धर्म: पर संस्कृत निबंध Essay on dharm in Sanskrit language

अहिंसा परमो धर्मः पर संस्कृत निबंध || Essay on Ahinsa Parmo Dharm in Sanskrit language

धर्म: पर संस्कृत निबंध Essay on dharm in Sanskrit language

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धर्म: पर निबंध Essay on dharm in Sanskrit language

धर्म: पर निबंध

[सम्बद्ध शीर्षक:- धर्मेण हीनाः पशुभिः समानाः]

1 – धर्मः कश्चित लोकोत्तर: आध्यात्मिकः गुणः अस्ति ।

2 – धारणात् धर्मः इत्युच्यते ।

3 – धर्मः मानवस्य सदैव संरक्षकः अस्ति ।

4 – यः धर्मं रक्षति धर्मः तं रक्षति ।

5 – धर्मः एव मानवेषु एकः विशिष्टः गुणः अस्ति ।

6 – धर्मेण हीनः जनः पशो: तुल्यः भवति ।

7 – धर्मः सदैव पालनीयः भवति ।

8 – स्वधर्मः एव श्रेष्ठः भवति ।

9 – धर्मस्य परिभाषा कर्तुम् अशक्या

10 – मानवैः धर्मः सदैव रक्षणीयः पालनीयश्च ।

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