Up board solution for class 8 sanskrit chapter 15 geetavachanamritani गीतावचनामृतानि

Up board solution for class 8 sanskrit chapter 15 geetavachanamritani गीतावचनामृतानि

UP Board solution for Class 8 Sanskrit Chapter 15 गीतावचनामृतानि सम्पूर्ण पाठ का हिन्दी अनुवाद

शब्दार्थाः-परम् = सबसे बड़े, वेत्ता = जानकार, वेद्यम् = जानने योग्य, ततम् = फैलाया, ग्लानिः = हानि, अभ्युत्थानम् = बढ़ना, वृधि, आत्मानम् = अपने आपको, सृजामि = पैदा करता हूँ, प्रकट करता है, परित्राणाय = रक्षा करने के लिए, दुष्कृताम् = पापियों के, संस्थापनार्थाय = स्थापना के लिए, सम्भवामि उत्पन्न होता हूँ, कर्मणि = कर्म में, कदाचन = कभी, सङ्गः आसक्ति, अकर्मणि अकर्म में, वासांसि = कपड़े, जीर्णानि = पुराने, विहाय = त्यागकर, छोड़कर, अपराणि दूसरे, संयाति जाता है, प्रवेश करता है, देही आत्मा, (जो शरीर में रहे), एनम् = इसको (आत्मा को), छिन्दन्ति = काटते हैं, शस्त्राणि हथियार, दहति जलाता है, क्लेदयन्ति = गीला । करता है, शोषयति = सुखाता है, युज्यस्व=तैयार हो जाओ, अवाप्स्यसि =पाओगे, प्राप्त करोगे।।

UP Board solution for Class 8 Sanskrit Chapter 15 गीतावचनामृतानि पाठ का हिन्दी अनुवाद

त्वमदिदेवः …….. विश्वमनन्तरूप ||1 ||

हिन्दी अनुवाद-तुम आदिदेव और पुराण पुरुष हो। तुम संसार के परम आधार हो। तुम जानने वाले और ज्ञान के योग्य हो और परमधाम हो। हे अनन्तरूप! तुमसे सारा विश्व व्याप्त है।

यदा यदा हि………सृजाम्यहम् ||2 ||

हिन्दी अनुवाद-(श्रीकृष्ण भगवान ने कहा) हे अर्जुन! जब-जब धर्म की ग्लानि (हानि) और अधर्म की वृद्धि होती है, तब-तब मैं धर्म की स्थापना करने के लिए स्वयं प्रकट होता हूँ।।

परित्राणाय……….युगे युगे ॥3 ॥

हिन्दी अनुवाद-सज्जनों की रक्षा और दुष्टों का विनाश करने तथा धर्म की सम्यक् स्थापना के लिए मैं युग-युग में जन्म लेता हूँ।

कर्मण्येवाधिकारस्ते………संगोऽस्वकर्मणि ॥4 ||

हिन्दी अनुवाद-(श्रीकृष्ण भगवान ने कहा) तुम्हारा अधिकार केवल कर्म करने में है, फलों पर। नहीं है; अतः तुम कर्मों के फल की चिन्ता मत करो और न ही तुम्हारा अकर्म में लगाव हो।

वासांसि………. नवानि देहि ॥5॥

हिन्दी अनुवाद-हे अर्जुन! जिस प्रकार, व्यक्ति पुराने वस्त्रों को त्यागकर नए वस्त्र धारण करता है, उसी प्रकार, यह आत्मा पुराने शरीर को त्यागकर अन्य नए शरीर को धारण करती है।।

नैनं छिन्दन्ति….. शोषयति मारुतः ॥6॥

हिन्दी अनुवाद-हे अर्जुन! इस आत्मा को न तो शस्त्र काट सकते हैं, न आग जला सकती है, न जल गीला कर है और न ही वायु सुखा सकती है।

सुखेदुःखे समे…….पापमवाप्स्यसि ॥7॥

हिन्दी अनुवाद-हे अर्जुन! सुख-दुख, लाभ-हानि और हार-जीतं को समान मानकर युद्ध के लिए तैयार हो जाओ। इस प्रकार पाप को प्राप्त नहीं होगे अर्थात् पापी नहीं होगे।

HOME PAGE

How to download online Ayushman Card pdf 2024 : आयुष्मान कार्ड कैसे ऑनलाइन डाउनलोड करें

संस्कृत अनुवाद कैसे करें – संस्कृत अनुवाद की सरलतम विधि – sanskrit anuvad ke niyam-1

Garun Puran Pdf In Hindi गरुण पुराण हिन्दी में

Bhagwat Geeta In Hindi Pdf सम्पूर्ण श्रीमद्भगवद्गीता हिन्दी में

MP LOGO

Leave a Comment