up board class 10 social science free solution chapter 40: जनसंख्या (जनसंख्या का घनत्व, वितरण, लिंग अनुपात, बढ़ती जनसंख्या की समस्याएँ, जनसंख्या नियंत्रण के उपाय)
इकाई-2 (क): मानवीय संसाधन
जनसंख्या (जनसंख्या का घनत्व, वितरण, लिंग अनुपात, बढ़ती जनसंख्या की समस्याएँ, जनसंख्या नियंत्रण के उपाय)
प्रश्न—-1. जनसंख्या विस्फोट से क्या अभिप्राय है?
उत्तर—– जब किसी देश की जनसंख्या में तीव्र गति से वृद्धि होती है और वह बढ़कर वहाँ पर उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों की तुलना में बहुत अधिक हो जाती है तथा वहाँ जनसंख्या वृद्धि के दुष्परिणाम सामने आने लगते हैं, तब ऐसी स्थिति को ‘जनसंख्या विस्फोट’ कहा जाता हैं | ऐसी स्थिति में मृत्यु-दर की अपेक्षा जन्म-दर काफी अधिक होती हैं | पिछले 40 वर्षों (1951-1991) में भारत की जनसंख्या बढ़कर दुगनी से भी अधिक हो गई हैं | अर्थशास्त्रियों के मतानुसार भारत में सन् 1951 से जनसंख्या विस्फोट की स्थिति प्रारंभ हो गई थी।
प्रश्न—-2. भारत में जनसंख्या वृद्धि के तीन कारण लिखिए।
उत्तर—– भारत में जनसंख्या वृद्धि के तीन कारण निम्नलिखित हैं(i) उष्ण जलवायु- भारत की जलवायु उष्ण मानसूनी हैं | उष्ण जलवायु में युवक-युवतियाँ कम आयु में ही वयस्क हो जाते हैं तथा वैवाहिक सूत्र में बँधकर संतान उत्पन्न कर जनसंख्या बढ़ाने में लग जाते हैं | (ii) ऊँची जन्म-दर- भारत में जन्म-दर 21.8% है जबकि मृत्यु-दर मात्र 7.1% हैं | ऊँची जन्म-दर के कारण भारत में प्रति वर्ष 5.8 लाख लोग बढ़कर असका आकार बढ़ा देते हैं |
(iii) अशिक्षा- भारत की अधिकांश जनसंख्या आज भी अशिक्षित हैं | इन अशिक्षित लोगों को परिवार नियोजन का ज्ञान नहीं होता। अशिक्षित दंपत्ति परिवार नियोजन में असक्षम होने के कारण अधिक संतान उत्पन्न कर जनसंख्या बढ़ाने में लगे रहते हैं |
प्रश्न—-3. तीव्र जनसंख्या वृद्धि के किन्हीं दो प्रभावों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर—– तीव्र जनसंख्या वृद्धि के दो प्रभाव निम्नलिखित हैं
(i) आर्थिक विकास में व्यवधान- भारत ने आर्थिक क्षेत्र में बहुत प्रगति की है, परंतु तीव्र गति से बढ़ रही जनसंख्या ने उन पर पानी फेर दिया हैं | आर्थिक विकास के लाभ प्रत्येक नागरिक अथवा परिवार तक नहीं पहुँच पाते हैं | यही कारण है कि देश के आर्थिक विकास में सबसे बड़ी बाधा भारत की अधिक जनसंख्या ही हैं |
(ii) बेरोजगारों की बढ़ती फौज- भारत में रोजगार के अवसर इतनी तेजी से नहीं बढ़ रहे हैं जितनी तेजी से भारत की जनसंख्या बढ़ रही हैं | प्रतिवर्ष विश्वविद्यालयों से डिग्री लेकर निकलने वाले नौजवान रोजगार न मिलने के कारण
बेरोजगारों की फौज से जुड़ जाते हैं | इस फौज में इस समय लगभग 6 करोड़ नवयुवक सम्मिलित हैं |
प्रश्न—-4. भारत में जनसंख्या नियंत्रण के तीन उपाय लिखिए।
उत्तर—– भारत में जनसंख्या नियंत्रण के तीन उपाय निम्नलिखित हैं
(i) शिक्षा का प्रसार- शिक्षा वह सांस्कारिक उपकरण है, जो तीव्र गति से बढ़ रही जनसंख्या की बाढ़ को रोक सकती हैं | शिक्षित दंपत्ति अपना जीवन-स्तर सुधारने के लिए कम बच्चे पैदा करके जनसंख्या को बढ़ने से रोक सकते हैं | शिक्षा का स्तर बढ़ाइए, बढ़ती जनसंख्या की समस्या पर रोक लगाइए। हमारी सरकार और जन-जन का यही नारा होना चाहिए।
(ii) परिवार नियोजन और परिवार कल्याण कार्यक्रम- परिवार कल्याण कार्यक्रम के अनुरूप परिवार के सदस्य परिवार नियोजन कार्यक्रम को मन से अपनाकर तथा परिवार में बच्चों की अधिकतम संख्या दो तक सीमित करके जनसंख्या नियंत्रण में अपनी भागीदारी दे सकते हैं | छोटा परिवार सुखी परिवार के आदर्श का नियोजन करते हुए परिवार कल्याण कार्यक्रम बढ़ती जनसंख्या के असाध्य रोग का रामबाण इलाज हो सकता हैं |
(iii) स्वस्थ मनोरंजन के साधनों की व्यवस्था- भारत की निर्धन, अशिक्षित और भाग्यवादी जनता के लिए स्वस्थ मनोरंजन के साधनों की व्यवस्था करके तीव्र गति से बढ़ रही जनसंख्या पर प्रभावी नियंत्रण लगाया जा सकता हैं | इस क्षेत्र में दूरदर्शन, रेडियो, समाचार-पत्र, फिल्मों तथा प्रोजेक्टर द्वारा ग्रामीण जनता में परिवार नियोजन के लाभों का व्यापक प्रचार किया जाना चाहिए।
प्रश्न—-5. जनसंख्या घनत्व किसे कहते हैं? जनसंख्या घनत्व किन-किन बातों पर निर्भर है?
