UP Board Solutions for Class 11 English Prose Chapter 6 A Dialogue on Civilization free pdf सम्पूर्ण पाठ का अनुवाद

UP Board Solutions for Class 11 English Prose Chapter 6 A Dialogue on Civilization free pdf सम्पूर्ण पाठ का अनुवाद

UP Board Solutions for Class 11 English Prose Chapter 6 A Dialogue on Civilization free pdf सम्पूर्ण पाठ का अनुवाद
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सम्पूर्ण पाठ का हिन्दी रूपान्तरण

मैं (लेखक):– मैं सभ्यता पर एक पुस्तक लिखने का प्रयास कर रहा हूँ और मैं यह जानना चाहता हूँ कि सभ्य होना क्या है ।। तुम्हारा क्या विचार है?

लूसी:– ओह, मैं समझती हूँ कि उपयुक्त वस्त्र पहनना, बसों और कारों में इधर-उधर घूमना , वस्तुएँ खरीदने के लिए धन का होना और उन्हें खरीदने के लिए दुकानों का होना ही सभ्य होने की निशानी है ।।

लेखक :- ठीक है परन्तु बच्चे उपयुक्त वस्त्र पहनते हैं और श्रीमती एक्स, वह महिला जिसे तुम पसन्द नहीं करतीं, बसों में सवारी करती है और दुकानों से वस्तुएँ खरीदती है ।। क्या तुम कहोगी कि बच्चे और श्रीमती एक्स सभ्य है?

लूसी: नहीं, मैं नहीं समझती कि वे तनिक भी सभ्य हैं ।। परन्तु, आप देखिए, वे चाहते तो सभ्य हो सकते थे ।। अब चारों ओर
इतनी वस्तुएँ हैं कि प्रयत्न करें तो कोई भी सभ्य हो सकता है ।।

लेखक : तुम्हारा आशय किस प्रकार की वस्तुओं से है?

लूसी : मशीनें, और रेलगाड़ियाँ, और वायरलेस और टेलीफोन और सिनेमा ।।

लेखक : ठीक है, मैं यह कहने का साहस करता हूँ कि उनका सभ्यता से कुछ सम्बन्ध अवश्य है परन्तु मैं नहीं समझता कि केवल ऐसी वस्तुओं को रखना और उनका उपयोग करना किसी को सभ्य बनाता है ।। आखिर सभ्य होना किसी के लिए भी एक श्रेय की बात होनी चाहिए, वह बात जिस पर कोई गर्व कर सके, और एक रेलगाड़ी में सवार होने में गर्व करने के लिए कुछ भी तो नहीं है ।। आओ, हम कुछ सभ्य लोगों के विषय में सोचें और देखें क्या उससे हमें कुछ सहायता मिलती है ।। किसी व्यक्ति का नाम लो जिसे तुम सभ्य समझती हो ।।
लूसी : शेक्सपीयर ।।

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लेखक : क्यों?
लूसी: क्योंकि, वह एक महान् आदमी था और उसने वे नाटक लिखे जिन पर लोग गर्व करते हैं ।।
लेखक :: ठीक, अब मैं समझता हूँ कि हम सही दिशा में बढ़ रहे हैं ।। परन्तु मुझे यह बताओ, क्या तुम शेक्सपीयर के नाटकों को पसन्द करती हो?

लूसी: अधिक नहीं ।।

लेखक : तब तुम क्यों कहती हो कि वे (नाटक) उच्च्कोटि के हैं?

लूसी : क्योंकि मैं समझती हूँ कि मैं उन्हें एक दिन पसन्द करूंगी ।। कुछ भी हो, वयस्क लोगों के बीच वे बहुत चर्चित रहे हैं ।।

लेखक : ठीक है, चित्र और संगीत जैसी अनेक वस्तुएँ ऐसी हैं जो तुम्हें भी बहुत अच्छी नहीं लगती, किन्तु वयस्क लोग उनके सम्बन्ध में बड़ी-बड़ी चर्चाएँ करते हैं ।। यदि शेक्सपीयर के नाटक सभ्यता की पहचान हैं तो राफेल के चित्र और बीथोवन का संगीत भी सभ्यता के प्रतीक हैं ।।

