UP BOARD CLASS 9TH HINDI SOLUTION CHAPTER 5 SEEMA REKHA एकांकी खण्ड

UP BOARD CLASS 9TH HINDI SOLUTION CHAPTER 5 SEEMA REKHA एकांकी खण्ड (विष्णु प्रभाकर)

UP BOARD SOLUTION FOR CLASS 9 HINDI
UP BOARD CLASS 9TH HINDI SOLUTION CHAPTER 5 SEEMA REKHA
5- सीमा रेखा (विष्णु प्रभाकर)


(क) लघु उत्तरीय प्रश्न सीमा रेखा (विष्णु प्रभाकर)


1- ‘सीमा-रेखा’ एकांकी का मूल उद्देश्य लिखिए ।।


उत्तर— ‘सीमा-रेखा’ एकांकी का मूल उद्देश्य एक राष्ट्रीय समस्या है ।। लेखन ने इसी समस्या को उद्घाटित कर जनता में राष्ट्रीय चेतना जाग्रत करने का प्रयास किया है ।। लेखक ने एकांकी के माध्यम से राष्ट्रीय चेतना के अभाव में जनतंत्र में उत्पन्न विसंगति के कारण जनता और सरकार की क्षति, जिसे हम अलग-अलग समझते हैं, को देश की क्षति बताया है ।। जब देश में जनतंत्र होता है तो जनता व सरकार की क्षति अलग-अलग नहीं होती है, वह क्षति संपूर्ण देश की होती है ।। एकांकीकार ने सरकार, नेताओं, पुलिस का जनता के साथ संबंध व व्यवहार और उनसे उत्पन्न समस्या का चित्रण किया है ।। नेताओं द्वारा सरकार व जनता के बीच बनाई गई विभाजक रेखा को समाप्त करना इस एकांकी का मूल उद्देश्य है ।।

2- ‘सीमा-रेखा’ एकांकी में कौन-सी सीमा-रेखा’दर्शाई गई है?


उत्तर— ‘सीमा-रेखा’ एकांकी एक राष्ट्रीय समस्या पर आधारित एकांकी है ।। इस एकांकी में जनता व सरकार के बीच की विभाजक रेखा को दर्शाया गया है, जो रेखा जनता द्वारा चुने गए नेताओं ने अपने और जनता के बीच खींच ली है ।। जिसके कारण उपमंत्री शरतचंद्र दंगा होने पर जनता के बीच जाने से कतराते हैं ।। अंत में वह इस बात को स्वीकार करते हैं कि “जनतंत्र में सरकार और जनता के बीच कोई विभाजक-रेखा नहीं होती ।।”

3- विजय अनियंत्रित भीड़ पर गोली क्यों नहीं चलवाता है?


उत्तर— विजय अनियंत्रित भीड़ पर गोली इसलिए नहीं चलवाता है क्योंकि उसके द्वारा पहले चलवाई गई गोली से 20 लोग घायल हो जाते हैं, व पाँच लोग मर जाते हैं ।। मरने वाले लोगों में विजय का 10 वर्षीय भतीजा अरविंद भी होता है ।। सरकार द्वारा चलाई गई गोली की सभी लोग निंदा करते हैं ।। अरविंद की मौत का प्रायश्चित करने के लिए विजय गोली नहीं चलवाता और वह भीड़ को समझाकर उसे शांत करना चाहता है ।।

4- अन्नपूर्णा पुलिस द्वारा गोली चलाया जाना क्यों उचित मानती है?


उत्तर— अन्नपूर्णा पुलिस द्वारा गोली चलाना इसलिए उचित मानती है क्योंकि अगर पुलिस गोली न चलाती तो जनता अनियंत्रित होकर सारे शहर को बर्बाद कर देती ।। जिससे अपार धन की क्षति होती ।। पुलिस ने यह कदम सोच समझकर ही उठाया होगा ।। इसलिए वह पुलिस का यह कदम उचित समझती है ।।

5- ‘सीमा-रेखा’ एकांकी के शीर्षक की सार्थकता पर प्रकाश डालिए ।।


उत्तर— प्रस्तुत एकांकी का शीर्षक सार्थक, उपयुक्त एवं सोद्देश्य है ।। यह शीर्षक कथानक की मूल संवेदना को प्रकट करता है ।। एकांकी के प्रारंभ में अरविंद की और अंत में विजय और सुभाष की मृत्यु से संबंधित घटनाओं को दर्शाया गया है ।। एकांकी में विजय को सरकार की क्षति तथा अरविंद व सुभाष को जनहित में अपना बलिदान करनेवाले पात्रों के रूप में चित्रित किया गया है ।। जनता के द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों ने अपने और जनता के बीच जो रेखा खींच ली है, वह अनुचित है ।।

