डॉ . ए . पी . जे . अब्दुल कलाम का संक्षिप्त जीवन परिचय
प्रश्न 1 .
डॉ . ए . पी . जे . अब्दुल कलाम का संक्षिप्त जीवन-परिचय और साहित्यिक परिचय दीजिए ।।
उत्तर :—
जीवन-परिचय :—
भारतरत्न और भारत के भूतपूर्व राष्ट्रपति डॉ . अब्दुल कलाम का जन्म सन् 1931 में तमिलनाडु के रामेश्वरम जिले के धनुष कोटि नगर के एक साधारण परिवार में हुआ ।। उनका पूरा नाम डॉ . चंबुल पाकिर जैनुल आवदीन अब्दुल कलाम था ।। उनका जीवन सादगी की अनूठी मिसाल था ।। उनकी प्रारंभिक शिक्षा रामेश्वरम में हुई ।। उच्चशिक्षा के लिए आप तिरुचिरापल्ली चले गए और वहाँ के सेंट जोसफल कॉलेज में उच्च शिक्षा प्राप्त की ।।
ईश्वर में आपकी पूर्ण आस्था थी ।। आप सच्चे धर्मनिरपेक्ष थे ।। आप जिस प्रकार कुरान का पाठ करते थे, उसी प्रकार गीता के दर्शन में भी आपकी आस्था थी ।। उनका कहना था कि जब में विज्ञान विपय से संबंधित अनेक सूक्ष्म कणों से मिलकर बने कणों का अध्ययन करता था, तो उससे प्रभु की सत्ता में मेरा विश्वास और भी दृढ़ हो जाता ।।
आपकी परिकल्पना थी कि सन् 2020 तक भारत विकसित राष्ट्र बने ।। इस कल्पना को साकार करने के लिए आपने विज्ञान के क्षेत्र में गहन अनुसंधान किया तथा देश को उपग्रह प्रणाली में आत्मनिर्भर बनाया ।। सर्वप्रथम मिसाइल कार्यक्रम को भारत में एक पहचान दी ।। इसी कारण उन्हें ‘मिसाइलमैन’ भी कहा जाता है ।। आपके प्रयासों से भारतीय सेना को पृथ्वी और अग्नि जैसी मिसाइलों से सुसज्जित किया गया है तथा अनेक मिसाइलों के निर्माण का कार्य प्रगति पर है ।। डॉ . कलाम ने अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में भी अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है ।। इन्हीं विशिष्ट उपलब्धियों एवं वैज्ञानिक परिकल्पना के लिए उनको राष्ट्र का सर्वोच्च सम्मान ‘भारत-रत्न’ प्रदान किया गया ।। 28 जुलाई, 2015 को इनका निधन हो गया ।।
साहित्यिक उपलब्धियाँ :—
विज्ञान के अतिरिक्त साहित्य के क्षेत्र में डॉ . कलाम ने उपलब्धियाँ प्राप्त की हैं ।। आपकी रचनात्मक प्रतिभा का लाभ साहित्य जगत् को भी मिलता रहा है ।। आपके बहुमूल्य विचार, कल्पना शक्ति एवं दूर-दृष्टि आपकी बहुमूल्य रचनाओं में भी झलकती हैं ।। आपमें देश के भावी कर्णधारों को सँवारने की अद्वितीय परिकल्पनाएँ थीं ।।
रचनाएँ :—
मेरे सपनों का भारत ।।
महत्त्व :—
आप बच्चों को राष्ट्र की धरोहर मानते थे ।। आप भारत के सर्वोच्च पद राष्ट्रपति पद पर आसीन थे ।। आप वैज्ञानिक क्षेत्र के साथ-साथ शिक्षण और साहित्य-सृजन में भी संलग्न थे ।।