NCERT Solution For Class 8 Hindi Vasant Chapter 5 चिट्ठियों की अनूठी दुनिया

NCERT Solution for Class 8 Hindi Vasant

NCERT Solution For Class 8 Hindi Vasant Chapter 5 चिट्ठियों की अनूठी दुनिया

पत्रों की दुनिया भी अजीबो-गरीब है और उसकी उपयोगिता हमेशा से बनी रही है ।। पत्र जो काम कर सकते हैं, वह संचार का आधुनिकतम साधन नहीं कर सकता है ।। पत्र जैसा संतोष फोन या एसएमएस का संदेश कहाँ दे सकता है ।। पत्र एक नया सिलसिला शुरू करते हैं और राजनीति, साहित्य तथा कला के क्षेत्रों में तमाम विवाद और नयी घटनाओं की जड़ भी पत्र ही होते हैं ।। दुनिया का तमाम साहित्य पत्रों पर केंद्रित है और मानव सभ्यता के विकास में इन पत्रों ने अनूठी भूमिका निभाई है ।। पत्रों का भाव सब जगह एक-सा है, भले ही उसका नाम अलग-अलग हो ।। पत्र को उर्दू में खत, संस्कृत में पत्र, कन्नड़ में कागद, तेलुगु में उत्तरम्, जाबू और लेख तथा तमिल में कडिद कहा जाता है ।। पत्र यादों को सहेजकर रखते हैं, इसमें किसी को कोई संदेह नहीं है ।। हर एक की अपनी पत्र लेखन कला है और हर एक के पत्रों का अपना दायरा ।। दुनिया भर में रोज़ करोड़ों पत्र

एक दूसरे को तलाशते तमाम ठिकानों तक पहुँचते हैं ।। भारत में ही रोज़ साढ़े चार करोड़ चिट्ठियाँ डाक में डाली जाती हैं जो साबित करती हैं कि पत्र कितनी अहमियत रखते हैं ।।

पंडित जवाहरलाल नेहरू ने सन् 1953 में सही ही कहा था कि- ” हज़ारों सालों तक संचार का साधन केवल हरकारे (रनर्स) या फिर तेज़ घोड़े रहे हैं ।। उसके बाद पहिए आए ।। पर रेलवे और तार से भारी बदलाव आया ।। तार ने रेलों से भी तेज़ गति से संवाद पहुँचाने का सिलसिला शुरू किया ।। अब टेलीफोन, वायरलैस और आगे रेडार – दुनिया बदल रहा है ।। “

पिछली शताब्दी में पत्र लेखन ने एक कला का रूप ले लिया ।। डाक व्यवस्था के सुधार के साथ पत्रों को सही दिशा देने के लिए विशेष प्रयास किए गए ।। पत्र संस्कृति विकसित करने के लिए स्कूली पाठ्यक्रमों में पत्र में लेखन का विषय भी शामिल किया गया ।। भारत ही नहीं दुनिया के कई देशों में ये प्रयास चले और विश्व डाक संघ ने अपनी ओर से भी काफ़ी प्रयास किए ।। विश्व डाक संघ की ओर से 16 वर्ष से कम आयुवर्ग के बच्चों के लिए पत्र लेखन प्रतियोगिताएँ आयोजित करने का सिलसिला सन् 1972 से शुरू किया गया ।। यह सही है कि खास तौर पर बड़े शहरों और महानगरों में संचार साधनों के तेज़ विकास तथा अन्य कारणों से पत्रों की आवाजाही प्रभावित हुई है पर देहाती दुनिया आज भी चिट्ठियों से ही चल रही है ।। फैक्स, ई-मेल, टेलीफोन तथ मोबाइल ने चिट्ठियों की तेजी को रोका है पर व्यापारिक डाक की संख्या लगातार बढ़ रही है ।।

जहाँ तक पत्रों का सवाल है, अगर आप बारीकी से उसकी तह में जाएँ तो आपको ऐसा कोई नहीं मिलेगा जिसने कभी किसी को पत्र न लिखा या न लिखाया हो या पत्रों का बेसब्री से जिसने इंतजार न किया हो ।। हमारे सैनिक तो पत्रों का जिस उत्सुकता से इंतजार करते हैं, उसकी कोई मिसाल ही नहीं ।। एक दौर था जब लोग पत्रों का महीनों इंतजार करते थे पर अब वह बात नहीं ।। परिवहन साधनों के विकास ने दूरी बहुत घटा दी है ।। पहले लोगों के लिए संचार का इकलौता साधन चिट्ठी ही थी पर आज और भी साधन विकसित हो चुके हैं ।।

