UP BOARD SOLUTION FOR CLASS 11 POLITICAL SCIENCE PART 2 CHAPTER 3 चुनाव और प्रतिनिधित्व

CLASS 11 POLITICAL SCIENCE 1
UP BOARD SOLUTION FOR CLASS 11 POLITICAL SCIENCE PART 2 CHAPTER 3 चुनाव और प्रतिनिधित्व

UP BOARD SOLUTION FOR CLASS 11 POLITICAL SCIENCE PART 2 CHAPTER 3 चुनाव और प्रतिनिधित्व

मुख्य बिंदु :-

●1984 के लोक सभा चुनाव में काँग्रेस पार्टी ने 543 में से 415 सीटें जीती जो कुल 80 प्रतिशत से भी अधिक है ।।

● पूरे देश को 543 निर्वाचन क्षेत्रों में बाँट दिया गया है प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र से एक प्रतिनिधि चुना जाता है और उस निर्वाचन क्षेत्र में जिस प्रत्याशी को सबसे अधिक वोट मिलते हैं उसे निर्वाचित घोषित कर दिया जाता है ।।

● लोकसभा की 543 निर्वाचित सीटों में 79 अनुसूचित जाति और 41 अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं ।।

● 1989 तक, 21 वर्ष से ऊपर के भारतीय नागरिकों को वयस्क भारतीय माना जाता था ।। 1989 में संविधान के एक संशोधन के द्वारा इसे घटा कर 18 वर्ष कर दिया गया ।।

● लोक सभा या विधान सभा चुनाव में खड़े होने के लिए उम्मीदवार को कम से कम 25 वर्ष का होना चाहिए ।।

● यदि किसी व्यक्ति को किसी अपराध के लिए दो या दो से अधिक वर्षों के लिए जेल हुई हो, तो वह चुनाव लड़ने के योग्य नहीं है ।।

● भारतीय संविधान का अनुच्छेद 324 ‘निर्वाचनों के लिए मतदाता सूची तैयार कराने और चुनाव के संचालन का अधीक्षण, निर्देशन और नियंत्रण का अधिकार एक स्वतंत्र निर्वाचन आयोग को देता है ।।

● 1993 में दो निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति हुई और निर्वाचन आयोग बहु-सदस्यीय हो गया तब से यह बहु-सदस्यीय बना हुआ है ।।

● संविधान मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्तों के कार्य काल की सुरक्षा देता है ।। उन्हें 6 वर्षों के लिए अथवा 65 वर्ष की आयु तक के लिए नियुक्त किया जाता है ।।

● भारत के संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत भारत में शांतिपूर्ण व निष्पक्ष चुनाव सम्पन्न कराने के लिए एक चनाव आयोग के गठन की व्यवस्था की है

● भारत के निर्वाचन आयोग की सहायता करने के लिए प्रत्येक राज्य में एक मुख्य निर्वाचन अधिकारी होता है ।।

अभ्यास प्रश्नावली :

Q1 . निम्नलिखित में कौन प्रत्यक्ष लोकतंत्र के सबसे नजदीक बैठता है?

(क) परिवार की बैठक में होने वाली चर्चा

(ख) कक्षा संचालक (क्लास-मॉनीटर) का चुनाव

(ग) किसी राजनीतिक दल द्वारा अपने उम्मीदवार का चयन

(घ) मीडिया द्वारा करवाये गये जनमत संग्रह

उत्तर :– :

(घ) मीडिया द्वारा करवाये गये जनमत संग्रह

Q2 . इनमें कौन-सा कार्य चुनाव आयोग नहीं करता?

(क) मतदाता सूची तैयार करना

(ख) उम्मीदवारों का नामांकन

(ग) मतदान केन्द्रों की स्थापना

(घ) आचार संहिता लागू करना

(ड) पंचायत के चुनावों का पर्यवेक्षण

उत्तर :– (ख) उम्मीदवारों का नामांकन

Q3 . निम्नलिखित में कौन-सी बात राज्य सभा और लोक सभा के सदस्यों के चुनाव की प्रणाली में समान है?