इसी कारण उपमंत्री शरतचंद्र जनता के बीच जाने से कतराते हैं, जबकि जनता ने उन्हें अपने हित के लिए ही चुना है ।। इसी कारण सविता शरतचंद्र पर व्यंग्य करती हुई कहती है-“जो एक दिन जनता के आँखों के तारे थे, वे आज जनता के सामने पुलिस के पहरे में जाते हैं ।।” अंत में शरतचंद्र इस बात को स्वीकार करते हैं कि जनतंत्र में जनता और सरकार के बीच सीमा-रेखा नहीं होती ।। वस्तुतः शरतचंद्र के इस कथन की सत्यता को अनुभूत कराने के उद्देश्य से ही एकांकी की रचना हुई है ।। दूसरे शब्दों में जनता व सरकार के बीच की सीमा-रेखा को समाप्त करने के उद्देश्य से इस एकांकी की रचना की गई है ।।

6- ‘आवारा मसीहा’ और ‘पंखहीन’किसकी कृतियाँ हैं?
उत्तर— ‘आवारा मसीहा’ और ‘पंखहीन’ विष्णु प्रभाकर द्वारा रचित कृतियाँ हैं ।। जिनमें ‘आवारा मसीहा’ एक जीवनी व ‘पंखहीन’ एक आत्मकथा है जिसे तीन भागों में राजकमल प्रकाशन द्वारा प्रकाशित किया गया ।।

7- विष्णु प्रभाकर के बचपन का नाम क्या था?
उत्तर— विष्णु प्रभाकर के बचपन का नाम विष्णु दयाल था ।।
8- विष्णु जी के नाम के आगे ‘प्रभाकर’ कैसे जुड़ा?
उत्तर— विष्णुजी ने हिंदी की ‘प्रभाकर’ परीक्षा उत्तीर्ण की थी ।। यह डिग्री इनके नाम के साथ ऐसी जुड़ी कि इनका नाम ही विष्णु प्रभाकर हो गया ।।

9- प्रभाकर जी ने अपनी वसीयत में क्या इच्छा व्यक्त की थी?

उत्तर— विष्णु प्रभाकर जी ने अपनी वसीयत में अपने संपूर्ण अंगदान करने की इच्छा व्यक्त की थी ।। अतः 19 अप्रैल, 2009 में इनकी मृत्यु के बाद उनका अंतिम संस्कार नहीं किया गया, बल्कि उनके पार्थिव शरीर को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान को सौंप दिया गया ।।

(ख) विस्तृत उत्तरीय प्रश्न सीमा रेखा (विष्णु प्रभाकर)


1- ‘सीमा-रेखा’ एकांकी की कथावस्तु संक्षेप में लिखिए ।।


उत्तर— ‘सीमा-रेखा’ एकांकी विष्णु प्रभाकर जी द्वारा रचित राष्ट्रीय चेतना प्रधान एकांकी है ।। लेखक का मत है कि जनतंत्र के वास्तविक स्वरूप में दिन-प्रतिदिन विसंगतियाँ उत्पन्न हो रही हैं ।। जिसके कारण राष्ट्रीय हित की निरंतर हत्या हो रही है ।। राष्ट्रीय चेतना के अभाव में होने वाले आंदोलनों में राष्ट्रीय संपत्ति की हानि चिंता का विषय बन गई है ।। प्रभाकर जी ने इस समस्या को ही अपनी एकांकी की कथावस्तु बनाया है ।। इसमें उन्होंने चार भाइयों के रूप में स्वतंत्र भारत के चार वर्गों के प्रतिनिधियों के द्वंद्व को प्रस्तुत किया है ।। एकांकी में विभिन्न घटनाओं के माध्यम से इस बात को भी सिद्ध किया गया है कि जनतंत्र में सरकार व जनता के बीच कोई विभाजक रेखा नहीं होती ।।

