Up Board Class 12th Civics Chapter 10 Concept of Reservation: Need, Scope and Consequences free pdf आरक्षण की अवधारणा

Up Board Class 12th Civics Chapter 10 Concept of Reservation: Need, Scope and Consequences free pdf आरक्षण की अवधारणा

UP Board Solutions for Class 12 Civics Chapter 1 Principles of Origin of State
Up Board Class 12th Civics Chapter 10 Concept of Reservation
पाठ- 10 आरक्षण की अवधारणा---- आवश्यकता, क्षेत्र तथा परिणाम (Concept of Reservation: Need, Scope and Consequences)

लघु उत्तरीय प्रश्न
1– आरक्षण की परिभाषा दीजिए ।
उत्तर —- आरक्षण वह व्यवस्था है, जिसमें सरकार समाज के दुर्बल वर्गों को उनके आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक विकास के लिए अन्य वर्गों की अपेक्षा कुछ विशेष अवसर और सुविधा प्रदान करती है ।

2– आरक्षण के पक्ष में चार तर्क प्रस्तुत कीजिए ।
उत्तर —- आरक्षण के पक्ष में निम्नलिखित चार तर्क दिए जाते हैं
(i) आरक्षण से समाज के उच्च वर्गों के साथ निम्न वर्गों को भी शासन प्रणाली और राजनीतिक व्यवस्था में हिस्सेदारी प्राप्त हुई है ।
(ii) आरक्षण ने कमजोर वर्गों की शिक्षा एवं राजनीतिक चेतना बढ़ाई है ।
(iii) आरक्षण से संविधान के सामाजिक और आर्थिक न्याय संबंधी प्रावधानों का समुचित क्रियान्वयन हुआ है ।
(iv) आरक्षण से लोक सेवाओं में पिछड़े वर्गों का प्रतिनिधित्व बढ़ने लगा है ।

3– भारत में आरक्षण की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए ।
उत्तर —- भारतीय आर्थिक एवं सामाजिक परिवेश में समाज के कमजोर वर्गों का उत्थान सामाजिक न्याय के माध्यम से आज एक राजनीतिक मुद्दा बन चुका है । भारत में आरक्षण की आवश्यकता और उसके पक्ष में निम्नलिखित तर्क दिए जा सकते हैं
(i) क्षेत्रीय विषमताओं के कारण आरक्षण की आवश्यकता ।
(ii) सामाजिक न्याय की अवधारणा के अनुसार दुर्बल वर्गों को विशेष अवसर एवं सुविधाओं के लिए आरक्षण की आवश्यकता ।
(iii) सामाजिक विषमताओं के कारण आरक्षण की आवश्यकता ।
(iv) आरक्षण लोकतंत्र व्यवस्था की आवश्यकता है ।

4– अनुसूचित जातियों के आरक्षण के दो आधार बताइए ।
उत्तर —- अनुसूचित जातियों के आरक्षण के दो आधार निम्नवत् हैं
(i) अनुसूचित जातियों का सामजिक रूप से पिछड़ापन ।
(ii) अनुसूचित जातियों का आर्थिक एवं शैक्षिक रूप से पिछड़ापन ।

5– अनुसूचित जातियों कोरोजगार में आरक्षण देने के पक्ष एवं विपक्ष में एक एक तर्क दीजिए ।
उत्तर —- अनुसूचित जातियों को रोजगार में आरक्षण देने के पक्ष में तर्क यह है कि आरक्षण से अनुसूचित जातियों को शासन प्रणाली और राजनीतिक व्यवस्था में भागीदारी प्राप्त हुई है । तथा विपक्ष में यह तर्क है कि आरक्षण से अनुसूचित जातियों की स्थिति में सुधार होने के बजाय उनकी निर्भरता बढ़ गई है । वे जतियाँ आरक्षण की बैसाखी की आदी हो गई हैं ।

विस्तृत उत्तरीय प्रश्न

1– आरक्षण क्या है? आरक्षण के उद्देश्यों पर प्रकाश डालिए ।
उत्तर —- आरक्षण—- आरक्षण समाज के आर्थिक, सामाजिक एवं राजनीतिक रूप से पिछड़े वर्गों के उत्थान तथा कल्याण के लिए सरकार द्वारा चलाई गई नीतियाँ, कानून व सुविधाएँ हैं ताकि वे समाज के अन्य वर्गों की बराबरी कर सकें ।

