UP BOARD SOLUTION FOR CLASS 9 HINDI CHAPTER 4 siddhimantra SANSKRIT KHAND

UP BOARD SOLUTION FOR CLASS 9 HINDI CHAPTER 4 siddhimantra SANSKRIT KHAND

UP BOARD SOLUTION FOR CLASS 9 HINDI
चतुर्थः पाठः सिद्धिमन्त्रः

1- निम्नलिखित का सन्दर्भ सहित हिंदी में अनुवाद कीजिए

(क) अत्रैव —————————————————————————————————-जातम् ।
शब्दार्थ—[अत्रैव = यहीं, पैतृकधनेन = पुरखों के धन से, सकलं = सारा, सम्पादयन्ति = करते हैं, उपेक्षया = देखरेख के अभाव में, नोत्पद्यते = उत्पन्न नहीं होता है, अभावग्रस्तं = अभावों से ग्रसित, जातम् = हो गया ।]

संदर्भ- प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘हिंदी’ के ‘संस्कृत खंड’ के ‘सिद्धिमन्त्रः’ नामक पाठ से उद्धृत है ।

अनुवाद —- इसी गाँव में पुरखों के धन से धनवान धर्मदास रहता है । उसका सारा काम सेवक करते हैं । सेवकों की देखरेख के अभाव (उपेक्षा) के कारण उसके पशु कमजोर हो गए हैं और खेतों में बीजमात्र के लिए भी अन्न उत्पन्न नहीं होता है । धीरे-धीरे उसका सारा पैतृक धन समाप्त हो गया । उसका सारा जीवन अभावों से ग्रसित हो गया ।

(ख) एकदा——————————————–सञ्जातः ।
[एकदा = एक बार, प्रत्यागत्य = लौटकर, स्वद्वारि = अपने दरवाजे पर, उपविष्टम् = बैठे हुए, खिन्नं = दुःखी, चिराद् = बहुत समय से, दृष्टोऽसि = दिखाई दिए हो, केनापि = किसी, क्षीणविभव: = निर्धन, ऐश्वर्यहीन, संञ्जा = हो गया ।]

संदर्भ- पूर्ववत्
अनुवाद —- एक दिन वन से लौटते हुए रामदास ने अपने दरवाजे पर बैठे हुए धर्मदास को दु:खी और कमजोर देखकर पूछा- “मित्र धर्मदास! बहुत समय के बाद दिखाई दिए हो । क्या किसी रोग से ग्रस्त हो, जिससे इतने कमजोर हो गए हो?’ धर्मदास ने प्रसन्न मुख वाले उस (मित्र) से कहा, – “मित्र! मैं बीमार नहीं हूँ, परन्तु धन के नष्ट होने पर (निर्धन) कुछ दूसरे प्रकार का हो गया हूँ ।

(ग) इदमेव ——- —————दास्यति इति ।
[अकर्मण्यता = कर्महीनता, आलस्य, सम्पत्तिकारकः = धन को प्रदान करने वाला, तर्हि = तब, अनुष्ठानम् -कार्य, उपचर्या = सेवा, कर्मकराणां = मजदूरों के, वर्षान्ते = वर्ष के अंत में ।
संदर्भ- पूर्ववत् अनुवाद —- यही सोच रहा हूँ कि किसी उपाय, मन्त्र अथवा तन्त्र से धनवान हो जाऊँ ।” उसकी गरीबी का कारण उसकी अकर्मण्यता है- ऐसा विचार कर रामदास ने इस प्रकार कहा- “मित्र! , पहले किसी दयालु महात्मा ने मुझे सम्पत्ति प्रदान करने वाला एक मंत्र दिया था । यदि आप भी उस मंत्र को चाहते हैं तो उसके द्वारा बताए गए अनुष्ठान (कार्य) को करो । उसके बाद मंत्र का उपदेश देने वाले उसी महात्मा के पास चलेंगे ।” वह बोला“मित्र! शीघ्र ही उस अनुष्ठान को कहो, जिससे मैं फिर से धनवान हो जाऊँ ।’ रामदास बोला- “मित्र! प्रतिदिन सूर्योदय से पहले उठो और अपने पशुओं की सेवा स्वयं करो, प्रतिदिन खेतों में मजदूरों के कार्य का निरीक्षण करो । तुम्हारे विधिपूर्वक किए गए इस कार्य से प्रसन्न होकर वह महात्मा एक वर्ष के अंत में अवश्य तुम्हें सिद्धिमंत्र देंगे ।”

