सन्मित्रम् पर संस्कृत निबंध || Essay on my best friend in Sanskrit language

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सन्मित्रम् पर संस्कृत निबंध || Essay on my best friend in Sanskrit language

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सन्मित्रम् पर निबंध Essay on my best friend in Sanskrit language

1 – सुखे दुःखे च सम्पत्तौ विपत्तौ च कस्यामपि अवस्थायां यः स्वमित्रं न त्यजति स एव सन्मित्रमस्ति ।

2 – सन्मित्रं स्वमित्रं दुःखितं दृष्ट्वा कदापि त्यक्तुं न शक्नोति ।

3 – आवश्यकतासमये सः धनं दत्वा तस्य सहायतां करोति ।

4 – सः तस्य अवगुणान् न प्रकटयति, किन्तु गुणान् प्रकाशयति ।

5 – सन्मित्रं स्वमित्रं पापात् निवारयति, हिताय योजयते आपदगतं न त्यजति ।

6 – मित्राय आवश्यकतायां धनं ददाति ।

7 – तस्य गोप्याः वार्ताः गोपयति गुणान् च प्रकटीकरोति ।

8 – यत् अविचार्य प्रियं कुर्यात्। तत् मित्रं सन्मित्रमुच्यते ।

9 – अस्मिन संसारे सन्मित्रस्य प्राप्तिः दुर्लभः अस्ति। ये समृद्धिसमये सन्नि हिता: भवन्ति, परन्तु विपदि आपदि च साहाय्यभूताः विरला एव भवन्ति ।

10 – ये जनाः सन्मित्रं प्राप्नुवन्ति ते एव पुण्यवन्तः धन्याश्च सन्ति ।

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