Guru ke roop sanskrit mein गुरु के रूप संस्कृत में

vidhya ke roop

Guru ke roop sanskrit mein गुरु के रूप संस्कृत में

गुरु के शब्द रूप संस्कृत में-Guru ke roop (गुरु के शब्द रूप ) गुरु शब्द इकारांत पुल्लिंग होता है और इकारांत पुल्लिंग सभी शब्दों के रूप एक समान चलते हैं आज इस आर्टिकल में हम गुरु के शब्द रूप सीखेंगे । गुरु शब्द के रूप अकारांत् पुल्लिंग सभी शब्दों के रूप इसी प्रकार से चलते है | जैसे- भानु, शिशु, साधु, इन्दु, रिपु, शत्रु, शम्भु, विष्णु,पशु ।

संस्कृत में शब्द रूप

विभक्तिएकवचनम्द्विवचनम्बहुवचनम्
प्रथमागुरु:गुरूगुरव:
द्वितीयागुरुम्गुरूगुरून्
तृतीयागुरुणागुरुभ्याम्गुरुभि:
चतुर्थीगुरवेगुरुभ्याम्गुरुभ्य:
पंचमीगुरो:गुरुभ्याम्गुरुभ्य:
षष्ठीगुरो:गुर्वो:गुरूणाम्
सप्तमीगुरौगुर्वो:गुरुषु
सम्बोधनहे गुरू!हे गुरू!हे गुरव:!

गुरु शब्द रूप उकारांत पुल्लिंग में चलते हैं। गुरु शब्द रूप याद करने का संस्कृत में सबसे सरल तरीका है। गुरु के समान रूप भानु, शिशु, साधु, इन्दु, रिपु, शत्रु, शम्भु, विष्णु,पशु आदि के चलते हैं। संस्कृत में शब्दरुपाणि सातों विभक्तियों व तीनों वचनों में रुप चलते हैं।
नोट- जितने भी उकारांत पुल्लिंग शब्द हैं उन सभी शब्दों के रूप गुरु की तरह ही चलते हैं । जैसे भानु, शिशु, साधु, इन्दु, रिपु, शत्रु, शम्भु, विष्णु,पशु

प्रिय दोस्तों हम आशा करते है कि आपको यह आर्टिकल पसंद जरूर आया होगा ।। गुरु शब्द के रूप (Guru ke Roop) अक्सर परीक्षा में पूछे जाते है। जिसकी तैयारी करके आप परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त कर सकते हैं। आपकों गुरु शब्द के रूप (Guru ke Roop) की जानकारी कैसा लगी हमें कमेंट करके जरुर बताएं और साथ ही इस पोस्ट को अपने दोस्तों के साथ शेयर जरुर करें। धन्यवाद!

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