up board class 10 social science chapter 3 full solution

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up board class 10 social science chapter 3 full solution औद्योगिक क्रांति एवं उसका प्रभाव

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विस्तृत उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न – 1-
औद्योगिक क्रांति का अर्थ और परिभाषा लिखते हुए इसकी तीन विशेषताओं पर प्रकाश डालिए ।
उत्तर – – भौगोलिक खोज-यात्राओं के दो प्रभाव निम्नलिखित हैं-
औद्योगिक क्रांति का परिचय- विकास और प्रगति का चक्र सदैव गतिमान बना रहता है । आदिमानव ने जैसे ही आधुनिक युग में प्रवेश किया वह कृषक के साथ-साथ उद्यमी भी बन गया । प्रारंभ में कुटीर शिल्प खोजे गए | परंतु जनसंख्या वृद्धि के साथ-साथ वस्तुओं की माँग बढ़ी और शिल्पी धीरे-धीरे उद्यमी बन गए । श्रम, पूँजी और मशीनों ने हाथ से किए जाने वाले उत्पादन को यंत्रीकरण के साथ जोड़ दिया । उत्पादन का यही व्यावसायिक यंत्रीकरण औद्योगिक क्रांति के रूप में अवतरित हुआ । उत्पादन की तकनीक, प्रविधियों और संगठन में जो आमूलचूल परिवर्तन उत्पन्न हुए वे सब औद्योगिक क्रांति के प्रतिफल थे । दूसरे शब्दों में, “औद्योगिक क्षेत्र में जो तकनीकी और तीव्र परिवर्तन हुए उन्हें औद्योगिक क्रांति के रूप में पहचाना गया । ” औद्योगिक क्रांति ने उद्योग और औद्योगिक व्यवस्था को क्रांतिकारी रूप में परिवर्तित कर डाला । उद्योगों से अधिक से अधिक धन कमाने की प्रवृत्ति ने औद्योगिक क्रांति के चक्र को और भी तीव्रतर कर दिया । वैज्ञानिक आविष्कारों ने मशीनों को, मशीनों ने उत्पादन की नवीनतम प्रविधियों को और नवीनतम प्रविधियों ने औद्योगिक उत्पादन को व्यावसायिक बना दिया । मशीनें आईं, पूँजी आई, पूँजीपति व श्रमिक आए और इन सबके परिणामस्वरूप आया पूँजीवाद । औद्योगिक क्रांति वास्तव में ऐसी शिल्पक्रांति थी, जिसने औद्योगीकरण के विशाल भवन का निर्माण कर डाला । लोहे ने मशीनों को और मशीनों ने औद्योगिक क्रांति को जन्म दिया । मशीनों ने उत्पादन प्रक्रिया में आश्चर्यजनक व आमूलचूल परिवर्तन करके औद्योगिक क्रांति को विकसित कर डाला । औद्योगिक क्रांति ने पूँजीपतियों के उत्पादन की प्राचीन दोषपूर्ण पद्धति का त्याग करने तथा मशीनों और नवीनतम तकनीक से अधिक उत्पादन कर अधिक लाभ कमाने के पथ पर अग्रसर कर दिया । औद्योगिक क्रांति की परिभाषाएँ- औद्योगिक क्रांति का वास्तविक अर्थ एवं स्वरूप उसकी परिभाषाओं के माध्यम से जान सकते हैं । विभिन्न विद्वानों ने औद्योगिक क्रांति की परिभाषाएँ निम्नलिखित ढंग से प्रस्तुत की हैं”औद्योगिक क्रांति मूलत: वह प्रक्रिया थी, जिसके द्वारा दस्तकारी के स्थान पर मशीनों का प्रयोग प्रारंभ हुआ । “
-जोसेफ रीथर “औद्योगिक पद्धति तथा काम करने वाले व्यक्तियों की स्थिति में होने वाले महान परिवर्तनों को औद्योगिक क्रांति कहा जाता
-एडवर्ड “औद्योगिक क्रांति औद्योगिक प्रणाली में परिवर्तन थी, जिसमें हस्तशिल्प के स्थान पर शक्तिचालित यंत्रों से काम लिया जाने लगा । “
-आर्नोल्ड टॉयनबी “हस्तशिल्प को मशीनों, यंत्रों तथा तकनीकी द्वारा स्थानापन्न कर औद्योगिक संगठन को बदलने की संपूर्ण प्रक्रिया को औद्योगिक क्रांति कहा जाता है । “
-अज्ञात औद्योगिक क्रांति की विशेषताएँ- औद्योगिक क्रांति की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं(i) कुटीर उद्योगों एवं हस्तशिल्पों का विनाश । (ii) मशीनों, चालक शक्ति तथा यंत्रों का महत्व । (iii) पुरानी उत्पादन विधियों को छोड़कर नवीनतम प्रविधियों का प्रचलन । (iv) कारखानों में कच्चे माल, श्रम एवं पूँजी का महत्व बढ़ जाना । (v) औद्योगिक उत्पादन का पैमाना बढ़ जाना । (vi) उत्पादन का लक्ष्य अधिक लाभ कमाना बन जाना । (vii) समाज में पूँजीपति एवं श्रमिक वर्ग उत्पन्न हो जाना । (v.) शोषण, अन्याय तथा संघर्ष का वातावरण बन जाना ।

