Mp board solution for class 12 hindi makarand Chapter 16 दक्षिण भारत की एक झलक [निबन्ध, आचार्य विनय मोहन शर्मा]
MP Board Class 12th Hindi Makrand Solutions Chapter 16 दक्षिण भारत की एक झलक [निबन्ध, आचार्य विनय मोहन शर्मा]
दक्षिण भारत की एक झलक पाठ्य-पुस्तक पर आधारित प्रश्न
दक्षिण भारत की एक झलक लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
तमिलनाडु के निवासियों की दृष्टि में सर्वोपरि क्या है?
उत्तर :–
तमिलनाडु के निवासियों की दृष्टि में अपनी भाषा और संस्कृति सर्वोपरि है ।।
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प्रश्न 2.
‘महाश्वेता’ की छवि कौन धारण करता है? यहाँ महाश्वेता का क्या अर्थ है?
उत्तर :–
महाश्वेता की छवि केरल की स्त्रियाँ धारण करती हैं ।। यहाँ महाश्वेता का अर्थ है-सरस्वती देवी ।।
प्रश्न 3.
कन्याकुमारी में कौन-कौन से समुद्रों का मिलन होता है? [M.P. 2011]
उत्तर :–
कन्याकुमारी में हिंद महासागर, अरब सागर और बंगाल की खाड़ी समुद्रों का मिलन होता है ।।
प्रश्न 4.
तमिल कवि की तुलना तुलसी काव्य से क्यों की जाती है?
उत्तर :–
तमिल कवि ‘कम्बन’ ने भी तुलसी के समान ही ‘कम्बन रामायण’ की रचना की है ।।
प्रश्न 5.
पार्वती जी का नाम कन्याकुमारी क्यों पड़ा? [M.P. 2010]
उत्तर :–
शिव-पार्वती का विवाह होने वाला था ।। विवाह का मूहूर्त रात में था ।। पार्वती उनकी खोज में चली गईं ।। बारात न पहुँचने के कारण वे उदास होकर अपने निवास में लौट आयीं और तभी से उनका नाम कन्याकुमारी पड़ गया ।।
दक्षिण भारत की एक झलक दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
आंध्रवासियों का रहन-सहन कैसा है?
उत्तर :–
आंध्रवासियों का रहन-सहन साधारण है ।। स्त्रियाँ खुली साड़ी पहनती हैं ।। उन्हें अपने बालों को फूलों से सजाने का चाव है ।। पुरुष धोती पहनते हैं ।। पीछे लाँग का छोर झंडी की तरह लहराता दिखाई देता है ।। वे कॉफी पीते हैं और इडली का नाश्ता करते हैं ।। यहाँ रामायण का बड़ा प्रचार है ।। स्त्री-पुरुषों में भावुकता अधिक पाई जाती है ।। वे समय के अनुसार स्वयं को ढालने में सक्षम हैं ।।
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प्रश्न 2.
तमिल और आंध्रवासियों की भोजन पद्धति में क्या नवीनता है?
उत्तर :–
तमिल और आंध्रवासियों की भोजन पद्धति में विशेष अंतर नहीं है ।। केले के पत्ते पर भात का ढेर, रसम, दाल, तरकारी, दही, चटनी, मोर [तक्र] परोसा जाता है ।। खाने वाला भात में सब कुछ मिलाकर लंबे लंबे पिंड बनाकर गटकता जाता है ।। अय्यर [ब्राह्मण] निरामिष भोजी होता है और ब्राह्मणोत्तर को आमिष भोजन से परहेज नहीं है ।। भात की इडली ‘छोले’ के समान दोसा और उपमा, चटनी और दही के साथ बड़े प्रेम से खाये जाते हैं ।। भात में शुद्ध देशी घी का प्रयोग होता है ।।
प्रश्न 3.
लेखक के अनुसार नारी किस तरह भारतीय एकता का प्रतीक बन रही है?
उत्तर :–
हिंदी फिल्मों के प्रभाव के कारण आधुनिक महाराष्ट्र, तमिल और केरल नारी की वेशभूषा समान होती जा रही है ।। सभी स्त्रियाँ एक जैसी साड़ी पहनती हैं, जिसका एक छोर दक्षिण कंधे से होता हुआ पीछे एड़ी से छूता हुआ झूलता है ।। उसका सर सदा खुला रहने का रिवाज धीरे-धीरे उत्तर के शिक्षित घरों में भी बढ़ रहा है ।। इस प्रकार लेखक के अनुसार वेशभूषा में भारतीय नारी एकता की प्रतीक बनती जा रही है ।।
प्रश्न 4.
केरल के गाँवों की कौन-कौन सी विशेषताएँ हैं?
उत्तर :–
केरल के गाँवों में भोजन के अंत में जीरे से उबाला हुआ कुनकुना पानी पीने के काम में लाया जाता है ।। वहाँ रहन-सहन का स्तर ऊँचा है ।। गरीबों के नारियल के अवयवों से बने घर भी बिलकुल स्वच्छ होते हैं ।। प्रत्येक घर के आँगन में दस-पाँच नारियल, दो-चार केले, कटहल के पेड़ अवश्य होते हैं ।। गाँव की प्रत्येक गली साफ-सुथरी होती है ।। अधिकांश गाँवों में बिजली है ।। पोस्ट ऑफिस, छोटा दवाखाना और स्कूल हैं ।। दो-चार गाँवों के बीच हाई स्कूल और बीस-पच्चीस गाँवों के बीच कॉलेज की व्यवस्था है ।। गाँव-गाँव में हिंदी बोलने वाले हैं ।।
प्रश्न 5.
चेन्नई में हिंदी प्रचार-सभा क्या-क्या कार्य कर रही है?
उत्तर :–
चेन्नई में हिंदी प्रचार-सभा हिंदी की विद्यापीठ का कार्य कर रही है ।। यहाँ से हिंदी के कई सौ अध्यापक-अध्यापिकाएँ प्रतिवर्ष शिक्षा ग्रहण कर दक्षिण के अनेक स्कूल और कॉलेजों में हिंदी अध्यापन का कार्य कर रहे हैं ।। वे दक्षिण भारत में हिंदी के प्रचार-प्रसार का महत्त्वपूर्ण काम कर रही हैं ।।
दक्षिण भारत की एक झलक भाषा-अनुशीलन
प्रश्न 1.
‘आमिष’ शब्द में निः उपसर्ग लगाकर ‘निरामिष’ विलोम शब्द बनाया गया है ।। इसी प्रकार उपसर्गों के प्रयोग से निम्नलिखित के विलोम शब्द लिखिए –
प्रशंसनीय, एकता, सजीव, संस्कृति
उत्तर :–
——————————-
प्रश्न 2.
निम्नलिखित सामासिक पदों का विग्रह कर समासों के नाम लिखिए –
तमिलनाडु, अनंत-शयनम्, शताव्दी, चौपाटी, शृंगार-काल ।।
उत्तर :–
——————————-
प्रश्न 3.
‘कृष्णा नदी के दर्शन होते हैं ।। ’ वाक्य में ‘दर्शन’ शब्द एकवचन होकर भी बहुवचन की तरह प्रयुक्त हुआ है ।। हिंदी के ऐसे ही पाँच वाक्य जिसमें बहुवचन के रूप में शब्द का प्रयोग हुआ हो लिखिए ।।
उत्तर :–
अधिकारी ने चेक पर हस्ताक्षर कर दिए हैं ।।
बीमार वृद्धा के प्राण-पखेरू उड़ गए ।।
इस मंदिर में भगवान विराजमान हैं ।।
दुखभरी बातें सुनते ही महिला की आँखों से आँसू बह निकले ।।
सुमन के बाल लंबे हैं ।।
दक्षिण भारत की एक झलक भाव विस्तार/पल्लवन
प्रश्न 1.