एकांकी की कथावस्तु निम्नवत हैंएकांकी का आरंभ उपमंत्री शरतचंद्र की बैठक से होता है ।। जहाँ उन्हें टेलीफोन पर शहर में झगड़े व पुलिस द्वारा उग्र भीड़ पर गोली चलाने की सूचना मिलती है ।। तभी उनकी पत्नी अन्नपूर्णा बाहर से घबराई हुई आती है ।। उपमंत्री शरतचंद्र पुलिस द्वारा गोली चलाने का कोई ठोस कारण बताते हुए इसका समर्थन करते हैं ।। चौथे भाई सुभाष की पत्नी सविता पुलिस के इस कृत्य को अनुचित बताती है परंतु शरतचंद्र के बड़े भाई लक्ष्मीचंद्र पुलिस के इस कार्य को उचित बताते हैं ।। फोन पर शरतचंद्र को सूचना मिलती है कि गोलीबारी में 20 लोग घायल हुए व पाँच लोग मारे गए हैं ।। घायलों को अस्पताल पहुंचा दिया गया है ।।

तभी पुलिस कप्तान विजय जो कि शरतचंद्र व लक्ष्मीचंद्र का भाई है, वहाँ आता है व अपने कार्य को उचित बताता है क्योंकि जनता को कानून अपने हाथ में लेने का अधिकार नहीं है ।। इसी बीच सुभाष आता है ।। वह एक जन नेता है और उक्त तीनों का भाई है ।। वह पुलिस द्वारा किए गए गोलीकांड की निंदा करता है और स्वतंत्र भारत में गोली चलाना जुर्म मानता है ।। वह उपमंत्री शरतचंद्र से निवेदन करता है कि इस घृणित कार्य के लिए उत्तरदायी पुलिस अधिकारी को मुअत्तिल किया जाए व इसकी जाँच कराई जाए ।। सुभाष व सविता पुन: कहते हैं कि जनतंत्र का अर्थ ही जनता का राज्य है ।।

तभी वहाँ लक्ष्मीचंद्र की पत्नी तारा विक्षिप्त अवस्था में आती है और सूचना देती है कि उसका पुत्र अरविंद पुलिस की गोली का शिकार हो गया है ।। अब लक्ष्मीचंद्र इसे पुलिस की क्रूरता बताते हैं और विजय पागल-सा हो जाता है ।। तभी भीड़ के अनियंत्रित होकर आगे बढ़ने की सूचना मिलती है ।। विजय, शरतचंद्र और सुभाष भीड़ को नियंत्रित करने के लिए जाते हैं ।। विजय अनियंत्रित भीड़ पर गोली चलाने से इंकार कर देता है तथा सुभाष शरतचंद्र को भीड़ को समझाने के लिए बुलाने आता है ।। शरतचंद्र व सुभाष दोनों जाते हैं ।। सविता भी उनके साथ जाती है ।।

सविता अन्नपूर्णा से कहती है कि सरकार के लोगों को मंत्रिमंडल की बैठक करने के बजाय जनता के बीच जाना चाहिए ।। विजय की पत्नी उमा अरविंद की मौत पर दुःखी होती है ।। विजय के अनियंत्रित भीड़ पर गोली न चलाने के परिणामस्वरूप विजय व सुभाष असामाजिक तत्वों के हमले में कुचलकर मारे जाते हैं और शरतचंद्र घायल हो जाते हैं ।। सारा वातावरण करुणा और गंभीरता से परिपूर्ण हो जाता है ।। भीड़ शांत हो जाती है ।। तीनों के शव बैठक में लाकर रख दिए जाते हैं ।।

शरतचंद्र, अरविंद व सुभाष को जनता की क्षति और विजय को सरकार की क्षति बताते हैं ।। अन्नपूर्णा इसको अपने घर की क्षति बताती है ।। इस पर सविता इसे देश की क्षति बताती है ।। वह कहती है-“देश क्या हमसे और हम क्या देश से अलग हैं ।।” शरतचंद्र उसकी बात का समर्थन करते हुए कहता है वास्तव में यह सारे देश की क्षति है ।। जनतंत्र में सरकार और जनता के बीच कोई विभाजक-रेखा नहीं होती ।।

2- ‘सीमा-रेखा’ एकांकी का परिचय देते हुए एकांकीकार के मूल उद्देश्य को स्पष्ट कीजिए ।।


