वे स्वयं पालि पढ़ते थे और मठ के ‘भिक्खुओं’ को संस्कृत पढ़ाते थे । यहाँ उन्होंने बौद्ध धर्म की दीक्षा ले ली । बौद्ध धर्म से प्रभावित होकर महात्मा बुद्ध के प्रसिद्ध शिष्य के नाम पर इन्होंने अपना नाम ‘नागार्जुन’ रख लिया । इनका आरंभिक जीवन अभावों से ग्रस्त रहा । जीवन के अभावों ने ही इन्हें शोषण के प्रति विद्रोह की भावनाओं से भर दिया । 1941 ई० में वे भारत लौट आए । नागार्जुन जी ने कई बार जेल यात्रा भी की । अपने विरोधी स्वभाव के कारण ये स्वतंत्र भारत में भी जेल गए । यह महान विभूति 87 वर्ष की अवस्था में 5 नवंबर 1998 को पंचतत्वों में विलीन हो गई ।

काव्यगत विशेषताएँ- इनके काव्य में निम्नलिखित विशेषताएँ हैं—-
(अ) नागार्जुन जी की भाषा सरल, सरस, व्यावहारिक एवं प्रभावोत्पादक है । उन्होंने तत्सम और तद्भव दोनों शब्दों का प्रयोग किया है ।
(ब) इन्होंने अपनी रचनाओं में अनुप्रास, उपमा, रूपक और अतिशयोक्ति अलंकारों का प्रयोग किया है ।
(स) इनकी काव्य रचनाओं में अभिव्यक्ति का ढंग तिर्यक बेहद ठेठ और सीधा भी है ।
(द) अपनी तिर्यकता की प्रस्तुति में ये जितने बेजोड़ हैं, अपनी वाग्मिता में ये उतने ही विलक्षण भी हैं ।
(य) उन्होंने अपनी रचनाओं में मुक्तक तथा प्रबंध शैली को अपनाया है ।
(र) इनकी शैली प्रतीकात्मक और व्यंग्य प्रधान है ।

(घ) पद्यांश व्याख्या एवं पंक्ति भाव

1– निम्नलिखित पद्यांशों की संसदर्भ व्याख्या कीजिए और इनका काव्य सौंदर्य भी स्पष्ट कीजिए

(अ) अमल धवल————————————————————————तिरते देखा है । ।
संदर्भ- प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक हिंदी के ‘काव्यखंड’ में संकलित ‘नागार्जुन’ द्वारा रचित ‘प्यासी पथराई आँखें’ से ‘बादल को घिरते देखा है’ शीर्षक से उद्धृत है ।
प्रसंग- इन पंक्तियों में कवि ने हिमालय के वर्षाकालीन सौंदर्य का सुंदर चित्रण किया है ।

व्याख्या- कवि कहता है कि मैंने निर्मल और चाँदी के समान श्वेत बर्फ से आच्छादित हिमालय की ऊँची चोटियों पर घुमड़ते हुए बादलों के मनोरम दृश्य को देखा है । मैने वहाँ मानसरोवर झील में खिले सुनहले कमलों पर मोती के समान झिलमिलाती शीतल वर्षा की बूंदों को गिरते हुए भी देखा है । वास्तव में यह बहुत मोहक दृश्य है । कवि हिमालय की प्राकृतिक सुषमा के विषय में कहता है कि उस पर्वतीय प्रदेश में हिमालय के ऊँचे-ऊँचे शिखररूपी कंधों पर अनेक छोटी-बड़ी झीलें स्थित हैं । इनका गहरा नीला-नीला सा निर्मल जल बहुत ही शीतल है । मैदानी प्रदेश की वर्षाकालीन उमस से व्याकुल होकर हंस इन झीलों में आ जाते हैं । वे कसैले और मीठे कमलनाल के कोमल रेशों को खोजते हुए इन शीतल जल में तैरते हुए बहुत सुंदर लगते हैं । यह दृश्य मैंने अपनी आँखों से देखा है ।

काव्यगत सौंदर्य- 1– कवि ने कलात्मक और साहित्यिक शब्दावली का प्रयोग करके हिमालय की सुंदरता का मोहक दृश्य प्रस्तुत करते हुए अपनी कुशल प्रकृति चित्रण कला का परिचय दिया है । 2– भाषा- तत्सम शब्दावली प्रधान
खड़ीबोली 3– रस- शृंगार 4–गुण- माधुर्य 5–अलंकार- अनुप्रास, उपमा, पुनरुक्तिप्रकाश ।

(ब) कहाँगया धनपति——————————————————————भिड़ते देखा है ।
संदर्भ- पूर्ववत्
प्रसंग- प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने यह बताया है कि सुख-दुःख, वैभव-विपन्नता जीवन में निरंतर आने जाने वाली परिस्थितियाँ हैं । जीव इनके समक्ष असमर्थ और विवश है ।

