
MP Board Solution forClass Hindi Sugam Bharti Chapter 5 लौहपुरुष सरदार पटेल
MP Board Textbook Solutions for Class 6 to 12
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MP Board Solution forClass Hindi Sugam Bharti Chapter 5 लौहपुरुष सरदार पटेल
प्रश्न अभ्यास
अनुभव विस्तार
प्रश्न 1.
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
(क) सही जोड़ी बनाइए
(अ) लौहपुरुष – 1. बाल गंगाधर तिलक
(ब) महात्मा – 2. चितरंजनदास
(स) देशबंधु – 3. गांधी।
(द) लोकमान्य – 4. सरदार पटेल
उत्तर-
(अ) 4,
(ब) 3,
(स) 2,
(द) 1
प्रश्न 2. दिए गए विकल्पों में से रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए(अ) सरदार पटेल को …………………… कहा जाता है। (शलाका पुरुष, लौहपुरुष)
(ब) सरदार पटेल के ………………………. बचपन से ही प्रकट होने लगे थे। (प्रमुख गुण, विशिष्ट गुण)
(स) उनके पास हाजिर-जवाबी तथा विनोदप्रियता का अक्षय और ………………………. कोष था। (असीम, निस्सीम)
(द) हठी विद्रोहियों को ………………………. में लाना उन्हें भली प्रकार आता था। (अनुशासन, विनयानुशासन)
उत्तर-
(अ) लौहपुरुष,
(ब) विशिष्ट गुण,
(स) असीम,
(द) विनयानुशासन।
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प्रश्न 2.
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
(अ) सरदार पटेल का स्वभाव कैसा था?
(ब) सहायकों तथा अनुयायियों द्वारा भूल करने पर सरदार पटेल क्या करते थे?
(स) सरदाल पटेल ने गृहमंत्री के रूप में कौन-सा महत्त्वपूर्ण कार्य किया?
(द) सरदार पटेल की प्रबल आकांक्षा क्या थी?
(इ) पटेल को सरदार की उपाधि कैसे मिली?
उत्तर-
(अ) सरदार पटेल का स्वभाव अत्यधिक वीर, निर्भय, दृढ़ निश्चयी, परिश्रमी और लगनशील था।
(ब) अपने सहायकों तथा अनुयायियों द्वारा भूल करने पर सरदार पटेल उन पर कृपा ही करते थे। वे उनकी देखभाल और चिंता पिता के के समान करते थे।
(स) सरदार पटेल ने गृहमंत्री के रूप में देशी रियासतों के एकीकरण का महत्त्वपूर्ण कार्य किया।
(द) सरदार पटेल की यह प्रबल आकांक्षा थी कि भारत अपनी स्वतंत्रता की रक्षा करने में सबल और सुयोग्य बन जाए।
(इ) स्वतंत्रता-संग्राम के समय में दिए गए उनके महत्त्वपूर्ण योगदानों के कारण पटेल को सरदार की उपाधि मिली।
प्रश्न 3. लघु उत्तरीय प्रश्न
(अ) सरदार पटेल को लौहपुरुष क्यों कहा जाता है?
उत्तर-
सरदार पटेल का व्यक्तित्व बड़ा ही बेजोड़ था। उनकी प्रतिभा बड़ी ही अद्भुत थी। उनकी बुद्धि अत्यधिक आकर्षक थी। उनकी प्रशासनिक क्षमता प्रशंसनीय थी। वे कठिन परिस्थितियों में भी सफलता को प्राप्त ही कर लेते थे। यही नहीं उनका स्वभाव भी बड़ा अद्भुत था। वे वीर, निर्भय, दृढ़ निश्चयी, मेहनती और उत्साही थे। इन्हीं विशेषताओं के कारण सरदार पटेल को ‘लौह पुरुष’ कहा जाता है।
(ब) सरदार पटेल का अपने अनुयायियों के साथ व्यवहार कैसा था?