उत्तर— ‘सीमा-रेखा’ एकांकी विष्णु प्रभाकर द्वारा रचित राष्ट्रीय समस्या पर आधारित है ।। एकांकी के चार प्रमुख पात्र लक्ष्मीचंद्र (व्यापारी), शरतचंद्र (उपमंत्री), विजय (पुलिस कप्तान), सुभाष (जन नेता) स्वतंत्र भारत के चार वर्गों का प्रतिनिधित्व करते हैं ।। UP BOARD CLASS 9TH HINDI SOLUTION CHAPTER 2 NAYE MEHMAN एकांकी खण्ड

एकांकीकार ने एक ही परिवार के चार भाइयों के संघर्ष को चार वर्गों का प्रतिनिधि बनाकर प्रस्तुत किया है ।। इनके माध्यम से एकांकीकार ने अलग-अलग वर्ग की अलग-अलग सोच को निरूपित किया है ।। एकांकीकार का प्रमुख उद्देश्य सरकार, पुलिस और नेताओं के जनता के साथ संबंधों, व्यवहारों और इनसे उत्पन्न समस्याओं का चित्रण करना है ।। जनतंत्र में उत्पन्न अनेक विसंगतियों का अनुभव कराकर वह यह स्पष्ट करना चाहता है कि राष्ट्रहित की अवहेलना करके कोई अपना भला नहीं कर सकता ।।

एकांकीकार यह भी स्पष्ट करना चाहता है कि जनतंत्र में सरकार का अस्तित्व जनता से और जनता का अस्तित्व सरकार से है, इन्हें एक-दूसरे से अलग करके नहीं देखा जा सकता है ।। सरकार को जनता के हित के लिए आत्मबलिदान के लिए सदैव तैयार रहना चाहिए ।। आज सरकार व जनता के बीच की दूरी बढ़ती जा रही है, जिसे सरकार के लोगों द्वारा खत्म कर देनी चाहिए क्योंकि जनतंत्र में सरकार और जनता के बीच कोई सीमा-रेखा नहीं होती है ।। UP BOARD CLASS 9TH HINDI SOLUTION CHAPTER 4 LAXMI KA SWAGAT एकांकी खण्ड

आज जनता को अपनी मांगों के लिए आंदोलन करने पड़ते हैं, जिसे नियंत्रित करने के लिए सरकार को लाठीचार्ज व गोली चलानी पड़ती है, जिसमें बेकसूर लोग मारे जाते हैं ।। सरकार को ऐसे कार्य करने चाहिए, जिससे जनता की आवाज सरकार तक पहुँच जाए व उसे आंदोलन न करने पड़े ।। एकांकीकार का मूल उद्देश्य इसी समस्या को उजागर करके सरकार के नेताओं व जनता के बीच की बढ़ती दूरी को समाप्त करना है ।।

3- कथा संगठन की दृष्टि से सीमा-रेखा’ एकांकी की समीक्षा कीजिए ।।


उत्तर— ‘सीमा-रेखा’ विष्णु प्रभाकर की एक राष्ट्रीय चेतनाप्रधान एकांकी है ।। इसकी कथावस्तु आज के लोकतंत्र की विसंगतियों के बीच से ली गई है ।। राष्ट्रीय चेतना के अभाव में आंदोलन व राष्ट्रीय संपत्ति की हानि चिंता का विषय बन चुकी है ।। कथावस्तु का संगठन एक ही परिवार के चार भाइयों के स्वार्थ-संघर्ष से हुआ है ।। चारों भाई अलग-अलग वर्गों के प्रतिनिधि हैं तथा उनकी सोच भी अलग-अलग है ।।

(अ) आरंभ- कथावस्तु का आरंभ उपमंत्री शरतचंद्र की बैठक से होता है ।। उन्हें फोन पर आंदोलनकारियों की बेकाबू भीड़ पर पुलिस द्वारा गोली चलाने की सूचना मिलती है ।। जिसमें उनके बड़े भाई का 10 वर्षीय पुत्र अरविंद मारा जाता है ।। उन्हें 20 लोगों के घायल व 5 लोगों के मारे जाने की सूचना मिलती है ।।

(ब) स्वाभाविक विकास-अरविंद की मृत्यु व भीड़ के अनियंत्रित होने के साथ कथानक का विकास होता है ।। जिससे सरकार, पुलिस, विपक्ष व जनता के बीच का संघर्ष सामने आता है ।। पुलिस कप्तान विजय और जननेता सुभाष भीड़ को नियंत्रित करने के लिए जाते हैं ।।