व्याख्या- कविवर नागार्जुन कहते हैं कि कालिदास के ‘मेघदूत’ में वर्णित वह धनाढ्य कुबेर कहाँ गया, जिसके अभिशाप से यक्ष अपनी प्रिया से अलग हो गया था । समस्त वैभव और विलास के साधनों से युक्त कुबेर की वह अलका नामक नगरी भी दिखाई नहीं पड़ती । कालिदास द्वारा वर्णित आकाश-मार्ग से जाती हुई उस पवित्र गंगा का जल कहाँ चला गया ? कवि का भाव यह है कि इस परिवर्तनशील जगत् में कुछ भी स्थिर नहीं है । कवि पुन: कहता है कि बहुत ढूँढ़ने पर भी मुझे मेघरूपी उस दूत के दर्शन नहीं हो सके । ऐसा भी हो सकता है कि इधर-उधर घूमते रहने वाला वह मेघ यक्ष का संदेश ही न पहुँचा पाया हो और लज्जित होकर पर्वत पर यहीं-कहीं बरस पड़ा हो, इस बात को बताने वाला भी कोई नहीं है । छोड़ो, रहने दो, यह तो कवि कालिदास की कल्पना थी । मैंने तो गगनचुंबी कैलाश पर्वत के शिखर पर भयंकर शीत में विशाल आकार वाले बादलों को तूफानी हवाओं से गरज-बरसकर संघर्ष करते हुए देखा है । तात्पर्य यह है कि यद्यपि हवा बादल को उड़ा ले जाती है और बादल वायु की तुलना में शक्तिहीन भी है । फिर भी हवा के प्रति उसका संघर्ष अपने अस्तित्व को कायम रखने की चेष्टा है ।

काव्यगत सौंदर्य-1– कवि ने यहाँ यह तथ्य स्पष्ट किया है कि संसार परिवर्तनशील है, यहाँ धन-वैभव कुछ भी स्थिर नहीं रहता है । 2– बादल और तूफानी हवा के माध्यम से कवि ने स्पष्ट किया है कि अपने अस्तित्व को बनाए रखने के लिए असमर्थ भी समर्थ से संघर्ष कर सकता है । 3– भाषा- तत्सम शब्दावली प्रधान खड़ीबोली 4– रस- शांत 5– गुण- माधुर्य 6– अलंकार- अनुप्रास एवं पुनरुक्तिप्रकाश ।

(स) दुर्गम बर्फानी——————————————चिढ़ते देखा है ।
संदर्भ- पूर्ववत्
प्रसंग- प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने व्यक्ति की विवशताओं को रेखांकित किया है । व्याख्या- कविवर नागार्जुन का कहना है कि हजारों फुट ऊँचे पर्वत-शिखर पर स्थित बर्फानी घाटियों में जहाँ पहुँचना ही बहुत कठिन होता है, वहाँ कस्तूरी मृग अपनी नाभि में स्थित अदृश्य कस्तूरी की मनमोहक सुगंध से उन्मत्त होकर इधरउधर दौड़ता रहता है । निरंतर भाग-दौड़ करने पर भी जब वह चंचल और युवा मृग उस कस्तूरी को प्राप्त नहीं कर पाता तो वह अपने-आप पर झुंझलाता है । मैंने उसकी झुंझलाहट और चिढ़ को सदेह वहाँ उपस्थित होकर अनुभव किया है ।
काव्यगत सौंदर्य-1– कवि ने कस्तूरी मृग के उदाहरण से यह स्पष्ट किया है कि सफलता की चाबी मनुष्य के पास ही है, किंतु उसे न जानने के कारण वह असफल होकर दु:खी होता रहता है । 2– भाषा- तत्सम शब्दावली प्रधान खड़ी बोली
3– रस- शांत 4– गुण- प्रसाद 5– अलंकार- अनुप्रास एवं पुनरुक्तिप्रकाश ।

(द) शोणित धवल———- ——————————वंशी परफिरते देखा है ।
संदर्भ- पूर्ववत्
प्रसंग- इन पंक्तियों में कवि ने किन्नर-किन्नरियों पर पड़ने वाले बादलों के मादक प्रभाव का वर्णन करते हुए आज के संपन्न वर्ग की विलासिता पर व्यंग्य किया है ।
व्याख्या- कवि ने किन्नर प्रदेश की शोभा का अद्भुत वर्णन करते हुए कहा है कि देवदारु के वनों में लाल और श्वेत भोज-पत्रों से छाई हुई कुटी के अंदर किन्नर और किन्नरियों के जोड़े विलासमय क्रीड़ा में मग्न हो जाते हैं । वे (किन्नरों के जोड़े) अनेक प्रकार के रंगों वाले सुगंधित फूलों से अपने बालों को सजाए रखते हैं । वे अपने शंख के समान सुंदर और सुडौल गले में इंद्र नीलमणि की बनी माला डाले रखते हैं । उनके कानों में नीलकमलों के कर्णफूल सुशोभित रहते हैं । उनकी चोटियों में सौ पंखुड़ियों वाले लाल कमल के फूल गँथे रहते हैं ।