प्रश्न- 2. औद्योगिक क्रांति को जन्म देने वाले 6 कारण स्पष्ट कीजिए ।

उत्तर – – औद्योगिक क्रांति को जन्म देने वाले कारण- इंग्लैंड को औद्योगिक क्रांति का जनक कहा जाता है । यहीं से औद्योगिक
क्रांति यूरोप तथा विश्व के अन्य देशों में फैली । औद्योगिक क्रांति को जन्म देने वाले प्रमुख कारण निम्नलिखित थे(i) भौगोलिक खोज-यात्राएँ- भौगोलिक खोज-यात्राओं ने कच्चे माल तथा सस्ते श्रम की उपलब्धता को बढ़ावा देकर और माल बेचकर धन कमाने का आकर्षण बढ़ाकर औद्योगिक क्रांति को जन्म दिया । (ii) लोहा और कोयला उपलब्ध होना- लोहा, मशीनों और यंत्रों के निर्माण का आधार बना, जबकि कोयले ने ऊर्जा के रूप में उन्हें चलाकर औद्योगिक क्रांति को जन्म दिया । वैज्ञानिक आविष्कारों की श्रृंखला- औद्योगिक क्रांति और वैज्ञानिक आविष्कारों का गंगा-जमुनी संगम था । नए-नए आविष्कारों ने औद्योगीकरण तथा व्यावसायिक उत्पादन में योगदान देकर औद्योगिक क्रांति को जन्म ही नहीं दिया, अपितु आगे भी बढ़ाया । (iv) पूँजी की सुलभता- पूँजी औद्योगीकरण का आधार है । पूँजीपतियों ने अधिक लाभ कमाने के आकर्षण में पर्याप्त पूँजी का निवेश कर औद्योगिक क्रांति को जन्म देकर उसकी प्रगति के स्वर्णिम अवसर जुटा दिए । (v) परिवहन के साधनों का विकास- परिवहन तंत्र के फैलते जाल ने उद्योगों की स्थापना में सहयोग देकर, औद्योगिक क्रांति को जन्म देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई । (vi) उपनिवेशों की स्थापना- यूरोप की विस्तारवादी शक्तियों ने एशिया तथा अफ्रीका के निर्धन तथा पिछड़े देशों में उपनिवेश स्थापित करके कच्चे माल, श्रम तथा संसाधन ही नहीं जुटाए, अपितु अपने उत्पाद बेचकर खूब धन कमाया,
जिससे औद्योगिक क्रांति की गति और भी तेज होती चली गई । (vii) यश और धन कमाने की लालसा- यूरोपीय शक्तियाँ उपनिवेशों में अपना धर्म फैलाकर यश तथा तैयार माल बेचकर, धन कमाने में जुट गईं । उनकी इस महत्वाकांक्षा ने औद्योगिक क्रांति को सफल बना दिया । (v) कृषि-क्रांति- यूरोपीय देशों के किसानों ने कृषि का यंत्रीकरण करके कृषि-क्रांति को जन्म दिया । कृषि के क्षेत्र में बढ़ती मशीनों की माँग ने औद्योगिक क्रांति को जन्म दिया ।