(स) चरम सीमा-विजय और सुभाष भीड़ को नियंत्रित करने का प्रयास करते हैं ।। विजय भीड़ पर गोली चलाने का आदेश नहीं देता ।। भीड़ संतुलन खो बैठती है ।। वह ‘अरविंद कहाँ है’ चिल्लाता है ।। विजय भीड़ से कहता है- ‘मैने अरविंद को मारा है, तुम मुझसे इसका बदला लो’ ।। विजय और सुभाष दोनों बेकाबू भीड़ में कुचलकर मारे जाते हैं ।। यही पर एकांकी की चरम सीमा है ।।

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(द) अंत- एक ही परिवार के तीन लोगों की मृत्यु से भीड़ शांत हो जाती है ।। इन तीनों की मृत्यु एक घर की नहीं राष्ट्र की क्षति है ।। अंत में एकांकी यही संदेश देता है कि, “जनतंत्र में सरकार और जनता के बीच विभाजक रेखा नहीं होती ।।”


(य) भाषा-शैली- एकांकी की भाषा सरल, सरस, व्यावहारिक एवं वातावरण के अनुकूल है ।। उर्दू के शब्दों के प्रयोग
से इसमें स्वाभाविकता व गतिशीलता उत्पन्न हो गई है ।। संवाद सरल, संक्षिप्त व कथा के अनुरूप हैं ।। संवादों के द्वारा एकांकीकार ने पात्रों के मनोभावों को सफलतापूर्वक व्यक्त किया है ।। एकांकी में आवश्यकता के अनुरूप भावात्मक, विचारात्मक, संवादात्मक आदि शैलियों का प्रयोग हुआ है ।।

संकलन-त्रय- एकांकी में स्थान, समय तथा कार्य (संकलन-त्रय) का सुंदर संकलन है ।। संपूर्ण एकांकी का कथानक उपमंत्री शरतचंद्र की बैठक में कुछ समय में घटित हो जाता है ।। अन्य घटनाएँ सूचना के रूप में प्रस्तुत की गई हैं ।। एकांकी में प्रस्तुत सभी घटनाएँ एक दूसरे से संबंधित हैं ।। इस प्रकार कहा जा सकता है कि ‘सीमा-रेखा’ एकांकी कला की दृष्टि से पूर्ण रूप से सफल है ।। एकांकी के सभी तत्वों का इस एकांकी में निर्वाह किया गया है ।।

4- ‘सीमा-रेखा’ एकांकी के उस पात्र का चरित्र-चित्रण कीजिए, जिसने आपको सबसे अधिक प्रभावित किया है ।।


उत्तर— ‘सीमा-रेखा’ एकांकी में हमें सविता के पात्र ने सबसे अधिक प्रभावित किया है ।। वही इस एकांकी की मुख्य स्त्री पात्र व सर्वोत्कृष्ट पात्र भी है, जो देश-प्रेम व जन कल्याण की भावना से ओत-प्रोत है ।। वह जननेता सुभाष की पत्नी है ।। उसके चरित्र में निम्नलिखित विशेषताएँ हैं

(अ) जनता की प्रवक्ता- सविता अपने पति सुभाष की भाँति ही जनता की प्रवक्ता है ।। वह सरकार के सामने जनता की वकालत करती है ।। वह जनतंत्र को जनता का राज बताते हुए शरतचंद्र से कहती है- “आप निरंकुश होते जा रहे हैं ।। आप अपने को शासक मानने लगे हैं ।। आप भूल गए हैं कि जनता-राज में शासक कोई नहीं होता ।। सब सेवक होते हैं ।।”

(ब) उदार हृदया नारी- सविता करुणा, परोपकार एवं त्याग के भावों से ओत-प्रोत नारी है ।। वह सभी के प्रति समानता का भाव रखती है ।। अहंकार, स्वार्थ जैसे दुर्गुण उसमें दिखाई नहीं देते हैं ।।

(स) निर्भीक एवं स्पष्टवादी- सविता निर्भीक एवं स्पष्टवादी महिला है ।। वह उचित बात कहने में डरती नहीं है ।। वह प्रत्येक स्थिति का निर्भीकता से सामना करती है ।। वह पुलिस को गोली चलाने के आदेश का समर्थन करने वाले अपने ज्येष्ठ लक्ष्मीचंद्र एवं शरतचंद्र का विरोध करती है ।। वह कहती है कि-” इसका अर्थ यह नहीं कि पत्थर के जवाब में गोली चला दी जाए! गोली उन्हें आत्मरक्षा के लिए नहीं दी जाती, जनता की रक्षा के लिए दी जाती है ।।” भीड़ के अनियंत्रित हो जाने की सूचना पाकर वह भी बाहर निडरता के साथ जाती है ।।

