Asmad Ke Roop in Sanskrit अस्मद् के शब्द रूप
अस्मद् सर्वनाम,(मैं हम) अस्मद् के रूप अस्मद् युष्मद् ,इदम, अदस आदि सर्वनाम शब्दों के तीनों लिंगों में रूप एक समान ही चलते हैं । किसी भी सर्वनाम शब्द का संबोधन नहीं होता है अतः जितने भी सर्वनाम शब्द हैं उनमें केवल प्रथमा से लेकर सप्तमी विभक्ति तक ही रूप लिखे जाते हैं इनमें संबोधन के रूप नहीं लिखे जाते हैं ।
संस्कृत व्याकरण में सर्वनाम शब्द प्रमुख रूप से इदम्, अस्मद्, युष्मद्, अदस्, एतद्, यद्, उभय, तद्, आदि है । अस्मद् का अर्थ ‘मैं’ होता है जो जिसका प्रयोग सामने वाले व्यक्ति से बात करते समय अपने लिए करते है आइये अस्मद् शब्द रूप (मैं) रूप जानते है।
अस्मद् के शब्द रूप
विभक्ति | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
प्रथमा | अहम् | आवाम् | वयम् |
द्वितीया | माम् | आवाम् | अस्मान् |
तृतीया | मया | आवाभ्याम् | अस्माभि: |
चतुर्थी | मह्यं | आवाभ्याम् | अस्मभ्य: |
पंचमी | मत् | आवाभ्याम् | अस्मभ्य: |
षष्ठी | मम | आवयो: | अस्माकम् |
सप्तमी | मयि | आवयो: | अस्माषु |
प्रिय दोस्तों हम आशा करते है कि आपको यह आर्टिकल पसंद जरूर आया होगा ।। सर्वनाम शब्दों में अस्मद् शब्द के रूप (Yushmad ke Roop) अक्सर परीक्षा में पूछे जाते है। जिसकी तैयारी करके आप परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त कर सकते हैं। आपकों अस्मद् शब्द के रूप (Yushmad ke Roop) की जानकारी कैसा लगी हमें कमेंट करके जरुर बताएं और साथ ही इस पोस्ट को अपने दोस्तों के साथ शेयर जरुर करें। धन्यवाद!
वाक्य अभ्यास :—
1- तुम दोनों मुझे खीर देते हो।
अनुवाद– युवां मह्यं पायसं यच्छथः।
2- हम दोनों तुम सबको सेवइयाँ देते हैं।
अनुवाद– आवां युष्मभ्यं सूत्रिकाः यच्छावः।
3- तुम ये मिठाईयाँ खाते हो ।
अनुवाद-त्वम् इमानि मिष्टान्नानि खादसि ।
4- ये रसगुल्ले हम दोनों के हैं।
अनुवाद– इमे रसगोलाः आवयोः सन्ति।
5- किन्तु ये लड्डू हमारे नहीं हैं।
अनुवाद— किन्तु इमानि मोदकानि आवयोः न सन्ति।
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