
Mp board class 10 hindi Naresh mehata jeevan parichay
कवि परिचय आधुनिक हिन्दी कविता के प्रयोगवादी कवि नरेश मेहता का जन्म मध्यप्रदेश के – शाजापुर जिले में सन् 1922 ई. में हुआ। आपकी शिक्षा-दीक्षा माधव कॉलेज, उज्जैन एवं बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में हुई आपके व्यक्तित्व में बैष्णव संस्कारों की छाप पड़ी दिखाई देती है। सन् 1942 में ‘भारत छोड़ो आन्दोलन’ में आप सक्रिय रहे। आपने आकाशवाणी में कार्यक्रम अधिकारी के रूप में भी कार्य किया है। आपने ट्रेडयूनियन के लिए एक साप्ताहिक पत्रिका का सम्पादन कार्य किया।
नरेश मेहता नई कविता के कवि हैं। नई कविता में इनकी पहचान ‘दूसरा सप्तक’ के प्रकाशन पर बनी। आप न तो अपने समय की किसी विचारधारा के कट्टर अनुयायी रहे और न ही किसी फैशन से सम्बद्ध। आपकी कविता तात्विक दृष्टि से आधुनिक है; पर आधुनिकतावादी नहीं। आपकी कविता का उत्स मानवीय प्रेम, करुणा और आनंद है। उसमें कहीं आक्रोश का स्वर नहीं है। वे अपनी कविता में विषयवस्तु का चयन और आकलन अपने मन्तव्य से करते हैं। आपने मिथकीय प्रतीकों और बिम्बों का प्रयोग सर्वथा नई दृष्टि से जीवन मूल्यों को चित्रित करने के लिए किया है।
नरेश मेहता मूलतः कवि और उपन्यासकार हैं। आपकी काव्य कृतियाँ- ‘बन पाखी सुनो’, ‘बोलने दो चीड़ को’, ‘मेरा समर्पित एकांत उत्सव’, ‘तुम मेरा मौन हो’, ‘संशय की एक रात’, ‘महाप्रस्थान’ तथा ‘शबरी’ है। आपके उपन्यास ‘यह पथ बंधु था’ ‘धूमकेतुः एक श्रुति’, ‘नदी यशस्वी है’, ‘दो एकान्त’ और ‘डूबते मस्तूल’ हैं।
मेहता जी अपने समय के सरल किंतु गंभीर विचारक हैं। आपमें एक अलग नयापन है जो समकालीन अन्य कवियों से आपको बिल्कुल ही अलग करता है।