आरक्षण के उद्देश्य- आरक्षण के उद्देश्य निम्न प्रकार हैं
(i) आरक्षण द्वारा कमजोर वर्गों की आर्थिक एवं सामाजिक स्थिति को सुधारना ।
(ii) आरक्षण से संविधान के सामाजिक और आर्थिक संबंधी प्रावधानों का क्रियान्वयन करना ।
(iii) आरक्षण द्वारा पिछड़े वर्गों का लोक सेवाओं में प्रतिनिधित्व बढ़ाना ।
(iv) आरक्षण से समाज के उच्च वर्गों के साथ निम्न वर्गों की शासन-प्रणाली और राजनीतिक व्यवस्था में भागीदारी सुनिश्चित करना ।
(v) आरक्षण से कमजोर वर्गों में शिक्षा एवं राजनीतिक चेतना का विकास करना ।
(vi) आरक्षण से कमजोर वर्गों को अपने व्यक्तित्व के विकास हेतु समान अवसर प्रदान करना ।
(vii) आरक्षण द्वारा पिछड़े वर्गों में सामाजिक विषमताओं को दूर करना ।

2– आरक्षण से आप क्या समझते हैं? जाति आधारित आरक्षण के भारतीय राजनीति पर प्रभाव का विश्लेषण कीजिए ।

उत्तर —- आरक्षण—- इसके लिए विस्तृत उत्तरीय प्रश्न संख्या—- 1 के उत्तर का अवलोकन कीजिए ।


जाति आधारित आरक्षण के भारतीय राजनीति पर प्रभाव—- विश्व में भारत ही एकमात्र ऐसा देश है, जिसमें जाति, धर्म सम्प्रदाय आदि के आधार पर आरक्षण की व्यवस्था स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् भी अपनाई जा रही है । वर्तमान में इसके स्वरूप को सीमित करने के स्थान पर इसका निरन्तर विस्तार किया जा रहा है । जातियों को विभिन्न वर्गीकरणों के आधार पर विभाजित किया जा रहा है, जबकि भारतीय संविधान राष्ट्रीय एकता तथा अखण्डता की बात करता है । जातिगत आधार पर आरक्षण की व्यवस्था को लागू करने के कारण समाज में विभिन्न जातियों के मध्य कटुता तथा संघर्ष की भावनाएँ उत्पन्न हो रही हैं ।

अन्य पिछड़े वर्ग के आरक्षण में भी जाति को ही आरक्षण का आधार बनाया जाता है तथा जाति की यह पहचान करना कि यह आर्थिक, शैक्षिक तथा सामाजिक रूप से पिछड़ी हुई है, राज्य सरकारों के निर्णय पर आधारित है । इस स्थिति को देखते हुए भी मण्डल आयोग की सिफारिशों को लागू करने से, आर्थिक दृष्टि से पिछड़े उन लोगों को असन्तोष हुआ जिनकी समस्याओं का कोई समाधान मण्डल आयोग ने नहीं सुलझाया था । अत: उन लोगों को निराशा हुई जिनको वास्तव में आरक्षण का लाभ मिलना था । इन समस्त परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए सरकार को सम्पूर्ण आरक्षण की व्यवस्था का पुनर्मूल्यांकन करना चाहिए । जाति को आरक्षण का आधार न मानते हुए आर्थिक स्तर को आरक्षण का आधार मानना अधिक उपर्युक्त तथा तर्कसंगत प्रतीत होता है, क्योंकि सामान्य जाति में भी ऐसे व्यक्तियों की संख्या बहुत अधिक है जो सामन्यतया गरीबी की रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे है अथवा आर्थिक दृष्टि से बहुत पिछड़े हुए है ।