लूसी: मैं भी ऐसा समझती हूँ, यद्यपि मैं उनके सम्बन्ध में अधिक नहीं जानती ।।

लेखक : तब, यदि नाटक, चित्र और संगीत जैसी सुन्दर वस्तुएँ बनाना सभ्य होना है तो शेक्सपीयर, राफेल और बीथोवेन जैसे लोगों की गणना इनमें की जा सकती है ।।
लूसी: – परन्तु सभी प्रकार के लोग जिनके विषय में मैंने पढ़ा है, जैसे अरेबियन नाइट्स में खलीफा और राजकुमार जिनके पास शानदार वस्तुएँ थीं-महल तथा रेशमी और चिकने कपड़े, और हीरे-जवाहरात, इत्र और सुन्दर भड़कीले कपड़े और अद्भुत कालीन तथा खाने-पीने के लिए रुचिकर वस्तुएँ और काम करने के लिए दास ।। क्या वे सभ्य नहीं थे?

लेखक : मैं निश्चित रूप से नहीं कह सकता ।। देखो, वे जो चाहते थे उसे पा लेते थे और जो करना चाहते थे उसे कर लेते थे ।।

लूसी: ठीक है, वे क्यों न करते?
लेखक : किसी अच्छी वस्तु को सोच लो, कुछ भी जो तुम्हें पसंद हो ।।

लूसी: चाशनी में डूबी टॉफियाँ ।।
लेखक : अच्छा, मान लो तुम बहुत धनवान होती, तुम्हारे पास इतना धन होता जितना सम्भवतः तुम चाहती, और तुम हजारों लाखों टॉफियाँ खरीद लेतीं ।। क्या तुम (खाते-खाते) उनसे ऊब न जाती?
लूसी : मैं भी ऐसा ही समझती हूँ ।। WWW.UPBOARDNOTES.COM

लेखक : और यही बात गुलेलों के साथ है ।।

लूसी : आपका क्या आशय है?

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लेखक : जॉन किसी अन्य वस्तु की अपेक्षा गुलेलों को अधिक पसन्द करता है ।। परन्तु मान लो वह वास्तव में बहुत धनवान है, और जैसा कि उसे गुलेलें सब वस्तुओं से अधिक पसन्द थी, गुलेल खरीदने में अपना समस्त धन व्यय करता ताकि उसके पास सैकड़ों गुलेलें होती ।। फिर भी उससे अधिक सौभाग्यशाली न होता जितना वह एक या दो गुलेलों के होने के साथ था; क्या वह होता?

लूसी : आपके कहने का अर्थ है कि वह एक साथ एक या दो से अधिक गुलेल नहीं छोड़ सकता था ।।
लेखक : हाँ ।। और वह शीघ्र ही इतनी गुलेलों से पूर्ण रूप से ऊब जाता ।।

लूसी : मुझे भी ऐसा ही प्रतीत होता है कि वह ऊब जाता; परन्तु उसका सभ्य होने से क्या सम्बन्ध है?

लेखक : क्यों, यह सम्बन्ध है कि वे वस्तुएँ जिनके बारे में तुमने अरेबियन नाइट्स में पढ़ा, शानदार महल और आकर्षक कपड़े और सैकड़ों दास और इस प्रकार की सभी वस्तुएँ, मुझे ऐसी प्रतीत होती हैं जैसे वे वस्तुएँ वयस्कों के लिए टॉफियों और गुलेलों की पूर्ति करने वाली हों ।। लोग राजाओं के पुत्र के रूप में जन्म लेते हैं, और वे बड़े होकर शक्ति और धन विरासत में प्राप्त करते हैं, और तब अपने आप से कहते हैं, “अब मुझे सबसे अधिक क्या पसन्द है?” और यह जान लेने पर कि वह क्या चीज थी, उन्होंने अपना सारा धन उस सर्वाधिक प्रिय वस्तु को उतनी मात्रा में या संख्या में प्राप्त करने में व्यय कर दिया जितना वे पा सकते थे ।।

