Up Board Class 12th Civics Solution Chapter 15 Union Territories and their Administration केन्द्रशासित प्रदेश एवं उनकी शासन व्यवस्था free pdf

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UP Board Solutions for Class 12 Civics Chapter 1 Principles of Origin of State
Up Board Class 12th Civics Solution Chapter 15 Union Territories and their Administration केन्द्रशासित प्रदेश एवं उनकी शासन व्यवस्था

केन्द्रशासित प्रदेश एवं उनकी शासन व्यवस्था (Union Territories and their Administration)

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न– राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के विधानसभा सदस्यों की संख्या कितनी है? वहाँ के मुख्यमंत्री की नियुक्ति कौन करता है?
उत्तर— राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में विधानसभा सदस्यों की संख्या-70 है । दिल्ली के मुख्यमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है ।

प्रश्न– केंद्रशासित राज्यों की कोई दो विशेषताएँ बताइए ।
उत्तर— केंद्रशासित राज्यों की दो विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
(i) केंद्रशासित प्रदेशों में शासन में स्थायित्व होने के कारण दीर्घकालीन योजना बनाकर ठीक प्रकार से प्रशासनिक कार्य किए जा सकते हैं ।
(ii) केंद्रशासित प्रदेशों में शासन पद्धति लोकतंत्र के उस सिद्धान्त के अधिक अनुकूल है जिसे शक्ति-पृथ्क्करण सिद्धान्त कहते हैं ।

प्रश्न– केंद्रशासित प्रदेशों के प्रशासनिक ढाँचे का वर्णन कीजिए ।
उत्तर — केंद्रशासित क्षेत्रों का शासन प्रशासक अपनी परिषदों की सहायता से संचालित करते हैं । प्रशासक के अधीन अनेक अधिकारी तथा कर्मचारी होते हैं । केंद्रीय क्षेत्रों का शासन भारत सरकार प्रशासक अथवा उप राज्यपालों के माध्यम से संचालित करती है । पहले दीव, दमन तथा अरुणाचल प्रदेश के शासन की देखभाल विदेश मंत्रालय करता था । अब समस्त केंद्रप्रशासित क्षेत्रों में प्रादेशिक सभाएँ (परिषदें) और परामर्शदात्री परिषदें है । गोवा के साथ जुड़े दमन एवं दीव पूर्व की भाँति केंद्रशासित क्षेत्र ही हैं । यहाँ का प्रशासन राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त प्रशासक के अधीन है । इस प्रकार केंद्रशासित क्षेत्रों में अलग-अलग प्रकार की शासन-व्यवस्था हैं । दो केंद्रशासित क्षेत्रों (दिल्ली एवं पुदुचेरी) में संसदीय अधिनियम के अनुसार लोकप्रिय मंत्रिपरिषद् व विधानसभाएँ गठित की गई है और शेष 5 संघ राज्यों का प्रबंध पूर्ण रूप से केंद्र द्वारा किया जाता है ।

राष्ट्रपति को प्रत्येक संघीय क्षेत्र के लिए प्रशासक नियुक्त करने का अधिकार है । राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के प्रशासक की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है । संविधान द्वारा संघ राज्य क्षेत्र के प्रशासकों को अध्यादेश जारी करने की शक्ति प्रदान की गई है । लेकिन वह अपनी इस शक्ति का प्रयोग राष्ट्रपति की पूर्व अनुमति से ही कर सकता है । यदि वह चाहे तो किसी राज्य से लगे केंद्रीय क्षेत्र को उस राज्य के अन्तर्गत करने का अधिकार भी रखता है । संविधान ने राष्ट्रपति को यह अधिकार दिया है कि वह अण्डमान व निकोबार द्वीप समूह, लक्षद्वीप दमन व दीव के प्रशासन एवं व्यवस्था के लिए कोई नियम बना सकता है । इन नियमों को संसद द्वारा पारित अधिनियमों के समान ही मान्यता प्राप्त होगी । इसी प्रकार संसद को यह अधिकार प्राप्त है कि वह इन क्षेत्रों के लिए अन्य व्यवस्था कर दें । राष्ट्रपति राज्य की कार्यपालिका शक्ति स्वयं भी धारण कर सकता है ।