प्रश्न 3. औद्योगिक क्रांति के समय हुए तीन आविष्कारों का परिचय दीजिए । उत्तर – – औद्योगिक क्रांति के आविष्कारों का परिचय- औद्योगिक क्रांति वैज्ञानिक आविष्कारों के विकास का स्वर्णिम काल थी । इस काल में जिन वैज्ञानिक आविष्कारों की श्रृंखला आई, उनकी झलक निम्नलिखित है (i) फ्लाइंग शटल- फ्लाइंग शटल नामक मशीन ने वस्त्र उद्योग में एक क्रांति ला दी । 1733 ई० में जॉन के नामक अंग्रेज ने फ्लाइंग शटल के रूप में ऐसी मशीन का आविष्कार किया, जो कम समय और परिश्रम में पहले से चार गुना वस्त्र बुन सकती थी । फ्लाइंग शटल बुनकरों के लिए वरदान सिद्ध हुई । स्पिनिंग जैनी- स्पिनिंग जैनी कपास से सूत कातने वाली मशीन थी, जिसका निर्माण 1765-66 ई० में जेम्स हरग्रीव्ज नामक वैज्ञानिक ने किया था । आठ तकुओं से युक्त स्पिनिंग जैनी एक बार में आठ व्यक्तियों के बराबर सूत कात सकती थी । (. वाटर फ्रेम- स्पिनिंग जैनी द्वारा काता हुआ सूत कच्चा होने के कारण कपड़ा बुनने में बाधा डालता था । अत: रिचर्ड आर्कराइट ने 1769 ई० में इस कठिनाई का निवारण करने हेतु वाटर फ्रेम नामक मशीन का आविष्कार किया । यह मशीन पक्का धागा बुनने में सक्षम थी । यह मशीन पानी की शक्ति से संचालित की जाती थी । अत: इसे वाटर फ्रेम नाम दिया गया ।

प्रश्न – 4. यूरोप के सामाजिक तथा आर्थिक जीवन पर औद्योगिक क्रांति के प्रभावों को स्पष्ट कीजिए ।