(क) 18 वर्ष से ज्यादा की उम्र का हर नागरिक मतदान करने के योग्य है ।।

(ख) विभिन्न प्रत्याशियों के बारे में मतदाता अपनी पसंद को वरीयता क्रम में रख सकता है ।।

(ग) प्रत्येक मत का समान मूल्य होता है

(घ) विजयी उम्मीदवार को अधिक से अधिक मत प्राप्त होने चाहिए ।।

उत्तर :– : (ग) प्रत्येक मत का समान मूल्य होता है

Q4 . फर्स्ट पास्ट द पोस्ट प्रणाली में वही प्रत्याशी विजेता घोषित किया जाता है जो

(क) सर्वाधिक संख्या में मत अर्जित करता है

(ख) देश में सर्वाधिक मत प्राप्त करने वाले दल का सदस्य हो

(ग) चुनाव क्षेत्र के अन्य उम्मीदवारों से ज्यादा मत हासिल करता है ।।

(घ) 50 प्रतिशत से अधिक मत हासिल करके प्रथम स्थान पर आता है ।।

उत्तर :– : (ग) चुनाव क्षेत्र के अन्य उम्मीदवारों से ज्यादा मत हासिल करता है ।।

Q5 . पृथक निर्वाचन-मंडल और आरक्षित चुनाव क्षेत्र के बीच क्या अंतर है? संविधान निर्माताओं ने पृथक निर्वाचन-मंडल को क्यों स्वीकार नहीं किया?

उत्तर :– : पृथक निर्वाचन मंडल और आरक्षित चुनाव क्षेत्र के बीच निम्नलिखित अंतर है:

स्वतंत्रता के पूर्व भी इस विषय पर बहस हुई थी और ब्रिटिश सरकार ने’ पृथक- निर्वाचन मंडल की शुरुआत की थी ।। इसका अर्थ यह था कि किसी समुदाय के प्रतिनिधि के चुनाव में केवल उसी समुदाय के लोग वोट डाल सकेगें ।।
संविधान सभा के अनेक सदस्यों को इस पर शंका थी ।। उनका विचार था कि यह व्यवस्था हमारे उद्देश्यों को पूरा नहीं करेगी ।।

इसलिए आरक्षित निर्वाचन क्षेत्रों की व्यवस्था को अपनाया गया ।। इस व्यवस्था के अंतर्गत, किसी निर्वाचन क्षेत्रा में सभी मतदाता वोट तो डालेंगे लेकिन प्रत्याशी केवल उसी समुदाय या सामाजिक वर्ग का होगा जिसके लिए वह सीट आरक्षित है ।।

संविधान निर्माताओं ने पृथक निर्वाचन-मंडल को इसलिए स्वीकार नहीं किया क्योंकि :

अनेक ऐसे सामाजिक समूह हैं जो पूरे देश में फैले हुए हैं ।। किसी एक निर्वाचन क्षेत्र में उनकी इतनी संख्या नहीं होती कि वे किसी प्रत्याशी की जीत को प्रभावित करसके ।। लेकिन पूरे देश पर नजर डालने पर वे अच्छे खासे बड़े समूह के रूप में दिखाई देते हैं ।। उन्हें समुचित प्रिनिधित्व देने के लिए आरक्षण की व्यवस्था जरूरी हो जाती है ।। संविधान अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए लोक सभा और राज्य की विधान सभाओं में आरक्षण की व्यवस्था करता है ।। प्रारंभ में यह व्यवस्था 10वर्ष के लिए की गई थी पर अनेक सवैधानिक संशोधनों द्वारा इसे बढ़ा कर 2010 तक कर दिया गया है ।। आरक्षण की अवधि खत्म होने पर संसद इसे और आगे बढ़ाने का निर्णय ले सकती है ।। इन दोनों समूहों की आरक्षित सीटों का वही अनुपात है जो भारतकी जनसंख्या में इनका अनुपात है ।। आज लोकसभा की 543 निर्वाचित सीटों में 79अनुसूचित जाति और 41 अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं ।।

Q6 . निम्नलिखित में कौन-सा कथन गलत है? इसकी पहचान करें और किसी एक शब्द अथवा पद को बदलकर, जोड़कर अथवा नये क्रम में सजाकर इसे सही करें ।।

(क) एक फर्स्ट-पास्ट-द- पोस्ट प्रणाली (‘जो सबसे आगे वही जीते प्रणाली’) का पालन भारत के हर चुनाव में होता है ।।

उत्तर :– यह कथन गलत है क्योंकि पी . टी . पी . प्रणाली का प्रयोग हर समय नहीं होता हैं | राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, व राज्य सभा के सदस्यों का चुनाव एकल मत प्रणाली के द्वारा होता है ।। अन्य चुनावों में पी .टी .पी . प्रणाली का पालन होता है ।।