उत्तर—– जनसंख्या का घनत्व- जनसंख्या घनत्व का अर्थ है ‘मानव भूमि अनुपात’। मानव भूमि अनुपात जनसंख्या के सामान्य वितरण को स्पष्ट कर उसका संबंध भौगोलिक क्षेत्र से बताता हैं | जनसंख्या के घनत्व से आशय राष्ट्र के भौगोलिक क्षेत्र में एक वर्ग किमी० में निवास करने वाले व्यक्तियों की संख्या से लगाया जाता हैं | किसी देश की संपूर्ण जनसंख्या को उसके क्षेत्र से भाग देने पर, जो भागफल आता है वही राष्ट्र की जनसंख्या का घनत्व होता हैं | जनसंख्या के घनत्व को निम्न सूत्र द्वारा ज्ञात किया जाता है राष्ट्र की कुल जनसंख्या जनसंख्या का घनत्व =
राष्ट्र का कुल क्षेत्रफल किसी राष्ट्र का जनसंख्या घनत्व निम्नलिखित कारकों पर निर्भर करता है
(i) जलवायु,
(ii) उपजाऊ भूमि,
(iii) वर्षा की मात्रा,
(iv) सिंचाई की सुविधाएँ
(v) परिवहन तंत्र एवं संचार व्यवस्था
(vi) शांति एवं सुरक्षा
(vii) शैक्षिक केंद्र
(viii) धार्मिक एवं ऐतिहासिक स्थल
(ix) खनिजों में संपन्न क्षेत्र
(x) कृषि एवं उद्योग।
प्रश्न—-6. मानव संसाधन से आप क्या समझते हैं?
उत्तर—– मानवीय संसाधन- किसी देश की संपूर्ण जनसंख्या को मानव संसाधन नहीं कहा जाता, अपितु जनसंख्या के केवल उस भाग को मानव संसाधन कहा जाता है जो शिक्षित हो, कुशल हो तथा जिसमें अर्जन या उत्पादन करने की क्षमता हो। इस प्रकार मानव संसाधन वह मानव पूँजी है, जिसे प्राकृतिक साधनों में लगाकर देश का आर्थिक विकास किया जाता हैं | दूसरे शब्दों में यह भी कह सकते हैं कि देश के संपूर्ण मानव संसाधन को तो जनसंख्या कहा जा सकता है, किन्तु पूरी जनसंख्या को मानव संसाधन नहीं कहा जा सकता।
प्रश्न—-7. भारत में तीव्र गति से बढ़ रही जनसंख्या को नियंत्रित करना क्यों आवश्यक है?
उत्तर—– भारत में तीव्र गति से बढ़ती हुई जनसंख्या से निम्नलिखित समस्याएँ उत्पन्न हो रहीं हैं
(i) बेरोजगारी में वृद्धि
(ii) निम्न प्रति व्यक्ति आय
(iii) निर्धनता का बढ़ता स्तर
(iv) आवासों का अभाव
(v) वस्तुओं के मूल्यों में वृद्धि
(vi) कृषि विकास में उत्पन्न समस्याओं में वृद्धि
(vii) जन-सुविधाओं का अभाव
(viii) कृषि भूमि पर जनसंख्या भार में वृद्धि
(ix) बचत तथा पूँजी निर्माण में वृद्धि
(x) पर्यावरण प्रदूषण में वृद्धि
(xi) अपराधों में वृद्धि।
उपर्युक्त समस्याओं के निवारण के लिए भारत में तीव्रगति से बढ़ रही जनसंख्या को नियंत्रित करना अत्यंत आवश्यक हैं |
प्रश्न—-8. भारत के उस प्रदेश का नाम लिखिए, जहाँ जनसंख्या घनत्व सर्वाधिक हैं | जहाँ जनसंख्या घनत्व अधिक होने के क्या कारण हैं?
