All Sanskrit grammar part – 2 सम्पूर्ण संस्कृत व्याकरण अच् संधि (स्वर संधि ) यण संधि
सूत्र – इकोयणचि –
संहिता के विषय में इक् प्रत्याहार के वर्णों को यण आदेश हो जाता है, बाद में अच् प्रत्याहार का कोई वर्ण हो तो अर्थात् इक् प्रत्याहार मे इ, उ, ऋ, लृ ये चार वर्ण आते हैं। यदि इनके बाद इनसे भिन्न स्वर आएँ तो इन्हें क्रमशः इ को य्, उ को व्, ऋ का र्, लृ का ल् आदेश हो जाते हैं।
कहने का तात्पर्य यह है कि यदि इ या ई के बाद इ या ई को छोड़कर कोई • भिन्न स्वर आए तो इ या ई के स्थान पर य् हो जाता है। इसी प्रकार यदि उ या ऊ के बाद उ या ऊ को छोड़कर कोई भिन्न स्वर आए तो उ या ऊ के स्थान पर व् हो जाता है।
ऋ या ॠ के बाद यदि इन दोनों को छोड़कर कोई अन्य स्वर आए तो इनके स्थान पर र् हो जाता है एवं लृ या लृ के बाद इन दोनों को छोड़कर कोई भिन्न स्वर आए तो इन दोनों के स्थान पर ल् हो जाता है।.
जैसे- यदि + अपि = यद्यपि। यहाँ यदि के द् में स्थित इ के बाद इ से भिन्न स्वर अपि का अ आने के कारण उक्त सूत्र से इ को य् होकर यद्यपि शब्द बना ।
इ, ई → य् + इ , ई से मिन्न स्वर
नदी + उदकम् = नद् + ई→ य् + उदकम् = नधुदकम्
इति + आह= इत् + इ →य् + आह= इत्याह
प्रति + एकः = प्रत् +एकः →य् + एकः = प्रत्येकः
सुधी + उपास्यः = सुध् + ई→ य् + उपास्यः = सुध्युपास्यः
प्रति + उपकारः = प्रत् + इ य् + उपकारः = प्रत्युपकारः ]
पठति + अत्र = पठत् + इ — य् + अत्र = पठत्यत्र
उ, ऊ — व्+उ, ऊ से मिन्न स्वर
पठतु + अत्र = पठत् + उ— व् + अत्र = पठत्वत्र
अनु + अयः = अन् + उ — व् + अयः – अन्वयः
वधू + आज्ञा वध् + ऊ- –व् + आज्ञा वध्वाज्ञा
पठतु + एकः = पठत् + उ —व् + एकः = पठत्वेकः
मधु + अरिः = मध् + उ= व् + अरिः = मध्वरिः
शिशु + ऐक्यम् = शिश् + उ — व् + ऐक्यम् = शिश्चैक्यम्
ॠ. ॠ, +ऋ ॠ से मिन्न स्वर
पितृ + उपदेशः = पित् + ऋ→र् + उपदेशः = पित्रुपदेशः
‘मातृ + अनुमतिः = मात् + ऋ → र् + अनुमतिः = मात्रनुमतिः
धातृ + अंशः = धात् + ऋ→र् + अंश:- धात्रंशः
कर्तृ + ई = कर्त् + ॠ→र् + ई = कर्त्री
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