प्रकृति पर विजय पाकर ही मनुष्य दम लेता है ।।
उत्तर :–
प्रकृति मनुष्य के मार्ग में अनेक बाधाएँ उपस्थित करती है ।। समुद्र की लहरों पर मछुआरों की नाव बार-बार ऊपर-नीचे होती है ।। उन्हें देखकर प्रतीत होता है कि उनकी नावें अब डूबी और तब डूबीं ।। काफ़ी प्रयास के बाद वे नाव को स्थिर कर पाते हैं ।। मछुआरे शीघ्र ही समुद्र की सतह पर नाव खेते हुए दिखाई देते हैं ।। इस प्रकार मनुष्य प्रकृति से हार नहीं मानता, उस पर विजय प्राप्त करके ही दम लेता है ।। समुद्र की लहरों पर नाव खेना उसके द्वारा प्रकृति पर विजय पाने का ही परिणाम है ।।
दक्षिण भारत की एक झलक योग्यता-विस्तार
प्रश्न 1.
दक्षिण भारतीय छात्रों से सघन मैत्री कर उनके प्रदेशों की विशेषताएँ ज्ञात कीजिए ।।
उत्तर :–
छात्र स्वयं करें ।।
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प्रश्न 2.
दक्षिण के उन लोगों की सूची बनाइए जो राजनीति, फिल्म, साहित्य, नृत्य …….. और संगीत में प्रसिद्ध हुए हैं ।।
उत्तर :–
छात्र स्वयं करें ।।
प्रश्न 3.
संविधान स्वीकृत कोई अन्य भाषा सीखने का प्रयत्न कीजिए ।।
उत्तर :–
छात्र स्वयं करें ।।
प्रश्न 4.
दक्षिण भारत दर्शन का कार्यक्रम बनाइए ।।
उत्तर :–
छात्र स्वयं करें ।।
प्रश्न 5.
हिंदी प्रचार सभा [चेन्नई] की तरह हिंदी के विकास के लिए जो संस्थाएँ पत्रिकाएँ कार्य करती हैं, उनकी सूची बनाइए ।।
उत्तर :–
छात्र स्वयं करें ।।
दक्षिण भारत की एक झलक परीक्षोपयोगी अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न
I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न –
प्रश्न 1.
‘दक्षिण भारत की एक झलक’ यात्रा-वृत्तांत के लेखक हैं –
[क] आचार्य रामचन्द्र शुक्ल
[ख] आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी
[ग] आचार्य विनय मोहन शर्मा
[घ] आचार्य नरेंद्र देव
उत्तर :–
[ग] आचार्य विनय मोहन शर्मा ।।
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प्रश्न 2.
कृष्णा नदी स्थित है –
[क] तमिलनाडु में
[ख] केरल में
[ग] आंध्र प्रदेश में
[घ] महाराष्ट्र में
उत्तर :–
[ग] आंध्र प्रदेश में ।।
प्रश्न 3.
अय्यर [ब्राह्मण] ……….. भोजी होता है ।।
[क] निरामिष
[ख] आमिष
[ग] शाकाहारी
[घ] रंजक
उत्तर :–
[क] निरामिष ।।
प्रश्न 4.
अनंत-शयनम् के मंदिर में ……….. पहनकर जाना निषिद्ध है ।।
[क] सिला हुआ वस्त्र या जूता
[ख] पगड़ी या खड़ाऊँ ।।
[ग] पैंट-कमीज अथवा धोती
[घ] घड़ी, बेल्ट अथवा चप्पल
उत्तर :–
[क] सिला हुआ वस्त्र या जूता ।।
प्रश्न 5.
विश्व में वह कौन-सा स्थान है, जहाँ सूर्य समुद्र में डूबता है और समुद्र से ही उगता है?
[क] कन्याकुमारी का समुद्र तट
[ख] गोवा का समुद्र तट
[ग] मुंबई का समुद्र तट
[घ] कोलकाता का गंगा तट
उत्तर :–
[क] कन्याकुमारी का समुद्र तट ।।
प्रश्न 6.
त्रिवेन्द्रम का दूसरा नाम है –
[क] त्रावणकोर
[ख] तिरुअनन्तपुरम
[ग] गोपुरम
[घ] तिरुचिरापल्ली
उत्तर :–
[ख] तिरुअनन्तपुरम ।।
प्रश्न 7.
मीनाक्षी मंदिर स्थित है –
[क] मदुरा में
[ख] मथुरा में
[ग] रामेश्वरम में
[घ] मद्रास में
उत्तर :–
[क] मदुरा में ।।
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प्रश्न 8.
काले पत्थर की विशाल हनुमान मूर्ति दक्षिण के किस मंदिर में है?
[क] शुचिन्द्रम मंदिर
[ख] मीनाक्षी मंदिर
[ग] अनन्तशयनम् मंदिर
[घ] कन्याकुमारी मंदिर
उत्तर :–
[क] शुचिन्द्रम मंदिर ।।
प्रश्न 9.
कन्याकुमारी को मंदिर किस देवी का मंदिर है?
[क] सरस्वती
[ख] दुर्गा
[ग] पार्वती
[घ] लक्ष्मी
उत्तर :–
[ग] पार्वती ।।
प्रश्न 10.
तमिल स्त्रियाँ किससे बनी बाल्टी से कुएँ से पानी खींच रही थीं?
[क] लोहे की
[ख] ताड़ के पत्तों की
[ग] नारियल के पत्तों की
[घ] प्लास्टिक की
उत्तर :–
[ख] ताड़ के पत्तों की ।।
प्रश्न 11.
जब पार्वती का विवाह शिव से होने वाला था –
[क] तब शिवजी की बारात वहाँ पहुँच गई ।।
[ख] कुमारी पार्वती शिवजी से मिल गईं ।।
[ग] विवाह का मुहूर्त भोर में था ।।
[घ] शिवजी के न मिलने पर पार्वती अपने निवास स्थान को लौट आईं ।।
उत्तर :–
[घ] शिवजी के न मिलने पर पार्वती अपने निवास स्थान को लौट आईं ।।
II. निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति दिए गए विकल्पों के आधार पर कीजिए –
त्रिवेन्द्रम का दूसरा नाम ………. है ।। [तिरुचिरापल्ली/तिरुअनन्तपुरम्]
लेखक ने दक्षिण भारत की यात्रा ………. में की थी ।। [1853/1953]
बेजवाड़ा ………. का एक प्रमुख नगर है ।। [आंध्र-प्रदेश/तमिलनाड्]
तेलुगु भाषा में सत्तर प्रतिशब्द ………. के होते हैं ।। [तमिल संस्कृत]
आंध्र में ………. कृत रामायण का बड़ा प्रचार है ।। [त्यागराज/तुलसी]
उत्तर :–
तिरुअनन्तपुरम्
1953
आन्ध-प्रदेश
संस्कृत
तुलसी ।।
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III. निम्नलिखित कथनों में सत्य असत्य छाँटिए –
त्रिवेन्द्रम से कन्याकुमारी तक लगातार बस्ती है ।।
गोपुरम् मन्दिर के द्वार को कहते हैं ।।
तमिल का व्याकरण ईसा के आठवीं शताब्दी पूर्व लिखा गया था ।।
मद्रास को चेन्नई कहते हैं ।।
श्री रंगम् का मंदिर कावेरी नदी के द्वीप में है ।।
उत्तर :–
सत्य
सत्य
असत्य
सत्य
सत्य ।।
V. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक शब्द या एक वाक्य में दीजिए –
प्रश्न 1.
त्रिवांकुर [त्रावणकोर] जाते समय लेखक ने किसकी झलक देखी?
उत्तर :–
त्रिवांकुर [त्रावणकोर] जाते समय लेखक ने आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और केरल की झलक देखी ।।
प्रश्न 2.
आंध्र का प्रमुख नगर कौन-सा है?
उत्तर :–
वेजवाड़ा
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प्रश्न 3.
भक्त कवि त्यागराज किस शताब्दी के थे?
उत्तर :–
18वीं शताब्दी के
प्रश्न 4.
अय्यर ब्राह्मण कैसे होते हैं?
उत्तर :–
अय्यर ब्राह्मण निरामिष भोजी होते हैं ।।
प्रश्न 5.
आन्ध्र में क्या-क्या अधिक पैदा होता है?
उत्तर :–
आंध्र में काजू, केला और धान अधिक पैदा होता है ।।
दक्षिण भारत की एक झलक लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
आंध्र में हिंदी की किस पुस्तक का बड़ा प्रचार है?
उत्तर :–
आंध्र में हिंदी की तुलसीकृत रामायण का बड़ा प्रचार है ।।
प्रश्न 2.