उत्तर—– भारत का सर्वाधिक जनसंख्या घनत्व वाला राज्य बिहार हैं | पहले सर्वाधिक जनसंख्या घनत्व वाला राज्य पश्चिम बंगाल था। परंतु 2001 में बिहार से झारखंड राज्य पृथक होने के बाद यह भारत का सर्वाधिक जनसंख्या घनत्व वाला राज्य बन गया हैं | बिहार में जनसंख्या घनत्व सबसे अधिक होने का मुख्य कारण उच्च जन्मदर एवं निम्न मृत्युदर हैं | भारत में जन्मदर, मृत्युदर तथा जनसंख्या वृद्धि के बारे में आप क्या जानते हैं? भारत में जन्म-दर- भारत में एक वर्ष में 1000 स्त्रियों और पुरुषों के पीछे जन्म लेने वाले बच्चों की संख्या को जन्म-दर कहते हैं | भारत में वर्तमान जन्म-दर 21.8% है, जो अधिक हैं | मृत्यु-दर- देश में 1000 व्यक्तियों के पीछे मरने वाले व्यक्तियों की संख्या को मृत्यु-दर कहते हैं | भारत में वर्तमान मात्र 7. 1% हैं | जनसंख्या वृद्धि-दर- देश में एक वर्ष में जनसंख्या में होने वाली वृद्धि को जनसंख्या वृद्धि-दर कहते हैं | भारत में वर्तमान जनसंख्या वृद्धि 1.64% है अर्थात् भारत में प्रतिवर्ष 5.8 लोग बढ़ जाते हैं |
विस्तृत उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न—-1. जनसंख्या घनत्व क्या है? जनसंख्या के घनत्व को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिए।
उत्तर—– जनसंख्या का घनत्व- जनसंख्या घनत्व का अर्थ है ‘मानव भूमि अनुपात’। मानव भूमि अनुपात जनसंख्या के सामान्य वितरण को स्पष्ट कर उसका संबंध भौगोलिक क्षेत्र से बताता हैं | जनसंख्या के घनत्व से आशय राष्ट्र के भौगोलिक क्षेत्र में एक वर्ग किमी० में निवास करने वाले व्यक्तियों की संख्या से लगाया जाता हैं | किसी देश की संपूर्ण जनसंख्या को उसके क्षेत्र से भाग देने पर, जो भागफल आता है वही राष्ट्र की जनसंख्या का घनत्व होता हैं | जनसंख्या के घनत्व को निम्न सूत्र द्वारा ज्ञात किया जाता है- राष्ट्र की कुल जनसंख्या जनसंख्या का घनत्व = राष्ट्र का कल क्षेत्रफल जनसंख्या के घनत्व को प्रभावित करने वाले कारक- भारत के जनसंख्या वितरण के आँकड़ों पर दृष्टिपात करने से ज्ञात होता है कि भारत के सभी क्षेत्रों में जनसंख्या का घनत्व एक समान नहीं हैं | जनसंख्या के असमान विवतरण को निम्नलिखित कारक प्रभावित करते हैं
(i) जलवायु- जलवायु वह कारक है, जिसका जनसंख्या घनत्व पर सर्वाधिक प्रभाव पड़ता हैं | उत्तम और स्वास्थ्यप्रद जलवायु वाले क्षेत्रों में जनसंख्या का घनत्व अधिक तथा विषम जलवायु वाले क्षेत्रों में जनसंख्या घनत्व कम पाया जाता हैं | यही कारण है कि उत्तर का विशाल मैदान, पर्वतीय, पठारी और मरुस्थलीय क्षेत्रों की अपेक्षा अधिक घनत्व वाला हैं |
(ii) उपजाऊ भूमि- उपजाऊ भूमि अधिक अन्न उगाकर घनी जनसंख्या का पोषण करती हैं | यह भूमि अधिक लोगो को वहाँ बसने के लिए भी आकर्षित करती है, वहाँ जनसंख्या का घनत्व बढ़ जाता हैं | पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार तथा पश्चिम बंगाल राज्य इसके उदाहरण हैं | कम उपजाऊ भूमि कम जनसंख्या का पोषण कर पाती है, अत: यहाँ जनसंख्या का घनत्व भी कम पाया जाता हैं | जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश तथा राजस्थान राज्य इसके प्रमुख उदाहरण हैं |
(iii) वर्षा की मात्रा- कहावत है- “भारत में जनसंख्या का घनत्व वर्षा के वितरण का पीछा करता हैं |” वर्षा, कृषि उपज बढ़ाकर जनसंख्या के घनत्व को प्रभावित करती हैं | पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश तथा महाराष्ट्र राज्यों में अधिक वर्षा होने के कारण जनसंख्या का घनत्व अधिक जबकि राजस्थान, गुजरात राज्यों में कम वर्षा के कारण कम घनत्व पाया जाता हैं |
(iv) सिंचाई की सुविधाएँ- भारत एक कृषि प्रधान देश है, सिंचाई की सुविधाएँ कृषि का प्राण हैं | अतः पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार आदि राज्यों में सिंचाई की सुविधाएँ होने से अधिक घनत्व तथा दक्षिण भारत के राज्यों में सिंचाई की सुविधा कम होने के कारण कम घनत्व पाया जाता हैं |