(द) क्रांतिकारी-विचार- वह अपने पति की भाँति ही क्रांतिकारी विचारों की महिला है और जन आंदोलन का समर्थन करती है ।। उसमें देशभक्ति कूट-कूटकर भरी है ।। वह कहती है-“हम स्वतंत्र भारत की प्रजा हैं, हम एक स्वतंत्र देश के नागरिक हैं ।। हम इंसान हैं ।।”

(य) विवेकशील- सविता एक विचारशील व विवेकशील स्त्री है और हर पक्ष पर सूक्ष्मता के साथ विचार करने में सक्षम है ।। सत्य बात कहने में वह संकोच नहीं करती और अपनी बात दृढ़तापूर्वक कहती है ।।

(र) धैर्यवान् एवं देशभक्त- सविता एक धैर्यशील स्त्री है ।। उसे अपने देश से प्रेम है, उसकी दृष्टि में देश सर्वोपरि है ।। वह इसके प्रति अपने कर्तव्यों का निर्वाह निष्ठापूर्वक करती है ।। वह अपने पति व पारिवारिक जनों की मृत्यु को देश की क्षति बताती है और लेशमात्र भी विचलित नहीं होती ।। वह कहती है-“देश क्या हमसे और हम क्या देश से अलग हैं ।।” इस प्रकार सविता के चरित्र के गुण किसी भी नारी के लिए अनुकरणीय हैं, जो दृढ़ता के साथ अपने राष्ट्र के प्रति पूर्णरूप से समर्पित है ।।


5- विष्णु प्रभाकर के जीवन एवं कृतित्व पर प्रकाश डालिए ।।


उत्तर— जीवन परिचय- विष्णु प्रभाकर हिंदी के सुप्रसिद्ध लेखक के रूप में विख्यात हुए ।। उनका जन्म 21 जून, 1912 को उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के मीरापुर गाँव में हुआ था ।। उनके पिता दुर्गा प्रसाद धार्मिक विचारों वाले व्यक्ति थे और उनकी माता महादेवी पढ़ी-लिखी महिला थी, जिन्होंने अपने समय में पर्दा प्रथा का विरोध किया था ।। उनकी पत्नी का नाम सुशीला था ।। विष्णु प्रभाकर की आरंभिक शिक्षा मीरापुर में हुई ।। बाद में वे अपने मामा के घर हिसार चले गए, जो तब पंजाब प्रांत का हिस्सा था ।।

घर की माली हालत ठीक नहीं होने के चलते वे आगे की पढ़ाई ठीक से नहीं कर पाए और गृहस्थी चलाने के लिए उन्हें सरकारी नौकरी करनी पड़ी ।। चतुर्थवर्गीय कर्मचारी के तौर पर काम करते समय उन्हें प्रतिमाह 18 रुपये मिलते थे, लेकिन मेधावी और लगनशील विष्णु ने पढ़ाई जारी रखी ।। पंजाब विश्वविद्यालय से बी-ए-और फिर हिंदी की ‘प्रभाकर’ परीक्षा उत्तीर्ण की ।। यही डिग्री इनके नाम के साथ ऐसी जुड़ी कि इनका नाम ही ‘विष्णु प्रभाकर’ हो गया ।। इनका आरंभिक नाम ‘विष्णु दयाल’ था ।।

विष्णु प्रभाकर पर महात्मा गाँधी के दर्शन और सिद्धांतों का गहरा असर पड़ा ।। इसके चलते ही उनका रुझान कांग्रेस की तरफ हुआ और स्वतंत्रता संग्राम के महासमर में उन्होंने अपनी लेखनी का भी एक उद्देश्य बना लिया, जो आजादी के लिए सतत संघर्षरत रही ।। अपने दौर के लेखकों में वे प्रेमचंद, यशपाल, जैनेंद्र और अज्ञेय जैसे महारथियों के सहयात्री रहे, लेकिन रचना के क्षेत्र में उनकी एक अलग पहचान रही ।। विष्णु प्रभाकर ने पहला नाटक ‘हत्या के बाद’ नामक शीर्षक से लिखा ।।

