Up Board Class 8 Hindi Sanskrit Sandhi सन्धि-विचार तथा रूप
सन्धि-विचार तथा रूप
व्यंजन सन्धि
वाक् + जालः = वाग्जालः
जगत् + ईश्वरः = जगदीश्वरः
अच् + अन्तः = अजन्तः
षट् + र्शनम् = षड्दर्शनम्
- यदि किसी वर्ग के प्रथम अक्षर क् च्. ट्, त्, प्, के बाद उसी वर्ग का तीसरा अर्थात् गु,ज्,ड्,द्द, ब् या चैथा अक्षर अर्थात् घ्, झ, व्, ध्, भ् या अन्तस्थ अर्थात् य्, व्, र्, ल् अथवा कोई स्वर आये तो वर्ग के उस प्रथम अक्षर के स्थान पर उसी वर्ग का तीसरा अक्षर हो जाता है।
- इसी प्रकार किसी वर्ग के प्रथम अक्षर के बाद किसी वर्ग का पाँचवाँ अक्षर ङ्, ञ्, ण्, न्, म्, आये तो प्रथम अक्षर के स्थान पर उसी वर्ग का पाँचवाँ अक्षर हो जाता है,
जैसे-
प्राक् + मुख = प्राङ्मुखः
जगत् + नाथः + जगन्नाथः
षट् + मासः = षण्मासः
उत् + गमः = उद्गमः
उत् + भवः = उद्भवः
सत् + आनन्दः = सदानन्दः
उक्त प्रयोगों से यह स्पष्ट होता है कि यदि त् के बाद कोई स्वर अथवा गु, घ्, द, ध, ब, भ, तथा य्, व्, र्, ल, आये तो त् के स्थान पर द हो जाता है। इनके कुछ अपवाद भी हं, जो इस प्रकार है, यथा त् के बाद ज् आने पर त् का ज् और ल् आने पर त् का ल हो जाता है, जैसे-
सत् + जनः सज्जनः
तत् + लीनः = तल्लीनः