(v) परिवहन तंत्र एवं संचार व्यवस्था- जिन राज्यों में परिवहन तंत्र और संचार व्यवस्था का जाल फैला हुआ है वहाँ घनी जनसंख्या के क्षेत्र हैं, जबकि पर्वतीय और मरुस्थलीय क्षेत्र तथा मध्य और दक्षिण भारत के क्षेत्र आदि परिवहन व संचार की उपयुक्त व्यवस्था में पिछड़े होने के कारण कम घनत्व वाले क्षेत्र रह गए हैं ।
(vi) शांति एवं सुरक्षा- कुछ क्षेत्रों में जान-माल की असुरक्षा के कारण भी जनसंख्या घनत्व कम होता हैं | चंबल घाटी डाकुओं के आतंक के कारण तथा सीमावर्ती क्षेत्र आंतकवाद, घुसपैठ तथा शत्रु सेनाओं की गोलाबारी के कारण कम
जनसंख्या वाले क्षेत्र बन गए हैं | शांति एवं सुरक्षा के आकर्षण के कारण ही कस्बे का विकास होने से ये नगरों में और नगर महानगरों में बदलते जा रहे हैं |
(vii) शैक्षिक केंद्र- कुछ क्षेत्रों में उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा और प्रौद्योगिक संस्थानों का विकास होने से ये क्षेत्र शिक्षा के आकर्षण में घने बस जाते हैं इस कारण दिल्ली, कानपुर, रुड़की, वाराणसी, अहमदाबाद तथा बंगलुरू नगर घनी जनसंख्या के केंद्र बन गए हैं |
(viii) धार्मिक एवं ऐतिहासिक स्थल- धर्म मानव की आध्यात्मिक आवश्यकता हैं | जिसे पूरा करने के लिए वह हरिद्वार, अजमेर, पुष्कर, इलाहाबाद, वाराणसी आदि नगरों में जाकर, वहाँ की जनसंख्या का भाग बन जाता हैं | आगरा, दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, कोणार्क, खजुराहो अपने ऐतिहासिक महत्व के कारण ही घने बसे हुए हैं ।
(ix) खनिजों में संपन्न क्षेत्र- खनिज पदार्थ दोहन के लिए जनसंख्या को अपनी तरफ आकर्षित करते रहे हैं, अतः भारत के असम, झारखंड, छोटा नागपुर के पठारी क्षेत्र, विषम जलवायु तथा विषम धरातल के होने पर भी घने बसे हुए हैं |
(x) कृषि एवं उद्योग- कृषि एवं उद्योग जनसंख्या घनत्व के पोषक हैं | भारत के जिन क्षेत्रों में कृषि और उद्योगों का अधिक विकास हुआ है वे क्षेत्र घनी जनसंख्या के तथा जहाँ कम विकास हुआ है वे कम जनसंख्या के क्षेत्र बन गए हैं | इसी कारण पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र तथा पश्चिमी बंगाल आदि राज्य अधिक घने बसे हुए हैं, जबकि जम्मू-कश्मीर, सिक्किम, मिजोरम तथा राजस्थान आदि राज्य कम जनसंख्या वाले राज्य रह गए हैं | जनसंख्या का घनत्व मानव के शैक्षिक, बौद्धिक स्तर के साथ सामाजिक रीति रिवाजों और धार्मिक विश्वासों तथा सरकारी नीतियों पर निर्भर करता हैं |
प्रश्न—-2. भारत में जनसंख्या वितरण किन-किन बातों पर निर्भर करता है? भारत में जनसंख्या के वितरण को समझाइए।
उत्तर—– भारत में जनसंख्या वितरण निम्नलिखित बातों पर निर्भर करता है
(i) जलवायु,
(ii) उपजाऊ भूमि,
(iii) वर्षा की मात्रा,
(iv) सिंचाई की सुविधाएँ
(v) परिवहन तंत्र एवं संचार व्यवस्था
(vi) शांति एवं सुरक्षा
(vii) शैक्षिक केंद्र
(viii) धार्मिक एवं ऐतिहासिक स्थल
(ix) खनिजों में संपन्न क्षेत्र
(x) कृषि एवं उद्योग भारत में जनसंख्या का वितरण- भारतीय जनसंख्या वितरण की तालिका देखने से पता चलता है कि उसमें कहीं अधिक, कहीं सामान्य तो कहीं कम जनसंख्या वितरण की झलक दिखाई हैं | भारत के जनसंख्या वितरण की विविधताओं को निम्नलिखित शीर्षकों के माध्यम से भली भाँति समझा जा सकता है
(i) अधिक (घनी) जनसंख्या के क्षेत्र- भारत के जिन राज्यों में जनसंख्या का घनत्व 300 व्यक्ति प्रतिवर्ग किमी० पाया जाता है, अधिक या संघन जनसंख्या के क्षेत्र कहलाते हैं | इन राज्यों में उपजाऊ भूमि, सिंचाई की सुविधाएँ परिवहन, उन्नत कृषि उद्योग तथा व्यापार के उन्नति कर जाने के कारण बिहार, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, केरल, पुडुचेरी, तमिलनाडु तथा चंडीगढ़ आदि भारत के सघन जनसंख्या वाले क्षेत्र बन गए हैं | बिहार, पश्चिम बंगाल को पछाड़ कर सर्वाधिक जनसंख्या घनत्व वाला राज्य बन गया हैं | बिहार में जनसंख्या का घनत्व 1102 व्यक्ति प्रतिवर्ग किमी० पाया जाता हैं | सर्वाधिक जनसंख्या वाला राज्य उत्तर प्रदेश है जिसकी जनसंख्या 2011 की जनगणना के अनुसार 19.9 करोड़ हैं | सामान्य (मध्यम ) जनसंख्या वाले क्षेत्र- भारत के वे क्षेत्र जहाँ जनसंख्या का घनत्व 200 से 300 व्यक्ति प्रतिवर्ग किमी० तक पाया जाता है, सामान्य या मध्यम जनसंख्या के क्षेत्र कहलाते हैं | इन क्षेत्रों में जनबसाव की सुविधाएँ अपेक्षाकृत कम हैं | मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, उत्तराखंड ओडिशा, कर्नाटक आदि राज्य मध्यम जनसंख्या घनत्व वाले राज्य हैं |