लूसी : और फिर वे उससे ऊब गए ।।

लेखक :: हाँ ।। क्योंकि जब कोई व्यक्ति जो करना चाहता है उसे एक विशेष मात्रा में कर लेता है और उस वस्तु का आनंद ले चुका होता है जो उसे पसंद है, तब वह उसकी और अधिक मात्रा नहीं चाहता ।।

लूसी : टॉफियों से ऊब जाने के समान ।। परन्तु वह सदैव रुक सकता है और सेवन पुन: आरम्भ कर सकता है ।।
लेखक : रोम के लोग यहीं करते थे ।। वे बहुत अधिक भोजन किया करते थे, और जब वे और अधिक नहीं खा सकते थे, तो कुछ ऐसी चीजें लेते थे जिनसे उन्हें उलटी या दस्त आने लगे ।। तब, जब उनका पेट खाली हो जाता, वे पुनः खाने लगते थे ।। परन्तु मैं इसे सभ्य होना नहीं कहता ।। क्या तुम ऐसी मानती हो?
लूसी : नहीं, मैं भी सभ्य नहीं मानती ।। WWW.UPBOARDNOTES.COM

लेखक : सुअर ऐसा ही करते है यद्यपि उनमें दस्त या उल्टी से पेट खाली करने की समझ नहीं होती ।। : और सुअर बिलकुल सभ्य नहीं होते ।।

लूसी : अच्छा, तो हमें यह कहना चाहिए कि धन और शक्ति का प्रयोग केवल वह वस्तु पाने के लिए करना, जो किसी को पसन्द हो और वह काम करने के लिए, जो उसे अच्छा लगता हो, भले ही कुछ समय के लिए वह बहुत अच्छा लगे, सभ्य होना नहीं है ।। दूसरे शब्दों में, केवल शानदार और भव्य होना तथा ऐश्वर्यपूर्ण जीवन व्यतीत करना ही सभ्यता नहीं है ।। और जैसा कि संसार के अधिकांश लोग जो धनवान व शक्तिशाली रहे हैं और जिन्होंने अपने धन व शक्ति को इस प्रकार प्रयोग किया है, सभ्य नहीं रहे ।।

लूसी : और क्या अरेबियन नाइट्स के खलीफाओं की भाँति वस्तुओं का संग्रह करना सभ्य होना नहीं हैं?

लेखक : नहीं ।। उन नाटकों और चित्रों के समान सुन्दर वस्तुएँ होनी चाहिए जिनकी हम चर्चा कर रहे थे ।।

लूसी : आप कैसे जानेंगे कि कौन-सी वस्तुएँ सुन्दर है?

लेखक : जिन वस्तुओं को बार-बार देखते हुए हम ऊबते नहीं हैं, वे वस्तुएँ सुन्दर हैं ।। सुन्दर वस्तुएँ शाश्वत होती हैं ।। कहने का तात्पर्य यह है कि लोग उनको सभी युगों में पसन्द करते आए हैं ।। परन्तु वे वस्तुएँ जो वयस्कों के लिए टॉफियों की पूरक हैं, केवल थोड़े समय रहती हैं क्योंकि लोग उनसे ऊब जाते हैं ।। परन्तु आओ, हम थोड़ा पीछे चलें ।। वे दुकानें, मशीनें और कारें जिनकी हम चर्चा कर रहे थे, बिलकुल सुन्दर नहीं होती, फिर भी हमारा विचार है कि सभ्य होने से उनका कुछ सम्बन्ध अवश्य हो सकता है ।। WWW.UPBOARDNOTES.COM

लूसी : ठीक है, और मैं जानती हूँ कि वह क्या है ।। उन सभी का आविष्कार हुआ है, और आविष्कार करना इस प्रकार का काम है जो लोग तभी करते हैं जब वे सभ्य होते हैं ।। जेम्स वाट के केतली पर ध्यान देने से और न्यूटन के सेब को गिरते हुए देखने से, और इसी प्रकार की घटनाओं से आविष्कार होते हैं ।।

लेखक : अच्छा, बहुत से लोगों ने वाट और न्यूटन से पहले केतलियों में पानी उबलते हुए और सेब गिरते हुए देखे थे, फिर भी उन्होंने इस सम्बन्ध में कोई आविष्कार नहीं किया ।। क्यों नहीं किया?

