NCERT Solution For Class 12 Hindi 2022 Chapter 2 Alok Dhanva
NCERT कक्षा 12 हिंदी आरोह पाठ 2 अलोक धन्वा के सभी प्रश्न हल सहित
अभ्यास – कविता के साथ
1 – ”सबसे तेज़ बौछारें गयीं, भादो गया” के बाद प्रकृति में जो परिवर्तन कवि ने दिखाया है, उसका वर्णन अपने शब्दों में करें ।।
उत्तर:- पतंग कविता में कवि आलोक धन्वा ने बच्चों की बाल सुलभ इच्छाओं और उमंगों का प्रकृति के साथ उनके रागात्मक संबंधों का अत्यंत सुन्दर चित्रण करते हुए यह अभिव्यक्त किया है कि भादों मास गुजर जाने के बाद घनघोर बारिश समाप्त हो जाती है ।। शरद ऋतु का आगमन होता है ।। खरगोश की लाल आँखों जैसी चमकीली धूप निकल आती है इसके कारण चारों ओर उज्वल चमक बिखर जाती है; आकाश साफ और मुलायम हो जाता है; हवाओं में एक मनोरम सुगंधित महक फैल जाती है ।। शरद ऋतु के आगमन से चारों ओर उत्साह एवं उमंग का वातावरण होता है, पतंगबाजी का माहौल बन जाता है ।। ।।
2 – सोचकर बताएं कि पतंग के लिए सबसे हलकी और रंगीन चीज़, सबसे पतला कागज़, सबसे पतली कमानी जैसे विशेषणों का प्रयोग क्यों किया है ?
उत्तर:- पतंग के लिए सबसे हल्की और रंगीन चीज़, सबसे पतला कागज़, सबसे पतली कमानी जैसे विशेषणों का प्रयोग कर कवि उसका साकार रूप पाठकों के सामने रखना चाहते हैं, उनके मन में जिज्ञासा जगाना चाहते हैं तथा पतंग को विशिष्ट बनाकर उसकी और उनका ध्यान आकर्षित कराना चाहते हैं, क्योंकि विशेष वस्तु प्राप्त करने की लालसा सबके भीतर होती है ।।
3 – बिंब स्पष्ट करें
सबसे तेज़ बौछारें गयीं भादो गया
सवेरा हुआ
खरगोश की आँखों जैसा लाल सवेरा
शरद आया पुलों को पार करते हुए
अपनी नयी चमकीली साइकिल तेज़ चलाते हुए
घंटी बजाते हुए ज़ोर ज़ोर से
चमकीले इशारों से बुलाते हुए और
आकाश को इतना मुलायम बनाते हुए
कि पतंग ऊपर उठ सके ।।
उत्तर:- तेज़ बौछारें= दृश्य (गतिशील) बिंब
• सवेरा हुआ =दृश्य (स्थिर) बिंब
खरगोश की आँखों जैसा लाल सवेरा == दृश्य (स्थिर) बिंब
• पुलों को पार करते हुए =दृश्य (गतिशील) बिंब
• अपनी नयी चमकीली साइकिल तेज़ चलाते हुए =दृश्य (गतिशील) बिंब
-घंटी बजाते हुए ज़ोर ज़ोर से = श्रव्य बिंब
• चमकीले इशारों से बुलाते हुए= दृश्य (गतिशील) बिंब
• आकाश को इतना मुलायम बनाते हुए = स्पर्श बिंब
• पतंग ऊपर उठ सके = दृश्य (स्थिर) बिंब
4 – जन्म से ही वे अपने साथ लाते हैं कपास कपास के बारे में सोचें कि कपास से बच्चों का क्या संबंध बन सकता है ।।
उत्तर:- बच्चों के पैर कपास की तरह नरम, मुलायम, हलके फुलके और चोट खाने में समर्थ होते हैं ।। इसीलिए वे पूरे दिन नाच कूद करते रहते हैं ।। पतंग को ऊँचाई तक पहुँचाने की धुन में वे इतने मगन हो जाते हैं कि कपास जैसे मुलायम उनके तलवे ज़मीन की कठोरता का अनुभव नहीं कर पाते ।।
5 – पतंगों के साथ साथ वे भी उड़ रहे हैं बच्चों का उड़ान से कैसा संबंध बनता है ?
उत्तर:- पतंग उड़ाते समय बच्चे रोमांचित होते हैं ।। जिस प्रकार पतंग आकाश में उड़ती हुई ऊँचाइयाँ छूती है, उसी प्रकार बच्चें भी छतों पर डोलते हैं ।। वे किसी भी खतरे से बिलकुल बेखबर होते हैं ।। एक संगीतमय ताल पर उनके शरीर हवा में लहराते हैं जैसे वे खुद एक पतंग हो गए हैं ।। पतंग उड़ाते उड़ाते मानो उनके छोटे छोटे सपनों को पंख लग जाते हैं ।।
6 – निम्नलिखित पंक्तियों को पढ़ कर प्रश्नों का उत्तर दीजिए ।।
क) छतों को भी नरम बनाते हुए
दिशाओं को मृदंग की तरह बजाते हुए
ख) अगर वे कभी गिरते हैं छतों के खतरनाक किनारों से और बच जाते हैं तब तो और भी निडर होकर सुनहले सूरज के सामने आते हैं ।।
1 – दिशाओं को मृदग की तरह बजाने का क्या तात्पर्य है ?
2 – जब पतंग सामने हो तो छतों पर दौड़ते हुए क्या आपको छत कठोर लगती है ?
3 – खतरनाक परिस्थितियों का सामना करने के बाद आप दुनिया की चुनौतियों के सामने स्वयं को कैसा महसूस करते हैं ?
उत्तर:- 1 – “दिशाओं को मृदंग की बजाते हुए का तात्पर्य संगीतमय वातावरण की सृष्टि से है ।। पतंग काटने पकड़ने के लिए इधर उधर दौड़ते बच्चों की पदचापों से दिशाएँ गुंजित हो जाती हैं, उस समय उनकी आवाज़ मृदंग की तरह प्रतीत होती है ।।
2 – नहीं, जब पतंग सामने हो तो छतों पर दौड़ते हुए छत कठोर नहीं लगती, उस समय वे उसे पकड़ने की धुन में मगन होते है ।।
3 – खतरनाक परिस्थितियों का सामना करने के बाद हम दुनिया की चुनौतियों के सामने स्वयं को सक्षम महसूस करते हैं ।। निडरता उत्पन्न होने से आत्मविश्वास बढ़ता है ।।
7 – आसमान में रंग बिरंगी पतंगों को देखकर आपके मन में कैसे खयाल आते हैं ? लिखिए
उत्तर:- आसमान में रंग बिरंगी पतंगों को देखकर मुझे मन होता है कि मैं पंछी बन स्वच्छन्द नभ में उड़ता फिरूँ और उड़ कर क्षितिज तक पहुँच जाऊँ ।।
8 – रोमांचित शरीर का संगीत का जीवन के लय से क्या संबंध है ?
उत्तर:- जब हम किसी कार्य को पूरा करने में मग्न हो जाते हैं तब हमारा शरीर जैसे उस कार्य की लय में डूब जाता है उसी प्रकार संगीत सुनते हुए हम उसकी लय ताल में खो जाते हैं, इसीलिए कहा गया है ”रोमांचित शरीर का संगीत” ।।
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