(iii) कम ( अल्प) जनसंख्या वाले क्षेत्र- भारत के जिन राज्यों में जनसंख्या का घनत्व 200 व्यक्ति प्रतिवर्ग किमी० से कम पाया जाता है, कम या न्यून जनसंख्या वाले क्षेत्र कहलाते हैं | इन क्षेत्रों में जन को आकर्षित करने वाली सुविधाओं का अभाव पाया जाता हैं | सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, त्रिपुरा, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, झारखंड और राजस्थान आदि राज्य कम जनसंख्या वाले क्षेत्र हैं | 2011 ई० की जनगणना के अनुसार अरुणाचल प्रदेश भारत का सर्वाधिक कम जनसंख्या घनत्व वाला राज्य हैं | यहाँ जनसंख्या घनत्व मात्र 17 व्यक्ति प्रतिवर्ग किमी० ही पाया जाता हैं |
प्रश्न—- 3. भारत में तीव्र जनसंख्या वृद्धि के कारणों का उल्लेख कीजिए। तीव्र जनसंख्या वृद्धि रोकने के उपाय बताइए।
उत्तर—– भारत में तीव्र गति से जनसंख्या वृद्धि के कारण- भारत में तीव्र गति से बढ़ रही जनसंख्या के कारण जनसंख्या विस्फोट की स्थिति आ गई हैं | यह बात इस तथ्य से प्रमाणित हो जाती है कि भारत में विश्व की 17.6% जनसंख्या निवास करती हैं | गत 20 वर्षों से भारत में प्रतिवर्ष 5.8 लाख लोग बढ़ जाते हैं | भारत में जनसंख्या 1.64% वार्षिक दर से बढ़कर आदर्श जनसंख्या के आकार की सीमाओं को तोड़कर अधिक जनसंख्या का प्रारूप धारण कर चुकी हैं | भारत में तीव्र गति से जनसंख्या बढ़ने के लिए निम्नलिखित कारण उत्तरदायी हैं
(i) उष्ण जलवायु- भारत की जलवायु उष्ण मानसूनी हैं | उष्ण जलवायु में युवक-युवतियाँ कम आयु में ही व्यस्क हो जाते हैं तथा वैवाहिक सूत्र में बँधकर संतान उत्पन्न कर जनसंख्या बढ़ाने में लग जाते हैं |
(ii) ऊँची जन्म-दर- भारत में जन्म-दर 21.8% है जबकि मृत्यु-दर मात्र 7.1% हैं | ऊँची जन्म-दर के कारण भारत मेंप्रतिवर्ष 5.8 लाख लोग बढ़कर इसका आकार बढ़ा देते हैं |
(iii) अल्प आयु में विवाह- भारत में विवाह एक धार्मिक संस्कार हैं | अत: माता-पिता युवक को 21 वर्ष तथा युवती को 18 वर्ष के होते ही विवाह के बंधन में बाँध देते हैं | ग्रामीण क्षेत्रों में होने वाले विवाह आज भी बाल विवाह अधिनियम को अँगूठा
दिखा रहे हैं | अल्प आयु में विवाह का अर्थ है अधिक संतान और अधिक संतान का सीधा अर्थ हैं अधिक जनसंख्या।
(iv) विवाह की अनिवार्यता- भारत में मान्यता है कि व्यक्ति विवाह के पश्चात् ही पूर्ण बन पाता हैं | अत: पारिवारिक जीवन के सूत्र में बँधकर संतान उत्पन्न करना भारतीय संस्कृति की अनिवार्यता है, जो जनसंख्या वृद्धि का एक बड़ा कारण है ।
(v) पुत्र को महत्व- भारतीय समाज में पुत्र को वंश चलाने वाला तथा पिता को स्वर्ग में पहुँचाने वाला माना जाता हैं | अतः
परिवार में 3-4 पुत्रियाँ होने पर भी पुत्र उत्पन्न होने की कामना में दंपत्ति अधिक संतान उत्पन्न करने में लगे रहते हैं |
(vi) अशिक्षा- भारत की अधिकांश जनसंख्या आज भी अशिक्षित हैं | इन अशिक्षित लोगों को परिवार नियोजन का ज्ञान नहीं होता। अशिक्षित दंपत्ति परिवार को नियोजित करने में असक्षम होने के कारण अधिक संतान उत्पन्न कर जनसंख्या बढ़ाने में लगे रहते हैं |
(vii) निर्धनता- निर्धनता अनेक बुराइयों को जन्म देती हैं | निर्धन परिवार स्वस्थ मनोरंजन और शिक्षा के अभाव में जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण नहीं लगा पाते हैं |
(viii) संयुक्त परिवार प्रणाली- संयुक्त परिवार प्रणाली भारतीय सामाजिक संगठन का मूल आधार रही हैं | कई पीढ़ियों के
लोगों के एक साथ रहने के कारण बालकों का पालन-पोषण सुगम हो जाता है और संयुक्त परिवार अधिक बच्चों के जन्म को बढ़ावा देकर जनसंख्या वृद्धि का कारण बन जाते हैं |
