UP BOARD CLASS 12 SANSKRIT SYLLABUS 2022-23 FREE PDF
माध्यमिक शिक्षा परिषद्, उ०प्र०, प्रयागराज द्वारा 2020-21 की परीक्षा के लिए निर्धारित
संस्कृत : कक्षा-12
अंक – विभाजन
→ सामान्य निर्देश
संस्कृत विषय में 100 अंकों का एक प्रश्न पत्र होगा। प्रश्न पत्र के प्रत्येक खण्ड में निर्धारित अंकों के अन्तर्गत दीर्घ उत्तरीय, लघु उत्तरीय, अतिलघु उत्तरीय एवं बहुविकल्पीय प्रश्नों का समावेश कर कई प्रश्न पूछे जा सकते हैं। प्रश्न-पत्र में प्रश्नों के लिए निर्धारित अंक ही उत्तर के आकार की संक्षिप्तता या दीर्घता का द्योतक होगा। प्रत्येक प्रश्न-पत्र के अन्तर्गत समाविष्ट पाठ्यक्रम का अंक विभाजन निम्नवत् होगा-
खण्ड – क ( गद्य )
चन्द्रापीडकथा
1- गद्यांश के आधार पर प्रश्नोत्तर
2- कथात्मक पात्रों का चरित्र-चित्रण (हिन्दी में, अधिकतम 100 शब्द)।
3- रचनाकार का जीवन परिचय एवं गद्य शैली (हिन्दी अथवा संस्कृत में, अधिकतम 100 शब्द) ।
4- सन्दर्भित पुस्तक से सम्बन्धित वैकल्पिक प्रश्न ।
खण्ड ख (पद्य) 20 अंक
→ रघुवंशमहाकाव्यम् ( द्वितीयः सर्गः )
1- किसी श्लोक की सन्दर्भ सहित हिन्दी में व्याख्या
2- किसी श्लोक की सन्दर्भ सहित संस्कृत में व्याख्या ।
3-कवि परिचय एवं काव्य-शैली (हिन्दी अथवा संस्कृत में, अधिकतम 100 शब्द) ।
4- काव्यगत तथ्यों एवं भावों पर आधारित वैकल्पिक प्रश्न ।
खण्ड – ग ( नाटक) 20 अंक
• अभिज्ञानशाकुन्तलम् (चतुर्थोऽङ्कः )
1- पाठगत नाटक के किसी गद्यांश अथवा पद्य की सन्दर्भसहित हिन्दी में व्याख्या ।
2-पाठगत नाटक के अंशों से सूक्तिपरक पंक्ति की सन्दर्भसहित हिन्दी में व्याख्या।
3- नाटककार का जीवनपरिचय एवं नाट्यशैली (हिन्दी अथवा संस्कृत में, अधिकतम 100 शब्द) ।
4-सन्दर्भित पुस्तक से सम्बन्धित वैकल्पिक प्रश्न
खण्ड-घ (नाटक) 10 अंक
विभिन्न विषयों पर संस्कृत में निबन्ध (10 पंक्तियाँ) – संस्कृत साहित्य, जनसंख्या, पर्यावरण, स्वास्थ्य शिक्षा, यातायात के नियम आदि।
खण्ड -ङ (अलंकार)
निम्नलिखित अलंकारों की सामान्य परिभाषा ( हिन्दी या संस्कृत में) अथवा उदाहरण संस्कृत में- उपमा तथा रूपक ।
खण्ड ‘च’ (व्याकरण)
अनुवाद ऐसे हिन्दी वाक्यों का संस्कृत में अनुवाद जहाँ उपपद विभक्तियों का प्रयोग हो ।
कारक तथा विभक्ति
खण्ड ‘च’ (व्याकरण)
अनुवाद ऐसे हिन्दी वाक्यों का संस्कृत में अनुवाद जहाँ उपपद विभक्तियों का प्रयोग हो ।
1- सन्धि
2- शब्दरूप
3- समास
4- धातुरूप
5- प्रत्यय
6- वाच्य परिवर्तन
निर्धारित पुस्तकें एवं पाठ्यवस्तु
खण्ड (क) गद्य- महाकवि बाणभट्टप्रणीतम् – कादम्बरीसारतत्त्वभूतम् ‘चन्द्रापीडकथा” का उत्तरार्द्ध भाग-सा तु समुत्थाय महाश्वेतां—जग्रन्थ बाणभट्टस्य वाक्यैरेव कथामिमाम्।। इति ।।
खण्ड (ख) पद्य – महाकविकालिदासप्रणीतम् – रघुवंशमहाकाव्यम् (द्वितीय सर्ग ) श्लोक संख्या 41 से समाप्तिपर्यन्त ।