(ख) चुनाव आयोग पंचायत और नगरपालिका के चुनावों का पर्यवेक्षण नहीं करता ।।
उत्तर :– यह कथन सही है ।।

(ग) भारत का राष्ट्रपति किसी चुनाव आयुक्त को नहीं हटा सकता ।।

उत्तर :– यह कथन गलत है कि भारत का राष्ट्रपति किसी चुनाव आयुक्त को नहीं हटा सकता ।। लेकिन राष्ट्रपति किसी चुनाव आयुक्त को हटा सकता जब उसके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप सिद्ध हो जाए |

(घ) चुनाव आयोग में एक से ज्यादा चुनाव आयुक्त की नियुक्ति अनिवार्य है ।। उत्तर :– यह कथन सही है ।।

Q7 . भारत की चुनाव प्रणाली का लक्ष्य समाज के कमजोर तबके की नुमाइंदगी को सुनिश्चित करना है ।। लेकिन अभी तक हमारी विधायिका में महिला सदस्यों की संख्या 10 प्रतिशत तक भी नहीं पहुंचती ।। इस स्थिति में सुधार के लिए आप क्या उपाय सुझायेंगे?

उत्तर :–

Q8 . एक नये देश के संविधान के बारे में आयोजित किसी संगोष्ठी में वक्ताओं ने निम्नलिखित आशाएँ जतायीं ।। प्रत्येक कथन के बारे में बतायें कि उनके लिए फर्स्ट-पास्ट-द- पोस्ट (सर्वाधिक मत से जीत वाली प्रणाली) उचित होगी या समानुपातिक प्रतिनिधित्व वाली प्रणाली ?

(क) लोगों को इस बात की साफ़ – साफ़ जानकारी होनी चाहिए कि उनका प्रतिनिधि कौन है ताकि वे उसे निजी तौर पर जिम्मेदार ठहरा सके |

उत्तर :– : लोगों की इच्छाओं को अधिक प्रभावी रूप से व्यक्त करने के लिए फ .पा . टी . पो . मत प्रणाली सबसे अधिक उपयुक्त होगी क्योंकि इसमें नागरिकों को प्रतिनिधियों का सीधा संपर्क रहता है ।। तथा नागरिक अपनी प्रतिनिधि को सीधे रु से जिम्मेवार ठहराकर उन्हें अगले चुनाव में सत्ता से हटा सकते है ।। प्रथम रूप में इस प्रणाली में नागरिकों को अपनी पसंद का उम्मीदवार चुनने का मौका मिलता है ।।

(ख) हमारे देश में भाषाई रूप से अल्पसंख्यक छोटे-छोटे समुदाय हैं और देश भर में फैले हैं, हमें इनकी ठीक-ठीक नुमाइंदगी को सुनिश्चित करना चाहिए ।।

उत्तर :– सभी अल्पसंख्यकों को उनकी संख्या के आधार पर व उसी अनुपात में उचित प्रतिनिधित्व देने के लिए अनुपातिक मत प्रणाली का कोई एक तरीका प्रयोग करना चाहिए जिससे सभी अल्पसंख्यकों को उचित प्रतिनिधित्व मिल सके ।। भारत में अनेक धार्मिक जातीय, भाषायी व सासंकृतिक अल्पसंख्यक पाए जाते हैं जिनके उचित प्रतिनिधित्व के लिए अनुपातिक मत प्रणाली अधिक उपयुक्त है ।।

(ग) विभिन्न दलों के बीच सीट और वोट को लेकर कोई विसंगति नहीं रखनी चाहिए |

उत्तर :– –इस वर्ग के लोगो की इच्छा को पूरा करने के लिए अनुपातिक मत प्रणाली क लिस्ट प्रणाली प्रयोग में लाया जाता है जिसके अनुसार राजनितिक दलों को मिलने वाली वोटों व उनके द्वारा प्राप्त सीटों में एक निश्चत अनुपात पाया जा सकता है ।।

(घ) लोग किसी अच्छे प्रत्याशी को चुनने में समर्थ होने चाहिए भले ही वे उसके राजनीतिक दल को पसंद न करते हों ।।

उत्तर :– : फ .पा . टी . पो . प्रणाली में नागरिक अपनी पसंद का उम्मीदवार चुन सकते है भले वे उस उम्मीदवार के राजनितिक दल को पसंद ना करते हो ।।

