up board hindi class 10 full solution sanskrit khand

Up board hindi class 10 sanskrit chapter 1 वाराणसी:

अवतरण का संदर्भ सहित हिंदी अनुवाद

up board hindi class 10 full solution वाराणसी सुविख्याता प्राचीना नगरी । इयं विमलसलिलतरंगाया: गंगाया: कूले स्थिता । अस्या: घट्टानां वलया कृति: पक्ति: धवलायां चन्द्रिकायां बहु राजते । अगणिता पर्यटका: सुदूरेभ्य: देशेभ्य: नित्यं अत्र आयान्ति, अस्या: घट्टानांश्च शोभां विलोक्य इमां बहु प्रशंसन्ति ।

[सुविख्याता=प्रसिद्ध, विमल=स्वच्छ, सलिल=जल, तरंगाया=तरंगो वाली, कूले=किनारे, घट्टानां=घाटों की, वलया कृति= घुमाव दार आकृति , धवलायां=सफ़ेद, चन्द्रिकायां=चाँदनी में, शोभां विलोक्य= शोभा को देखकर]

अनुवाद:-

वाराणसी प्रसिद्ध प्राचीन नगरी है | यह स्वच्छ और निर्मल जल की तरंगों वाली गंगा के किनारे स्थित है | इसके घाटों की घुमावदार आकृति सफ़ेद चाँदनी में बहुत सुशोभित होती है | अनेक पर्यटक रोजाना दूर दूर देशों से यहां आते हैं और इसके घाटों की शोभा को देख कर के इसकी बहुत प्रशंसा करते हैं |

अवतरण का संदर्भ सहित हिंदी अनुवाद

वाराणस्यां प्राचीन कालादेव गेहे गेहे विद्याया: दिव्यं ज्योति द्योतते। अधुनाsपि अत्र संस्कृत वाग्धारा सततं प्रवहति । जनानां ज्ञानं च वर्धयति। अत्र अनेके आचार्या: मूर्धन्या: विद्वान्स वैदिक वाङ्मयस्य अध्ययने अध्यापने च इदानीं निरताः। न केवलं भारतीयाः अपितु वैदेशिकाः गीवार्णवाण्याः अध्ययनाय अत्र आगच्छन्ति, निःशुल्कं च विद्या गृह्णन्ति। अत्र हिन्दू विश्वविद्यालयः संस्कृत विश्वविद्यालयः काशी विद्यापीठम् इत्येते त्रयः विश्वविद्यालयाः सन्ति। येषु नवीनां प्राचीनां च ज्ञान विज्ञान विषयाणाम् अध्ययनं प्रचलति।

[द्योतते-जल रही है, वाग्धारा-वाणी रूपी धारा, सततं- निरन्तर, मूर्धन्या-श्रेष्ठ, इदानीं-इस.समय, निरताः -लगे हुए हैं, गीवार्णवाण्याः=देव वाणी अर्थात संस्कृत।]

अनुवादः-

वाराणसी में प्राचीन काल से ही घर घर में विद्या की दिव्य ज्योति जल रही है । आज भी यहां संस्कृत वाणी रूपी धारा निरंतर बह रही है, और लोगों के ज्ञान को बढ़ा रही है । यहां अनेक आचार्य श्रेष्ठ विद्वान देववाणी अर्थात संस्कृत के अध्ययन और अध्यापन में इस समय भी लगे हुए हैं केवल भारतीय ही नहीं अपितु विदेशी भी देववाणी के अध्ययन के लिए यहां आते हैं और निशुल्क विद्या ग्रहण करते हैं । यहां हिंदू विश्वविद्यालय संस्कृत विश्वविद्यालय और काशी विद्यापीठ ये तीन विश्वविद्यालय हैं जिनमें नवीन और प्राचीन ज्ञान विज्ञान विषयों का अध्ययन प्रचलित है ।