उत्तर – – भौगोलिक खोज-यात्राओं के दो प्रभाव निम्नलिखित हैं

औद्योगिक क्रांति ने यूरोप के विभिन्न देशों के समूचे जीवन को ही पीवर्तित कर डाला । इस क्रांति के अच्छे व बुरे दोनों प्रकार के प्रभाव पड़े । इसके प्रभावों का संक्षिप्त विवरण नीचे प्रस्तुत है(i) नगरों का विकास- औद्योगिक क्रांति के फलस्वरूप नए-नए नगरों की स्थापना हुई तथा पुराने नगरों का विकास
हुआ । बड़े-बड़े उद्योगों की स्थापना के कारण नगरों में जनसंख्या तेजी से बढ़ती गई जिससे वहाँ अनके समस्याएँ उत्पन्न हो गईं । नगरों में एक ओर तो दैनिक जनजीवन में हलचलें बढ़ गई जबकि दूसरी ओर जन-सुविधाओं का अभाव हो गया । शहरों में प्रदूषण बढ़ने लगा । (i) नए वर्गों का उदय तथा परस्पर संघर्ष- औद्योगिक क्रांति के कारण समाज पूँजीपति और श्रमिक इन दो वर्गों में बट गया । पूँजीपति श्रमिकों से अधिक काम लेकर किन्तु उन्हें कम मजदूरी देकर उनका शोषण करते थे । फलस्वरूप दोनों
वर्गों में संघर्ष प्रारंभ हो गया । इस वर्ग-संघर्ष के कारण हड़ताल तथा तालाबंदी की घटनाएँ होने लगीं । (. श्रमिकों की दयनीय दशा- औद्योगिक पूँजीवाद के साथ श्रमिकों का शोषण प्रारंभ हो गया । मजदूरों को कम मजदूरी पर अस्वस्थ वातावरण में 18 घंटे तक काम करना पड़ता था । मजदूरों के जीवन तथा जीविका की सुरक्षा का कोई प्रबंध
नहीं था । उनके बीमार अथवा दुर्घटनाग्रस्त होने पर मालिक उन्हें काम से हटा देते थे । (iv) स्त्रियों और बच्चों का शोषण- अधिकाधिक लाभ कमाने के लालच में मालिकों ने स्त्रियों और बच्चों को भी काम पर लगा लिया । किन्तु पुरूषों की अपेक्षा स्त्रियों और बच्चों को कम मजदूरी दी जाती थी । बच्चों के नींद के झोंके में मशीन में फंसकर कट जाने की घटनाएं होती रहतीं थीं । चिमनी साफ करने के लिए बच्चों का ब्रुश की भांति प्रयोग किया जाता था । बाद में कुछ सरकारों ने स्त्रियों और बच्चों से कारखानों में काम लेने पर रोक लगा दी । (v) गन्दी बस्तियों में वृद्धि- औद्योगिक नगरों में कारखानों के पास योजनारहित श्रम बस्तियों का निर्माण होता गया । ऐसी बस्तियों में बेढंगे मकान बनते गए जिनमें जल-निकास तथा सफाई की कोई उचित व्यवस्था नहीं थी । फलस्वरूप ये बस्तियाँ बीमारी और गंदगी के केन्द्र बन गईं । (iv) नैतिक मूल्यों का पतन- गाँवों से आने वाले श्रमिकों को नगरों में एकाकी जीवन बिताने के लिए बाध्य होना पड़ा जिससे पारिवारिक विघटन प्रारंभ हो गया । फिर मजदूर मनोरंजन तथा विनोद के अभाव में मदिरा, जुआ तथा अश्लील साहित्य के शिकार हो गए ।
आर्थिक प्रभाव- औद्योगिक क्रांति के आर्थिक जीवन पर निम्न प्रमुख प्रभाव पड़े(i) उत्पादन में वृद्धि- औद्योगिक क्रांति के कारण बड़े-बड़े कारखानों की स्थापना हुई जिनमें भारी मशीनों द्वारा कम लागत पर विभिन्न वस्तुओं का विशाल स्तर पर उत्पादन किया गया । (ii) पूँजीवाद का विकास- उत्पादन में निरन्तर वृद्धि के कारण उद्योगपतियों के लाभ बढ़ते गए । उनके पास विशाल मात्रा में पूँजी इकट्ठी होती गई जिससे ये नए-नए कारखाने खोलते गए । फलस्वरूप पूँजीवाद का विकास तथा विस्तार होता गया । उपनिवेशवाद का जन्म- औद्योगिक क्रांति के बाद इंग्लैण्ड विश्व का प्रथम देश था जिसने कच्चे माल की प्राप्ति तथा अपने अतिरिक्त उत्पादन की बिक्री के लिए विश्व की मण्डियों (राष्ट्रों) पर अपना अधिकार कर लिया । धीरे-धीरे इंग्लैण्ड ने अनेक देशों में अपने उपनिवेश स्थापित कर लिए । बाद में 19वीं शताब्दी में फ्रांस, जर्मनी, अमेरिका तथा जापान का भी संसार की औद्योगिक शक्तियों के रूप में उत्थान हुआ । इन देशों ने भी इंग्लैण्ड की भाँति विश्व के विभिन्न भागों में अपने माल के लिए मण्डियों की तलाश शुरू कर दी । इसके परिणामस्वरूप विश्व के प्रमुख
औद्योगिक देशों में सुदूर के महाद्वीपों में अपने उपनिवेश स्थापित करने के लिए संघर्ष चल पड़ा । (iv) जीवन-स्तर में वृद्धि- एक ओर उत्पादन में वृद्धि से समाज में आजीविका के नए स्रोत खुल गए जिससे श्रमिकों की आय में वृद्धि हुई । दूसरी ओर श्रमिकों को उपभोग के लिए नाना प्रकार की वस्तुएँ मिलने लगीं । फलतः श्रमिकों के जीवन स्तर में सुधार होता गया । (v) कृषि का विकास औद्योगिक क्रांति के कारण कृषि-यन्त्रों, कृषि की तकनीक तथा विधियों में क्रांतिकारी परिवर्तन
हुए जिससे कृषि-उत्पादन में कई गुना वृद्धि हुई । फलस्वरूप कृषकों की दशा में सुधार हुआ । (vi) परिवहन के साधनों का विकास- औद्योगिक क्रांति के कारण रेल, सड़क तथा जल परिवहन के साधनों का बहुत अधिक विकास हुआ । फलस्वरूप उद्योग, वाणिज्य तथा व्यापार का बहुत अधिक विकास तथा विस्तार हुआ । (vii) कुटीर व लघु उद्योगों का विनाश- बडे-बड़े उद्योगों की स्थापना के कारण कुटीर व लघु उद्योगों का महत्व घटता गया जिस कारण इनका पतन हो गया । आय का असमान वितरण- औद्योगिक क्रांति के फलस्वरूप पूँजी थोड़े व्यक्तियों के हाथ में संचित होने लगी क्योंकि कारखानों के लाभ से मिल-मालिक और अधिक धनी होते गए । विशाल धन अर्जित करने के कारण उनका जीवन विलासितापूर्ण होता गया । दूसरी ओर असंख्य मजदूर थे जो कम मजदूरी मिलने के कारण गरीबी का जीवन व्यतीत कर रहे थे । (ix) समाजवाद का उदय- संपूर्ण विश्व में समाजवादी विचारधारा का उदय औद्योगिक क्रांति के कारण ही हुआ । इस क्रांति ने पूँजीवाद का विकास किया । पूँजीवाद ने समाज को दो वर्गों में बाँट दिया- धनी पूँजीपति तथा निर्धन श्रमिक । मिल-मालिकों द्वारा शोषण के कारण श्रमिकों में असंतोष फैलता गया । श्रमिकों में यह भावना बलवती हो गई कि उनके जीवन में आमूल परिवर्तन के लिए समाजवादी व्यवस्था आवश्यक है ।