उत्तर-
सरदार पटेल का व्यवहार अपने अनुयायियों के प्रति बड़ा ही सरस और उदार था। वे उनके द्वारा कोई गलत कदम उठाए जाने पर भी, उन्हें माफ़ कर देते थे। उन्हें प्रेमपूर्वक समझाते थे। उन पर वे अपनी कृपा हमेशा किया करते थे। इसलिए उनकी देखभाल और चिंता वैसे ही करते थे, जैसे एक पिता अपनी संतान के प्रति किया करता है।
(स) सरदार पटेल किस गुण के कारण अपने विरोधियों को पछाड़ दिया करते थे?
उत्तर-
सरदार पटेल को जिस युद्ध का सेनापति बनाया जाता, उसमें उनकी ही आज्ञा अंतिम होती थी। उसके दाँव-पेंच को भी अच्छी तरह जान लेते थे। इससे युद्ध की कला दिखलाते हुए अंतिम चोट करने में सफल हो जाते थे। उनकी यह भी बहुत बड़ी विशेषता थी कि वे अपने विरोधी व्यक्तियों अथवा अन्य राजनीतिक दलों की कमजोरियों को अच्छी तरह से जानते थे। उन कमजोरियों को अपने दिल-दिमाग में अच्छी तरह से बैठा लेते थे। फिर उसके द्वारा वे अपने विरोधियों को पछाड़ दिया करते थे।
(द) सरदार पटेल हठी विद्रोहियों को कैसे विनयानुशासन में लाते थे?
उत्तर-
सरदार पटेल ने कभी भी शक्तिशाली बनने की बात नहीं सोची। वे तो शक्ति को हथियाकर उसका नियंत्रण करते थे। फिर उसका संचालन किया करते थे। अपने हाथ में लिया हुआ काम जब तक पूरा नहीं हो जाता था, तब तक वे अपने आपको छिपाए रखते थे। इस प्रकार के युद्ध कौशल दिखलाते हुए अपने हठी विद्रोहियों की कमजोरियों पर अंतिम चोट कर उन्हें विनयानुशासन में लाते थे।
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भाषा की बात
प्रश्न 1.
बोलिए और लिखिए-
व्यक्तिगत, यद्यपि, परिलक्षित, तत्कालीन, सार्वजनिक, प्रशासनिक, उल्लेखनीय, कृपालु, विनोदप्रियता।
उत्तर-
व्यक्तिगत, यद्यपि, परिलक्षित, तत्कालीन, सार्वजनिक, प्रशासनिक, उल्लेखनीय, कृपालु, विनोदप्रियता।
प्रश्न 2.सही वर्तनी वाले शब्दों पर गोला लगाइए-
MP Board Solution forClass Hindi Sugam Bharti Chapter 5 लौहपुरुष सरदार पटेल
उत्तर-
सही वर्तनी परिलक्षित, दृढ़ता, ईर्ष्या, व्यक्तिगत, आवश्यकता, निश्चय।
प्रश्न 3.नीचे दिए शब्दों के बहुवचन बनाइए
उत्तर-
MP Board Solution forClass Hindi Sugam Bharti Chapter 5 लौहपुरुष सरदार पटेल
प्रश्न 4.