लूसी: मेरा विचार है कि उन्होंने इस सम्बन्ध में कोई विशेष बात नहीं देखी ।।

लेखक :: बिलकुल ।। परन्तु न्यूटन और वाट ने उनमें विशेष बात देखी, यही मुख्य बात थी ।। गिरते हुए सेबों और केतलियों में उबलते हुए पानी ने उन्हें नए विचार सोचने की प्रेरणा दी है, और जैसा कि उन्होंने नए विचार सोचे, लोग संसार के बारे में अधिक समझने लगे और आविष्कार करने लगे ।। अब, यद्यपि मैं उन वस्तुओं के बारे में निश्चित रूप से कुछ नहीं कह सकता जिनका हम आविष्कार करते हैं, मैं नहीं समझता कि नए विचार सोचने का कार्य, चाहे उसके फलस्वरूप आविष्कार होते हों या नहीं, सभ्य होने का प्रतीक है ।।
लूसी : क्यों?

UP Board Solutions for Class 11 English Prose Chapter 5 The Variety and Unity of India free pdf सम्पूर्ण पाठ का अनुवाद

लेखक : क्योंकि जब तक लोग बिलकुल एक-दूसरे के समान सोचते हैं, कभी कुछ नहीं बदलता ।।
लूसी: आपका आशय है कि यदि सब लोगों ने सदैव ऐसा ही सोचा होता जैसा उनके माता-पिता ने तो हम अभी तक असभ्य बने रहते?

लेखक : यही बात है ।। ऐसा इसलिए है क्योंकि लोग नई बातें सोचते हैं सभ्यता का उदय होता है ।। और कुछ नया सोचने के लिए उन्हें स्वतंत्र रूप से सोचना आवश्यक है ।।
लूसी: क्यों, क्या उन्हें सोचने की छूट नहीं है?

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लेखक : हाँ, तुम जानती हो, लोगों ने नए विचारों को सोचा नहीं है ।। बहुत से लोगों को, जिन्होंने अपने आप सोचा, यह बताया गया कि दूसरे लोगों से अलग सोचना पापपूर्ण (गलत) है ।। साधारणतया ऐसे धर्मगुरु (पुजारी) हुए हैं जिन्होंने लोगों को बताया कि यदि वे ऐसा सोचेंगे तो देवता उन्हें दण्ड देंगे ।। और लोग इन धर्मगुरुओं का विश्वास करते थे और देवताओं से डरते थे और वैसा ही सोचते थे जैसा सोचने के लिए उनसे कहा जाता था ।। और यदि धर्मगुरु न भी हों तो भी वे लोग जो अपने पड़ोसियों से भिन्न सोचते हैं या करते हैं, सदा तिरस्कार के पात्र बन जाते हैं ।। देखो, तुम स्कूल में उन नई लड़कियों के साथ कितना क्रूरतापूर्ण व्यवहार करती हो जो अन्य लड़कियों से तनिक भिन्न होती है और वयस्क भी बिलकुल ऐसे ही होते हैं ।। स्वतन्त्रतापूर्वक सोचना प्रायः भिन्न प्रकार से सोचना होता है, और ये बातें लोगों के लिए स्वतन्त्रतापूर्वक सोचना बहुत कठिन कर देती हैं ।। फिर भी, जैसा हमने देखा है, बिना स्वतंत्रतापूर्वक सोचे सभ्यता सम्भव नहीं हो सकती ।।

लूसी: परन्तु मेरी समझ में अब भी नहीं आता कि और अधिक संख्या में लोग स्वतंत्रतापूर्वक क्यों नहीं सोचते, यदि ऐसा करना इतना महत्वपूर्ण है जितना आप कहते हैं ।।