आज देश में ऐसे लोगों की कमी नहीं है जो अपने पुरखों की चिट्ठियों को सहेज और सँजोकर विरासत के रूप में रखे हुए हों या फिर बड़े-बड़े लेखक, पत्रकारों, उद्यमी, कवि, प्रशासक, संन्यासी या किसान, इनकी पत्र रचनाएँ अपने आप में अनुसंधान का विषय हैं ।। अगर आज जैसे संचार साधन होते तो पंडित नेहरू अपनी पुत्री इंदिरा गांधी को फोन करते, पर तब पिता के पत्र पुत्री के नाम नहीं लिखे जाते जो देश के करोड़ों लोगों को प्रेरणा देते हैं ।। पत्रों को तो आप सहेजकर रख लेते हैं पर एसएमएस संदेशों को आप जल्दी ही भूल जाते हैं ।। कितने संदेशों को आप सहेजकर रख सकते हैं? तमाम महान हस्तियों की तो सबसे बड़ी यादगार या धरोहर उनके द्वारा लिखे गए पत्र ही हैं ।। भारत में इस श्रेणी में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को सबसे आगे रखा जा सकता है ।। दुनिया के तमाम संग्रहालय जानी मानी हस्तियों के पत्रों का अनूठा संकलन भी हैं ।। तमाम पत्र देश, काल और समाज को जानने-समझने का असली पैमाना हैं ।। भारत में आज़ादी के पहले महासंग्राम के दिनों में जो कुछ अंग्रेज़ अफसरों ने अपने परिवारजनों को पत्र में लिखे वे आगे चलकर बहुत महत्त्व की पुस्तक तक बन गए ।। इन पत्रों ने साबित किया कि यह संग्राम कितनी जमीनी मज़बूती लिए हुए था ।।

महात्मा गांधी के पास दुनिया भर से तमाम पत्र केवल महात्मा गांधी – इंडिया लिखे आते थे और वे जहाँ भी रहते थे वहाँ तक पहुँच जाते थे ।। आज़ादी के आंदोलन की कई अन्य दिग्गज हस्तियों के साथ भी ऐसा ही था ।। गांधीजी के पास देश – दुनिया से बड़ी संख्या में पत्र पहुँचते थे पर पत्रों का जवाब देने के मामले में उनका कोई जोड़ नहीं था ।। कहा जाता है कि जैसे ही उन्हें पत्र मिलता था, उसी समय वे उसका जवाब भी लिख देते थे ।। अपने हाथों से ही ज़्यादातर पत्रों का जवाब देते थे ।। जब लिखते-लिखते उनका दाहिना हाथ दर्द करने लगता था तो वे बाएँ हाथ से लिखने में जुट जाते थे ।। महात्मा गांधी ही नहीं आंदोलन के तमाम नायकों के पत्र गाँव-गाँव में मिल जाते हैं ।। पत्र भेजनेवाले लोग उन पत्रों को किसी प्रशस्तिपत्र से कम नहीं मानते हैं और कई लोगों ने तो उन पत्रों को फ्रेम कराकर रख लिया है ।। यह है पत्रों का जादू ।। यही नहीं, पत्रों के आधार पर ही कई भाषाओं में जाने कितनी किताबें लिखी जा चुकी हैं ।।

वास्तव में पत्र किसी दस्तावेज़ से कम नहीं हैं ।। पंत के दो सौ पत्र बच्चन के नाम और निराला के पत्र हमको लिख्यौ है कहा तथा पत्रों के आईने में दयानंद सरस्वती समेत कई पुस्तकें आपको मिल जाएँगी ।। कहा जाता है कि प्रेमचंद खास तौर पर नए लेखकों को बहुत प्रेरक जवाब देते थे तथा पत्रों के जवाब में वे बहुत मुस्तैद रहते थे ।। इसी प्रकार नेहरू और गांधी के लिखे गए रवींद्रनाथ टैगोर के पत्र भी बहुत प्रेरक हैं ।। ‘महात्मा और कवि के नाम से महात्मा गांधी और रवींद्रनाथ टैगोर के बीच सन् 1915 से 1941 के बीच के पत्राचार का संग्रह प्रकाशित है जिसमें बहुत से नए तथ्यों हुआ है जिसमें और उनकी मनोदशा का लेखा-जोखा मिलता है ।।

