Up board solution for class 12 sanskrit Character sketch of patrlekha पत्रलेखा का चरित्र चित्रण

UP BOARD CLASS 12 SANSKRIT SYLLABUS 2022-23 FREE PDF

Up board solution for class 12 sanskrit पत्रलेखा का चरित्र चित्रण

पत्रलेखा का चरित्र — चित्रण

(2017 ND, NF, 18 BC, BG, 19 CZ, DD, DE, DF, 20 ZO, ZU)

पत्रलेखा का परिचय युवराज चन्द्रापीड को महादेवी द्वारा दी गयी आज्ञा से प्राप्त होता है — महाराज ने कुलूत देश को जीतकर उस देश के राजा की पुत्री पत्रलेखा को कैदियों के साथ यहाँ लाकर रनिवास की सेविकाओं के बीच नियुक्त कर दिया था । उसे अनाथ राजपुत्री जानकर मेरे मन में उसके प्रति प्रेम हो गया । मैंने उसे अपनी पुत्री के समान पाल — पोसकर बड़ा किया है । ‘अब यह पानदान का डिब्बा लेकर चलने वाली तुम्हारी योग्य सेविका बने — आयुष्मान् उसके प्रति साधारण सेविका की दृष्टि न रखें और अपनी भावनाओं के समान ही इसे भी चंचलता से रोकें । स्पष्ट है कि उज्जयिनी के राजा तारापीड की पत्नी महारानी विलासवती द्वारा पालित पुत्री पत्रलेखा की सामाजिक स्थिति विशिष्ट थी ।

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स्वस्थ एवं सौन्दर्यवती — लम्बी, स्वस्थ एवं सुगठित शरीरवाली पत्रलेखा रूपवती एवं आकर्षक व्यक्तित्ववाली थी । गन्धर्व राजपुत्री कादम्बरी उसके सौन्दर्य को देखकर चकित रह गई थी । पत्रलेखा के सौन्दर्य के सम्बन्ध में कादम्बरी की यह युक्ति “अहो ! मानुषीषु पक्षपातः प्रजापतेः” पूर्णतया सत्य प्रतीत होती है ।

योग्य परिचारिका — चन्द्रापीड की ताम्बूल करङ्कवाहिनी पत्रलेखा सभी दृष्टिकोणों से सुयोग्य परिचारिका प्रमाणित होती है । वह अपने कर्त्तव्य का पूर्णरूप से निर्वाह करती है । सेवाकाल में वह सदैव चन्द्रापीड के साथ रहती है । जिस समय चन्द्रापीड दिग्विजय के लिए उज्जयिनी से निकलता है और वह सुवर्णपुर पहुँचता है, हर जगह वह चन्द्रापीड के साथ रहती हैं । चन्द्रापीड का सानिध्य पत्रलेखा को सुख की अनुभूति करता है ।

कर्त्तव्यपरायण — पत्रलेखा अपने कर्तव्य के प्रति सदैव जागरूक रहती है । उज्जयिनी हो या सुवर्णपुर, दिग्विजय यात्रा हो या कादम्बरी का महल सब जगह, हर समय वह अपने कर्त्तव्य के प्रति तत्पर रहती है । वह चन्द्रापीड की सेविका भी, सलाहकार भी और सखी भी है ।

विश्वासपात्र — पत्रलेखा विश्वासपात्र सेविका है । वह छाया सदृश चन्द्रापीड के साथ सदैव उपस्थित रहती है । विश्वासपात्र होने के कारण ही चन्द्रापीड अपने मनोभावों को उससे प्रकट कर देता है । वह उससे कादम्बरी के प्रति अपने हृदय को भी खोल देता है । पत्रलेखा अपनी विश्वसनीयता के कारण कादम्बरी का भी विश्वास भाजन है । कादम्बरी भी चन्द्रापीड के प्रति मनोभावों को पत्रलेखा के समक्ष प्रकट कर देती है ।

स्पष्ट है कि महाकवि बाण ने पत्रलेखा को कर्तव्यपरायण, स्वामिभक्त, आदर्श सेविका के रूप चित्रित किया है ।

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