आंध्रप्रदेश के लोग कौन-सी भाषा बोलते हैं?
उत्तर :–
आंध्रप्रदेश के लोग तमिल भाषा बोलते हैं ।।
प्रश्न 3.
केरल के गरीब लोग क्या खाते हैं?
उत्तर :–
केरल के गरीब लोग जंगल से कंद को उखाड़कर उसे भूनकर या उबाल के खाते हैं ।।
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प्रश्न 4.
त्रिवेन्द्रम में बाजारों में बहुत-से लोग नंगे पैर क्यों चलते हैं?
उत्तर :–
त्रिवेन्द्रम में बारहों महीने वर्षा होती रहती है ।। अतः कीचड़ से बचने के लिए लोग नंगे पैर चलते हैं ।।
प्रश्न 5.
श्रीरंगम् का मंदिर कहाँ बना हुआ है?
उत्तर :–
श्रीरंगम् का मंदिर तिरुचिरापल्ली के निकट कावेरी नदी के द्वीप में बना हुआ है ।।
प्रश्न 6.
मद्रास का कौन-सा वृक्ष जग-प्रसिद्ध है और क्यों?
उत्तर :–
मद्रास का वट-वृक्ष जग प्रसिद्ध है, क्योंकि इसकी लंबाई उत्तर से दक्षिण की ओर 200 फुट और चौड़ाई में पूरब से पश्चिम की ओर 205 फुट है ।।
प्रश्न 7.
तमिल और आंध्र का मुख्य भोजन क्या है?
उत्तर :–
भात का ढेर, रसम, दाल, तरकारी, दही, चटनी, मोटर [तक्र], भात की इडली, डोसा और उपमा तमिल और आंध्र का मुख्य भोजन है ।।
प्रश्न 8.
समुद्र दर्शन के बाद लेखक कहाँ गया?
उत्तर :–
समुद्र दर्शन के बाद लेखक अजायबघर गया ।।
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प्रश्न 9.
रामेश्वरम् की क्या विशेषता है?
उत्तर :–
रामेश्वरम् में विशाल मंदिर है ।। कई तीर्थ कूप हैं, जिनका पानी मीठा है ।। यहाँ हिंदी जानने वाले बहुत हैं ।।
दक्षिण भारत की एक झलक दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
तमिलानाडु के स्त्री-पुरुषों की वेशभूषा का उल्लेख कीजिए ।।
उत्तर :–
तमिलनाडु के पुरुषों की वेशभूषा में लुंगी, कुरता और आधुनिक बुशर्ट शामिल हैं ।। स्त्रियाँ खुली साड़ी पहनती हैं ।। उन्हें हरा रंग अच्छा लगता है ।। स्त्रियाँ हरा परिधान पहनती हैं ।।
प्रश्न 2.
लेखक किस व्यावसायिक ईमानदारी से प्रभावित हुआ?
उत्तर :–
लेखक ने मद्रास, मदुरा, तिरुचिरापल्ली और रामेश्वरम् आदि स्थानों के होटल में भोजन किया ।। वहाँ के होटलों में भात पर शुद्ध देशी घी ही डाला गया ।। होटल वालों की यह ईमानदारी प्रशंसनीय है ।। दूध के संबंध में वहाँ के दुकानदार बड़े स्पष्टवादी हैं ।। वे स्पष्ट कहते हैं कि हम शुद्ध दूध नहीं बेचते ।। हम कॉफी का दूध बेचते हैं, जिसमें पानी मिला होता है ।। लेखक उनकी इस व्यावसायिक ईमानदारी से बड़ा प्रभावित हुआ ।।
प्रश्न 3.
लेखक कन्याकुमारी में सूर्यास्त का दृश्य क्यों नहीं देख पाया?
उत्तर :–
लेखक सूर्यास्त का दृश्य देखने के लिए कन्याकुमारी के समुद्र तट पर पहुँच गया ।। बहुत-से सैलानी वहाँ सूर्यास्त का दृश्य देखने के लिए उत्सुक थे, पर बादल सूर्य को रह-रहकर ढाँप लेते थे ।। लेखक सूर्यास्त की दिशा पर नजरें गड़ाये रहा, पर बादलों ने सूर्य को मुक्त नहीं किया ।। फलस्वरूप वह सूर्यास्त का दृश्य नहीं देख पाया ।।
प्रश्न 4.
मीनाक्षी मंदिर की विशेषताएँ बताइए ।।
उत्तर :–
मीनाक्षी मंदिर मदुरा में स्थित है ।। यह बड़ा विशाल मंदिर है ।। यह कई गोपुरम से घिरा हुआ है ।। गोपुरम ऊँचा गुंबद के समान द्वार है ।। इस मंदिर में अनेक मूर्तियों में पौराणिक गाथाएँ अंकित हैं ।। मंदिर के प्रत्येक खंभे पर हाथी के ऊपर सवार सिंह दिखलाया गया है ।। मूर्तियाँ बड़ी सजीव हैं ।। यहाँ एक हजार खंभों वाला हाल है ।। मंदिर में दक्षिण के 63 संतों की प्रतिमाएँ हैं ।। मंदिर में इनकी वाणियों का अध्ययन-मनन होता है ।।
प्रश्न 5.
अनंतशयनम् के मंदिर की क्या विशेषता है?
उत्तर :–
अनंतशयनम् मंदिर में सिला हुआ वस्त्र या जूता पहनकर जाना निषिद्ध है ।। महिलाओं की साड़ी सिला हुआ वस्त्र न होने के कारण मंदिर में प्रवेश पा सकती, हैं ।। मंदिर में मूर्ति की विशालता दर्शनीय है ।।
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प्रश्न 6.
मद्रास का जग-प्रसिद्ध वट-वृक्ष कैसा है?
उत्तर :–
मद्रास का जग-प्रसिद्ध वट-वृक्ष दर्शनीय है ।। इसकी लम्बाई उत्तर से दक्षिण की ओर 200 फुट और चौड़ाई पूरब से पश्चिम की ओर 205 फुट है ।। इसके नीचे एनींबेसेन्ट ने थियोसोफिकल सोसाइटी की अनेक महत्त्वपूर्ण सभाएँ की हैं ।। यह हजारों दर्शकों का विश्राम-स्थल है ।।
दक्षिण भारत की एक झलक लेखक-परिचय
प्रश्न 1.
आचार्य विनय मोहन शर्मा का संक्षिप्त जीवन-परिचय देते हुए उनकी साहित्यिक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए ।।
उत्तर :–
जीवन-परिचय :–
आचार्य विनय मोहन शर्मा का जन्म 19 दिसंबर, सन् 1905 में करकबैल मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले में हुआ ।। इनका मूल नाम शुक देव प्रसाद तिवारी ‘वीरात्मा’ था ।। आपने एम.ए., पी-एचडी., एल.एल.बी., तक शिक्षा प्राप्त की ।। इन्होंने पत्रकारिता से साहित्य जगत् में प्रवेश किया ।। ये ‘कर्मवीर’ पत्रिका के सहायक सम्पादक.रहे ।। सन् 1940 से शिक्षा-जगत् में विभिन्न पदों पर रहकर अध्यापन किया ।।
ये नागपुर एवं कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में प्रोफेसर और महाकौशल विश्वविद्यालय, जबलपुर में प्राचार्य रहे ।। इन्होंने केन्द्रीय हिंदी संस्थान, आगरा के प्रथम निदेशक पद को भी सुशोभित किया ।। ये सन् 1970 से 1973 तक विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अंतर्गत विश्वविद्यालय से भी संबद्ध रहे ।। 5 अगस्त, सन् 1993 को इनका निधन हो गया ।।
साहित्यिक-परिचय :–
हिंदी को मराठी संतों की देन’ शोध प्रबंध पर आपको अनेक पुरस्कार प्राप्त हुए ।। इन्होंने हिंदी, पंजाबी और मराठी संतों का तथा तुलसी काव्यों का तुलनात्मक अध्ययन किया और ‘गीत-गोविंद’ का हिंदी अनुवाद किया ।। इनकी ‘दृष्टिकोण’, ‘साहित्य कथा पुराना’, शोध प्रविधि-मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पुरस्कृत की जा चुकी है ।। विभिन्न शासकीय एवं अशासकीय साहित्य संस्थानों तथा सभाओं द्वारा आपको सम्मानित एवं पुरस्कृत भी किया गया है ।। पं. द्वारिका प्रसाद मिश्र द्वारा रचित महाकाव्य ‘कृष्णायक’ की इन्होंने अवधी से खड़ी बोली में रूपान्तरित किया है ।। हिंदी साहित्य जगत् में निबंधकार, समीक्षक, एवं शोधकर्ता के रूप में इनका विशिष्ट स्थान है ।।
रचनाएँ :–
इनकी हिंदी को मराठी संतों की देन, हिंदी, पंजाबी और मराठी में कृष्ण तथा तुलसी काव्यों का तुलनात्मक अध्ययन, गीत-गोविन्द का हिंदी अनुवाद, दृष्टिकोण, साहित्य कथा पुराना, शोध प्रविधि, कृष्णायन का खड़ी बोली में रूपांतरण आदि रचनाएँ हैं ।।
भाषा-शैली :–
विनय मोहन शर्मा की भाषा प्रौढ़, सशक्त, परिमार्जित खड़ी बोली – है ।। भाषा में तत्सम शब्दों के अतिरिक्त प्रचलित उर्दू शब्द भी हैं ।। साधारण विषयों पर इनकी लेखनी सरल और व्यावहारिक भाषा का रूप धारण कर लेती है ।।
दक्षिण भारत की एक झलक पाठ का सारांश
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प्रश्न 1.
