Up rajaswa sanhita dhara 67 उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 धारा 67
धारा 67 — ग्राम पंचायत की सम्पत्ति की क्षति, उसका दुरूपयोग और गलत अधिभोग को रोकने की शक्ति –
उपधारा (1) –– जहां किसी ग्राम पंचायत या अन्य स्थानीय प्राधिकरण को इस संहिता के उपबन्धों के अधीन सौंपी गयी या सौंपी गयी समझी हुई कोई सम्पत्ति क्षतिग्रस्त हो जाती है या उसका दुरूपयोग होता है, या जहां कोई ग्राम पंचायत या अन्य प्राधिकरण इस संहिता के उपबन्धों के अधीन किसी भूमि पर कब्जा प्राप्त करने के लिये हकदार हो और ऐसी भूमि उक्त उपबंधों के सिवाय अन्यथा रूप से अधिभोग में हो वहां यथास्थिति भूमि प्रबन्धक समिति या अन्य प्राधिकरण या सम्बन्धित लेखपाल विहित रीति से सम्बन्धित सहायक कलेक्टर को सूचित करेगा।
उपधारा (2) —जहां उपधारा (1) के अधीन या अन्यथा प्राप्त सूचना से सहायक कलेक्टर का समाधान हो जाता है कि उपधारा (1) में निर्दिष्ट कोई सम्पत्ति क्षतिग्रस्त कर दी गयी है या उसका दुरूपयोग किया गया है या किसी व्यक्ति का इस संहिता के उपबन्धों के उल्लंघन में उस उपधारा में निर्दिष्ट किसी भूमि पर अधिभोग हो वहां वह संबंधित व्यक्ति को कारण बताओ नोटिस जारी करेगा कि क्यों न उससे क्षति, दुरूपयोग या गलत अधिभोग के लिये प्रतिकर जो नोटिस में विनिर्दिष्ट धनराशि से अधिक न हो, की वसूली की जाय और क्यों न उसे ऐसी भूमि से बेदखल कर दिया जाय
उपधारा ( 3 )–—- यदि ऐसा व्यक्ति, जिसे उपधारा (2) के अधीन नोटिस जारी की गयी हो, नोटिस के विनिर्दिष्ट समय के भीतर या ऐसे बढ़ाये गये समय के भीतर जैसा कि सहायक कलेक्टर इस निमित्त अनुज्ञा प्रदान करे, कारण बताने में विफल रहता हैं या दर्शाया गया कारण अपर्याप्त पाया जाता है तो सहायक कलेक्टर यह निदेश दे सकता है कि ऐसे व्यक्ति को भूमि से बेदखल कर दिया जाए और उक्त प्रयोजन के लिये ऐसे बल का उपयोग कर या करवा सकता है, जैसा कि आवश्यक हो और यह निदेश दे सकता है कि यथास्थिति सम्पत्ति की क्षति या उसके दुरूपयोग के लिये या गलत अधिभोग के लिये प्रतिकर की धनराशि की वसूली ऐसे व्यक्ति से भू-राजस्व के बकाये के रूप में की जाय।
उपधारा (4) ====यदि सहायक कलेक्टर की यह राय हो कि कारण बताने वाला व्यक्ति उपधारा (2) के अधीन नोटिस में निर्दिष्ट क्षति या दुरूपयोग या गलत अधिभोग करने का दोषी नहीं है तो वह नोटिस को खारिज कर देगा ।
उपधारा (5)-— उपधारा ( 3 ) या उपधारा (4) के अधीन सहायक कलेक्टर के किसी आदेश से व्यथित कोई व्यक्ति ऐसे आदेश के दिनांक से तीस दिन के भीतर कलेक्टर को अपील कर सकता है।
उपधारा (6) —-इस संहिता के किसी अन्य उपबन्ध में अन्तर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी और इस धारा के उपबंधों के अध्यधीन सहायक कलेक्टर का इस धारा के अधीन प्रत्येक आदेश उपधारा (5) के अध्यधीन अन्तिम होगा। (7) इस धारा के अधीन की गयी किसी कार्यवाही में अपनायी जाने वाली प्रक्रिया वही होगी जैसी विहित की जाय ।
स्पष्टीकरण– इस धारा के प्रयोजनार्थ शब्द ‘भूमि’ में उस पर स्थित वृक्ष और भवन भी हैं।
धारा 67 क – कतिपय गृह स्थलों का उनके विद्यमान स्वामियों के साथ बन्दोबस्त –
उपधारा (1) यदि धारा 84 की उपधारा (1) में 67-क कतिपय निर्दिष्ट किसी व्यक्ति ने इस संहिता की धारा 63 में निर्दिष्ट किसी भूमि पर जो किसी सार्वजनिक प्रयोजन के लिये आरक्षित न हो, कोई गृह निर्माण किया हो और ऐसा गृह 29 नवम्बर, 2012 को विद्यमान हो तो ऐसे गृह का स्थल गृह के स्वामी द्वारा ऐसे प्रतिबन्धों और शर्तों पर, जो विहित किये जायें, धृत किया जायेगा ।
उपधारा (2) —-जहां पर धारा 64 की उपधारा (1) में निर्दिष्ट किसी व्यक्ति ने किसी खातेदार द्वारा (जो सरकारी पट्टेदार न हो) धृत किसी भूमि पर गृह निर्माण किया हो, और ऐसा गृह 29 नवम्बर, 2000, को विद्यमान हो तो ऐसे गृह के स्थल का इस संहिता में अन्तर्विष्ट किसी बात के होते हुये भी बन्दोबस्त खातेदार द्वारा ऐसे प्रतिबन्धों और शर्तों पर, जो विहित किये जायें, ऐसे गृह के स्वामी के साथ किया गया समझा जायेगा ।
स्पष्टीकरण– उपधारा (2) के प्रयोजनार्थ, किसी खातेदार द्वारा धृत किसी भूमि पर 29 नवम्बर, 2000 को विद्यमान किसी गृह को, जब तक कि इसके प्रतिकूल साबित न कर दिया जाय, उसके अध्यासी द्वारा, और यदि अध्यासी एक ही परिवार के सदस्य हों तो उस परिवार के मुखिया द्वारा निर्मित किया गया मान लिया जायेगा ।
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