(घ) विपन्नः—– ———————————————————–जातम् ।
[विपत्रः = दुःखी, अभिलषन् = इच्छा करता हुआ, महिष्यः = भैंसें, यथोक्तम् = कहे अनुसार, अवर्धत् = बढ़ गया, प्रचुरं = अधिक, तदानीं = तब, सन्नद्धा अभवन् = जुट गए ।]

संदर्भ- पूर्ववत्
अनुवाद —- दुःखी धर्मदास ने संपत्ति की इच्छा करते हुए एक वर्ष तक जैसा कहा गया था, उसी के अनुसार अनुष्ठान (विधिपूर्वक कार्य) किया, प्रतिदिन प्रातःकाल जागने से उसका स्वास्थ्य बढ़ गया । उसके द्वारा नियमपालित पशु स्वस्थ और सबल हो गए । गायों और भैंसों ने अधिक दूध दिया । तब उसके मजदूर भी खेती के कार्य में लग गए । अतः उस वर्ष उसके खेतों में अधिक अन्न पैदा हुआ और (उसका) घर धन-धान्य से भर गया ।

(ङ) एकस्मिन्———————————————————————————सः सिद्धिमन्त्रः ।
[पात्रम् = बर्तन, दधानम् = लिए हुए, सम्यग् = अच्छी तरह,अवलोक्य = देखकर, ज्ञातं = जान लिया ।]

संदर्भ- पूर्ववत्
अनुवाद —- एक दिन प्रातःकाल खेतों को जाते हुए रामदास ने दूध से भरे हुए बर्तन को हाथ में लिए हुए प्रसन्न मुख वाले धर्मदास को देखकर पूछा-” आप कुशलपूर्वक तो हैं, क्या तुम्हारा अनुष्ठान विधि-पूर्वक चल रहा है? क्या उस महात्मा के पास मंत्र लेने चलें?” धर्मदास ने उत्तर दिया- “मित्र! एक वर्ष तक परिश्रम करके मैंने यह भली प्रकार जान लिया है कि ‘कर्म’ ही वह सिद्धिमंत्र है ।

2- निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संस्कृत में दीजिए


(क) रामदासःधर्मदासःच कुत्र निवसतः?
उत्तर– – रामदासः धर्मदासः च नारायणपुरे निवसतः ।

(ख) प्रातःकाले उत्थाय रामदासः किम् -किम् कार्यम् करोति?
उत्तर– – प्रात:काले उत्थाय रामदासः नित्यकर्माणि करोति, नारायणं स्मरति पशुभ्यः घासं ददाति च ।

(ग) रामदासः पुत्रेण सह कुत्र गच्छति?
उत्तर– – रामदासः पुत्रेण सह क्षेत्राणि गच्छति ।

(घ) धर्मदासः कथं अभावग्रस्तं जातम्?
उत्तर– – धर्मदासः सम्पत्तिः अभावग्रस्तं जातम् ।

(ङ) सिद्धिमन्त्रः कः अस्ति?
उत्तर– – कर्म एव सिद्धिमन्त्रः अस्ति ।

(च) धर्मदासः कथं सम्पन्नः अभवत् ?
उत्तर– – धर्मदासः कर्मकारणेन् सम्पन्नः अभवत् ।

(छ) वर्षपर्यन्तं श्रमं कृत्वा धर्मदासेन किम् ज्ञातम्?
उत्तर– – वर्षपर्यन्तं श्रमं कृत्वा धर्मदासेन ज्ञातम् यत् ‘कर्म’ एव सिद्धिमन्त्रः ।

(ज) किम् श्रुत्वा रामदासः स्वगृह अगच्छत्?
उत्तर– – धर्मदास: कथनं ‘कर्म’ एव सिद्धिमन्त्रः । तस्यैव अनुष्ठानेन मनुष्यः सर्वम् अभीष्टं फलं लभते तस्यैव अनुष्ठानस्य प्रभावेण सम्प्रति अहं पुनः सुखं समृद्धिं च अनुभवामि श्रुत्वा रामदासः स्वगृह अगच्छत् ।