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हिसार में नाटक मंडली में भी काम किया और बाद के दिनों में उन्होंने लेखन को ही अपनी जीविका बना लिया ।। आजादी के बाद वे नई दिल्ली आ गए और सितंबर 1955 में आकाशवाणी में नाट्य निर्देशक के तौर पर नियुक्त हो गए, जहाँ उन्होंने 1957 तक काम किया ।। विष्णु प्रभाकर ने अपनी लेखनी से हिंदी साहित्य को समृद्ध किया ।। उन्होंने साहित्य की सभी विधाओं में अपनी लेखनी चलाई ।।

1931 में ‘हिंदी मिलाप’ में पहली कहानी दीवाली के दिन छपने के साथ ही उनके लेखन का जो सिलसिला शुरू हुआ, वह आठ दशकों तक निरंतर चलता रहा ।। नाथूराम शर्मा प्रेम के कहने से वे शरतचंद्र की जीवनी ‘आवारा मसीहा’ लिखने के लिए प्रेरित हुए, जिसके लिए वे ‘शरतचंद्र’ को जानने के लगभग सभी स्रोतों, जगहों तक गए, बांग्ला भी सीखी और जब यह जीवनी छपी तो साहित्य में विष्णु जी की धूम मच गई ।।

कहानी, उपन्यास, नाटक, एकांकी, संस्मरण, बाल साहित्य सभी विधाओं में प्रचुर साहित्य लिखने के बावजूद ‘आवारा मसीहा’ उनकी पहचान का पर्याय बन गई ।। बाद में ‘अर्धनारीश्वर’ पर उन्हें बेशक साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला हो, किंतु ‘आवारा मसीहा’ ने साहित्य में उनका मुकाम अलग ही रखा ।। विष्णु प्रभाकर ने अपनी वसीयत में अपने संपूर्ण अंगदान करने की इच्छा व्यक्त की थी ।।

अत: 19 अप्रैल, 2009 में इनकी मृत्यु के बाद उनका अंतिम संस्कार नहीं किया गया, बल्कि उनके पार्थिव शरीर को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान को सौंप दिया गया ।


। प्रमुख कृतियाँ————उपन्यास- ढलती रात, स्वप्नमयी, अर्धनारीश्वर, धरती अब भी घूम रही है, क्षमादान, दो मित्र, पाप का घड़ा, होरी आदि
नाट्य रचनाएँ- हत्या के बाद, नवप्रभात, डॉक्टर, प्रकाश और परछाइयाँ, बारह एकांकी, अशोक, अब और नहीं, टूटते परिवेश, इंसान और अन्य एकांकी, नए एकांकी, डरे हुए(एकांकी संग्रह) आदि
कहानी संग्रह- संघर्ष के बाद, मेरा वतन, खिलौने, आदि और अंत
आत्मकथा- ‘पंखहीन’ नाम से उनकी आत्मकथा तीन भागों में राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित हुई है ।।
जीवनी- आवारा मसीहा ।।
यात्रा वृत्तांत्- ज्योतिपुंज हिमालय, जमुना-गंगा के नैहर में

6- विष्णु जी को किन-किन पुरस्कारों से सम्मानित किया गया?

उत्तर— विष्णु प्रभाकर जी ने अपनी लेखनी से हिंदी साहित्य को समृद्ध किया ।। उन्होंने साहित्य की सभी विधाओं में अपनी लेखनी चलाई ।। विष्णु जी को भारत सरकार ने पद्मभूषण की उपाधि से सम्मानित किया ।। उनके उपन्यास ‘अर्धनारीश्वर’ के लिए -1916इन्हें भारतीय ज्ञानपीठ का मूर्तिदेवी सम्मान तथा साहित्य अकादमी पुरस्कार, सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार इत्यादि प्रदान किए गए ।।

7- अरविंद,सुभाष और विजय की मृत्यु को अन्नपूर्णा,सविता वशरत किस रूप में देखते हैं?