पत्र व्यवहार की परंपरा भारत में बहुत पुरानी है ।। पर इसका असली विकास आज़ादी के बाद ही हुआ है ।। तमाम सरकारी विभागों की तुलना में सबसे ज्यादा गुडविल डाक विभाग की ही है ।। इसकी एक खास वजह यह भी है कि यह लोगों को जोड़ने का काम करता है ।। घर-घर तक इसकी पहुँच है ।। संचार के तमाम उन्नत साधनों के बाद भी चिट्ठी-पत्री की हैसियत बरकरार है ।। शहरी इलाकों में आलीशान हवेलियाँ हों या फिर झोपड़पट्टियों में रह रहे लोग, दुर्गम जंगलों से घिरे गाँव हों या फिर बर्फबारी के बीच जी रहे पहाड़ों के लोग, समुद्र तट पर रह रहे मछुआरे हों या फिर रेगिस्तान की ढाँणियों में रह रहे लोग, आज भी खतों का ही सबसे अधिक बेसब्री से इंतजार होता है ।। एक दो नहीं, करोड़ों लोग खतों और अन्य सेवाओं के लिए रोज भारतीय डाकघरों के दरवाज़ों तक पहुँचते हैं और इसकी बहु आयामी भूमिका नज़र आ रही है ।। दूर देहात में लाखों गरीब घरों में चूल्हे मनीआर्डर अर्थव्यवस्था से ही जलते हैं ।। गाँवों या गरीब बस्तियों में चिट्टी या मनीआर्डर लेकर पहुँचनेवाला डाकिया देवदूत के रूप में देखा जाता है ।।


-अरविंद कुमार सिंह

1 . पत्र जैसा संतोष फोन या एसएमएस का संदेश क्यों नहीं दे सकता ?
उत्तर – पत्र जैसा संतोष फोन या एसएमएस का संदेश नहीं दे सकता क्योंकि फोन, एसएमएस द्वारा केवल कामकाजी बातों को संक्षिप्त रूप से व्यक्त कर सकते हैं ।। पत्रों द्वारा हम अपने मनोभावों को खुलकर व्यक्त कर सकते हैं ।। पत्रों से आत्मीयता झलकती है ।। इन्हें अनुसंधान का विषय भी बनाया जा सकता है ।। ये कई किताबों का आधार हैं ।। पत्र राजनीति, साहित्य तथा कला क्षेत्र में प्रगतिशील आंदोलन के कारण बन सकते हैं ।। यह क्षमता फोन या एसएमएस द्वारा दिए गए संदेश में नहीं ।।

2 . पत्र को खत, कागद, उत्तरम्, जाबू, लेख, कडिद, पाती, चिट्ठी इत्यादि कहा जाता है ।। इन शब्दों से संबंधित भाषाओं के नाम बताइए ।।
खत – उर्दू
कागद – कन्नड़
उत्तरम्‌ – तेलूगु
जाबू – तेलूगु
लेख – तेलूगु
कडिद – तमिल
पाती – हिन्दी
चिट्ठी – हिन्दी
पत्र – संस्कृत

3 . पत्र लेखन की कला के विकास के लिए क्या-क्या प्रयास हुए? लिखिए ।।
उत्तर – पत्र लेखन की कला को विकसित करने के लिए दुनिया के सभी देशों द्वारा पाठयक्रमों में पत्र लेखन का विषय शामिल किया गया ।। विश्व डाक संघ की ओर से 16 वर्ष से कम आयुवर्ग के बच्चों के लिए पत्र लेखन प्रतियोगिताएँ आयोजित करने का कार्यक्रम सन्‌ 1972 से शुरू किया गया ।।