(ix) परिवार कल्याण कार्यक्रमों के प्रति उपेक्षा- भारत के ग्रामीण और नगरीय क्षेत्रों की अशिक्षित, अज्ञानी और भाग्यवादी जनता परिवार कल्याण कार्यक्रमों के प्रति उपेक्षा रखकर अधिक संताने पैदा करके जनसंख्या बढ़ाने में लगी रहती हैं |
(x) सरकार की तुष्टिकरण की नीति- भारत की लोकतांत्रिक सरकारें एक संप्रदाय विशेष की तुष्टिकरण की नीति के कारण, जनसंख्या नियंत्रण के लिए कठोर नियम नहीं बना पाईं हैं, जिससे भारत में जनसंख्या अबाध गति से बढ़ती जा रही हैं |
(xi) शरणार्थियों का आगमन- 1971 ई० में भारत पाकिस्तान युद्ध के कारण बांग्लादेश का निर्माण होने के फलस्वरूप लाखों शरणार्थियों के भारत में आकर बस जाने से भारतीय जनसंख्या में एकदम वृद्धि की बाढ़ ही आ गई थी। भारत में बढ़ती जनसंख्या को नियंत्रित करने के उपाय- भारत में जनसंख्या वृद्धि का चक्रवात विनाशक सुनामी बनकर टूट पड़ा हैं | तीव्र गति से बढ़ रही जनसंख्या को नियंत्रित करने का कारगर उपाय खोजना होगा। जनसंख्या को नियंत्रित करने हेतु निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं
(i) शिक्षा का प्रसार- शिक्षा वह सांस्कारिक उपकरण है, जो तीव्र गति से बढ़ रही जनसंख्या की बाढ़ को रोक सकती हैं | शिक्षित दंपत्ति अपना जीवन स्तर सुधारने के लिए कम बच्चे पैदा करके जनसंख्या को बढ़ने से रोक सकते हैं | शिक्षा का स्तर बढ़ाइए, बढ़ती जनसंख्या की समस्या पर रोक लगाइए। हमारी सरकार और जन-जन का यही नारा होना चाहिए।
(ii) परिवार नियोजन और परिवार कल्याण कार्यक्रम- परिवार कल्याण कार्यक्रम के अनुरूप परिवार के सदस्य परिवार नियोजन कार्यक्रम को मन से अपनाकर तथा परिवार में बच्चों की अधिकतम संख्या दो तक सीमित करके जनसंख्या नियंत्रण में अपनी भागीदारी दे सकते हैं | छोटा परिवार सुखी परिवार के आदर्श का नियोजन करते हुए परिवार कल्याण कार्यक्रम बढ़ती जनसंख्या के असाध्य रोग का रामबाण इलाज हो सकता हैं |
(ii) स्वस्थ मनोरंजन के साधनों की व्यवस्था- भारत की निर्धन, अशिक्षित और भाग्यवादी जनता के लिए स्वस्थ मनोरंजन के साधनों की व्यवस्था करके तीव्र गति से बढ़ रही जनसंख्या पर प्रभावी नियंत्रण लगाया जा सकता हैं | इस क्षेत्र में दूरदर्शन, रेडियो, समाचार-पत्र, फिल्मों तथा प्रोजेक्टर द्वारा ग्रामीण जनता में परिवार नियोजन के लाभों का व्यापक प्रचार किया जाना चाहिए।
(iv) विवाह योग्य आयु में वृद्धि- अल्प आयु में विवाह तथा बाल विवाहों पर काननी प्रतिबंध का कठोरता से पालन
करके तथा युवक-युवतियों की विवाह योग्य आयु को 25 वर्ष और 21 वर्ष करके प्रजनन दर पर रोक लगाकर जनसंख्या की तीव्र वृद्धि को रोका जा सकता हैं |
(v) जन्म-दर वृद्धि पर प्रभावी रोक- भारत में तीव्र गति से जनसंख्या वृद्धि में आए उछाल का मुख्य कारण ऊँची जन्म-दर तथा नीची मृत्यु-दर रही हैं | ऊँची जन्म दर-भारत की जनसंख्या में प्रतिवर्ष 5.8 लाख लोगों की वृद्धि करती जा रही हैं | जन्म-दर को कम करके जनसंख्या वृद्धि को कम किया जा सकता हैं |
(vi) स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार- भारत का निर्धन वर्ग धनाभाव के कारण स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित रह जाता हैं | देशवासियों की आर्थिक क्षमता को बनाए रखने के लिए उनके स्वास्थ्य एवं चिकित्सा सुविधाओं पर विशेष ध्यान देना चाहिए, जिससे देशवासियों की आर्थिक क्षमता सुधरेगी तथा उनका जीवन-स्तर ऊँचा होगा, जो स्वयं ही जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करेगा।
(vii) सुविधाओं का आकर्षण- सरकारी कर्मचारियों को अतिरिक्त वेतन वृद्धि का आकर्षण देकर तथा दो संतान वाले परिवारों को सम्मान आरक्षण, सुविधाएँ, अनुदान तथा उपहार का आकर्षण देकर तीव्र जनसंख्या वृद्धि पर प्रभावी रोक लगाई जा सकती हैं |
(viii) राष्ट्रीय जनसंख्या नीति का निर्माण- सरकार को राष्ट्रीय जनसंख्या नीति का निर्धारण करके, प्रत्येक जाति और संप्रदाय के लिए परिवार में दो बच्चों की संख्या कानूनी रूप से निश्चित कर देनी चाहिए। इसका उल्लंघन करने वाले दंपत्तियों के विरुद्ध कठोर कानूनी कार्यवाही की जानी चाहिए। बच्चे देश का भविष्य है, किंतु तीव्र गति से बढ़ रही जनसंख्या उन्हीं के हितों का विनाश कर रही हैं | अतः इससे पहले कि जनसंख्या का विस्फोट विनाशक बन जाए, सतर्क बनकर इसे रोकने के लिए सक्रिय हो जाना चाहिए।