प्रश्न– भौगालिक स्थिति को स्पष्ट करते हुए किन्हीं दो केंद्रशासित क्षेत्रों के नाम लिखिए ।
उत्तर— दो केंद्रशासित क्षेत्रों के नाम दिल्ली तथा चंडीगढ़ हैं ।

दिल्ली की भौगालिक स्थिति– दिल्ली देश के उत्तरी भाग में गंगा की एक प्रमुख सहायक यमुना नदी के दोनों तरफ बसी है । यह एक राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र है । इसकी भौगोलिक स्थिति उत्तर- 28°36′ 36″व पूर्व- 77° 13′ 48″ है ।

चंडीगढ़ की भौगोलिक स्थिति– चंडीगढ़ उत्तर भारत का प्रमुख नगर है । जो तीन ओर से पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश से लगा हुआ है । इसकी भौगोलिक स्थिति उत्तर-30° 44′ 14″ व पूर्व- 76° 47′ 14″ है । 5. केंद्रशासित कोई दो संघीय क्षेत्रों के नाम लिखिए जहाँ विधानसभा नहीं है । उत्तर— अण्डमान-निकोबार द्वीप समूह तथा लक्षद्वीप ऐसे दो संघीय क्षेत्र हैं जहाँ विधानसभा नहीं है ।

  1. किन्हींचार संघशासित क्षेत्रों के नाम लिखिए ।
    उत्तर— चार संघशासित क्षेत्रों के नाम निम्नलिखित हैं
    (i) दिल्ली
    (ii) चंडीगढ़
    (iii) लक्षद्वीप
    (iv) अण्डमान-निकोबार द्वीप समूह
  2. पुदुचेरी के शासकीय संगठन की रूपरेखा दीजिए ।
    उत्तर— पुदुचेरी का प्रशासन राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त प्रशासक के अधीन होता है । पुदुचेरी में संसदीय अधिनियम के अनुसार लोकप्रिय मंत्रिपरिषद् एवं विधानसभा गठित हैं । यहाँ का शासक भारत सरकार प्रशासक अथवा उपराज्यपाल के माध्यम से संचालित करती है ।

विस्तृत उत्तरीय प्रश्न

  1. केंद्रशासित क्षेत्र पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए ।
    उत्तर— केंद्रशासित क्षेत्र या प्रदेश- केंद्रशासित प्रदेश को संघशासित प्रदेश भी कहा जाता है । इन प्रदेशों का शासन राष्ट्रपति के अधीन होता है जो संघ (केंद्र) सरकार की सलाह से उसका संचालन करता है । भारत में केंद्रशासित प्रदेशों का गठन कई कारणों से किया जाता है । सीमाओं से सटे प्रदेश, विवादग्रस्त क्षेत्र, विदेशी बस्तियाँ, समुद्री क्षेत्र में स्थित दूरस्थ द्वीप तथा विद्रोही गतिविधियों के क्षेत्र शामिल हैं । इनकी आंतरिक और सामरिक स्थिति के कारण अभी तक इनमें उत्तरदायी शासन संभव नहीं हो पाया है । सन् 1956 ई० के बाद से अब तक कई केंद्रशासित प्रदेशों को पूर्ण राज्य का दर्जा भी दिया जा चुका है ।

केंद्रशासित (अध्यक्षात्मक)शासन की विशेषताएँ- केंद्रशासित शासन में राज्य का प्रधान राष्ट्रपति होता है जो एक निश्चित अवधि के लिए नियुक्त किया जाता है । राष्ट्रपति के प्रतिनिधि के रूप में राज्यपाल कार्य करता है । राष्ट्रपति शासन चलाने के लिए एक मंत्रिपरिषद् का निर्माण करता है- केंद्रशासित शासन की कुछ अन्य विशेषताएं इस प्रकार है
(i) शासन में स्थायित्व- इस शासन व्यवस्था में कार्यपालिका प्रधान एक निश्चित अवधि के लिए चुना जाता है । व्यवस्थापिका का निर्माण भी एक निश्चित अवधि के लिए होता है और अवधि पूर्ण होने से पहले किसी को हटाया नहीं जा सकता । इस व्यवस्था के अंतर्गत शासन में स्थायित्व होने के कारण दीर्घकालीन योजना बनाकर ठीक प्रकार से प्रशासनिक कार्य किए जा सकते हैं ।