अवतरण का हिन्दी अनुवाद

एषा नगरी भारतीयसंस्कृतेः संस्कृतभाषायाश्च केन्द्रस्थली अस्ति। इत एव संस्कृतवाङ्मयस्य संस्कृतेश्च आलोकः सर्वत्र प्रसृतः। मुगलयुवराजः दाराशिकोहः अत्रागत्य भारतीय-दर्शन-शास्त्राणाम् अध्ययनम् अकरोत्। स तेषां ज्ञानेन तथा प्रभावितः अभवत्, यत् तेन उपनिषदाम् अनुवादः पारसी-भाषायां कारितः।

[इत एव-यहीं से, आलोक-प्रकाश, अत्रागत्य-यहां आकर, ज्ञानेन-ज्ञान से, कारितः-करा दिया ]

यह नगरी भारतीय संस्कृति और संस्कृत भाषा की केंद्र स्थली है यहीं से संस्कृत वाणी का और संस्कृत का प्रकाश चारों ओर फैला मुगल युवराज दारा शिकोह ने यहां आकर भारतीय दर्शन शास्त्रों का अध्ययन किया वह इस ज्ञान से इतना प्रभावित हुआ कि उसने उपनिषदों का अनुवाद फारसी भाषा में करा दिया।

अवतरण का संदर्भ सहित हिंदी अनुवाद

इयं नगरी विविधधर्माणां सङ्गमस्थली। महात्मा बुद्धः, तीर्थङ्करः पार्श्वनाथ, शङ्कराचार्य, कबीरः, गोस्वामी तुलसीदासः अन्ये च बहवः महात्मानः अत्रागत्य स्वीयान् विचारान् प्रासारयन्। न केवलं दर्शने, साहित्ये, धर्मे, अपितु कलाक्षेत्रेऽपि इयं नगरी विविधानां कलानां, शिल्पानां च कृते लोके विश्रुता। अत्रत्याः कौशेयशाटिकाः देशे-देशे सर्वत्र स्पृह्यन्ते।

[ विश्रुता- प्रसिद्ध , स्वीयान-अपने,अत्रत्याः-यहां की,कौशेयशाटिकाः-रेशमी साड़ी ]

यह नगरी विविध धर्मों की संगम स्थली है महात्मा बुध तीर्थ कर पार्श्वनाथ शंकराचार्य कबीर दास गोस्वामी तुलसीदास और अन्य बहुत से महात्माओं ने यहां आकर अपने विचारों का प्रसार किया केवल दर्शन साहित्य और धर्म में ही नहीं अपितु कला के क्षेत्र में भी यह नगरी विविध कलाओं और शिल्पा के लिए संसार में प्रसिद्ध है यहां की रेशमी साड़ियां देश विदेशों में सब जगह पसंद की जाती हैं।

वतरण का संदर्भ सहित हिंदी अनुवाद

अत्रत्याः प्रस्तरमूर्तयः प्रथिताः। इयं निजां प्राचीनपरम्पराम् इदानीमपि परिपालयति–तथैव गीयते कविभिः 

[प्रस्तरमूर्तयः-पत्थर की मूर्तियां, गीयते-गाया है]

यहां की पत्थर की मूर्तियां प्रसिद्ध हैं यह अपनी प्राचीन परंपरा का इस समय भी परिपालन कर रही है जैसा कि कवियों ने गाया है।

अवतरण का संदर्भ सहित हिंदी अनुवाद

मरणं मङ्गलं यत्र विभूतिश्च विभूषणम्।कौपीनं यत्र कौशेयं सा काशी केन मीयते ॥

[विभूतिः-राख, कोपीनं-लगोंट, कौशेय-रेशमीवस्त्र, मीयते-मापी जा सकती है]

जहां मरना मंगलकारी है जहां पर राख ही सर्वश्रेष्ठ आभूषण हैं जहां पर लंगोटी ही रेशमी वस्त्र है वह काशी किसके द्वारा मापी जा सकती है अर्थात उस काशी की महिमा अपरंपार है।

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