प्रश्न -5. औद्योगिक क्रांति के विश्व को होने वाले 6 लाभों का वर्णन कीजिए । उत्तर – – औद्योगिक क्रांति यूरोप में प्रारंभ हुई थी किन्तु इसने विश्व के सभी देशों को प्रभावित किया । इस क्रांति से संपूर्ण विश्व को निम्न लाभ प्राप्त हुए (i) औद्योगीकरण तथा नगरीकरण- औद्योगीकरण क्रांति के कारण कुछ राष्ट्रों का तीव्रता से औद्योगीकरण हुआ जिससे वहाँ नए-नए नगर बसाए गए तथा पुराने नगरों का विकास तथा विस्तार हुआ । (ii) उत्पादन-क्षमता में वृद्धि- नई-नई मशीनों का आविष्कार हुआ जिससे वस्तुओं का कम लागत पर अधिक मात्रा में उत्पादन होने लगा । इससे अनेक उद्योगों की उत्पादन क्षमता कई गुना गढ़ गई । (. नवीन उत्पादन-प्रणालियों का विकास- औद्योगिक क्रांति के फलस्वरूप विभिन्न देशों ने उत्पादन की नई तकनीक तथा विधियों की खोज कर डाली जिससे उत्पादन में असाधारण वृद्धि हुई । वैज्ञानिक प्रगति- अनेक देशों ने नए-नए वैज्ञानिक आविष्कार किए । बाद में इन आविष्कारों से विश्व के अन्य देश भी लाभान्वित हुए । (v) दैनिक सुख-सुविधाओं में वृद्धि- औद्योगीकरण के कारण नाना प्रकार की वस्तुओं का अधिक मात्रा में उत्पादन होने से लोगों को दैनिक उपयोग की वस्तुएँ आसानी से उपलब्ध होने लगीं । (vi) परिवहन के साधनों का विकास- औद्योगिक क्रांति से यातायात के विभिन्न साधनों का तेजी से विकास हुआ । इससे एक तो उद्योग, व्यापार तथा वाणिज्य के क्षेत्र में आश्चर्यजनक प्रगति हुई । दूसरे, मनुष्य तथा माल का आवागमन शीघ्रता
तथा सुगमता से होने लगा । फिर संचार तथा परिवहन के साधनों ने दूर-दूर फैले देशों में परस्पर संपर्क स्थापित कर दिया । (vii) कृषि का विकास- औद्योगिक क्रांति के फलस्वरूप कृषि के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन हुए । यंत्रीकरण, रासायनिक उर्वरक, उन्नत बीजों तथा कीटनाशक दवाइयों के प्रयोग से खाद्यान्नों के उत्पादन में कई गुना वृद्धि हुई । (v. शिक्षा का प्रसार- औद्योगिक क्रांति के कारण औद्योगिक राष्ट्रों में शिक्षा के स्तर में सुधार हुआ । वहाँ से शिक्षा का अन्य देशों में प्रसार हुआ । शिक्षा ने लोगों के दृष्टिकोण, ज्ञान तथा रहन-सहन में भारी परिवर्तन कर दिया ।

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