All Sanskrit grammar part – 1 सम्पूर्ण संस्कृत व्याकरण अच् संधि (स्वर संधि )
संस्कृत के प्रत्येक शब्द के अन्त में कोई स्वर, व्यञ्जन, अनुस्वार अथवा विसर्ग अवश्य रहता है और उस शब्द के आगे किसी दूसरे शब्द के होने से जब उनका मेल होता है, तब पूर्व शब्द के अन्त वाले या बाद के शब्द के आरम्भ के स्वर, व्यञ्जन या विसर्ग में कोई परिवर्तन हो जाता है। इस प्रकार मेल होने से जो परिवर्तन होता है, उसे संधि कहते हैं। इस प्रकार संधि का अर्थ है, मेल।
इस परिवर्तन में कहीं पर –
१. दो स्वरों के स्थान पर नया स्वर आ जाता है। जैसे- रमा + ईश = रमेशः। यहाँ मा में स्थित आ तथा ईश: के ई के स्थान पर नया स्वर ए आ गया है।
२. कहीं पर विसर्ग का लोप हो जाता है- सः + गच्छति = स गच्छति । यहाँ सः कें विसर्गों का लोप हो गया है।
३. कहीं पर दो व्यञ्जनों के बीच नया व्यञ्जन आ जाता है। जैसे- धावन् + अश्व: = धावन्नश्वः । यहाँ एक न् का अतिरिक्त आगम हो गया।
अतः तत् विशेषता के कारण इसे क्रमशः स्वर संधि, विसर्ग संधि तथा व्यञ्जन संधि कहा जाएगा अर्थात् स्वर के साथ स्वर के मेल होने के परिणामस्वरूप परिवर्तन को स्वर संधि कहा जाएगा। इसी का दूसरा नाम अच् संधि भी है। यहाँ अच् प्रत्याहार है, जिसके अन्तर्गत अइउ, ॠलृ, एओ, ऐऔ १४ माहेश्वर सूत्रों मे ‘अ’ से लेकर ‘च्’ तक के सभी वर्ण आते हैं, जो स्वर हैं। बीच में प्रयुक्त होने वाले ण् क् ङ् तथा च् की हलन्त्यम् सूत्र से इत् संज्ञा होकर से लोप हो जाता है। अब हम अच् संधि प्रकरण में स्थित सूत्रों की सोदाहरण व्याख्या करेंगे।
१. अकः सवर्णे दीर्घः – अक् प्रत्याहार के वर्णों (अ, इ, उ, ऋ, ऌ) के पश्चात् यदि सवर्ण आता है तो दोनों को मिलाकर दीर्घ आदेश हो जाता है। यहाँ सवर्ण से अभिप्राय ‘तुल्यास्य प्रयत्नं सवर्णम्’ परिभाषा के अनुसार अ का सवर्ण अ या आ ही होगा। इसके अनुसार
अ + अ =आ→ सुर+ अरिः = सुरारिः, र+अ+अ+ रिः
अ+आ = आ हिम + आलयः हिमालय म् + अ + आ + लयः –
आ + अ =आ→दया + अर्णवः = दयार्णवः (य् + आ + अ + र्णवः)
आ + आ = आ→ विद्या + आलयः = विद्यालयः, (द् + य् + आ + आ + लयः)
इ+इ= ई→ गिरि + इन्द्रः = गिरीन्द्रः, (र् + इ + इ +न्द्रः)
इ+ ई = ई→ गिरि + ईशः = गिरीशः, (र् + इ + ई+शः )
ई+इ=ई→सुधी + इन्द्रः = सुधीन्द्रः, (ध् +ई+इ+न्द्रः)
ई + ई = ई→श्री + ईशः = श्रीशः, (श्रु + ई + ई+शः)
उ+उ= ऊ→ गुरु+उपदेशः =गुरूपदेशः =(र्+उ+उ+पदेशः)
ऊ+उ=ऊ वधू + उत्सवः = वधूत्सवः, ध् + ऊ उत्सवः
(उ+ऊ=ऊ→ लघु + ऊर्मिः = लघूर्मिः, (घ्+उ+ऊ+र्मिः)
इसी प्रकार ऋ, ऌ आदि के विषय में भी समझना चाहिए। उपर्युक्त सभी उदाहरण समझाने की दृष्टि से लिखे गये हैं। परीक्षा में उक्त उदाहरणों में से किसी एक उदाहरण को देना उपयुक्त होगा। उसका स्पष्टीकरण इस प्रकार करना चाहिए –
उदाहरण- सुर+ अरिः = सुरारिः ।
उक्त उदाहरण में सुर के र में स्थित अ, जो अण प्रत्याहार का वर्ण है, के पश्चात् इसका सवर्ण अरिः में स्थित अ आने के कारण उपर्युक्त सूत्र से दीर्घ आ आदेश होकर सुरारिः शब्द निष्पन्न हुआ। इसी प्रकार अन्य उदाहरणों का भी स्पष्टीकरण किया जा सकता है।
- Avyay in sanskrit
- Mp board class 6 science varshik paper 2024 विज्ञान वार्षिक पेपर
- Mp board class 6 english varshik paper 2024 अंग्रेजी वार्षिक पेपर
- Satsangati Essay In Sanskrit सत्संगतिः निबंध संस्कृत में
- Up Board Solution For Class 12 Sanskrit Character sketch of chandal kanya चाण्डालकन्या का चरित्र चित्रण