लेखक : इससे पहले कि किसी व्यक्ति को ऐसा करने का अवसर मिले अनेक बातें अत्यन्त आवश्यक हैं ।। उदाहरणार्थ, उसे सुरक्षा प्राप्त होनी चाहिए; यदि किसी व्यक्ति को अपने लूट लिए जाने या किसी क्षण अपनी हत्या का डर है तो कोई भी किसी विषय में सोच ही नहीं सकता ।। उसके पास सोचने के लिए अवकाश भी होना चाहिए ।। और यदि उसे अपना पूरा समय और शक्ति खाने के लिए भोजन और पहनने के लिए कपड़ा प्राप्त करने अर्थात् जीविका कमाने में लगानी पड़ती है तो फिर उसके पास सोचने का समय कहाँ? और विचारों के आदान-प्रदान के लिए उसे अन्य लोग भी तो चाहिए ।। अतः तुम कह सकती हो कि सुरक्षा, अवकाश और समाज जो सब स्वतंत्र चिन्तन के लिए आवश्यक हैं, सभ्यता के लिए भी आवश्यक है ।।


लूसी : क्या सभ्यता के लिए इतना ही पर्याप्त है?
लेखक : मैं समझता हूँ एक अन्य बात भी आवश्यक है ।।

लूसी : वह क्या है?
लेखक : यह सब कार्य नेक बनने के लिए है ।।
लूसी : परन्तु नेक होने का इससे क्या सम्बन्ध है? वास्तव में कोई भी नेक बनना नहीं चाहता; लोग केवल इसलिए नेक होते हैं क्योंकि यदि वे ऐसे न हों तो परेशानी में पड़ जाएँ ।।

लेखक : ऐसा संभव है ।। और फिर वयस्कों के साथ बिलकुल ऐसा ही है ।। यदि मैं किसी के बच्चे का अपहरण करना या उसका गला काटना चाहूँ, या उसकी कार चुराना या उसके टेनिस के बल्ले से खेलना चाहूँ तो मैं ऐसा नहीं करता, कुछ ऐसा इसलिए क्योंकि यदि मैं पकड़ लिया गया तो भारी परेशानी में पड़ जाऊँगा ।।

लूसी : परन्तु सभ्यता का इससे क्या सम्बन्ध है?

लेखक : बिलकुल है ।। यदि हम सब जो लेना चाहें लें और एक-दूसरे के बच्चों को लेकर भाग जाएँ और एक-दूसरे के टेनिस के बल्ले चुरा लें तो सबकुछ चलता नहीं रह सकता ।। हम सब इस और उस वस्तु के लिए लड़ते-झगड़ते रहते और कोई भी व्यक्ति किसी वस्तु सुंदर का आविष्कार न कर पाता ।। जीवन बहुत खतरनाक हो जाता ।। फलतः किसी प्रकार की कोई सभ्यता ही न होती ।।

लूसी : क्या वयस्क लोग इसीलिए नियमों का पालन करते हैं और नेक बने रहते हैं?
लेखक : सम्भवत: यही एकमात्र कारण नहीं है ।। मैं निश्चित नहीं हूँ ।। परन्तु निश्चय ही यह मुख्य बातों में से एक है ।। अत: देखो, नेक बने रहने का सभ्यता से कुछ सम्बन्ध है और नेक होने का अर्थ है-अपने पड़ोसी के प्रति न्यायपूर्ण व्यवहार करना और उसकी सम्पत्ति को सम्मान देना तथा कानूनों का पालन करना, और शायद ऐसी ही अन्य बातें भी ।।

लूसी : अन्य कौन-सी बातें? मैं यह जानना चाहूँगी कि भला या नेक होना क्या है?
लेखक:- मै भी यह जानना चाहँगा और दूसरे अनेक व्यक्ति भी यह जानना चाहेंगे ।। कुछ भी हो, हमने उन बातों में से कुछ का पता लगा लिया है जो सभ्य होने के लिए आवश्यक हैं- सुन्दर वस्तुएँ बनाना, स्वतन्त्रतापूर्वक विचार करना व नई बातें सोचना, और नियमों का पालन करना जिनके बिना लोग परस्पर मिलकर नहीं रह सकते ।। वयस्क लोग इनमें से पहली बात को कला कहते हैं, दूसरी को विज्ञान व दर्शनशास्त्र, और तीसरी को राजनीतिक न्याय व नीतिशास्त्र ।। ये बातें पूर्ण रूप से सभ्यता भले ही न हों, परन्तु कुछ भी हो ये सभ्यता से हमेशा जुड़ी रहेंगी ।।

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