‘दक्षिण भारत की एक झलक’ यात्रा-वृत्तांत का सार अपने शब्दों में लिखिए ।।
उत्तर :–
दक्षिण भारत की एक झलक’ यात्रा-वृत्तांत में आचार्य विनय मोहन शर्मा ने दक्षिण भारत के सुरम्य स्थानों, रीति-रिवाजों और दृश्यों का वर्णन करते हुए वहाँ की संस्कृति की सजीव झाँकियाँ प्रस्तुत की हैं ।। शर्माजी कहते हैं कि मुझे 1953 में पहली बार त्रावणकोर जाते हुए आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और केरल जाने का अवसर मिला ।। प्रातःकाल जब उनकी गाड़ी आंध्र प्रदेश के बेजबाड़ा पहुँची तो उन्हें ऐसा लगा मानो किसी नई दुनिया में प्रवेश हो रहा है ।।
वहाँ की समुद्र से आने वाली वायु तन और मन दोनों को शीतलता प्रदान कर रही थी ।। वहाँ कृष्णा नदी भी देखी ।। आंध की स्त्रियाँ खुली साड़ी पहनती हैं और पुरुष धोती पहनते हैं, जिनकी लांग की छोर झंडी की तरह लहराता दिखाई देती है ।। लोग गोरे रंग के होते हैं और लोग तेलुगू बोलते हैं ।। यहाँ तुलसीकृत रामायण का बड़ा प्रचार है ।। 18वीं शताब्दी में भक्त कवि त्यागराज ने भी तुलसी का अनुकरण किया है ।।
आचार्यजी आंध्र के लोगों के खान-पान के संबंध में बताते हुए कहते हैं कि लोग कॉफी अधिक पीते हैं और इडली का नाश्ता करते हैं ।। स्त्रियाँ फूलों से केश-सज्जा करती हैं ।। वहाँ काजू और केले के साथ-साथ धान उत्पन्न होता है ।। स्त्री-पुरुष भावुक होते हैं ।। वे स्वयं को समय के अनुरूप ढालने में सक्षम हैं ।। ‘गुडूर’ से गाड़ी तमिलनाडु में प्रवेश करती है ।। यहाँ तमिल भाषा बोली जाती है ।। पुरुष लुंगी, कुर्ता और बुशशर्ट पहनते हैं ।। यहाँ के लोग रंग के साँवले होते हैं ।। स्त्रियों को हरा रंग अधिक पसन्द है ।। तमिल और आंध्र के भोजन में विशेष अंतर नहीं है ।। वहाँ केले के पत्ते पर भात, रसम, दाल, तरकारी और दही, चटनी, मोर परोसा जाता है ।।
यहाँ इटली, दोसा, उपमा, चटनी और दही के साथ खाया जाता है ।। – सुदूर दक्षिण में मिठाइयों की दुकानें नहीं हैं ।। वहाँ होटल वाले ईमानदार हैं ।। वे भात में शुद्ध घी का प्रयोग करते हैं परन्तु वे शुद्ध दूध नहीं बेचते ।। केरल की आबादी सघन है ।। जमीन हरी-भरी है ।। गरीब लोग कंद खाते हैं ।। उसके साथ मछली मिल जाने पर पूरा आहार हो जाता है ।। नारियल बहुतायत से होता है ।। अतः लोग उसका कई रूपों में प्रयोग करते हैं ।। उसका पानी बेंचा जाता है ।।
केरल में स्त्रियों का पहनावा तमिलनाडु की स्त्रियों से अलग है ।। वे उजले रंग के वस्त्र पहनती हैं ।। शहरी स्त्रियों का पहनावा हिंदी फिल्मों के प्रभाव के कारण महाराष्ट्र, तमिल और केरल में एक जैसा है ।। त्रावणकोर-कोचीन में शिक्षा प्रचार-प्रसार अधिक है ।। लोगों का जीवन-स्तर ऊँचा है ।। घर साफ-सुथरे होते हैं ।। अधिकांश गाँवों में बिजली है ।। पोस्ट-ऑफिस, दवाखाना, और स्कूल प्रत्येक गाँव में हैं ।। दो-चार गाँवों के मध्य एक हाई स्कूल और बीस-पच्चीस गाँवों के बीच एक कॉलेज भी स्थापित है ।। हिंदी का यहाँ बहुत प्रचार है ।। परीक्षा के लिए हिंदी अनिवार्य है ।।
त्रिवेन्द्रम से कन्याकुमारी की यात्रा बड़ी रोचक थी ।। स्त्री-पुरुष बाजारों में नंगे पैर चलते हैं; क्योंकि वर्षा होती रहती है ।। यहाँ का समुद्र-दर्शन अत्यन्त आकर्षक होता है ।। समुद्र की आती-जाती लहरों में खड़ा होने में आनन्द आता है ।। समुद्र में अनेक मछुवारे मछलियाँ पकड़ते दिखाई देते हैं ।। उनकी नावें समुद्र में तैरती दिखाई देती हैं ।। वहाँ के अजायबघर में समुद्र की मछलियों, सर्पो, केकड़ों आदि को सुरक्षित रखा गया है ।। यह अजायबघर भारत में अपनी तरह का एक ही है ।। वहाँ के अनन्त-शयनम् मन्दिर में सिला हुआ वस्त्र या जूता पहनकर जाना मना है ।। मन्दिर में मूर्ति की विशालता दर्शनीय है ।।
त्रिवेन्द्रम से कन्याकुमारी तक इतनी सघन आबादी है कि भारत के किसी भाग में इतनी सघन आबादी नहीं है ।। तमिल स्त्रियाँ ताड़ की बनी बाल्टी से कुएँ से पानी निकालती हैं ।। दक्षिण भारत में मामूली स्त्रियाँ सोने के और संभ्रांत स्त्रियाँ हीरे, मोती, जवाहरात के आभूषण पहनती हैं ।। कन्याकुमारी में सूर्यास्त का दृश्य अत्यन्त भव्य होता है ।। यहाँ तीन समुद्रों का मिलन होता है ।। अनेक स्त्री-पुरुष सूर्यास्त का दृश्य देखने को उत्सुक थे, लेकिन बादलों के कारण यह सम्भव नहीं हो सका ।। संसार में यही स्थान है जहाँ सूर्य समुद्र में डूबता है और समुद्र से ही उगता है ।।
कन्याकुमारी के मंदिर में पार्वती के दर्शन के लिए गए ।। इस मंदिर में भी नंगे बदन ही जाना पड़ता था ।। वहाँ पार्वती विवाह का मुहूर्त निकल जाने के कारण अविवाहित रूप में ही आकर विराजमान हो गई थी ।। अतः इसीलिए यहाँ का नाम कन्याकुमारी पड़ा है ।। इसके बाद शुचिन्द्रम के भव्य मंदिर के दर्शन किए ।। वहाँ पर काले पत्थर की विशाल हनुमान की मूर्ति है ।। वह मुख्य रूप से शिव-मंदिर है ।। मंदिर के प्रस्तर स्तंभों की विशेषता है कि उसे हाथ से ठोंकने पर धीमी सुरीली आवाज निकलती है ।।
त्रिवेन्द्रम और कन्याकुमारी के बीच की भूमि में सुपारी, काजू, केला, नारियल और धान आदि से उर्वरा है ।। आचार्य कहते हैं कि समय की कमी के कारण मलयालय के कई साहित्यकारों से भेंट नहीं हो पाई ।। इसके बाद मदुरा का मीनाक्षी मंदिर देखा ।। वह बहुत विस्तीर्ण है ।। यह कई गोपुरम से घिरा है ।। गोपुरम ऊँचा गुम्बद के समान द्वार है ।। यहाँ की मूर्तियाँ बड़ी सजीव हैं ।। वहाँ एक हजार खम्भों वाला हॉल है, वहाँ हजारों नर-नारी प्रसाद पा सकते हैं ।। मदुरा से रामेश्वरम धनुष-कोटि भी गए ।। रामेश्वरम का मंदिर विशाल है ।। यहाँ तीर्थयात्री समुद्र में स्नान करते हैं ।।