निम्नलिखित शब्दों में उनके सामने दर्शाए प्रत्यय लगाकर नए शब्द बनाइए-
उत्तर-
प्रत्यय लगाकर नए शब्द
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प्रमुख गद्यांशों की संदर्भ-प्रसंग सहित व्याख्याएँ
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- व्यक्तिगत जीवन में सरदार पटेल बड़े ही सहृदयी एवं सच्चे मित्र के रूप में विख्यात थे। विषम परिस्थितियों में किसी भी मित्र के काम आने के लिए वे अपने-आप को वचन-बद्ध मानते थे। सार्वजनिक जीवन में लौहपुरुष की संज्ञा प्राप्त करके भी उनका हृदय नारियल के समान बाहर से कठोर और अंदर से कोमल था। वे किसी भी विषय, भाव या विचार को तत्काल समझ जाते तथा अगले ही क्षण तदनुरूप कार्यवाही करते थे।
शब्दार्थ-सहृदयी-उदार, सरस। विख्यात-प्रसिद्ध। विषय-कठिन। तत्काल-तुरंत, उसी समय। तदनुरूप-उसी के अनुसार। कार्यवाही-कार्य, काम।
संदर्भ-प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘सुगम भारती’ (हिंदी सामान्य) भाग-8 के पाठ-5 ‘लौह पुरुष सरदार पटेल’ से ली गई हैं।
प्रसंग-प्रस्तुत पंक्तियों में लेखक ने सरदार वल्लभ भाई पटेल की अद्भुत विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए कहा है कि-
व्याख्या-सरदार का अपना जीवन भी दूसरों के लिए ही था। वे दूसरी की सहायता करने और अपने संपर्क में आने – वालों के लिए सच्चे मित्र की तरह होते थे। अपनी इस विशेषता के कारण वे बहुत ही लोकप्रिय हो गए थे। इस प्रकार वे कठिन परिस्थितियों में भी अपनी इस विशेषता का परिचय देना नहीं भूलते थे। जहाँ तक उनके सार्वजनिक जीवन की बात थी, उसमें भी वे बड़े ही निडर और दृढ़ बने रहते थे। इससे वे लौह-पुरुष के नाम से प्रसिद्ध हो गए। ऐसी संज्ञा पाकर भी वे भीतर से नारियल के समान कोमल और बाहर से ही कठोर दिखाई देते थे। इस प्रकार की विशेषताओं से भरपूर वे किसी विषय व भाव-विचार को अपनी पैनी दृष्टि से तुरंत समझ जाते थे। फिर अपनी तीव्र बुद्धि से उसके लिए यथोचित कदम उठाते थे।
- उनकी यह महती आकांक्षा थी कि भारत अपनी स्वतंत्रता की रक्षा करने में सबल और सुयोग्य बन जाए। उनकी भावना थी कि पूर्व में किया गया श्रम तो स्वराज्य के लिए था; किंतु आज जब हमें स्वराज्य प्राप्त हो गया है, उससे भी अधिक श्रम की आवश्यकता सुराज के लिए है, तभी देश का उत्थान सही अर्थों में हो सकेगा और तभी स्वतंत्रता के लिए किए गए त्याग और बलिदान की सार्थकता होगी।
शब्दार्थ-महती-बड़ी। आकांक्षा-इच्छा। भावना-इच्छा। पूर्व-आजादी से पहले। श्रम-मेहनत। सुराज-सुंदर राज्य (स्वतंत्रता)। उत्थान-विकास। सार्थकता-उपयोगिता।
संदर्भ-पूर्ववत्
प्रसंग-इन पंक्तियों में लेखक ने सरदार वल्लभ भाई पटेल की अपने देश भारत के प्रति सच्ची प्रेम-भावना को बतलाते हुए कहा है कि
व्याख्या-सरदार वल्लभ भाई पटेल की अपने देश भारत के प्रति बहुत बड़ी सच्ची भावना थी। उनकी यह अंतिम इच्छा थी कि भारत देश अपनी स्वतंत्रता को किसी भी दशा में न खोने पाए। इसके लिए वे चाहते थे कि यह पूरा देश हर प्रकार से शक्तिशाली और सुयोग्य बना रहे। उनकी यह भी अंतिम इच्छा थी कि हमने अपने इस देश की आजादी के लिए जो कुछ भी संघर्ष किया, उससे ही हमें आजादी मिले। उस संघर्ष की उपयोगिता आज नहीं है। आज तो उस श्रम-संघर्ष की जरूरत है, जिससे हमें मिली हुई इस आजादी को स्वतंत्र का दर्जा दे सकें। इससे देश का अपेक्षित विकास हो सकेगा। ऐसा होने पर ही आजादी के लिए किए गए हमारे संघर्ष, त्याग, बलिदान आदि की उपयोगिता सही कही जा सकेगी।