up board class 8 sanskrit pratyay प्रत्यय

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प्रत्यय

तव्यत् (तव्य) , अनीयर् (अनीय)

ये दोनों प्रत्यय सकर्मक धातुओं से कर्म अर्थ में तथा अकर्मक धातुओं से भाव अर्थ में होते हैं। इनसे बने शब्दों का प्रयोग क्रिया तथा विशेषण के रूप में होता है।

उदाहरण – गम् + तव्यत् (तव्य)

विशेषण रूप में – गन्तव्यं स्थानम् ।

गन्तव्यः ग्रामः ।
गन्तव्या नगरी।

अन्य उदाहरण-

पठ् + क्त्वा = पठित्वा
पा + क्त्वा = पीत्वा
अन्य उदाहरण- पठ् + तव्यत् = पठितव्यम्

नी+तव्यत् = नेतव्यम्

भुज् + तव्यत् = भोक्तव्यम्

दा + तव्यत् = दातव्यम्

अनीयर् (अनीय) –

विशेषण रूप में = गमनीयः ग्रामः
गमनीया नगरी =
गमनीयं वनम्

अन्य उदाहरण-

दा + अनीयर् = दानीयम्

कृ + अनीयर = करणीयम्

क्त (त) प्रत्यय – इस प्रत्यय का प्रयोग भूतकाल के अर्थ में किया जाता है, इस प्रत्यय से बने शब्दों का प्रयोग क्रिया तथा विशेषण के रूप में होता है।

क्रिया रूपों मे पठ् + क्त = पठितम्

विशेषण रूप मे – पठितः ग्रन्थः, पठिता पत्रिका, पठितं पुस्तकम् ।

अन्य उदाहरण – हस् + क्त = हसितम्

नी + क्त = नीतम्

भुज् + क्त = भुक्तम्

कृ + क्त = कृतम्

भू + क्त त् भूतम्

प्रच्छ् + क्त = पृष्टम्

ग्रह + क्त = गृहीतम्

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