यहाँ हिंदी जानने वाले बड़ी संख्या में हैं ।। तिरुचिरापल्ली का कावेरी नदी के द्वीप पर बना श्रीरंगम का मंदिर दर्शनीय है ।। त्रिचिन्नापल्ली में सहस्रों सीढ़ियाँ चढ़ने के बाद ऊँचाई पर एक विशाल मंदिर है ।। यहाँ से ।। नगर और नदी का दृश्य बड़ा सुन्दर दिखायी देता है ।। तमिल साहित्य बहुत प्राचीन है ।। तमिल का व्याकरण आज भी ईसा की चार शताब्दी पूर्व ही लिखा गया व्याकरण है ।। चेन्नई में भी हिंदी साहित्य में गीत का परिचय मिलता है ।। वहाँ की हिंदी-प्रचार सभा को दक्षिण में हिंदी की प्रमुख विद्यापीठ का रूप प्रदान कर रही है ।।
वहाँ से कई सौ अध्यापक-अध्यापिकाएँ प्रतिवर्ष शिक्षा ग्रहण कर दक्षिण के अनेक स्कूल-कॉलेजों दक्षिण भारत की एक झलक में हिंदी पढ़ा रहे हैं ।। मद्रास में अडयार पुस्तकालय काफी संपन्न है ।। वहाँ का वटवृक्ष विश्वविख्यात है ।। वहाँ का समुद्रतट भी बहुत सुन्दर है ।। वहाँ शाम को सैलानियों का मेला-सा लग जाता है ।। रात के आठ बजे तक सैलानियों को मद्रास रेडियो स्टेशन का भोंपू कार्यक्रम सुनाता रहता है ।।
दक्षिण भारत की एक झलक संदर्भ-प्रसंगसहित व्याख्या
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प्रश्न 1.
सुदूर दक्षिण में उत्तर भारत के समान तरह-तरह की मिठाइयों की दुकानें नहीं हैं ।। बड़े-बड़े नगरों में उत्तर भारत के एक-दो हलवाई थोड़ी-बहुत मिठाई बनाते हैं ।। चटपटी, खारी, खट्टी चीजें दक्षिण भारतीयों को बहुत प्रिय हैं ।। घी की अपेक्षा नारियल के तेल का इस्तेमाल अधिक होता है ।। परन्तु वहाँ के होटलों में एक बात यह देखी गई है कि जब वे भात पर घी डालते हैं, तो ह शुद्ध घी ही होता है ।।
होटल वालों की यह ईमानदारी प्रशंसनीय है ।। मैंने मद्रास, मदुरा, त्रिचिनापल्ली, रामेश्वरम् आदि स्थानों के होटलों में भोजन किया और मुझे हर जगह शुद्ध ताजे घी का स्वाद मिला ।। दूध के संबंध में भी यहाँ के दुकानदार बड़े स्पष्टवादी हैं ।। दक्षिण के स्टेशनों पर आपकी आँखों के सामने की पाल [दूध] में वल्लम [पानी] मिलाकर देंगे और कहेंगे शुद्ध दूध हम नहीं बेचते, हम कॉफी का दूध रखते हैं ।। इस व्यावसायिक ईमानदारी ने मुझे बड़ा प्रभावित किया ।। [Page 74]
शब्दार्थ :–
सुदूर – बहुत दूर, बहुत दूर का ।।
प्रशंसनीय – प्रशंसा करने योग्य ।।
स्पष्टवादी – स्पष्ट बोलने वाले ।।
व्यावसायिक – व्यापारिक ।।
प्रसंग :–
प्रस्तुत गद्यांश आचार्य विनय मोहन शर्मा द्वारा रचित यात्रा-वृत्तांत ‘दक्षिण भारत की एक झलक’ से उद्धृत है ।। लेखक दक्षिण भारत के सुरम्य स्थानों, रीति-रिवाजों और दृश्यों का रोचक वर्णन किया है ।। इस गद्यांश में लेखक दक्षिण भारत के लोगों की व्यावसायिक ईमानदारी का वर्णन कर रहा है ।।
व्याख्या :–
लेखक ने दक्षिण भारत की कवा के दौरान तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश की यात्रा की ।। उसने देखा कि बहुत दूर स्थित दक्षिण में उत्तर भारत के समान तरह-तरह की मिठाइयों की दुकानें नहीं हैं ।। दूसरे शब्दों, जैसे उत्तर भारत में तरह-तरह की मिठाई बनाने वाले हलवाइयों की दुकानें होती हैं, वैसे दुकानें दूरस्थ दक्षिण भारत में नहीं मिलतीं ।। यहाँ केवल बड़े-बड़े नगरों में ही उत्तर भारत के एक-दो हलवाई ही थोड़ी-बहुत मिठाई बनाते हैं ।। इसका कारण है दक्षिण भारत के लोगों को मिठाई अधिक रुचिकर नहीं होती है ।।
दक्षिण भारत के लोगों को मिठाइयों की अपेक्षा चटपटी, मसालेदार, खारी और खट्टी चीजें ही अधिक पसन्द हैं ।। दक्षिण भारत में लोग घी का कम प्रयोग करते हैं ।। नारियल के तेल का अधिक इस्तेमाल करते हैं ।। लेखक यहाँ के होटलों की विशेषता की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए कहता है कि यहाँ के होटलों में एक बात यह देखने में आई कि वे भात पर घी डालते हैं और वह भी शुद्ध देशी घी ।। भात पर देशी घी डालने के संबंध में उनकी ईमानदारी प्रशंसा करने के योग्य है ।। वे देशी घी में किसी तरह की मिलावट नहीं करते ।। वे ईमानदारी से भात पर शुद्ध देशी घी ही डालते हैं ।।
लेखक बताता है कि उसने दक्षिण भारत के मद्रास, मदुरा, त्रिचिन्नापल्ली, रामेश्वरम आदि स्थानों के होटलों में खाना खाया और उसे हर स्थान पर शुद्ध देशी घी का ही स्वाद मिला ।। इतना ही नहीं दूध के संबंध में भी यहाँ के दुकानदार बहुत स्पष्ट बोलने वाले हैं ।। दक्षिण भारत के स्टेशनों पर वे आपके द्वारा दूध माँगने पर आपकी आँखों के सामने ही दूध में पानी मिलाकर देंगे ।। वे स्पष्ट रूप से कहते हैं कि हम लोग शुद्ध दूध नहीं बेचते ।। हम कॉफी का दूध रखते हैं ।। कॉफी के दूध में पानी मिला होता है ।। लेखक दक्षिण भारतीयों की इस व्यापारिक ईमानदारी से वड़ा प्रभावित हुआ ।।
विशेष :–
दक्षिण भारतीय होटल वालों की ईमानदारी की प्रशंसा की है ।।
वर्णनात्मक शैली है ।।
भाषा सरल, स्पष्ट खड़ी बोली है ।।
गद्यांश पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर
प्रश्न [i]
उत्तर भारतीय तथा दक्षिण भारतीय लोगों के स्वाद में क्या अंतर है?