(ii) प्रशासन में एक ही व्यक्ति के हाथों में समस्त शक्तियों का जो केंद्रीकरण होता है, उसके परिणामस्वरूप संकटकाल में यह पद्धति बहुत उपयोगी सिद्ध होती है । ऐसी कार्यपालिका असाधारण अवसरों पर राष्ट्रपति शीघ्र ही प्रभावशाली कार्यवाही कर संकट का सफलतापूर्वक सामना कर सकता है ।


(iii) असाधारण परिस्थितियों के लिए उपयुक्त- अध्यक्षात्मक शासन में एक ही व्यक्ति के हाटों में समस्त शक्तियों का जो केन्द्रीकरण होता है उसके परिणाम स्वरूप संकटकाल में यह पद्धति बहुत उपयोगी सिद्ध होती है इसी कार्यपालिका असाधारण अवसरों पर राष्ट्रपति शीघ्र ही प्रभावशाली कार्यवाही कर संकट क सफलता पूर्वक सामना कर सकता है |


(iv) दलबंदी की बुराईयाँ कम- यद्यपि केंद्रशासित शासन में भी संगठित राजनीतिक दल होते हैं, किन्तु ये दल कार्यपालिका प्रधान के निर्वाचन के समय ही अधिक सक्रिय रहते हैं । कार्यपालिका प्रधान का निश्चित कार्यकाल होने के कारण कार्यपालिका के चुनाव हो जाने के बाद दलबंदी की भावना प्रकट होने के विशेष अवसर नहीं रहते हैं । निर्वाचन हो जाने पर राष्ट्रपति दलबंदी की भावना से पृथक होकर शासन कर सकता है । इस प्रकार केंद्रशासित शासन में संसदात्मक शासन की अपेक्षा दलबंदी की बुराईयाँ कम हो जाती है ।

(v) शक्ति-पृथक्करण सिद्धान्त का पालन- यह शासन पद्धति लोकतंत्र के उस सिद्धांत के अधिक अनुकूल है जिसे शक्ति पृथक्करण सिद्धांत कहते हैं । क्योंकि इसमें व्यवस्थापिका तथा कार्यपालिका एक-दूसरे से स्वतंत्र रहती है ।

Up board class 12th civics solution chapter 14 egislative Assembly राज्यों का विधानमंडल- विधानपरिषद् और विधानसभा free pdf


(vi) बहुदलीय प्रणाली के लिए अत्यंत उपयुक्त- जिस देश में बहुदलीय प्रणाली हो, वहाँ संसदीय पद्धति में सरकार बहुत जल्दी-जल्दी बदलती रहती है और लोकतंत्र सफलतापूर्वक कार्य नहीं कर पाता ।
“बहुदलीय प्रणाली में तो लोकतंत्रीय शासन का अध्यक्षात्मक रूप ही सफलतापूर्वक कार्य कर सकता है । “


(vii) शासन में कुशलता– केंद्रशासित शासन में कार्यपालिका व्यवस्थापिका से स्वतंत्र होने के कारण अधिक साहस और स्वतंत्रता के साथ प्रशासनिक कार्य कर सकती है । मंत्री लोगों को व्यवस्थापिका के कार्यों में भाग लेने और लोकप्रिय होने के कारण समय खर्च नहीं करना पड़ता । इसीलिए वे अपनी समस्त शक्ति और समय का उपयोग अपने शासन कार्य में कर सकते हैं । राष्ट्रपति के द्वारा विभिन्न विषयों के विशेषज्ञों को मंत्री पद पर नियुक्त कर प्रशासनिक कार्य में अधिक कुशलता लाई जा सकती है ।