(झ) लक्ष्मी: निवासहेतोः कं स्वयं याति?
उत्तर– – उत्साहसम्पन्नं, अदीर्घसूत्रं, क्रियाविधिज्ञं, व्यसनेषु, असक्तं, शूरं, कृतज्ञं दृढ़सौहृदं च लक्ष्मीः निवासहेतोः स्वयं याति ।

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(ब) अनुवादात्मक :——–
निम्नलिखित वाक्यों का संस्कृत में अनुवाद कीजिए

1- रामदास और धर्मदास दोनों नारायणपुर में रहते हैं ।
अनुवाद —- रामदासः धर्मदासः द्वय च नारायणपुरे निवसतः ।

2- रामदास कठिन परिश्रम करता है ।
अनुवाद —- रामदास: कठिनं श्रमं करोति ।

3- रामदास के सभी कार्य अच्छी प्रकार होते हैं ।
अनुवाद —- रामदासस्य सर्वाणि कार्याणि भवन्ति ।

4- धर्मदास आलसी है ।
अनुवाद —- धर्मदास: अकर्मण्य अस्ति ।

5- धर्मदास बहुत दुःखी है ।
अनुवाद —- धर्मदास: अत्यधिकः दुःखी अस्ति ।

6- कर्म ही सिद्धिमन्त्र है ।
अनुवाद —- कर्म एव सिद्धिमन्त्रः अस्ति ।

7- हमें रोज सूर्योदय से पहले उठना चाहिए ।
अनुवाद —- वयं नित्यं सूर्योदयात् पूर्वम् उतिष्ठेम ।

8- तुम बाजार जाओ ।
अनुवाद —- त्वं हटें गच्छ ।

9- अपने माता-पिता की सेवा करो ।
अनुवाद —- स्व माता-पितरौ सेबायाम् कुरू ।

10- अच्छे कार्यों को करो ।
अनुवाद —- श्रेष्ठं कार्यां कुरु ।

(स) बोधात्मक–
कोष्ठक में दिए गए शब्दों के सही रूप से रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

1- रामदासः पुत्रेन सह क्षेत्राणि गच्छति । (पुत्र)
2- रामदासः नारायणपुरे निवसति । (वस् )
3- धर्मदासः प्रसन्नवदनं तम् अवदत् । (वद् )
4- रामदासः पशुभ्यः घासं ददाति । (दा)
5- अनेन तव अनुष्ठानेन प्रसन्नः सः महात्मा वर्षान्ते अवश्यं तुभ्यं सिद्धिमन्त्रः दास्यति इति । (अनुष्ठान)
6- किं तं महात्मानं मन्त्रार्थम् उपगच्छाव? (महात्मा)
7- अहम् पुनः सुखं समृद्धिं च अनुभवामि । (अनुभव)

(द) व्याकरणात्मक से सम्बंधित प्रश्न :—–


1- निम्नलिखित शब्दों में सन्धि-विच्छेद कीजिए तथ सन्धि का नाम भी लिखिए
सन्धि शब्द ——- ——–सन्धि विच्छेद—————सन्धि का नाम
यथोक्तम्—————यथा + उक्तम् ———————–गुण संधि
तस्यैव————— तस्य + एव—————वृद्धि सन्धि
दृष्टोऽसि —————दृष्टो + असि—————पूर्वरूप सन्धि
वर्षान्ते————— वर्ष + अन्ते—————दीर्घ सन्धि
केनापि————— केन + अपि—————दीर्घ सन्धि
सूर्योदयात् —————सूर्य + उदयात्—————गुण सन्धि\
केनोपायेन————— केन + उपायेन—————गुण सन्धि
नोत्पद्यते —————न + उत्पद्यते—————गुण सन्धि
प्रत्यागत्य —————प्रति + आगत्य—————यण सन्धि
येनाहं————— येन + अहं—————दीर्घ सन्धि
नाहं —————न + अहं—————दीर्घ सन्धि
मात्रमपि —————मातृ + मपि—————यण सन्धि
पुष्टाङ्गा ————— पुष्ट + अङ्गा—————दीर्घ सन्धि
धनधान्यादि ————— नधान्य + आदि—————दीर्घ सन्धि

