Up board 12th sanskrit natak anusuya ka charitra chitran
अनसूया का चरित्र चित्रण –
अनसूया शकुन्तला की प्राण प्यारी सखी है। वह शकुन्तला से हार्दिक प्रेम करती हैं और उसे प्रसन्न रखने के लिए सतत प्रयत्नशील रहती है। अनसूया के व्यक्तित्व में हमें निम्न विशेषताएँ देखने को मिलती हैं-
(1) गम्भीर स्वभाव – अनसूया गम्भीर स्वभाव की है, उसमें प्रौढ़ता और परिपक्वता अधिक है। ऋषि दुर्वासा के शाप को सुनकर जब प्रियंवदा घबड़ा जाती है, तो अनसूया ही उसे ऋषि दुर्वासा को मनाकर शाप की समाप्ति का उपाय जानने के लिए प्रेरित करती है।
( 2 ) स्वल्पभाषिणी – अनसूया कम बोलती है, हँसी-मजाक की बातों में उसकी विशेष रुचि नहीं है, वह अकेले में स्वयं से अधिक बातें करती है। पर्याप्त ऊहापोह करके ही वह किसी बात का उत्तर देती है।
( 3 ) शङ्कालु प्रकृति – अनसूया शङ्कालु प्रकृति की है, वह सहसा किसी बात पर विश्वास नहीं करती है, दुष्यन्त और शकुन्तला के गान्धर्व विवाह को लेकर उसका मन आशङ्कित है। उसे इस बात की चिन्ता रहती है कि हस्तिनापुर जाकर दुष्यन्त शकुन्तला को याद भी करेगा कि नहीं इतोगतं वृत्तान्तं स्मरति वा न वेति ।
(4) दूरदर्शिनी-अनसूया दूरदर्शिनी है। प्रियंवदा भयभीत है कि ऋषि कण्व शकुन्तला के गान्धर्व विवाह पर कैसी प्रतिक्रिया करेंगे, परन्तु अनसूया उसे आश्वस्त करती है कि ऋषि इसका अनुमोदन करेंगे।
(5) शकुन्तला की शुभचिन्तक – अनसूया शकुन्तला की हितैषिणी है। ऋषि दुर्वासा के शाप से वह बहुत दुःखी हो जाती है और प्रियंवदा से कहती है कि शाप का वृत्तान्त हम दोनों के बीच रहे। वह शकुन्तला की प्रसन्नता के लिए हर समय चिन्तित रहती है। शकुन्तला की विदाई के समय के लिए अनसूया न जाने कब से केसर की माला सँजोकर रखती हैं। वस्तुतः कवि कालिदास ने अनसूया का चरित्र शकुन्तला की एक भावुक सखी के रूप में चित्रित किया है जिसके व्यक्तित्व
में संवेदना, सहानुभूति, लज्जाशीलता, गम्भीरता एवं बुद्धिमत्ता आदि गुण समाहित हैं।
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