जिन जातियों को आरक्षण का लाभ मिल रहा है, उनमें भी ऐसे व्यक्तियों की संख्या बहुत अधिक हो सकती है, जितना आर्थिक यथा शैक्षिक स्तर बहुत ऊँचा है । उन्हें आरक्षण प्रदान करके आरक्षण की व्यवस्था का दुरूपयोग ही हो रहा है । अनेक मेडिकल तथा इंजीनियरिंग कॉलेज में आरक्षण के आधार पर ऐसे विद्यार्थियों को प्रवेश मिल जाता है, जिन्होंने प्रतियोगी परीक्षा में न्यूनतम अंक भी प्राप्त नहीं किए है, जबकि सामान्य वर्ग के विद्यार्थियों को उसकी तुलना में बहुत अधिक अंक प्राप्त होने पर भी प्रवेश नहीं मिल पाता है । ये परिस्थितियाँ आरक्षण की सम्पूर्ण व्यवस्था पर भी प्रश्न चिन्ह लगा देती हैं । अतः इस व्यवस्था पर गहन रूप से चिन्तन करने की आवश्यकता है । अनेक राज्यों में तो आरक्षण 50 प्रतिशत की सीमा को भी पार कर गया है । शिक्षण संस्थाओं में आरक्षण प्रतिभाशाली छात्रों में कुण्ठा को जन्म देता है ।


जाति आधारित आरक्षण व्यवस्था के कुछ अच्छे परिणाम भी हुए है । सर्वप्रथम समाज में दलित, पिछड़ी तथा कमजोर जातियों को अपना जीवन—-स्तर सुधारने का अवसर मिला है । उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा भी बढ़ी है तथा राजनीतिक सहयोग सहभागिता का क्षेत्र भी विस्तृत हुआ है । आरक्षण के कारण सर्वाधिक लाभ, अनुसूचित जातियों और जनजातियों को मिला है ।

3– आरक्षण पर एक संक्षिप्त निबन्ध लिखिए ।
उत्तर —- आरक्षण पर निबन्ध


(i) भूमिका—- आरक्षण का अर्थ है सुरक्षित करना । हर स्थान पर अपनी जगह सुरक्षित करने या रखने की इच्छा प्रत्येक व्यक्ति को होती है, चाहे वह रेल के डिब्बे में यात्रा करने के लिए हो या किसी अस्पताल में अपनी चिकित्सा कराने के लिए, विधानसभा या लोकसभा का चुनाव लड़ने की बात हो या किसी सरकारी विभाग में नौकरी पाने की । लोग अनेक तरह की दलीलें देकर अपनी जगह सुनिश्चित करवाने और सामान्य प्रतियोगिता से अलग रहना चाहते हैं ।


(ii) आरक्षण के आधार—- आरक्षण पाने का कोई आधार होना आवश्यक है । रेल, बस आदि में सफर करना हो, तो आरक्षण के लिए सामान्य किराये के अलावा कुछ अतिरिक्त राशि देना आवश्यक होता है, अन्यथा आपको भीड़ में या पंक्ति में रहना पड़ेगा । गारंटी नहीं कि आप यात्रा कर पायेंगे अथवा नहीं । यदि कहीं अस्पताल में आपको चिकित्सा करवानी हो या किसी डॉक्टर से इलाज कराना हो, तो अतिरिक्त राशि दीजिए नहीं तो आपको अच्छी सुविधा या अच्छी चिकित्सा नहीं मिल सकती । यदि आप चुनाव में जीतना चाहते हैं तो किसी बड़ी जनसंख्या वाली जाति या धर्म का होना जरूरी है अथवा किसी आरक्षित जाति का होना जरूरी है । किसी सरकारी विभाग में नौकरी कम अंकों पर मिल जाए, इसके लिए भी किसी खास जाति का होना आवश्यक होता है । इस प्रकार जाति, धर्म आदि आज हमारे समाज में सुविधाओं को सबसे पहले और सबसे अधिक पाने का आधार हैं । यही नहीं कुछ खास पदों पर होना भी आरक्षण पाने के लिए जरूरी समझा गया है ।

(iii) लाभ-हानि—- आरक्षण वास्तव में समाज के उन्हीं लोगों के लिए हितकर हो सकता है जो अपंग हैं किंतु शिक्षा और गुण होते हुए भी अन्य लोगों से जीवन में पीछे रह जाते हैं । उन गरीब लोगों के लिए भी आरक्षण आवश्यक है जो गुणी होते हुए भी गरीबी में जीवन बीता रहे हैं । केवल जाति, धर्म और धन के आधार पर आरक्षण से गुणी व्यक्तियों को पीछे धकेल कर हम देश को नुकसान ही रहे है । यह देश जाति-धर्म, धनी-गरीब आदि आधारों पर और अधिक विभाजित होता जा रहा है ।