उत्तर— गोलीकांड और तत्पश्चात् भीड़ द्वारा कुचले जाने से हुई अरविंद, सुभाष और विजय की मृत्यु को अन्नपूर्णा, सविता और शरत अलग-अलग दृष्टिकोण से देखते हैं ।। इनकी मृत्यु अन्नपूर्णा के लिए केवल अपने परिवार की क्षति प्रतीत होती है, जबकि शरतचंद्र, अरविंद और सुभाष को जनता की क्षति तथा विजय को सरकार की क्षति मानते हैं, जबकि सविता इनकी मौत को सारे देश की क्षति मानती है ।। वह कहती है-“यह उनकी नहीं सारे देश की क्षति है, देश क्या हमसे और हम क्या देश से अलग हैं ।।” अंत में शरतचंद्र भी उसकी बात का समर्थन करते हुए इसे देश की क्षति बताते हैं क्योंकि “जनतंत्र में सरकार और जनता के बीच कोई विभाजक-रेखा नहीं होती है ।।”

8- उग्र भीड़ को कानून अपने हाथ में लेना चाहिए अथवा नहीं, इस विषय पर अपने विचार व्यक्त कीजिए ।।


उत्तर— उग्र भीड़ को कानून अपने हाथ में नहीं लेना चाहिए क्योंकि जनतंत्र में जनता का शासन होता है ।। जनता के चुने हुए प्रतिनिधि ही सरकार में होते हैं ।। जनता को उनके माध्यम से ही अपनी बात को सरकार तक पहुँचानी चाहिए ।। यदि आंदोलन करना आवश्यक है तो उसे शांतिपूर्वक करना चाहिए ।। उसके लिए कानून को अपने हाथ में लेकर उसका उल्लंघन नहीं करना चाहिए ।। जनता द्वारा कानून का उल्लंघन करने पर देश को अपार क्षति पहुँचती है ।। यह क्षति जन, धन दोनों रूपों में होती है ।।

प्रस्तुत एकांकी ‘सीमा-रेखा’ में भी इसी प्रकार की समस्या का वर्णन है ।। पुलिस राष्ट्रीय संपत्ति को हानि से बचाने के लिए ही गोली चलाती है, जिसमें 5 लोग मारे जाते हैं, जिनमें 10 वर्ष का बेकसूर बच्चा भी होता है ।। अत: जनता के उग्र हो जाने पर उनके चुने हुए प्रतिनिधियों को उनके बीच में जाकर उसे समझाना चाहिए तथा उसे कानून को हाथ में लेकर लूटपाट, उपद्रव आदि करने से रोकना चाहिए ।। यदि जनता के प्रतिनिधि सरकार व जनता के बीच सेतु का कार्य करने लगें, तो जनता को आंदोलन की कोई आवश्यकता नहीं रहेगी ।। भीड़ द्वारा कानून को हाथ में लेने पर केवल देश को क्षति होती है ।। अत: भीड़ को ऐसा नहीं करना चाहिए ।।

(ग) वस्तुनिष्ठ प्रश्न UP BOARD CLASS 9TH HINDI SOLUTION CHAPTER 5 SEEMA REKHA


1- इस एकांकी में उठाई गई समस्या किससे संबंधित है?
(अ) परिवार से (ब) राष्ट्र से (स) विद्यार्थियों से (द) इन सभी से

2- इस एकांकी का शीर्षक सीमा-रेखा’ है; क्योंकि
(अ) चारों भाइयों के स्वार्थ की अलग-अलग सीमा रेखा है ।।
(ब) गोली कांड और हत्या; अधिकार और अराजकता की सीमा रेखा है ।।
(स) जनतंत्र में जनता और सरकार में सीमा रेखा नहीं होती ।।
(द) उपर्युक्त सभी कथन सत्य हैं ।।

3- इस एकांकी के चारों भाइयों और उनकी पत्नियों के विचार एक दूसरे से भिन्न हैं; क्योंकि
(अ) उनमें आपस में प्रेम नहीं है ।।
(ब) वे एक दूसरे का विरोध करते हैं ।।
(स) सभी स्वतंत्र चिंतन में विश्वास करते हैं
(द) पेशे के अनुसार उनके अलग-अलग स्वार्थ हैं ।।

4- ‘जनतंत्र में सरकार और जनता के बीच कोई विभाजक-रेखा नहीं होती है किसका कथन है?
(अ) लक्ष्मीचंद्र का (ब) विजय का (स) सविता का (द) शरतचंद्रका

5- कप्तान विजय ने भीड़ पर गोली चलाने से इंकार कर दिया, क्योंकि
(अ) भीड़ पर गोली न चलाकर वह उसे समझाकर शांत करना चाहता था ।।
(ब) वह अरविंद की मृत्यु का प्रायश्चित करना चाहता था ।।
(स) भीड़ पर गोली चलाने के कारण उसे मुअत्तिल हो जाने का डर था ।।
(द) उपर्युक्त सभी विकल्प सत्य हैं ।।

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