खण्ड (ग) नाटक- महाकविकालिदासप्रणीतम् अभिज्ञानशाकुन्तलम् (चतुर्थोऽङ्कः) (आकाशे) रम्यान्तरः कमलिनी हरितैः ———- इत्यादि पद से अंक की समाप्ति तक।
खण्ड (घ) निबन्ध – विभिन्न विषयों पर संस्कृत में निबन्ध (10 पंक्तियाँ) संस्कृत साहित्य, जनसंख्या, पर्यावरण, स्वास्थ्य शिक्षा, यातायात के नियम आदि विषयों पर निबन्ध)
खण्ड (ङ) अलंकार- निम्नलिखित अलंकारों की सामान्य परिभाषा (हिन्दी या संस्कृत में) अथवा उदाहरण संस्कृत में उपमा तथा रूपक।
खण्ड (च) व्याकरण-
1- अनुवाद- ऐसे हिन्दी वाक्यों का संस्कृत में अनुवाद जहाँ उपपद विभक्तियों का प्रयोग हो।
2- कारक तथा विभक्ति-
निम्नलिखित सूत्रों तथा वार्तिकों के आधार पर कारकों तथा विभक्तियों का ज्ञान-
(क) चतुर्थी विभक्ति (सम्प्रदान कारक )
(1) कर्मणा यमभिप्रैति स सम्प्रदानम्
(2) चतुर्थी सम्प्रदाने
(3) रुच्यर्थानां प्रीयमाणः
(4) क्रुधदुहेर्थ्यासूयार्थानां यं प्रति कोपः
(5) स्पृहेरीप्सितः
(6) नमः स्वस्तिस्वाहास्वधाऽलंवषड्योगाच्च
(ख) पंचमी विभक्ति (अपादान कारक )
(1) ध्रुवमापायेऽपादानम्
(2) अपादाने पञ्चमी
(3) जुगुप्साविरामप्रमादार्थानामुपसंख्यानम् (वा० )
(4) भीत्रार्थानां भयहेतुः
(5) आख्यातोपयोगे
(ग) षष्ठी विभक्ति (सम्बन्ध कारक )
(1) षष्ठी शेषे
(2) षष्ठी हेतुप्रयोगे
(3) क्तस्य च वर्तमाने
(4) षष्ठी चानादरे
(घ) सप्तमी विभक्ति (अधिकरण कारक )
(1) आधारोऽधिकरणम्
(2) सप्तम्यधिकरणे च
(3) साध्वसाधुप्रयोगे च (वा० )
( 4 ) यतश्च निर्धारणम् ।
3- समास
निम्नांकित समासों की परिभाषा अथवा संस्कृत में विग्रहसहित समास का नाम।
(1) द्वन्द्वः, (2) अव्ययीभावः, (3) द्विगुः ।
4- संधि -सन्धि, सन्धि-विच्छेद, नामोल्लेख तथा नियम-ज्ञान ।
निम्नलिखित सूत्रों के अनुसार संधियों का उदाहरण सहित ज्ञान-
(क) व्यंजन सन्धि या हल सन्धि—– (1) स्तोः श्चुना श्चुः, (2) टुना टुः, (3) झलां जशोऽन्ते, (4) खरि च, (5) मोनुस्वारः, (6) झलां जश् झशि, ( 7 ) तोर्लि, (8) अनुस्वारस्य ययि परसवर्णः ।
(ख) विसर्ग सन्धि-
(1) विसर्जनीयस्य सः, (2) ससजुषोरुः, (3) अतोरोरप्लुतादप्लुते, ( 4 )हशि च (5) खरवसानयोर्विसर्जनीयः, (6) वा शरि, (7) रोरि, (8) ठूलोपे पूर्वस्य दीर्घोऽणः
5- शब्द-रूप
(अ) नपुंसकलिंग गृह, वारि, दधि, मधु, जगत्, नामन्, मनस्, ब्रह्मन् धनुषु
(आ) सर्वनाम सर्व तद् यद्, किम्, युष्मद् अस्मद् इदम् एतत् अदम् भवत्। 01 से 100 तक के संख्यावाचक शब्द तथा कति के रूप
6- धातु रूप––निम्नलिखित धातुओं के लट्, लङ्, लोट्, विधिलिङ् एवं लट् लकार में रूप।
(अ) आत्मनेपद – लभ, वृध, भाष, शी, विद्, सेव्
(आ) उभयपद- नी, याचू, दा, ग्रह, ज्ञा, चुर्, श्रि, क्री, धा
7- प्रत्यय
ल्युट् णमुल, अनीयर् टाप, ङीष् तुमुन्, क्त्वा
8- वाच्य परिवर्तन
वाक्यों में कर्तृवाच्य, कर्मवाच्य एवं भाववाच्य पदों का वाच्य परिवर्तन ।