(iv) उपसंहार—- आज यदि हम देश को उन्नति की ओर ले जाना चाहते हैं और देश की एकता बनाए रखना चाहते हैं, तो जरूरी है कि आरक्षणों को हटाकर हम सबको एक समान रूप से शिक्षा दें और अपनी उन्नति का अवसर पाने का मौका दें ।

4– भारत में आरक्षण की आवश्यकता एवं प्रभाव का परीक्षण कीजिए ।
उत्तर —- भारत में आरक्षण की आवश्यकता—-भारतीय आर्थिक एवं सामाजिक परिवेश में समाज के कमजोर वर्गों का उत्थान सामाजिक न्याय के माध्यम से आज एक राजनीतिक मुद्दा बन चुका है । आरक्षण की आवश्यकता और उसके पक्ष में प्रमुख रूप से निम्नलिखित तर्क दिए जा सकते हैं

(i) क्षेत्रीय विषमताओं के कारण आरक्षण की आवश्यकता—- आरक्षण की आवश्यकता सबसे ज्यादा क्षेत्रीय विषमता के कारण है । बड़े राज्यों में कुछ क्षेत्र ऐसे होते हैं जो विकास से अछूते बने रहते हैं । उनका विकास प्रयास के बाद भी उस स्तर तक नहीं हो पाता है जहाँ तक अन्य क्षेत्रों का होता है । अतः उनके क्षेत्रीय विषमता को दूर करने के लिए आरक्षण की आवश्यकता होती है । भारत में इस प्रकार के क्षेत्र में रहने वाले को वनवासी, आदिवासी, गिरीजन एवं जनजाति आदि के
नाम से पुकारा जाता है ।

(ii) सामाजिक न्याय का साधन—- सामाजिक न्याय लोकतंत्र का एक प्रमुख आधार है । सामाजिक न्याय की अवधारणा के अनुसार राज्य के दुर्बल वर्गों को अन्य व्यक्तियों की तुलना में कुछ विशेष अवसर और सुविधाएँ प्राप्त होनी चाहिए और यह आरक्षण के आधार पर ही सम्भव है ।


(iii) सामाजिक विषमता के कारण आवश्यक—- एक देश के अन्तर्गत जब कुछ क्षेत्र विकास की दृष्टि से बहुत अधिक पिछड़े होते हैं, तब ये वर्ग और क्षेत्र अपना विकास तभी कर पाते हैं जबकि उन्हें प्रतिनिधित्व और सेवाओं के क्षेत्र में विशेष अवसर दिया जाए । इस प्रकार की विशेष सुविधाएँ और विशेष अवसर आरक्षण के द्वारा की सम्भव हो सकती है ।


(iv) भारत की सामाजिक व्यवस्था की दृष्टि से आरक्षण आवश्यक— शुरू से ही हिन्दू परम्परा एवं रीति-रिवाज के आधार पर दो वर्गों में विभाजित हो रहे हैं- उच्च एवं निम्न वर्ग । उच्च वर्ग शुरू से ही अपने को श्रेष्ठ मानते हुए निम्न वर्ग के प्रति अमानवीय व्यवहार करता रहा है । समाज की इस विषमता को आरक्षण के माध्यम से ही मिटाया जा सकता है ।

लोकतंत्र के अनुकूल—- लोकतंत्र समानता पर आधारित होता है । यह समानता तभी सम्भव है जबकि सभी वर्गों को विकास का समुचित अवसर मिले । आरक्षण यही कार्य करता है तथा इस दृष्टि से आरक्षण लोकतंत्र और समानता के अनुकूल है, प्रतिकूल नहीं । आरक्षण वह व्यवस्था है कि जो लोकतांत्रिक व्यवस्था को मात्र कागजी नहीं, वरन् वास्तविकता का रूप देने का प्रयत्न करता है ।