किन्नर-किन्नरियों में मदिरापान करने के पात्र चाँदी के बने हुए होते हैं तथा उनमें कलात्मक ढंग से मणियाँ जड़ी रहती हैं । वे मदिरापान के पात्रों को अंगूरों से बनी शराब से भरकर अपने-अपने सामने लाल चंदन से बनी तिपाई पर रख लेते हैं । वे कोमल, दागरहित, स्वच्छ बालों वाली कस्तूरी मृग की छाला को बिछाकर पालथी मारकर बैठ जाते हैं । तत्पश्चात वे मदिरापान करते हैं । मदिरापान के कारण उनकी आँखें लाल हो जाती हैं और उन पर एक विचित्र प्रकार का नशा छाया रहता है । इसके बाद मदिरा से मदमस्त होकर वे अपनी कोमल और सुंदर अंगुलियों को बाँसुरी पर फिराते हुए मधुर संगीत की तान छेड़ देते हैं । बादलों के घिरने पर किन्नर-किन्नरियों की इन विलासमयी क्रीड़ाओं को मैंने प्रत्यक्ष देखा है ।

काव्यगत सौंदर्य- 1– यहाँ किन्नर प्रदेश के स्त्री-पुरुषों के विलासमय जीवन के माध्यम से अमीरों की विलासिता का यथार्थ चित्र अंकित किया है । 2– भाषा- संस्कृतनिष्ठ खड़ीबोली 3– रस- शृंगार 4– गुण- माधुर्य 5– अलंकार- उपमा तथा पुनरुक्तिप्रकाश ।

2– निम्नलिखित पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए ।


(अ) शैवालों की हरी दरी पर, प्रणय कलह छिड़ते देखा है ।
भाव स्पष्टीकरण- यहाँ कवि ने स्पष्ट किया है कि चकवा-चकवी रातभर अलग-अलग होकर विलाप करते हैं, परंतु प्रात:काल होने पर जब उनका पुनर्मिलन होता है तो वे काई रूपी हरी दरी के ऊपर प्रेम क्रीड़ा करने लगते हैं । वियोग के बाद मिलन अद्भुत होता है अर्थात् कवि का तात्पर्य है कि दुःख के बाद आने वाले सुख का अनुभव सुखदायी होता है ।

(ब) कौन बताए वह यायावर, बरस पड़ा होगा न यहीं पर ।
भाव स्पष्टीकरण- कवि का तात्पर्य है कि वह घुमक्कड़ बादल जो एक स्थान पर नहीं टिकता, जिसे यक्ष ने अपनी प्रिया को संदेश देने के लिए दूत बनाकर भेजा था बहुत ढूँढ़ने पर भी उसके दर्शन नहीं हुए हैं । ऐसा भी हो सकता है कि घूमने वाला वह बादल यक्ष का संदेश ही न पहुँचा पाया हो और लज्जित होकर पर्वत पर यहीं-कहीं बरस गया हो ।

(स) तरल तरुण कस्तूरी मृग को अपने पर चिढ़ते देखा है ।
भाव स्पष्टीकरण- यहाँ कवि ने स्पष्ट किया है कि चंचल व युवा मृग अपनी नाभि की कस्तूरी की गंध को इधर-उधर खोजता है । परंतु अपनी नाभि में अदृश्य कस्तूरी को नहीं देख पाता तथा कस्तूरी प्राप्त न कर पाने के कारण अपने आप पर झुंझलाता व चिढ़ता है । मैंने उसकी इस झुंझलाहट को स्वयं देखा है । यहाँ कवि का तात्पर्य है कि सफलता की चाबी मनुष्य के पास ही होती है, किंतु उसे न जानने के कारण वह असफल होकर दुःखी होता रहता है ।

(ङ) वस्तुनिष्ठ प्रश्न


1– नागार्जुन का जन्म सन् है
(अ) सन् 1911 ई० (ब) सन् 1900 ई० (स) सन् 1918 ई० (द) सन् 1887 ई०

2– ‘खून और शोले’ कृति के रचयिता हैं(अ) मैथिलीशरण गुप्त
(ब) जयशंकर प्रसाद (स) सूर्यकांत त्रिपाठी निराला (द) नागार्जुन