उत्तर :–
उत्तर भारतीयों को भिठाइयाँ अधिक पसंद हैं, तो दक्षिण भारतीयों को चटपटी, खारी और खट्टी चीजें अधिक पसंद हैं ।।
प्रश्न [ii]
लेखक दक्षिण भारतीयों की किस स्पष्टवादिता से प्रभावित हुआ?
उत्तर :–
दक्षिण भारत के लोग आपके सामने दूध में पानी मिलाकर आपको देंगे और स्पष्ट कहेंगे कि हम शुद्ध दूध नहीं बेचते, हम कॉफी का दूध रखते हैं ।। लेखक उनकी इस स्पष्टवादिता से प्रभावित हुआ ।।
प्रश्न [iii]
दक्षिण भारत के होटलों में भात पर किस तरह का घी डाला जाता है?
उत्तर :–
दक्षिण भारत के होटलों में भात पर शुद्ध देशी घी डाला जाता है ।।
गद्य पर आधारित बोधात्मक प्रश्नोत्तर
प्रश्न [i]
गद्यांश का मुख्य भाव क्या है?
उत्तर :–
दक्षिण भारतीयों की पसंद, ईमानदारी और स्पष्टवादिता की प्रशंसा करना ।।
प्रश्न [ii]
लेखक ने दक्षिण भारत के किन-किन नगरों के होटल में खाना खाया और उसको क्या अनुभव हुआ?
उत्तर :–
लेखक ने दक्षिण भारत के मद्रास, मदुरा, त्रिचिन्नापल्ली, रामेश्वरम आदि चारों होटलों में खाना खाया और उसे हर स्थान पर शुद्ध ताजे घी के स्वाद का अच्छा अनुभव हुआ ।।
प्रश्न 2.
त्रावणकोर [केरल] में प्रवेश करते ही स्त्रियों की पोशाक के रंग में अंतर दिखाई देने लगता है ।। यहाँ वे ‘महाश्वेता’ की छवि धारण कर लेती हैं ।। उन्हें तमिलनाडु की स्त्री के समान हरा-लाल रंग पसन्द नहीं-वे उजले रंग के वस्त्र पहनती हैं ।। यहाँ एक बात स्पष्ट कर दूं ।। इस लेख में पोशाक आदि की चर्चा नगर और ग्राम के सामूहिक जीवन को लक्ष्य करके की जा रही है ।। यों आज महाराष्ट्र, तमिल और केरल राज्यों की ही नहीं, समस्त देश की शहरी स्त्रियों की वेशभूषा प्रायः समान ही होती जा रही है ।। यह हिंदी चित्रपटों का प्रभाव जान पड़ता है ।।
आधुनिक महाराष्ट्र की नारी स्वच्छ साड़ी पहनना पसन्द करती है, तमिल और केरल की नारी भी उसी तरह साड़ी पहनती है, जिसका एक छोर दक्षिण कन्धे से होता हुआ पीछे एड़ी से छूता हुआ झूलता है ।। उसका सर सदा खुला रहने का रिवाज धीरे-धीरे उत्तर के शिक्षित घरों में भी बढ़ रहा है ।। वेशभूषा में नारी भारतीय एकता का प्रतीक बनती जा रही है ।। त्रावणकोर-कोचीन में शिक्षा का प्रसार अधिक होने से जनता के रहन-सहन का स्तर अपेक्षाकृत ऊँचा है ।। गरीबों के घर भी, जो अधिकतर नारियल के विभिन्न अवयवों से बनते हैं, बिल्कुल स्वच्छ रहते हैं ।।
प्रत्येक छोटे से घर के आँगन में दस-पाँच नारियल, दो-चार केले, कटहल के पेड़ अवश्य दिखाई देंगे ।। उत्तर के गाँव जहाँ चारों ओर पुरीष से घिरे रहते हैं, वहाँ केरल के गाँव गली-गली स्वच्छ झलकते हैं ।। यहाँ अधिकांश ग्राम विजली से जगमगाते हैं ।। पोस्ट ऑफिस, छोटा-सा दवाखाना और स्कूल के बिना तो गाँव बसते ही नहीं, दो-चार गाँवों के मध्य एक हाईस्कूल, बीस-पच्चीस गाँवों के बीच एक कॉलेज आवश्यक समझा जाता है ।। वहाँ हिंदी का इतना अधिक प्रचार है कि गाँव-गाँव में उसे बोलने-समझने वाले स्त्री-पुरुष मिल जाते हैं ।। [Page 75]
शब्दार्थ :–
महाश्वेता – सरस्वती ।।
छवि – सुंदरता, रूप ।।
पोशाक – वेशभूषा ।।
सामूहिक – सामाजिक ।।
चित्रपटों – फिल्मों ।।
स्वच्छ – साफसुथरे ।।
रिवाज – परंपरा ।।
अवयवों – भागों ।।
पुरीष – गंदगी
कूड़ा – करकट ।।
प्रसंग :–
प्रस्तुत गद्यांश आचार्य विनय मोहन शर्मा द्वारा लिखित यात्रा-वृत्तांत दक्षिण भारत की एक झलक’ से उद्धृत है ।। इस गद्यांश में लेखक केरल की स्त्रियों की वेशभूषा, वहाँ के घरों तथा शिक्षा-व्यवस्था के साथ-साथ हिंदी की स्थिति पर प्रकाश डाल रहा है ।।
व्याख्या :–
लेखक कहता है कि केरल राज्य में प्रवेश [दाखिल] होते ही स्त्रियों के पहनावे की पोशाकों के रंग में अंतर स्पष्ट दिखाई देने लगता है ।। वेशभूषा के संबंध में केरल की स्त्रियाँ सरस्वती का रूप ग्रहण करती दिखाई पड़ती हैं ।। यहाँ की स्त्रियों को तमिलनाडु की स्त्री की तरह हरा और लाल रंग पसंद नहीं है ।। वे सफेद [उज्ज्वल] रंग के कपड़े पहनती हैं ।। लेखक यहाँ एक बात स्पष्ट कर रहा है कि इस लेख में पहनावे आदि की चर्चा नगर और गाँव के सामूहिक जीवन को लक्ष्य करके ही की जा रही है ।। वैसे तो आज महाराष्ट्र, जमिल और केरल राज्यों में ही नहीं, अपितु देश के समस्त राज्यों के शहरी क्षेत्रों की स्त्रियों के पहनावे में समानता आती जा रही है ।।
सारे देश के शहरी क्षेत्रों नारियों की वेशभूषा में समानता आने का कारण हिंदी फिल्मों का प्रभाव दिखाई देता है ।। हिंदी फिल्मों में अभिनेत्रियाँ जो वस्त्र पहनती हैं, वही आजकल नगरों की स्त्रियाँ पहनने लगी हैं ।। आधुनिक महाराष्ट्रीय स्त्री साफ-सुथरी साड़ी पहनना पसंद करती है तो तमिलनाडु और केरल की स्त्रियाँ भी उसी प्रकार की साड़ी पहनती हैं ।। उस तरह की साड़ी का एक किनारा दक्षिण कंधे से होता पीछे एड़ी से छूता हुआ लटकता रहता है ।। दूसरे शब्दों में, सभी स्त्रियाँ उलटे पल्ले की साड़ी पहनती हैं ।। उनका सर बिना पल्ले के खुला रहता है ।। यह रिवाज धीरे-धीरे उत्तर भारत के सुशिक्षित घरों की नारियों में भी निरंतर बढ़ता जा रहा है ।।
इस तरह के पहनावे से भारतीय नारी राष्ट्रीय एकता की प्रतीक बनती जा रही है ।। त्रावणकोर और कोचीन में शिक्षा-प्रसार अधिक होने के कारण जनता के रहन-सहन का स्तर तुलनात्मक दृष्टि से ऊँचा है ।। गरीबों के घर भी जो अधिकतर नारियल के विभिन्न भागों में बने होते हैं, बिलकुल साफ-सुथरे होते हैं ।। प्रत्येक छोटे-से घर के आँगन में भी नारियल के दस-पाँच पेड़, दो-चार केले के पेड़ और कटहल के पेड़ अवश्य लगे होते हैं ।। उत्तर भारत के गाँवों में चारों तरफ कूड़े-करकट के ढेर लगे होते हैं, वहीं दक्षिण भारत के गाँव की गली-गली साफ-सुथरी होती है ।। यहाँ के अधिकांश गाँवों में बिजली की व्यवस्था है, जिसके प्रकाश से गाँव बिजली की रोशनी से जगमगाते रहते हैं ।।
केरल के प्रत्येक गाँव में पोस्ट ऑफिस [डाकखाना], छोटा दवाखाना और प्राथमिक स्कूल हैं ।। दो-चार गाँवों के बीच हाई स्कूल है ।। तो 20-25 गाँवों के मध्य एक कॉलेज भी है ।। इस प्रकार केरल राज्य में शिक्षा की अच्छी व्यवस्था है ।। केरल में हिंदी का प्रचार-प्रसार बहुत है ।। यही कारण है कि यहाँ के गाँव-गाँव में हिंदी बोलने और समझने वाले स्त्री-पुरुष मिल जाते हैं ।। दूसरे शब्दों में, केरल में हिंदी बोलने और समझने वालों की संख्या पर्याप्त है ।।
विशेष :–
लेखक ने केरल की विशेषताओं का वर्णन किया है ।।
वर्णनात्मक शैली है ।।
भाषा परिमार्जित खड़ी बोली है ।।
गद्यांश पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न
प्रश्न [i]
लेखक ने हिंदी चित्रपट के किस प्रभाव का वर्णन किया है?