भारत में आरक्षण का प्रभाव—- भारत जैसे विभिन्न भाषा भाषी व विभिन्नता वाले देश में आरक्षण की आवश्यकता तो स्वयंसिद्ध है, परन्तु देश में जिस तरह से आरक्षण के प्रश्न को राजनीति से लपेटा लगाया है और विभिन्न राजनीतिक दलों ने इसे अपनी स्वार्थसिद्धि का साधन बनाया है, उस दृष्टि से आरक्षण व्यवस्था के परिणाम अच्छे नहीं कहे जा सकते हैं । आरक्षण व्यवस्था ने जातिवाद और सम्प्रदायवाद को अत्यधिक प्रोत्साहन दिया है और राष्ट्रीय एकता के लिए खतरा उत्पन्न कर दिया है । आज विभिन्न जातियों के बीच जो ईर्ष्या भाव तथा कटुता देखने को मिलती है, उसका एक प्रमुख कारण आरक्षण व्यवस्था भी है ।

मण्डल विरोधी आन्दोलन के समय हुई हिंसात्मक घटनाएँ, समय-समय पर छात्र आन्दोलन तथा अनेक जटिल समस्याएँ आरक्षण के कारण ही बढ़ी है । आरक्षण में भ्रष्टाचार के प्रवेश ने स्थिति को बहुत अधिक भयावह बना दिया है । आज तो स्थिति यह है कि कोई भी धन के बल पर फर्जी पिछड़ी जाति का प्रमाण-पत्र प्राप्त कर सकता है और उसके आधार पर आरक्षण की सुविधा ले सकते हैं । आरक्षण का इतिहास देखने से पता चलता है कि ‘आरक्षण’ ने ही भारत में साम्प्रदायिकता का बीजारोपण किया और जिसका परिणाम भारत विभाजन के रूप में हमारे सामने आया । स्वाधीनता के बाद आरक्षण व्यवस्था को सामाजिक विषमता को समाप्त करने तथा आर्थिक समानता को लाने के लिए लागू किया गया, परन्तु आज देश में कितनी सामाजिक विषमता दूर हुई हैं और कितनी आर्थिक समानता है, यह किसी भी व्यक्ति से छिपा नहीं है ।

वास्तविकता तो यह है कि दोष आरक्षण व्यवस्था में नहीं है, क्योकि आर्थिक तथा सामाजिक दृष्टि से पिछड़े तथा कमजोर लोगों को सुविधाएँ मिलनी ही चाहिए । लेकिन देश में आरक्षण को राजनीति का आवरण देकर इसके वास्तविक उद्देश्य को ही छिन्नभिन्न कर दिया है । इतना होने पर भी आरक्षण व्यवस्था के कुछ अच्छे परिणाम भी हुए है । सर्वप्रथम समाज में दलित, पिछड़ी तथा कमजोर जातियों को अपना जीवन स्तर सुधारने का अवसर मिला है । उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा भी बढ़ी है तथा राजनीतिक सहभागिता का क्षेत्र भी विस्तृत हुआ है । आरक्षण के कारण सर्वाधिक लाभ, अनुसूचित जातियों और जनजातियों को मिला है ।



5– आरक्षण की व्यवस्था करने की क्यों आवश्यकता पड़ी? क्या यह समाज के लिए लाभकर है? कारण सहित उत्तर
दीजिए ।

उत्तर —- आरक्षण की आवश्यकता—- इसके लिए विस्तृत उत्तरीय प्रश्न संख्या—-4 के उत्तर का अवलोकन कीजिए ।
समाज के लिए आरक्षण का मूल्यांकन—- इसके लिए विस्तृत उत्तरीय प्रश्न संख्या—-4 के उत्तर का अवलोकन कीजिए ।

6– जाति आधारित आरक्षण के गुण एवं दोषों का परीक्षण कीजिए । उत्तर —- उत्तर के लिए विस्तृत उत्तरीय प्रश्न संख्या—-2 के उत्तर का अवलोकन कीजिए ।

7– सरकारी सेवाओं में जातीय आधार पर आरक्षण के औचित्य का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए
। उत्तर —- इसके लिए विस्तृत उत्तरीय प्रश्न संख्या—- 2 के उत्तर का अवलोकन कीजिए ।

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