Q9 . एक भूतपूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ने एक राजनीतिक दल का सदस्य बनकर चुनाव लड़ा ।। इस मसले पर कई विचार सामने आये एक विचार यह था कि भूतपूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एक स्वतंत्र नागरिक है ।। उसे किसी राजनीतिक दल में होने और चुनाव लड़ने का अधिकार है ।। दूसरे विचार के अनुसार, ऐसे विकल्प की संभावना कायम रखने से चुनाव आयोग की निष्पक्षता प्रभावित होगी ।। इस कारण, भूतपूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त को चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं देनी चाहिए ।। आप इसमें किस पक्ष से सहमत हैं और क्यों?


उत्तर :– यह सही है की एक मुख्य चुनाव आयुक्त अवकाश ग्रहण करने के बाद एक राजनितिक दल की सदस्यता ली व उस राजनितिक दल के उम्मीदवार के रूप में चुनाव भी लड़ा | यह भी सही है कि मुख्य चुनाव आयुक्त भी एक नागरिक है व उस रु में उसके अपने राजनितिक अधिकार है जिसके आधार पर वह किसिं राजनितिक दल की सदस्यता प्राप्त क्र सकता है व चुनाव भी लड़ सकता है ।। परन्तु चुनाव आयुक्त क्योंकि उस पद पर स्वयं रह चूका है जो चुनाव की प्रक्रिया को नियंत्रित करते है तथा वह चुनाव को प्रभावित करता है अतः उचित यह रहेगा कि मुख्य चुनाव आयुक्त राजनीती से दूर रहे व किसी प्रकार का चुनाव आदि ना लड़े |

Q10 . भारत का लोकतंत्र अब अनगढ़ ‘फर्स्ट पास्ट द पोस्ट’ प्रणाली को छोड़कर समानुपातिक प्रतिनिध्यात्मक प्रणाली को अपनाने के लिए तैयार हो चुका है क्या आप इस कथन से सहमत हैं? इस कथन के पक्ष अथवा विपक्ष में तर्क दें ।।

उत्तर :– : वर्तमान में भारत में फ .पा .टी .पो . प्रणाली लो अपनाया गया है जिसमे प्रत्येक नागरिक अपनी पसंद के उम्मीदवार के पक्ष में अपना मत व्यक्त करता है चुनाव की समाप्ति के बाद मत की गणना की जाती है जिस उम्मीदवार को बहुमत मिलता है उसे विजयी घोषित क्र दिया जाता है लेकिन कुछ चुनाव में जैसे राष्ट्रपति व उपराष्ट्रपति व राज्यसभा के चुनाव अनुपातिक मत प्रणाली से किये जाते हैं जिसमे मतदाता अलग अलग उम्मीदवारों के प्रति अपनी पसंद व्यक्त करते है ।।

अतिरिक्त प्रश्नावली :

Q1 . फर्स्ट- पास्ट- द पोस्ट सिस्टम क्या है ? –

उत्तर :– : चुनाव व्यवस्था में जिस प्रत्याशी को अन्य सभी प्रत्याशियों से अधिक वोट मिल जाता हैं उसे ही निर्वाचित घोषित करदिया जाता है ।। विजयी प्रत्याशी के लिए यह जरूरी नहीं कि उसे कुलमतों का बहुमत मिले ।। इस विधि से जो सबसे आगे वही जीते’ प्रणाली फर्स्ट-पास्ट द पोस्ट सिस्टम कहते हैं ।।

Q2 . समानुपातिक प्रतिनिधित्व से क्या अभिप्राय है ?

उत्तर——- प्रत्येक पार्टी चुनावों से पहले अपने प्रत्याशियों की एक प्राथमिकता सूची जारी कर देती है और अपने उतने ही प्रत्याशियों को उस प्राथमिकता सूची से चुन लेती है जितनी सीटों का कोटा उसे दिया जाता है ।। चुनावों की इस व्यवस्था को ‘समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली’ कहते हैं ।।

इस प्रणाली में किसी पार्टी को उतनी ही प्रतिशत सीटें मिलती हैं जितने प्रतिशत उसे वोट मिलते हैं ।।

समानुपातिक प्रतिनिधित्व के दो प्रकार होते हैं:

(i) कुछ देशों जैसे इज़राइल या नीदरलैंड में पूरे देश को एक निर्वाचन क्षेत्र माना जाता है और प्रत्येक पार्टी को राष्ट्रीय चुनावों में प्राप्त वोटों के अनुपात में सीटें दे दी जाती हैं ।।

(ii) दूसरा तरीका अर्जेंटीना और पुर्तगाल में देखने को मिलता है जहाँ पूरे देश का बहु-सदस्यीय निर्वाचन क्षेत्रों में बाँट दिया जाता है ।। प्रत्येक पार्टी प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र के लिए अपने प्रत्याशियों की एक सूची जारी करती है जिसमें उतने ही नाम होते हैं जितने प्रत्याशियों को उस निर्वाचन क्षेत्र से चुना जाना होता है ।। इन दोनों ही रूपों में मतदाता राजनीतिक दलों को वोट देते हैं न कि उनके प्रत्याशियों को ।। एक पार्टी को किसी निर्वाचन क्षेत्र में जितने मत प्राप्त होते हैं उसी आधर पर उसे उस निर्वाचन क्षेत्र में सीटें दे दी जाती हैं ।।

Q3 . सर्वाधिक वोट पाने वाले की जीत’ और ‘समानुपातिक प्रतिनिधित्व’चुनाव व्यवस्था की तुलना कीजिए |

उत्तर :– सर्वाधिक वोट पाने वाले की जीत’ और ‘समानुपातिक प्रतिनिधित्व’ चुनाव व्यवस्था की तुलना निम्निखित है :

सर्वाधिक वोट पाने वाले की जीत

(i) पूरे देश को छोटी-छोटी भौगोलिक इकाइयों में बाँट देते हैं जिसे निर्वाचन क्षेत्र या जिला कहते हैं ।।

(ii) हर निर्वाचन क्षेत्र से केवल एक प्रतिनिधि चुना जाता है ।।

(iii) मतदाता प्रत्याशी को वोट देता है ।।

(iv) पार्टी को प्राप्त वोटों के अनुपात से अधिक या कम सीटें विधयिका में मिल सकती हैं ।।

(v) विजयी उम्मीदवार को ज़रूरी नहीं कि वोटों का बहुमत ( 50% + 1 ) मिले

(vi) उदाहरण के लिए यूनाइटेड किंगडम और भारत

समानुपातिक प्रतिनिधित्व

(i) किसी बड़े भौगोलिक क्षेत्र को एक निर्वाचन क्षेत्र मान लिया जाता है ।। पूरा का पूरा देश एक निर्वाचन क्षेत्र में गिना जा सकता है ।।

(ii) एक निर्वाचन क्षेत्र से कई प्रतिनिधि चुने जा सकते हैं ।।

(iii) मतदाता पार्टी को वोट देता है ।।

(iv) हर पार्टी को प्राप्त मत के अनुपात में विधायिका में सीटें हासिल होती हैं ।।

(v) विजयी उम्मीदवार को वोटों का बहुमत हासिल होता है ।।

(vi) उदाहरण के लिए इशराइल और नीदरलैंड |

Q4 . सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार से क्या अभिप्राय है ?

उत्तर: लोकतांत्रिक चुनावों में देश के सभी वयस्क नागरिकों को चुनाव में वोट देने का अधिकार होना ज़रूरी है ।। इसी को सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार के नाम से जानते हैं ।।

अनेक देशों में नागरिकों को इस अधिकार को प्राप्त करने के लिए अपने शासकों से बहुत लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी ।। बहुत से देशों में तो महिलाओं को यह अधिकार काफी देर से और बड़े संघर्ष के बाद मिला ।। भारतीय संविधान निर्माताओं ने एक महत्वपूर्ण निर्णय के द्वारा प्रत्येक वयस्क भारतीय नागरिक को वोट देने का अधिकार प्रदान किया ।।

Q5 . विशेष बहुमत का अर्थ क्या है ?