प्रश्न—-4. भारत में तीव्र जनसंख्या वृद्धि के कारण कौन-कौन सी समस्याएँ उत्पन्न हो गईं हैं? इनके समाधान के उपाय बताइए।
उत्तर–जनसंख्या वृद्धि के कारण उत्पन्न होने वाली समस्याएँ- भारत में तीव्रगति से बढ़ रही जनसंख्या एक बीमारी और गंभीर समस्या बन गई हैं | इस बढ़ती जनसंख्या ने भारत में निम्नलिखित समस्याएँ उत्पन्न कर दी हैं
(i) आर्थिक विकास में व्यवधान- भारत ने आर्थिक क्षेत्र में बहुत प्रगति की है, परंतु तीव्र गति से बढ़ रही जनसंख्या ने उन सब पर पानी फेर दिया हैं | आर्थिक विकास के लाभ प्रत्येक नागरिक अथवा परिवार तक नहीं पहुंच पाते हैं | यही कारण है कि देश के आर्थिक विकास में सबसे बड़ी बाधा भारत की अधिक जनसंख्या ही हैं |
(ii) बेरोजगारों की बढ़ती फौज- भारत में रोजगार के अवसर इतनी तेजी से नहीं बढ़ रहे हैं जितनी तेजी से भारत की जनसंख्या बढ़ रही हैं | प्रतिवर्ष विश्वविद्यालयों से डिग्री लेकर निकलने वाले नौजवान रोजगार न मिलने के कारण बेरोजगारों की फौज से जुड़ जाते हैं | इस फौज में इस समय लगभग 6 करोड़ नवयुवक सम्मिलित हैं |
(iii) निर्धनता का बढ़ता स्तर- बेरोजगारी की समस्या निर्धनता को बढ़ाती हैं | देश में निम्न प्रतिव्यक्ति आय और निम्न राष्ट्रीय आय निरंतर राष्ट्र को और भी निर्धन बना रही हैं | निर्धनता राष्ट्र के लिए कलंक बन जाती हैं |
(iv) आवासों का आभाव- भारत की तीव्र गति से बढ़ रही जनसंख्या ने लोगों के रहने के लिए आवासों का अभाव उत्पन्न कर दिया हैं | आवासों के अभाव ने जहाँ उनके किरायों को आकाश छूने पर विवश कर दिया है, वहीं महानगरों में बढ़ती झुग्गी-झोपड़ियाँ झाड़ियों की तरह बढ़कर गंदगी और प्रदूषण फैलाने में लगी हैं |
(v) वस्तुओं के मूल्यों में अत्यधिक वृद्धि- भारत में तीव्र गति से बढ़ रही जनसंख्या के कारण वस्तुओं की माँग निरंतर बढ़ने से फल और साग-सब्जियों से लेकर वस्त्र, धातुएँ, चाय, चीनी, खाद्य तेल और औषधियों के मूल्य आकाश को छूने लगे हैं | इससे सामान्य जनता को सबसे अधिक कष्ट उठाने पड़ते हैं |
(vi) जन-सुविधाओं का अभाव- बढ़ती हुई जनसंख्या ने पेयजल, आवास, स्वास्थ्य, शिक्षा और परिवहन जैसी जन सुविधाओं का अभाव उत्पन्न कर दिया हैं | सभी महानगर पेयजल की समस्या से जूझ रहे हैं | गरीबों को मूलभूत आवश्यकताएँ जैसे- भोजन, वस्त्र, पेयजल, आवास आदि भी पूरा नहीं हो पातीं। जन-सुविधाओं का बढ़ता अभाव जन-कल्याण में बाधक बनकर लोगों के जीवन स्तर को भी गिरा रहा हैं |
(vii) कृषि भूमि पर जनसंख्या भार- कृषि भारत का राष्ट्रीय व्यवसाय हैं | बढ़ती जनसंख्या रोजगार और पोषण के लिए nकृषि भूमि पर दबाव बना कर उसके लिए भार बनती जा रही है जिससे कृषि का विकास बाधित हो जाता हैं |
(viii) पूँजी निर्माण की मंद गति- भारत में बढ़ती निर्धनता और बेरोजगारी बचत में कमी ला रही हैं | बचत कम होने के कारण पूँजी निर्माण की गति भी मंद हो गई हैं | पूँजी के अभाव में राष्ट्र का संपूर्ण आर्थिक विकास रुक जाता हैं | पूँजी का निवेश करके ही प्राथमिक, द्वितीय का और तृतीय स्तर के व्यवसाय को विकसित किया जा सकता हैं | कहावत है “आर्थिक विकास दासी बनकर पूँजी स्वामिनी के पीछे दौड़ता हैं |”
(ix) नगरीकरण और औद्योगीकरण- तीव्रगति से बढ़ रही जनसंख्या के कारण ग्रामीण जनसंख्या शिक्षा, स्वास्थ्य आदि
जन सुविधाओं और रोजगार पाने के आकर्षण में नगरों की ओर पलायन कर रही हैं, जिससे शहरों की जनसंख्या में
तेजी से वृद्धि हुई है जो अनेकों समस्याओं को जन्म दे रहे हैं |
(x) अपराधों में वृद्धि- बेरोजगार लोगों की वृद्धि के कारण वे अपराध की अंधी गलियों में प्रवेश कर, समूचे समाज और राष्ट्र को विघटित कर डालते हैं | बढ़ती जनसंख्या अपराधों को जन्म देकर समाज का वातावरण दूषित कर देती हैं |