उत्तर :–
लेखक ने हिंदी चित्रपट के वेशभूषा के प्रभाव का वर्णन किया है ।। हिंदी फिल्मों के प्रभाव के कारण सारे भारत के शहरी क्षेत्रों की स्त्रियों में एक ही ढंय से साड़ी पहने जाने लगी है ।।
प्रश्न [ii]
उत्तर भारत और केरल के गाँवों में क्या अंतर है?
उत्तर :–
उत्तर भारत के गाँव चारों ओर से कूड़े-करकट से घिरे रहते हैं, जबकि केरल के गाँव की गली-गली साफ-सुथरी रहती हैं ।।
प्रश्न [iii]
तमिलनाडु और केरल की स्त्रियों की पसंद में क्या अंतर है?
उत्तर :–
तमिलनाडु की स्त्रियाँ पहनावे में हरा और लाल रंग पसंद करती हैं, तो केरल की स्त्रियाँ उजले वस्त्र पहनना पसन्द करती हैं ।।
गद्यांश पर आधारित बोधात्मक प्रश्न
प्रश्न [i]
त्रावणकोर-कोचीन में रहन-सहन का स्तर ऊँचा क्यों है?
उत्तर :–
त्रावणकोर-कोचीन में शिक्षा का प्रचार-प्रसार अधिक होने के कारण जनता के रहन-सहन का स्तर गाँवों की अपेक्षा अधिक ऊँचा है ।।
प्रश्न [ii]
केरल के गाँवों की दो विशेषताएँ लिखिए ।।
उत्तर :–
केरल के गाँवों में बिजली की व्यवस्था है ।। गाँव बिजली से जगमगाते रहते हैं ।।
केरल के गाँवों में डाकखाना, दवाखाना और स्कूल हैं ।।
प्रश्न [iii]
किस राज्य के गाँव-गाँव में हिंदी बोलने और समझने वाले मिल जाते हैं और क्यों?
उत्तर :–
केरल राज्य के गाँव-गाँव में हिंदी बोलने वाले और समझने वाले मिल जाते हैं, क्योंकि यहाँ हिंदी का प्रचार-प्रसार बहुत है ।। यहाँ हिंदी परीक्षा की अनिवार्य भाषा है ।।
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प्रश्न 3.
त्रिवेन्द्रम से कन्याकुमारी तक लगातार बस्ती होने से ऐसा जान पड़ता है, मानो त्रिवेन्द्रम ही पचास मील तक चला गया हो ।। इतनी घनी आबादी भारत के किसी भाग में नहीं है ।। मार्ग में गाड़ी पंचर हो जाने से हम एक निकटवर्ती कुएँ पर गए जहाँ तमिल स्त्रियाँ ताड़ की बनी हुई बाल्टी से पानी खींच रही थीं ।। उन्होंने हमें प्यासा, अनुमान कर स्वयं पानी पिलाया ।। उन्हें हम अजनबियों को देखकर कुतूहल होता था और हमें उनके नीचे तक लटके फटे कानों से सोने के कर्णफूल देखकर आश्चर्य होता था ।। ऐसा जान पड़ता था कि कान अब अधिक भार नहीं सह सकेंगे, फट ही पड़ेंगे ।। दक्षिण में मामूली स्त्रियाँ सोने के आभूषण पहनती हैं ।। संभ्रान्त परिवार की स्त्रियाँ हीरे, मोती, जवाहरात को काम में लाती हैं ।। सोना उनके लिए हल्की धातु है ।। [Page 76]
शब्दार्थ :–
आबादी – जनसंख्या ।।
कुतूहल – आश्चर्य ।।
आभूषण – जेवर ।।
प्रसंग :–
प्रस्तुत गद्यांश आचार्य विनय मोहन शर्मा द्वारा रचित यात्रा-वृत्तांत ‘दक्षिण भारत की एक झलक’ से उद्धृत है ।। लेखक केरल की सघन जनसंख्या और तमिल स्त्रियों की आभूषणप्रियता का वर्णन करता हुआ कर रहा है ।।
व्याख्या :–
लेखक कहता है कि त्रिवेन्द्रम से कन्याकुमारी तक लगातार बस्ती ही बस्ती थी ।। उस बस्ती को देखकर लमता था, मानो त्रिवेन्द्रम ही पचास मील तक फैला हुआ हो ।। इतनी अधिक सघन आबादी [जनसंख्या] भारत के किसी भाग में नहीं है जितना त्रिवेन्द्रम से कन्याकुमारी के बीच फैले भाग में है ।। लेखक कहता है कि कन्याकुमारी की ओर जाते हुए उनकी गाड़ी में पंचर हो गया इसलिए गाड़ी में सवार हम सभी उतरकर पास वाले कुएँ पर चले गए ।। वहाँ हमने देखा कि तमिल स्त्रियाँ ताड़ के पत्तों से बनी हुई बाल्टी से पानी खींच रही थीं ।। उन्होंने हम लोगों को प्यासा जानकर अंदाजे से स्वयं ही पानी पिलाया ।।
उन तमिल स्त्रियों को हम अपरिचितों को देखकर आश्चर्य होता था और हम लोगों को उन स्त्रियों के नीचे तक लटके फटे हुए कानों में सोने के कर्णफूल देखकर आश्चर्य होता था ।। कहने का भाव यह कि वे तमिल स्त्रियाँ हम अपरिचितों को आश्चर्य से देख रही थीं तो हम लोगों को भी उनके कानों में सोने के कर्णफल नामक आभूषण देखकर आश्चर्य हो रहा था ।। उन स्त्रियों के कान भी कटे-फटे हुए थे ।।
उनके कानों की स्थिति देखकर लगता था कि उनके नीचे तक लटके-फटे हुए कान अब अधिक वजन नहीं सह सकेंगे ।। यदि और थोड़ा वजन अधिक डाला, तो कान फट ही जायेंगे ।। लेखक बताता है कि दक्षिण भारत में साधारण वर्ग की स्त्रियाँ सोने के जेवर धारण करती हैं और उच्च वर्ग या कुल की स्त्रियाँ हीरे, मोती और जवाहरात के आभूषण पहनती हैं ।। सोना उनके लिए हल्की वस्तु है; अर्थात् उनके लिए मामूली चीज है ।।
विशेष :–
लेखक ने दक्षिण भारत की सामाजिक स्थिति का वर्णन किया है ।।
वर्णानात्मक शैली है ।।
भाषा परिमार्जित खड़ी बोली है ।।
गद्यांश पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न
प्रश्न [i]
तमिल स्त्रियों को क्या देखकर आश्चर्य हो रहा था?
उत्तर :–
तमिल स्त्रियों को अजनबियों को अपने गाँव में देखकर आश्चर्य हो रहा था ।।
प्रश्न [ii]
तमिल स्त्रियों के कटे-फटे कान क्या संकेत कर रहे थे?