3– कवि नागार्जुन किस युग से संबंधित हैं ?
(अ) छायावादी युग (ब) प्रगतिवादी युग (स) द्विवेदी युग (द) भारतेंदु युग

4– ‘रतिनाथ की चाची’किस साहित्यिक विधा से संबंधित है ?
(अ) उपन्यास (ब) कहानी (स) खंडकाव्य (द) कविता

5– ‘बादल को घिरते देखा है’ कविता नागार्जुन की किस कृति से उदधृत है ?
(अ) युगधारा (ब) भस्मांकुर (स) प्यासी पथराई आँखें (द) ओम मंत्र

(च) काव्य सौंदर्य एवं व्याकरण बोध

UP BOARD SOLUTION FOR CLASS 9 HINDI CHAPTER 9 PATH KI PAHACHAN KAVY KHAND (HARIVANSH RAY VACHCHAN)

1– निम्नलिखित शब्दों में समास विग्रह करके समास का नाम लिखिए


समस्त पद ……………………समास-विग्रह…………………समास का नाम
धनपति…………………… धन का पति…………………….संबंध तत्पुरुष समास
महामेघ …………………….महान मेघ…………………….कर्मधारय समास
शतदल…………………….सौ पंखुड़ियों का समूह…………………….द्विगु समास
त्रिपदी……………………. तीन पदों का समाहार…………………….द्विगु समास
प्रणय-कलह …………………….प्रणय की क्रीड़ा…………………….संबंध तत्पुरुष समास
चकवा-चकवी……………………. चकवा और चकवी…………………….द्वंद्व समास
गंगाजल …………………….गंगा का जल…………………….संबंध तत्पुरुष समास
पान-पात्र …………………….पान का पात्र…………………….संबंध तत्पुरुष समास
रक्त-कमल……………………. लाल कमल…………………….कर्मधारय समास
कवि-कल्पित…………………….कवि द्वारा की गई कल्पना……………. तत्पुरुष समास
स्वर्णिम कमल …………………….स्वर्ण रूपी कमल…………………….कर्मधारय समास

2– निम्नलिखित शब्दों में संधि विच्छेद कीजिएसंधि

शब्द…………………….संधि विच्छेद
हिमाचल…………………….हिम+ आचल
द्राक्षासव…………………….द्राक्षा + आसव
मदिरारुण…………………….मदिरा+ अरुण
झंझानिल…………………….झंझा+ अनिल

3– वायु, बादल, कानन, पर्वत के पर्यायवाची लिखिए ।

वायु,,,,,,,,,,हवा, पवन ।
बादल…..मेघ, जलद ।
कानन…….जंगल, वन ।
पर्वत…….पहाड़, गिरि ।

4– निम्नलिखित पदों से उपसर्ग और प्रत्यय अलग-अलग करके मूलशब्द के साथ लिखिए


शब्द……. मूलशब्द……. उपसर्ग…….प्रत्यय
मुखरित …….मुखर…….इत
अभिशापित……. शाप…….अभि …….इत
स्वर्णिम……. स्वर्ण…………………………इम
निदाग…………दाग…………नि …….

5– निम्नलिखित पंक्तियों में प्रयुक्त अलंकार बताइए और स्पष्टीकरण भी कीजिए
(अ) छोटे-छोटे मोती जैसे,अतिशय शीतल वारिकणों को मानसरोवर के उन स्वर्णिम-कमलों पर गिरते देखा है ।
उत्तर — – छोटे-छोटे में पुनरुक्तिप्रकाश, छोटे-छोटे मोती जैसे में उपमा, स्वर्णिम कमलों में रूपक अलंकार का सुंदर प्रयोग हआ है ।

(ब) शोणित धवल भोजपत्रों से छाई हुई कुटी के भीतर रंग-बिरंगे और सुगंधित फूलों से कुंतल को साजे इंद्रनील की मालाडाले शंख सरीखे सुघर गले में ।
उत्तर — – अनुप्रास अलंकार, शंख सरीखे सुघर गले में उपमा अलंकार का सुंदर प्रयोग हुआ है ।

6– निम्नलिखित पंक्तियों में रस पहचानकर उसका स्थायी भाव लिखिए
(अ) शैवालों की हरी दरी पर, प्रणय-कलह छिड़ते देखा है ।
उत्तर — – रस- शृंगार स्थायी भाव- रति

(ब) नरम निदाग बाल कस्तूरी मृगछालों पर पल्थी मारे मदिरारुण आँखों वाले उन, उन्मद किन्नर किन्नरियों की मृदुल मनोरम अंगुलियों को वंशी पर फिरते देखा है ।
उत्तर — – रस- शृंगार स्थायी भाव- रति

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