4 . पत्र धरोहर हो सकते हैं लेकिन एसएमएस क्यों नहीं? तर्क सहित अपना विचार लिखिए ।।
उत्तर – पत्र व्यक्ति की स्वयं की हस्तलिपि में होते हैं, जो कि प्रियजन को अधिक संवेदित करते हैं ।। हम जितने चाहे उतने पत्रों को धरोहर के रूप में समेट कर रख सकते हैं जबकि एसएमएस को मोबाइल में सहेज कर रखने की क्षमता ज़्यादा समय तक नहीं होती है ।। एसएमएस को जल्द ही भुला दिया जाता है ।। पत्र देश, काल, समाज को जानने का साधन रहा है ।। दुनिया के तमाम संग्रहालयों में जानी-मानी हस्तियों के पत्रों का अनूठा संकलन भी है ।।

5 . क्या चिट्टियों की जगह कभी फैक्स, ई-मेल, टेलीफोन तथा मोबाइल ले सकते हैं?
उत्तर – पत्रों का चलन न कभी कम हुआ था, न कभी कम होगा ।। चिट्ठियों की जगह कोई नहीं ले सकता है ।। पत्र लेखन एक साहित्यिक कला है परन्तु फेक्स, ई-मेल, टेलीफोन तथा मोबाइल जैसे तकनीकी माध्यम केवल काम-काज के क्षेत्र में महत्वपूर्ण हैं ।। आज ये आवश्यकताओं में आते हैं फिर भी ये पत्र का स्थान नहीं ले सकते हैं ।।

६- किसी के लिए बिना टिकट सादे लिफ़ाफ़े पर सही पता लिखकर पत्र बैरंग भेजने पर कौन-सी कठिनाई आ सकती है? पता कीजिए ।।

उत्तर = बिना टिकट सादे लिफ़ाफ़े पर सही पता लिखकर पत्र बैरंग भेजने पर पत्र को पाने वाले व्यक्ति को टिकट की धनराशि जुर्माने के रूप में देनी होगी

7= पिन कोड भी संख्याओं में लिखा गया एक पता है, कैसे?

उत्तर = पिन कोड किसी खास क्षेत्र को संबोधित करता है कि यह पत्र किस राज्य के किस क्षेत्र का है ।। इसके साथ व्यक्ति का नाम और नंबर आदि भी लिखना पड़ता है ।। ।। पिन कोड का पूरा रूप है पोस्टल इंडेक्स नंबर ।। यह 6 अंको का होता है ।। हर एक का खास स्थानीय अर्थ होता है, जैसे – १ अंक राज्य, २ और ३ अंक उपक्षेत्र, अन्य अंक क्रमशः डाकघर आदि के होते है ।। इस प्रकार पिन कोड भी संख्याओं में लिखा गया एक पता है ।।

8- ऐसा क्यों होता था कि महात्मा गांधी को दुनिया भर से पत्र ‘महात्मा गांधी-इंडिया’ पता लिखकर आते थे?

उत्तर= महात्मा गांधी को दुनिया भर से पत्र ‘महात्मा गांधी-इंडिया’ पता लिखकर आते थे क्योंकि महात्मा गांधी अपने समय के सर्वाधिक लोकप्रिय व प्रसिद्ध व्यक्ति थे ।। वे भारत गौरव थे ।। गाँधी जी देश के किस भाग में रह रहे हैं यह देशवासियो को पता रहता था ।। अत: उनको पत्र अवश्य मिल जाता था ।।

भाषा की बात

1 – किसी प्रयोजन विशेष से संबंधित शब्दों के साथ पत्र शब्द जोड़ने से कुछ नए शब्द बनते हैं, जैसे – प्रशस्ति पत्र, समाचार पत्र। आप भी पत्र के योग से बननेवाले दस शब्द लिखिए।

उत्तर –
प्रार्थना पत्र
मासिक पत्र
छः मासिक पत्र
वार्षिक पत्र
दैनिक पत्र
साप्ताहिक पत्र
पाक्षिक पत्र
सरकारी पत्र
साहित्यिक पत्र
निमंत्रण पत्र

2 – ‘व्यापारिक’ शब्द व्यापार के साथ ‘इक’ प्रत्यय के योग से बना है। इक प्रत्यय के योग से बनने वाले शब्दों को अपनी पाठ्यपुस्तक से खोजकर लिखिए।

उत्तर – इक प्रत्यय के योग से बनने वाले शब्द –

ऐतिहासिक

स्वाभाविक

साहित्यिक

व्यवसायिक

दैनिक

प्राकृतिक

जैविक

प्रारंभिक

पौराणिक

सांस्कृतिक

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