उत्तर :–
तमिल स्त्रियों के कटे-फटे और लटके कान इस बात की ओर संकेत कर रहे थे कि अपने कानों में वज़नदार आभूषण पहनती होंगी, जिनके कारण कान नीचे तक लटककर फट गए हैं ।। अब उन कानों में अधिक भार सहने की क्षमता नहीं :– रह गई है ।।
प्रश्न [iii]
तमिल स्त्रियों ने लेखक और उसके साथियों को पानी क्यों पिलाया?
उत्तर :–
लेखक और उसके साथी गाड़ी में पंचर होने के कारण गाड़ी से उतरकर एक पास के कुएँ पर गए ।। वहाँ पानी भरने वाली तमिल स्त्रियों ने समझा कि वे लोग प्यासे हैं और पानी पीने के लिए ही कुएँ पर आए हैं ।। इसलिए तमिल स्त्रियों ने उन्हें पानी पिलाया ।।
गद्यांश पर आधारित बोधात्मक प्रश्न
प्रश्न [i]
दक्षिण में साधारण स्त्रियों और संभ्रान्त स्त्रियों के आभूषणों में क्या अंतर होता है?
उत्तर :–
दक्षिण में साधारण स्त्रियाँ सोने के आभूषण पहनती हैं और संभ्रान्त परिवार की स्त्रियाँ हीरे, मोती और जवाहरात के आभूषण काम में लाती हैं ।।
प्रश्न [ii]
त्रिवेन्द्रम से कन्याकुमारी की आबादी के सम्बन्ध में लेखक ने क्या कहा है?
उत्तर :–
त्रिवेन्द्रम से कन्याकुमारी की आबादी के संबंध में लेखक ने कहा कि इतनी घनी आबादी तो भारत के किसी भी भाग में नहीं है ।। दूसरे शब्दों में केरल के इस क्षेत्र में बहुत सघन जनसंख्या है ।।
प्रश्न 4.
यहाँ हिंदी साहित्य में गति का परिचय मिलता है ।। यहाँ की हिंदी प्रचार सभा को दक्षिण में हिंदी की प्रमुख विद्यापीठ का रूप प्रदान कर रही है ।। यहाँ से हिंदी के कई सौ अध्यापक-अध्यापिकाएँ प्रतिवर्ष शिक्षा ग्रहण कर दक्षिण की अनेक शालाओं तथा विश्वविद्यालय के कॉलेजों में हिंदी-अध्यापन कार्य कर रहे हैं ।। महात्माजी ने जब मद्रास में हिंदी-प्रचार की नींव रखी तब हृषीकेशजी के साथ-साथ रघुवरदयालजी जो यहाँ के हिंदी प्रेमी जन हैं वे भी सभा में पहुँचे ।।
तब से आज तक हिंदी को राष्ट्रभाषा का अंग मानकर ये सभा में कार्य कर रहे हैं ।। दक्षिण भारत में कई अहिंदी भाषा-भाषी सज्जन हिंदी की बड़ी सेवा कर रहे हैं ।। रघुवरदयाल मिश्र ने बतलाया कि तंजोर पुस्तकालय में मणि-प्रवाल शैली में लिखित बहुत पुराना हस्तलिखित ग्रन्थ है, जिसमें अन्य भाषाओं के साथ-साथ हिंदी में भी रचनाएँ हैं ।। [Page 77]
शब्दार्थ :–
गति – प्रगति ।।
महात्माजी – महात्मा गाँधी जी ।।
प्रसंग :–
प्रस्तुत गद्यांश आचार्य विनय मोहन शर्मा द्वारा रचित यात्रा-वृत्तांत ‘दक्षिण भारत की एक झलक’ से उद्धृत है ।। लेखक इस गाद्यांश में चेन्नई की हिंदी प्रचार सभा के कार्यों पर प्रकाश डालते हुए कहता है ।।
व्याख्या :–
लेखक कहता है कि जब वह दक्षिण भारत की यात्रा करते हुए त्रिचिन्नापल्ली से मद्रास पहुँचा, तो उसे यहाँ हिंदी साहित्य की प्रगति की जानकारी प्राप्त हुई ।। दूसरे शब्दों में, मद्रास में हिंदी साहित्य के प्रचार-प्रसार में पर्याप्त प्रगति देखने को मिली ।। यहाँ स्थापित हिंदी प्रचार सभा दक्षिण में हिंदी की प्रमुख विद्यापीठ के रूप में कार्य कर रही है ।। यहाँ से हिंदी प्रचार सभा के कई सौ अध्यापक और अध्यापिकाओं को हर वर्ष प्रशिक्षण प्रदान कर रही है ।। वे प्रशिक्षण प्राप्त करके दक्षिण भारत के अनेक स्कूलों और विश्वविद्यालय के अनेक कॉलेजों में हिंदी पढ़ा रहे हैं ।।
महात्मा गाँधीजी ने जब मद्रास में हिंदी प्रचार सभा की स्थापना की तब हृषीकेशजी के साथ-साथ एक हिंदी प्रेमी सज्जन रघुवरदयाल भी सभा में पहुँचे थे ।। वे तब से लेकर आज तक हिंदी को राष्ट्रभाषा का अंग मानकर सभा में कार्य कर रहे हैं ।। लेखक कहता है कि दक्षिण भारत में कई अहिंदी भाषा-भाषी व्यक्ति भी हिंदी की बड़ी सेवा कर रहे हैं; अर्थात् अहिंदी भाषा-भाषी भी हिंदी के प्रचार-प्रसार में जुटे हुए हैं ।। स्वर्गीय रघुवरदयाल मिश्र ने बतलाया कि तंजोर पुस्तकालय में मणि-प्रवाल शैली में लिखित बहुत पुराना हाथ से लिखा ग्रंथ है, जिसमें अन्य भाषाओं के साथ-साथ हिंदी की रचनाएँ भी सम्मिलित हैं ।।
विशेष :–
मद्रास की हिंदी प्रचार सभा के कार्यों का वर्णन किया गया है ।। ।।
वर्णानात्मक शैली है ।।
भाषा परिमार्जित खड़ी बोली है ।।
गद्य पर आधारित अर्थग्रहण संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न [i]
‘हिंदी साहित्य में गति का परिचय मिलता है’ से लेखक का क्या आशय है
उत्तर :–
इससे लेखक का आशय है कि मद्रास की हिंदी प्रचार सभा के प्रयत्नों से दक्षिण भारत में हिंदी प्रचार-प्रसार में पर्याप्त प्रगति देखने को मिलती है ।।
प्रश्न [ii]
दक्षिण की हिंदी प्रचार सभा विद्यापीठ के रूप में किस प्रकार कार्य कर रही है?
उत्तर :–
दक्षिण की हिंदी प्रचार सभाप्रतिवर्ष कई सौ अध्यापक-अध्यापिकाओं को हिंदी अध्यापन का प्रशिक्षण प्रदान करती है ।। वे अध्यापक-अध्यापिकाएँ दक्षिण भारत के स्कूल और कॉलेजों में हिंदी-अध्यापन का कार्य कर रहे हैं ।। इस प्रकार यहाँ की प्रचार सभा हिंदी विद्यापीठ के रूप में कार्य कर रही है ।।
गद्यांश की विषय-वस्त पर आधारित बोधात्मक प्रश्नोत्तर
प्रश्न [i]
रघुवरदयाल अहिंदीभाषी होते हुए भी हिंदी प्रचार सभा में कार्य क्या कर रहे थे?
उत्तर :–
रघुवरदयाल को हिंदी से प्रेम था ।। वे दक्षिण की हिंदी प्रचार सभा में उसकी स्थापना से लेकर आज तक कार्य कर रहे हैं ।। वे हिंदी को राष्ट्रभाषा का अंग मानकर सभा में कार्य कर रहे थे ।।
प्रश्न [ii]
रघुवरदयाल मिश्र ने लेखक को क्या जानकारी दी थी?
उत्तर :–
रघुवरदयाल मिश्र ने लेखक को जानकारी दी थी कि तंजोर पुस्तकालय में मणि-प्रवाल शैली में रचित एक बहुत पुराना ग्रंथ है, जो हाथ से लिखा हुआ है ।। उस ग्रंथ में अन्य भाषाओं के साथ-साथ हिंदी में भी रचनाएँ हैं ।।
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