(viii) योग्यतम व्यक्तियों के मंत्रिमंडल का निर्माण संभव- संसदात्मक शासन के अंतर्गत मंत्रिपरिषद् का निर्माण करने में प्रधानमंत्री को अनेक बातें ध्यान में रखनी होती हैं, लेकिन केंद्रशासित शासन के अंतर्गत राष्ट्रपति जिन किन्हीं व्यक्तियों को मंत्रिपरिषद् में शामिल करना चाहे, वह उन व्यक्तियों को मंत्रिपरिषद् में शामिल कर सकता है ।

  1. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की शासन-व्यवस्था पर विस्तृत प्रकाश डालिए ।
    उत्तर— राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की शासन-व्यवस्था- दिल्ली केंद्रशासित राज्य है लेकिन उसकी विशिष्ट स्थिति है । राष्ट्रीय राजधानी घोषित होने से उसके अधिकारों में वृद्धि हुई है । दिल्ली तथा पुदुचेरी की अपनी-अपनी विधानसभाएँ और मंत्रिपरिषदें हैं । दिल्ली के लिए विधानसभा का आश्वासन 21 दिसम्बर, 1991 ई० को पूर्ण हुआ जब 69वाँ संविधान संशोधन पारित हुआ । दिल्ली विधानसभा के लिए 70 प्रतिशत स्थान निश्चित किए गए । दिल्ली की विधानसभा के लिए प्रथम चुनाव 6 नवम्बर, 1993 ई० को हुए । दिल्ली की अपनी प्रशासनिक विशेषताएँ है तथा भारत की राजधानी होने के कारण दिल्ली का विशेष महत्व है । दिल्ली का पुलिस बल राज्य के अधीन न होकर केंद्रीय गृह मंत्रालय के आंतरिक सुरक्षा विभाग के अधीन कार्य करता है ।

सन् 1993 ई० चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को 48 स्थान प्राप्त हुए थे, जबकि कांग्रेस को 14 स्थान प्राप्त हुए । 2 दिसम्बर, 1993 ई० को मदनलाल खुराना दिल्ली के मुख्यमंत्री बन गए । वे दिल्ली के दूसरे मुख्यमंत्री थे । फिर सन् 1996 ई० में साहिब सिंह वर्मा, सन् 1998 ई० में श्रीमती सुषमा स्वराज मुख्यमंत्री बनीं । सन् 2008 ई० के दिल्ली विधानसभा चुनावों में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को 43 स्थान प्राप्त हुए और श्रीमती शीला दीक्षित तीसरी बार दिल्ली की मुख्यमंत्री बनीं तथा 2013 तक इस पद पर रहीं । वर्तमान में श्री अरविन्द केजरीवाल एक भारतीय राजनीतिज्ञ, आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं । अपने पहले कार्यकाल के दौरान वह 28 दिसम्बर, 2013 ई० से 14 फरवरी, 2014 ई० तक इस पद पर रहे । 49 दिन की अल्पमत सरकार चलाने के बाद उन्होंने त्यागपत्र दे दिया ।

उन्होंने त्यागपत्र की वजह अल्पमत में होने की वजह से अपने चुनावी वादे के अनुसार जनलोकपाल बिल विधानसभा में पारित नहीं करवा पाना बताया । सालभर के राष्ट्रपति शासन के बाद फरवरी 2015 के चुनावों में उनकी पार्टी ने भारी बहुमत हासिल किया तथा 14 फरवरी, 2015 ई० को अरविन्द केजरीवाल दोबारा दिल्ली के मुख्यमंत्री पद पर आसीन हुए । वर्तमान में दिल्ली एक पूर्ण राज्य न होकर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के अंतर्गत केंद्रशासित राज्य ही है । यहाँ की शासन-व्यवस्था के लिए राष्ट्रपति उपराज्यपाल की नियुक्ति करता है, जो मुख्यमंत्री की सलाह से कार्य करता है । लेकिन दिल्ली की कानून व्यवस्था और अन्य महत्वपूर्ण मामलों पर आज भी केंद्र सरकार का नियंत्रण है ।

