व्यायामः पर संस्कृत निबंध || Essay on Vyayam in Sanskrit language

अहिंसा परमो धर्मः पर संस्कृत निबंध || Essay on Ahinsa Parmo Dharm in Sanskrit language

व्यायामः पर संस्कृत निबंध || Essay on Vyayam in Sanskrit language

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व्यायामः पर निबंध [2007]

[अन्य शीर्षकः-स्वास्थ्य इत्त्वम्, शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम्, विद्यालयेषु स्वास्थ्य- { स्वास्थ्य-शिक्षायाः आवश्यकता} ]

1 – शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम्’ इत्यनुसारेणं सर्वधर्माणां प्रथमं साधनं स्वस्थं शरीरम् अस्ति।

2 – शरीरं तदैव किञ्चित्कर्तुं शक्नोति यदा तत् स्वस्थं भवति।

3 – स्वास्थ्यरक्षायाः सर्वोत्तमः उपायः व्यायामः अस्ति।

4 – व्यायामेन शरीरं बलवत्, पुष्टं, स्वस्थं च भवति ।

5 – शरीरस्य सर्वाङ्गीणविकासाय व्यायाम: आवश्यकीयः ।

6 – स्वस्थे शरीरे एवं स्वस्थः मनः वसति; अतः व्यायामशीलस्य मनः सदा प्रसन्नं भवति ।

7 – व्यायामाः क्रीडनं, तरणं, कूर्दनं, धावनं, भ्रमणम् इत्यादयः अनेकविधाः भवन्ति ।

8 – व्यायामेन शरीरस्य बुद्धेश्च विकासो भवति ।

9 – अतः सर्वैः स्वशरीरस्य स्वास्थ्यरक्षार्थं व्यायामः अवश्यं करणीयः ।

10 – स्वस्थं शरीरं जीवनसौख्यं प्रदातुं शक्नोति ।

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