
UP RAJASWA SANHITA 2006 उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006
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उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 अध्याय 1
[ उ० प्र० अधिनियम संख्या 8 सन् 2012 ]
अध्याय-एक प्रारम्भिक
1. संक्षिप्त नाम, विस्तार और प्रारम्भ
उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 अध्याय 2
[ उ० प्र० अधिनियम संख्या 8 सन् 2012 ]
अध्याय-दो राजस्व मण्डल
उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 अध्याय 3
[ उ० प्र० अधिनियम संख्या 8 सन् 2012 ]
अध्याय-तीन परिषद् और राजस्व अधिकारी
- राजस्व परिषद्
- परिषद् की अधिकारिता
- कार्य का वितरण करने की शक्ति
- परिषद् के विनिश्चय
- आयुक्त और अपर आयुक्त
- कलेक्टर और अपर कलेक्टर
- उप जिलाधिकारी और अपर उप जिलाधिकारी
- तहसीलदार और तहसीलदार न्यायिक
- नायब तहसीलदार
- राजस्व निरीक्षक और लेखपाल
- पदों का समुच्चय
- धन, कागज पत्र या अन्य सरकारी सम्पत्ति की वसूली
- राजस्व अधिकारियों की अन्य शक्तियाँ
उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 अध्याय 4
[ उ० प्र० अधिनियम संख्या 8 सन् 2012 ]
अध्याय-चार – सीमा और सीमा चिन्ह
20 – सीमा का निर्धारण और सीमांकन
21. सीमा चिह्न का अनुरक्षण और मरम्मत करने का दायित्व
22. सीमा चिह्न को नष्ट आदि किया जाना
23. सीमा चिह्न का निर्माण, मरम्मत या नवीकरण करने की अपेक्षा करने की शक्ति
25. मार्गाधिकार और अन्य सुखाचार
27. उप जिलाधिकारी की पुनरीक्षण सम्बन्धी शक्ति
28. आदेश द्वारा सुखाचार आदि के किसी अधिकार को स्थापित किए जाने से विवर्जित न किया जाना
उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 अध्याय 5
[ उ० प्र० अधिनियम संख्या 8 सन् 2012 ]
अध्याय-पांच – ग्राम के अभिलेखों का अनुरक्षण
30. मानचित्र और खसरा का अनुरक्षण
33. उत्तराधिकार के मामलों में नामान्तरण
34. अन्तरण के मामलों में रिपोर्ट करने का कर्तव्य
35. अन्तरण के मामलों में नामान्तरण
36. अन्तरण की सूचना और भू-राजस्व जमा करना
39. राजस्व अधिकारियों के कतिपय आदेश वाद करने से विवर्जित नहीं करते
उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 अध्याय 6
[ उ० प्र० अधिनियम संख्या 8 सन् 2012 ]
अध्याय-छ:- ग्राम अभिलेखों का पुनरीक्षण
43. अभिलेख और सर्वेक्षण क्रिया की अधिसूचना
44. अभिलेख अधिकारी और सहायक अभिलेख अधिकारी
45. अभिलेख या सर्वेक्षण क्रिया के दौरान अभिलेख अधिकारी की शक्ति
46. अभिलेख क्रिया के दौरान अभिलेख का पुनरीक्षण
47, सर्वेक्षण क्रिया के दौरान अभिलेख का पुनरीक्षण
48. सीमा चिह्नों के निर्माण के सम्बन्ध में अभिलेख अधिकारी की शक्ति
49. मानचित्र और अभिलेख के पुनरीक्षण की प्रक्रिया
50. अधिकार अभिलेख को अन्तिम रूप देना
51. नया अधिकार अभिलेख तैयार करना
52. ऐसे ग्रामों के लिए प्रक्रिया जहां कोई अभिलेख उपलब्ध न हों
उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 अध्याय 7
[ उ० प्र० अधिनियम संख्या 8 सन् 2012 ]