उत्तर: विशेष बहुमत का अर्थ है :

(i) उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों का दो तिहाई बहुमत और

(ii) सदन की कुल सदस्य संख्या का साधरण बहुमत

Q6 . भारत के निर्वाचन आयोग के पास क्या काम हैं ।। उनका वर्णन कीजिए | उत्तर :– भारत के निर्वाचन आयोग के पास काफी काम हैं जो निम्न प्रकार से है

(i) वह मतदाता सूचियों को नया करने के काम की देख-रेख करता है ।। पूरा प्रयास करता है कि मतदाता सूचियों में गलतियाँ न हों अर्थात् पंजीकृत मतदाताओं के नाम न छूट जाएँ और न ही उसमें ऐसे लागों के नाम हों जो मतदान के अयोग्य हों या जीवित ही न हों ।।

(ii) वह चुनाव के समय और चुनावों का पूरा कार्यक्रम तय करता है ।। इस कार्यक्रम में निम्न बातों का उल्लेख होता है ।। –

चुनाव की अधिघोषणा, नामांकन प्रक्रिया शुरू करने की तिथि, मतदान की तिथि, मतगणना की तिथि और चुनाव परिणामों की घोषणा ।।

(iii) इस पूरी प्रक्रिया में निर्वाचन आयोग को स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए निर्णय लेने का अधिकार है ।। वह पूरे देश में किसी राज्य या किसी निर्वाचन क्षेत्र में चुनावों को इस आधार पर स्थगित या रद्द कर सकता है कि वहाँ माकुल माहौल नहीं है तथा स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराना संभव नहीं है ।। निर्वाचन आयोग राजनीतिक दलों और उनके उम्मीदवारों के लिए एक आदर्श आचार संहिता लागू करता है ।। वह किसी भी निर्वाचन क्षेत्र में दोबारा चुनाव कराने की आज्ञा दे सकता है ।। यदि उसे लगे कि मतगणना प्रक्रिया पूरी तरह से उचित और न्यायपूर्ण नहीं थी तो वह वह दोबारा मतगणना कराने की भी आज्ञा दे सकता है ।।

(iv) निर्वाचन आयोग राजनीतिक दलों को मान्यता देता है और उन्हें चुनाव चिह्न आबंटित करता है ।।

Q7 . भारत में कानून के द्वारा चुनाव सुधारों का वर्णन कीजिए ।। या निर्वाचन आयोग के द्वारा चुनाव में किस प्रकार के संशोधन किए गए है उनका वर्णन कीजिए |

उत्तर :– : निर्वाचन आयोग के द्वारा चुनाव में निम्न प्रकार के संशोधन किए गए है:

(i) हमारी चुनाव व्यवस्था को सर्वाधिक मत से जीत वाली प्रणाली के स्थान पर किसी प्रकार की समानुपातिक प्रतिनिधत्व प्रणाली लागू करनी चाहिये ।। इससे राजनीतिक दलों को उसी अनुपात में सीटें मिलेगी जिस अनुपात में उन्हें वोट मिलेंगे ।।

(ii) संसद और विधान सभाओं में एक तिहाई सीटों पर महिलाओं को चुनने के लिए विशेष प्रावधान बनाये जाएँ ।।

(iii) चुनावी राजनीति में धान के प्रभाव को नियंत्रित करने के लिए और अधिक कठोर प्रावधान होने चाहिये ।। सरकार को एक विशेष विधि से चुनावी खर्चों का भुगतान करना चाहिये ।।

(iv) जिस उम्मीदवार के विरुद्ध ( फौजदारी का मुकदमा हो उसे चुनाव लड़ने से रोक दिया जाना चाहिये) भले ही उसने इसके विरुद्ध न्यायालय में अपील कर रखी हो ।।

(iv) चुनाव प्रचार में जाति और धर्म के आधर पर की जाने वाली किसी भी अपील को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर देना चाहिये ।।

(v) राजनीतिक दलों की कार्य प्रणाली को नियंत्रित करने के लिए तथा उनकी कार्यविधियों को और अधिक पारदर्शी तथा लोकतांत्रिक बनाने के लिए एक कानून होना चाहिये ।।

Q8 . निर्वाचन आयोग को किस स्थानों पर चुनाव कराने में कठिनार्यों का सामना करना पड़ता है ?

उत्तर :– : निर्वाचन आयोग को असम, पंजाब तथा जम्मू और कश्मीर जैसे हिंसाग्रस्त क्षेत्रों में चुनाव कराने में अनेक कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है ।।

Q9 . किस सन में चुनाव प्रक्रिया को बीच में रोकना पड़ा और क्यों ?
उत्तरः सन 1991 में पूरी चुनाव प्रक्रिया को बीच में ही रोकना पड़ा क्योंकि चुनाव प्रचार के दौरान में पूर्व प्रधानमन्त्री राजीव गांधी की हत्या कर दी गई ।।

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