2- निम्नलिखित शब्दों में सन्धि कीजिए;—-

सन्धि विग्रह—————सन्धि शब्द
क्षेत्र + एषु—————क्षेत्रेषु
तस्य + एव—————तस्यैव
महा + आत्मा—————महात्मा
मन्त्र +अर्थम्—————मन्त्रार्थम्
यथा + उक्तम्—————यथोक्तम्
अभि + इष्टम्—————अभीष्टम्
व्यसनेषु + असक्तम् —————व्यसनेष्वसक्तम्
पर + उपकारः—————परोपकारः
महा + उत्सवः—————महोत्सवः
अत्र + एव—————अत्रैव
मन्त्र+उपदेशकम्—————मन्त्रोपदेशकम्

3- निम्नलिखित शब्दों के विलोम लिखिए
शब्द—————विलोम
सबलः—————दुर्बलः
दारिद्रयम्—————धनधान्यं
सम्पत्तिः —————विपत्तिः

4- निम्नलिखित वाक्यों में रेखांकित शब्दों में कारक और विभक्ति का नाम बताइए


कारक—————विभक्ति
(क) रामदासः पुत्रेन सह क्षेत्राणि गच्छति । करण कारक तृतीया विभक्ति
(ख) धर्मदासः प्रत्यवदत् । कर्ता कारक—————प्रथमा विभक्ति
(ग) स: कठिनं श्रमं करोति । कर्म कारक—————द्वितीया विभक्ति
(घ) स: तुभ्यं सिद्धिमन्त्रं दास्यति । संप्रदान कारक चतुर्थी विभक्ति

5- निम्नलिखित शब्दों में समास-विग्रह कीजिए
समस्त पद—————समास-विग्रह
मन्त्रार्थम्—————मन्त्राय इदम्
वर्षपर्यन्तं—————वर्षस्य पर्यन्तं
वर्षान्ते—————वर्षस्य अन्ते
यथोक्तम्—————उक्तम् अनतिक्रम्य
अभावग्रस्तम्—————अभावेन ग्रस्तम्
दुर्बलाः —————बलानां व्यृद्धि
सम्पत्तिकारकः————— सम्पत्याः कारकः
यथास्थानम् —————स्थानम् अनतिक्रम्य

6- निम्नलिखित शब्दों के दो-दो पर्यायवाची संस्कृत में लिखिए
लक्ष्मी—————कमलनिवासिनी, विष्णुप्रिया ।
गृह —————–सदनम्, आलय ।
मनुष्य—————नरः, जनः ।
गाँव—————ग्रामः, उपनगर ।
मित्र—————सखाः , सहचर ।

7- निम्नलिखित शब्दों में से जोशब्द’कर्ता’ हैं या जो कर्ता’ और कर्म दोनों हैं, उन शब्दों को छाँटकर लिखिए
शब्द ————————————कर्ता———————–कर्ता व कर्म दोनों
सुखम्——————————————————————सुखम्
सः——————————————स:————————————-
धनम्——————————————————————
फलम्———————————————————————-फलम्
धर्मदासः———————————धर्मदासः———————————
कर्मकराः——————————————————————कर्मकरा:
क्षेत्राणि——————————————————————क्षेत्राणि
कर्माणि——————————————————————कर्माणि
सेवकाः——————————— सेवकाः———————————
धनम्——————————————————————
दुग्धम्——————————————————————दुग्धम्
रामदासः———————————रामदासः———————————

8- ‘अगच्छत्’ किस लकार एवं वचन का उदाहरण है? इसके लोट् लकार के सभी रूप लिखिए


उत्तर– – ‘अगच्छत्’ लङ् लकार, प्रथम पुरुष, एकवचन का रूप है । इसके लोट् लकार के रूप निम्नवत् हैं
एकवचन ———————————द्विवचन——————————— बहुवचन
प्रथम पुरुष– गच्छतु——————————— गच्छताम्———————————गच्छन्तु
मध्यम पुरुष गच्छ——————————— गच्छतम्———————————गच्छत
उत्तम पुरुष गच्छानि——————————— गच्छाव———————————गच्छाम

9- निम्नलिखित शब्दों में विभक्ति व वचन बताइए

शब्दरूप ……………………………विभक्ति……………………………वचन
विपत्ति ……………………………प्रथमा……………………………एकवचन
दारिद्रयम्…………………………… द्वितीया……………………………एकवचन
चिरात् ……………………………पञ्चमी……………………………एकवचन
सबलः…………………………… प्रथमा……………………………एकवचन
प्रसन्नः…………………………… प्रथमा……………………………एकवचन
उपेक्षा ……………………………प्रथमा……………………………एकवचन

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