अध्याय-सात-भूमि और अन्य सम्पत्तियों का स्वामित्व
उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 अध्याय 8
[ उ० प्र० अधिनियम संख्या 8 सन् 2012 ]
अध्याय-आठ ग्राम पंचायत या अन्य स्थानीय प्राधिकरणों द्वारा भूमि और अन्य सम्पत्तियों का प्रबन्धन
59- ग्राम पंचायतों और अन्य स्थानीय प्राधिकरणों को भूमि आदि का सौंपा जाना
60- भूमि प्रबन्धक समिति द्वारा अधीक्षण, प्रबन्धन और नियंत्रण
62- वादों और विधिक कार्यवाहियों का संचालन
63- ऐसी भूमि जिसे आबादी स्थलों के लिए आवंटित किया जा सकता है
उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 अध्याय 9
[ उ० प्र० अधिनियम संख्या 8 सन् 2012 ]
अध्याय-नौ खाता
- खातेदारी का वर्ग
- संक्रमणीय अधिकार वाला भूमिधर
- असंक्रमणीय अधिकार वाला भूमिधर
- कतिपय भूमि पर भूमिधरी अधिकार प्राप्त नहीं होंगे
- असामी
- अनन्य कब्जा के लिए भूमिधरों को अधिकार
- औद्योगिक, वाणिज्यिक या आवासीय प्रयोजनों के लिए जोत का उपयोग
- घोषणा का परिणाम
- घोषणा का रद्द किया जाना
- घोषणा या रद्दकरण को अभिलिखित किया जाना
84- असामी का अपनी जोत पर अनन्य कब्जा का अधिकार
85- इस संहिता के उपबन्धों के उल्लंघन में भूमि का उपयोग करने के परिणाम
86- असंक्रमणीय अधिकारों वाले भूमिधर का या असामी के हित का समाप्त जाना
उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 अध्याय 9
[ उ० प्र० अधिनियम संख्या 8 सन् 2012 ]
अध्याय-नौ खाता अंतरण
88- भूमिधरों के हितों की संक्रमणीयता
89- भूमिधर द्वारा अन्तरण पर प्रतिबन्ध
90- भारतीय नागरिकों से भिन्न व्यक्तियों द्वारा भूमि का अर्जन न किया जाना
91- बन्धक द्वारा अन्तरण पर प्रतिबन्ध
92- असंक्रमणीय अधिकारों वाले भूमिधर द्वारा भूमि को बंधक रखना
93 धनराशि प्राप्त करने के लिए कब्जा का अन्तरण विक्रय माना जाएगा
95- किसी निःशक्त व्यक्ति द्वारा पट्टा करना
96- नि:शक्त सह – अंशधारकों द्वारा पट्टा करना
98- अनुसूचित जाति के भूमिधरों द्वारा अन्तरण पर प्रतिबन्ध
99- अनुसूचित जनजाति के भूमिधरों द्वारा अन्तरण पर प्रतिबन्ध
100 अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के सदस्यों द्वारा बंधक रखना
103- इस संहिता के उल्लंघन में पट्टे का प्रभाव
104- इस संहिता के उल्लंघन में अंतरण शून्य होगा
105- संहिता के उल्लंघन में भूमिधर द्वारा अंतरण का परिणाम
106- इस संहिता के उल्लंघन में असामी द्वारा किए गए अन्तरण का परिणाम
उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 अध्याय 9
[ उ० प्र० अधिनियम संख्या 8 सन् 2012 ]
अध्याय-नौ खाता न्यागमन , विभाजन
107- भूमिधर या असामी द्वारा वसीयत
108- पुरुष भूमिधर, असामी या सरकारी पट्टेदार के उत्तराधिकार का सामान्य क्रम
109- स्त्री वारिस के नाते विरासत में हित प्राप्त करने वाली स्त्री का उत्तराधिकार
110- स्त्री वारिस से भिन्न स्त्री भू-धारक का उत्तराधिकार
111- धार्मिक विन्यासों आदि के प्रति व्यावृत्तियां
112- उत्तरजीविता द्वारा सह खातेदारों के हित का संक्रमण
113- भारतीय नागरिक तथा भारतीय मूल से भिन्न व्यक्ति विरासत प्राप्त नहीं करेंगे
उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 अध्याय 9
[ उ० प्र० अधिनियम संख्या 8 सन् 2012 ]
अध्याय-नौ खाता बेदखली, लगान, घोषणात्मक वाद
125 ग्राम पंचायत को सौंपी गई भूमि में भूमि प्रबन्धक समिति द्वारा प्रवेश
126- भूमि प्रबन्धक समिति द्वारा भूमि उठाने में वरीयता क्रम
128-आवंटन और पट्टा रद्द किया जाना
129- आवंटिती या सरकारी पट्टेदार को कब्जा देने की बहाली
130- भूमिधरों को बेदखल न किया जाना
131- असामी के विरुद्ध बेदखली आदि के लिए वाद
132- फसलों और पेड़ों पर अधिकार
133- व्यादेश, क्षतिपूर्ति आदि के लिए वाद
134- बिना हक के भूमि के अध्यासी व्यक्तियों की बेदखली
135- [निकाल दी गई ]
136- ग्राम पंचायत की भूमि से अतिचारी की बेदखली
140- बकाया हेतु दावा की डिक्री देने वाले न्यायालय द्वारा आपदा के लिए छूट
142 ग्राम पंचायत आदि के असामी से बकाया लगान की वसूली
143- बकाया लगान को बट्टे खाते में डालने की शक्ति
144- खातेदार द्वारा घोषणात्मक वाद
उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 अध्याय 10
[ उ० प्र० अधिनियम संख्या 8 सन् 2012 ]
सरकारी पट्टेदार
147- सरकारी पट्टेदार की परिभाषा
148- सरकारी पट्टेदार का भूमि धारण करने का हक
149- सरकारी पट्टेदार को बेदखली
150- उ० प्र० अधिनियम संख्या 22 सन् 1972 के उपबन्ध लागू
151- सरकारी पट्टेदार द्वारा धृत भूमि पर अतिचार
152- भू-राजस्व के बकाया की भांति वसूली योग्य देव
उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 अध्याय 11
[ उ० प्र० अधिनियम संख्या 8 सन् 2012 ]
153- भूमिधर द्वारा धृत भूमि पर भू-राजस्व के भुगतान का दायित्व
154- भूमिधर द्वारा देय भू-राजस्व
155- भू-राजस्व में परिवर्तन
156- कतिपय मामलों में भू-राजस्व की छूट
157- कृषि विपत्ति होने पर भू-राजस्व में माफी या स्थगन
158- कतिपय दशाओं में लगान में परिवर्तन करने को राज्य सरकार की शक्ति
159- लगान स्थगित करने के परिणाम
160- राजस्व मुक्त भूमि की वार्षिक जांच
161- भू-राजस्व की धनराशि का पूर्णीकृत किया जाना
162- आदेशों का अंतिम होना
उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 अध्याय 12
[ उ० प्र० अधिनियम संख्या 8 सन् 2012 ]
163- भू-राजस्व प्रथम प्रभार होगा
164- भूमिपर संयुक्त रूप से और अलग-अलग उत्तरदायी होंगे
165- भू-राजस्व का देय होना और भुगतान किया जाना
166- भू-राजस्व के संग्रह के लिए प्रबन्ध
167- व्यतिक्रमी
168- प्रमाणित लेखा बकाया का साक्ष्य होगा
169- मांग-पत्र
170- बकाये की वसूली हेतु प्रक्रिया
171- गिरफ्तारी और निरोध
172- जंगम सम्पत्ति की कुर्की और बिक्री
173- व्यतिक्रमी के बैंक खाते और लाकर की कुर्की
174- जोत की कुर्की
175- जोत का पट्टा
176- जोत की बिक्री
177- अन्य स्थावर सम्पत्ति की कुर्की और बिक्री
178- रिसीवर की नियुक्ति
179 वसूली की प्रक्रिया
180- लागत और संग्रह प्रभारों की वसूली
181- विधिक प्रतिनिधियों इत्यादि के विरुद्ध वसूली की कार्यवाही
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