प्रश्न– भारत के केंद्रशासित क्षेत्रों के नाम लिखिए । उनकी शासन-व्यवस्था पर प्रकाश डालिए ।
उत्तर— भारत के केंद्रशासित क्षेत्र- भारत के केंद्रशासित क्षेत्रों की संख्या 7 है; जिनके नाम निम्नलिखित हैं
(i) अंडमान व निकोबार द्वीप समूह
(ii) दमन व दीव (iii) दादरा व नगर हवेली
(iv) लक्षद्वीप (v) चंडीगढ़
(vi) पाण्डिचेरी (पुदुचेरी)
(vii) राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली ।

केंद्रशासित क्षेत्रों की शासन-व्यवस्था-संघीय क्षेत्र (केंद्रशासित क्षेत्र) की विधानसभा अपने संपूर्ण क्षेत्र या कुछ भाग के लिए उन नियमों के बारे में कानून का निर्माण कर सकती है, जो संविधान में दी गई सातवीं अनुसूची में राज्य सूची अथवा समवर्ती सूची में दिए गए हैं । यदि संघीय क्षेत्र की विधानसभा किसी ऐसे कानून का निर्माण कर देती है जो संसद के कानून के विरुद्ध है, तो उस क्षेत्र की विधानसभा का कानून वहाँ तक अवैध समझा जाएगा जहाँ तक कि वह संसद के कानून के विरुद्ध है । दिल्ली, पुदुचेरी तथा अण्डमान व निकोबार द्वीपसमूह प्रत्येक के लिए उप राज्यपाल नियुक्त होते हैं । दादरा व नगर हवेली, चंडीगढ़, दमन व दीव तथा लक्षद्वीप के लिए प्रशासक नियुक्त किए जाते हैं ।
केंद्रशासित क्षेत्रों का शासन प्रशासक अपनी परिषदों की सहायता से संचालित करते हैं ।

प्रशासक के अधीन अनेक अधिकारी तथा कर्मचारी होते हैं । केंद्रीय क्षेत्रों का शासन भारत सरकार प्रशासक अथवा उप राज्यपालों के माध्यम से संचालित करती है । पहले दीव, दमन तथा अरुणाचल प्रदेश के शासन की देखभाल विदेश मंत्रालय करता था । अब समस्त केंद्रप्रशासित क्षेत्रों में प्रादेशिक सभाएँ (परिषदें) और परामर्शदात्री परिषदें है । गोवा के साथ जुड़े दमन एवं दीव पूर्व की भाँति केंद्रशासित क्षेत्र ही हैं । यहाँ का प्रशासन राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त प्रशासक के अधीन है । इस प्रकार केंद्रशासित क्षेत्रों में अलग-अलग प्रकार की शासन-व्यवस्था है । दो केंद्रशासित क्षेत्रों (दिल्ली एवं पुदुचेरी) में संसदीय अधिनियम के अनुसार लोकप्रिय मंत्रिपरिषद व विधानसभाएँ गठित की गई है और शेष 5 संघ राज्यों का प्रबंध पूर्ण रूप से केंद्र द्वारा किया जाता है ।

राष्ट्रपति को प्रत्येक संघीय क्षेत्र के लिए प्रशासक नियुक्त करने का अधिकार है । राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के प्रशासक की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है । संविधान द्वारा संघ राज्य क्षेत्र के प्रशासकों को अध्यादेश जारी करने की शक्ति प्रदान की गई है । लेकिन वह अपनी इस शक्ति का प्रयोग राष्ट्रपति की पूर्व अनुमति से ही कर सकता है । यदि वह चाहे तो किसी राज्य से लगे केंद्रीय क्षेत्र को उस राज्य के अन्तर्गत करने का अधिकार भी रखता है । संविधान ने राष्ट्रपति को यह अधिकार दिया है कि वह अण्डमान व निकोबार द्वीप समूह, लक्षद्वीप दमन व दीव के प्रशासन एवं व्यवस्था के लिए कोई नियम बना सकता है । इन नियमों को संसद द्वारा पारित अधिनियमों के समान ही मान्यता प्राप्त होगी । इसी प्रकार संसद को यह अधिकार प्राप्त है कि वह इन क्षेत्रों के लिए अन्य व्यवस्था कर दें । राष्ट्रपति राज्य की कार्यपालिका शक्ति स्वयं भी धारण कर सकता है ।

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