(xi) पर्यावरण प्रदूषण- बढ़ती जनसंख्या वनों का विनाश करके, दहन क्रियाओं के द्वारा कार्बन डाइआक्साइड गैस की मात्रा को बढ़ाकर तथा विविध प्रदूषकों को जन्म देकर पर्यावरण प्रदूषण जैसी गंभीर समस्या को जन्म दे देती हैं |
वर्तमान में पर्यावरण प्रदूषण की समस्या अंतर्राष्ट्रीय समस्या बन कर उभर रही हैं |
(xii) भीड़-तंत्र में बदलता भारत- तीव्र गति से बढ़ी जनसंख्या ने रेलों, बसों, वायुयानों में भीड़ का साम्राज्य फैला दिया हैं | सिनेमाघर, सर्कस या स्टेडियम का टिकट पाना एक गंभीर समस्या बन गई हैं | प्रदर्शनियों, मेलों, हाट तथा बाजार अनियंत्रितत भीड़ में परिवर्तित होते जा रहे हैं | इस प्रकार तीव्र गति से बढ़ती जनसंख्या ने विश्व के सबसे बड़े गणतंत्र को भीड़-तंत्र में परिवर्तित कर दिया हैं | तीव्र गति से बढ़ी जनसंख्या से उत्पन्न समस्याओं के निराकरण के उपाय- इससे पूर्व कि अधिक देर हो जाए, हमें तीव्र गति से बढ़ी जनसंख्या से उत्पन्न समस्याओं का उचित समाधान खोजना होगा। इन समस्याओं के निराकरण हेतु निम्नलिखित उपाय किए जाने चाहिए
(i) जनसंख्या पर उचित नियंत्रण- राष्ट्र के विकास की समस्या के निराकरण का एक मात्र उपाय है, जनसंख्या पर उचित और प्रभावी नियंत्रण लगाना।
(ii) रोजगार के नए अवसर खोजना- बेरोजगारी की समस्या का निराकरण, देश में रोजगारपरक शिक्षा लागू करके तथा रोजगार के नए अवसर बढ़ाकर किया जा सकता हैं |
(iii) प्रतिव्यक्ति आय और राष्ट्रीय आय बढ़ाना- देश में प्रतिव्यक्ति आय के साथ-साथ राष्ट्रीय आय बढ़ाने के प्रयास किए जाने चाहिए जिससे निर्धनता की समस्या का निराकरण हो जाएगा। इस प्रकार हम राष्ट्र के इस कलंक को मिटाने में सफल हो सकते हैं |
(iv) नए आवासों का निर्माण- भारत में नए साफ-सुथरे तथा सस्ते जनता आवास बनाकर आवासीय अभाव की समस्या का हल खोजा जाना चाहिए। झुग्गी-झोंपड़ी वालों का पुनर्वास करके इस समस्या का हल खोजा जा सकता हैं |
(v) मूल्य नियंत्रण की नीति लागू करना- सरकार वस्तुओं का उत्पादन करके अथवा उन्हें बाहर से आयात करके उनकी पूर्ति बढ़ा सकती हैं | सरकार द्वारा वस्तुओं का उचित मूल्य निर्धारित करके तथा उन्हें लागू कराकर मूल्य वृद्धि की समस्या का उचित हल खोजा जा सकता हैं |
(vi) जन सुविधाओं में वृद्धि- सरकार द्वारा परिवहन, स्वास्थ्य, शिक्षा, आवास तथा अन्य जन-सुविधाएँ बढ़ाकर इस समस्या का उचित समाधान खोजा जा सकता हैं
(vii) कृषि-भूमि को जनसंख्या के दबाब से मुक्त करना- जनसंख्या को आजीविका के लिए उद्योगों, सेवाओं और व्यापार के क्षेत्र में लगाकर, कृषि-भूमि से जनसंख्या के दबाव को कम किया जा सकता हैं |
(viii) पूँजी निर्माण की गति बढ़ाना- भारत में लघु बचत योजनाओं में ब्याज दर बढ़ाकर तथा लोगों को बचत करने के
लिए प्रोत्साहित करके, बचत बढ़ाकर पूँजी निर्माण की मंद गति को तीव्र किया जा सकता हैं |
(ix) नगरीकरण तथा औद्योगिकरण की प्रवृति को हतोत्साहित करना- भारत में कुटीर उद्योग-धंधों का विकास करके तथा तृतीयक क्षेत्र के लोगों के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाकर नगरीकरण तथा औद्योगीकरण की बढ़ती प्रवृत्ति को रोका जाना चाहिए।
(x) अपराधों पर नियंत्रण- अपराधों पर प्रभावी नियंत्रण करने का एकमात्र उपाय है- रोजगार। बेरोजगार लोगों को
रोजगार देकर उन्हें आपराधिक कार्यों से विमुख किया जा सकता हैं | इसके अतिरिक्त कठोर कानून बनाकर तथा पुलिस
प्रशासन को चुस्त बनाकर अपराधों पर नियंत्रण किया जा सकता हैं |
(xi) पर्यावरण प्रदूषण पर नियंत्रण- जनसंख्या वृद्धि पर प्रभावी नियंत्रण करके, अनियंत्रित दहन क्रियाएँ रोककर तथा
वृक्षारोपण करके पर्यावरण प्रदूषण पर नियंत्रण लगाया जा सकता हैं |
(xii) भीड़ पर प्रभावी नियंत्रण- भारत के विविध क्षेत्रों में बढ़ती भीड़ को जनसंख्या-वृद्धि को कम करके तथा सामान्य सुविधाएँ बढ़ाकर भीड़-तंत्र की समस्या से निबटा जा सकता हैं |
प्रश्न—-5. भारत में तीव्र जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने के उपाय बताइए।
उत्तर—– उत्तर के लिए विस्तृत उत्तरीय प्रश्न संख्या-3 के उत्तर का अवलोकन कीजिए।
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