UP BOARD SOLUTION FOR CLASS 7 SANSKRIT CHAPTER 5 वयं स्वाधीनाः
पाठ – 5 वयं स्वाधीनाः का सम्पूर्ण हल
लोकेऽधुना वयं स्वाधीनाः ।
तिमिरो गतः प्रकाशो जातः ।।
क्रीडार्थं दिवसोऽप्यायातः ।
नव्यं युगं नवीनो देशो वार्तागताखिला प्राचीना।।
लोकेऽधुना वयं स्वाधीनाः ।। 1 ।।
हिन्दी अनुवाद – इस समय हम सब स्वतन्त्र हैं अँधेरा मिटा और प्रकाश फैल गया। खेलने तथा खुशी मनाने के दिन आ गए। यह नए युग का नया देश है। पुरानी बातें बीत गईं। अब हम सब स्वतन्त्र हैं।
पद्मश्रीर्विहसति पुलिनेषु ।
हासः खेलति जनाधरेषु ।
धनान्विताः सर्वे दृश्येरन् शिष्येरन् देशे न हि दीनाः ।।
लोकेऽधुना वयं स्वाधीनाः ।। 2 ।।
हिन्दी अनुवाद – नदियों के तटों पर कमलों की शोभा है । लोगों के होठों पर मुसकान भी आई है । चारों ओर सुख-श्री-धन सम्पदा-समृद्धि ही अशेष रूप में दिखलाई दे। देश में कोई गरीबी में नहीं रहे; हर व्यक्ति अमीर बन जाए। अब हम सब स्वतन्त्र हैं ।
स्त्रीपुंसयोः समोऽस्त्रयधिकारः ।
स्वप्नो जातोऽयं साकारः ।
संविधाननवपथानुकूला शासननीतिर्नवा नवीना।।
लोकेऽधुना वयं स्वाधीनाः ।। 3 ।।
हिन्दी अनुवाद – यहाँ स्त्रियों और पुरुषों का समान अधिकार है; स्वाधीनता का सपना साकार हो चुका है । नया संविधान, शासन की नीतियाँ मनोनुकूल और नई हैं । हम सब स्वतन्त्र हैं ।
शान्तिर्मिलति सुरक्षान्यायः ।
सहकारः सहचरः सहायः ।
उच्चाशयता पुना राजते मनसि भावना कापि न हीना ।।
लोकेऽधुना वयं स्वाधीनाः ।। 4 ।।
हिन्दी अनुवाद – सुरक्षा और व्यायाम से शान्ति मिलती है । सभी साथी, सहकर्मी आदि उदार तथा एक-दूसरे के सहायक हैं । सबके विचार ऊँचे हैं; किसी की भावना बुरी नहीं । अब हम सब स्वतन्त्र हैं ।
लेखक — -डॉ० आजाद मिश्रः ‘मधुकर’
शब्दार्थः
अधुना = = इस समय। तिमिरः अन्धकार। दिवसोऽप्यायातः = (दिवसः+अपि+ आयातः) दिवस भी आ गया। नव्यम् = नया । वार्तागताखिला प्राचीना = (वार्ता$ गता$ अखिला) बात सम्पूर्ण रूप से समाप्त हो गयी, पुरानी परिस्थितियां अब नहीं रहीं। पद्मश्रीः कमलों की शोभा । पुलिनेषु = तटों पर । अधरेषु ओठों पर। धनान्विताः धन से युक्त, धनवान् । दृश्येरन् = दिखलायी दें। शिष्येरन् शेष रहें। समोऽखयधिकारः = (समः+अस्ति+अधिकारः) समान अधिकार है। सहकारः सहचरः = साथी । उच्चाशयता उच्च विचार । सहयोग।
1- उच्चारणं कुरुत पुस्तिकायां च लिखत –
क्रीडार्थम् दिवसोऽप्यायातः उच्चाशयता स्वतन्त्रतायाः
पद्मश्रीर्विहसति धनान्विताः शिष्येरन् समोऽस्त्रयधिकारः
2- पूर्णवाक्येन उत्तरत-
(क) अधुना लोके वयं कीदृशाः स्मः ?
(ख) अखिला प्राचीना वार्ता किम् अभवत् ?
(ग) पुलिनेषु का विहसति ?
(घ) अस्माकं कः स्वप्नः साकारः जातः ?
(ङ) इदानीं शासननीतिः कीदृशी अस्ति ?
3- सन्धि-विच्छेदं कुरुत –
पदम् सन्धि-विच्छेदः
जनाधरेषु
पथा नुकूला
स्वाधीनाः
4- समासविग्रहं कुरुत –
पदम् समासविग्रहः
शासननीतिः शासनस्य नीतिः
भोजनालयः
पाठशाला
वटवृक्षः
5- उपसर्गाणां क्रियाणां च योगं कृत्वा पदनिर्माणं कुरुत-
यथा- अव + अकिरत् = अवाकिरत्
आ + हसति =
सम् + अकरोत् =
परा + अवर्तत =
उप+अगच्छत् =
6- संस्कृतभाषायाम् अनुवादं कुरुत –
(क) आज हमारा देश स्वतन्त्र है।
(ख) अन्धकार समाप्त हो गया है।
(ग) जल में कमल खिले हुए हैं।
(घ) समाज में स्त्री-पुरुषों को समान अधिकार प्राप्त है।
(ड़) हम एक साथमिलकर रहते हैं।
7- श्लोकांशान् योजयत-
‘क’ ———-4’ख’
पद्मश्रीर्विहसति पुलिनेषु सहकारः सहचरः सहायः ।
स्त्रीपुंसयोः समोऽस्त्रयधिकारः हासः खेलति जनाधरेषु ।
शान्तिर्मिलति सुरक्षान्यायः स्वप्नो जातोऽयं साकारः ।
संविधाननवपथानुकूला मनसि भावना कापि न हीना।
उच्चाशयता पुना राजते शासननीतिर्नवा नवीना ।
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