Up board social science class 10 chapter 31 : सड़क सुरक्षा और यातायात
ईकाई-2 (ग): सड़क सुरक्षा और यातायात
सड़क यातायात और सड़क सुरक्षा
लघुउत्तरीय प्रश्न
प्रश्न—-1. सड़क यातायात के विकास का वर्णन कीजिए।
उ०- मानव सदैव से ही भ्रमणशील रहा है। आदिमानव ने नदियों को प्राकृतिक सड़कोंइ के रूप में प्रयोग किया और पहिए का आविष्कार कर कच्ची सड़कों से प्रारंभ करके सड़क यातायात को पक्की सड़कों तक पहुँचा दिया। आदिमानव ने कच्ची सड़कों पर पत्थर बिछाकर तथा पहिए से गाड़ी बनाकर वर्तमान सभ्यता को सड़क यातायात का उपहार दिया। सतत् विकास ही जीवन जीने की नई पद्धति है और प्रगति मानव का स्वभाव है। इन्हीं दोनों आदर्शों ने मिलकर सड़क यातायात के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन किए। पहले कच्ची सड़कें और खड्जे बने, फिर पक्की सड़कों को राष्ट्रीय राजपथों के रूप में विकसित करके एक्सप्रेस-वे को जन्म दिया। मोटरकार, ट्रक, बाइक, स्कूटर तथा बैलगाड़ी के माध्यम से सड़क मार्ग से गन्तव्य तक पहुँचना ही सड़क यातायात कहलाता है। सड़कें सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक विकास का मार्ग प्रशस्त करती हैं। कहावत है, सड़कें सभ्यता की वाहक और आर्थिक विकास की जननी हैं। सड़क यातायात परिवहन का वह साधन है, जो आपको आपके घर, कार्यालय, विद्यालय या कारखाने से लेकर गंतव्य तक पहुँचाने में सार्थक भूमिका निभाता है। घर से बाहर कदम रखिए, बस सड़क आपकी सेवा में हाजिर है। सड़क परिवहन वह व्यवस्था है, जो कश्मीर के सेब को कन्याकुमारी तक तथा गुजरात के केलों को कश्मीर तक पहुँचाती है। कार, स्कूटर, बाइक, ट्रक या ट्रैक्टर के द्वारा सड़क यातायात संपन्न होता है।
प्रश्न— 2. सड़क यातायात के चार लाभ लिखिए।
उ०- सड़क यातायात के चार लाभ निम्नलिखित हैं
(i) सड़क यातायात आवागमन का सुगम साधन हैं। सड़क यातायात का उपयोग गाँव, कस्बे, नगर, महानगर, वन, पर्वत,
पठार, मरुस्थल सभी जगह किया जाता है ।
(ii) सड़क यातायात द्वारा कच्च माल कारखानों तथा तैयार माल खपत केंद्रों तक पहुँचाकर उद्योगों की स्थापना और विकास में सहायक हैं।
(iii) सड़क यातायात नगर, मंडियों और कारखानों से कृषि यंत्र, बीज, उर्वरक, कीट-नाशक आदि को कृषि क्षेत्रों तक तथा
कृषि उपजों को खेतों से मंडियों तथा वितरण केंद्रों तक पहुँचाकर कृषि विकास में सहायक है।
(iv) सड़क यातायात प्रशासनिक अधिकारियों को यत्र तत्र पहुँचाकर तथा समाचार पत्र और पत्रिकाओं का वितरण करके
प्रशासन तथा संचार-तंत्र को बनाता है।
प्रश्न—-3. सड़क सुरक्षा क्या है? इसे बनाए रखने के लिए चार उपाय सुझाइए।
उ०- सड़क परिवहन की अवधि में अपने आप को सुरक्षित बनाए रखना तथा दूसरों की सुरक्षा का ध्यान रखते हुए अपने गंतव्य तक पहुँचना ही सड़क सुरक्षा है। दूसरे शब्दों में सड़क यातायात के समय वाहनों के टकराव को रोककर स्वयं के जीवन की रक्षा करते हुए दूसरों को सुरक्षित यात्रा करने में सहयोगी बनना ही सड़क सुरक्षा है। सड़क सुरक्षा बनाए रखने के लिए चार उपाय निम्नलिखित हैं(i) वाहन धीमी गति से सुरक्षित रूप से चलाना |
(ii) यात्रा पर जाने से पूर्व वाहन की भली प्रकार जाँच करना |(iii) ओवर टेकिंग से बचना |
(iv) यातायात के नियमों का कठोरता से पालन करना |
प्रश्न—- 4. सड़क दुर्घटना होने के लिए उत्तरदायी चार कारण लिखिए। उ०- सड़क दुर्घटना होने के लिए उत्तरदायी चार कारण निमनलिखित हैं
(i) बहुत तेजी से वाहन चलाना ।
(ii) नशे में वाहन चलाना |
(iii) चालक का ध्यान बँटाने वाली गतिविधियाँ होना |
(iv) मोबाइल पर बातें करते हुए वाहन चलाना |
प्रश्न—-5. सड़क सुरक्षा में अपनी भूमिका पर प्रकाश डालिए। उ०- सड़क सुरक्षा में हमारी भूमिका-सड़कें राष्ट्र की धरोहर, यातायात का सुलभ साधन और आर्थिक विकास की स्रोत हैं, अत: इन्हें
सुरक्षित बनाए रखना प्रत्येक नागरिक और सरकार की प्राथमिकता है। सड़क सुरक्षा के क्षेत्र में हम निम्नलिखित भूमिका निभा सकते हैं
(i) बच्चों को वाहन चलाने से रोकें।
(ii) 18 वर्ष की आयु पूरी होने तथा चालक लाइसेंस प्राप्त करने पर ही वाहन चलाएँ।
(iii) विद्यालय जाते समय सड़क पर एक के पीछे एक लाइन लगाकर चलें तथा सावधानीपूर्वक सड़क पार करें।
(iv) सड़क पर यात्रा करते समय आगे और पीछे से आने वाले वाहनों पर दृष्टि रखें।
(v) रात्रि में साइकिल यात्रा करने से बचें।
(vi) सड़क पर घूमने या जॉगिंग करने से बचें।
(vii) सड़क पार करने में जेबरा क्रॉसिंग का प्रयोग करें।
(viii) ओवर टेकिंग कदापि न करें।
(ix) सड़क सुरक्षा के नियमों का कठोरता से पालन करें।
(x) दुर्घटना हो जाने पर तुरंत बचाव कार्य में जुटकर अपना सहयोग दें।
(xi) सड़क पर मारपीट, झगड़ा आदि न करें। (xii) सड़क पर ऐसी परिस्थितियाँ उत्पन्न न होने दें, जिससे जाम लग जाए।
विस्तृत उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न—-1. सड़क यातायात क्या है? इसका महत्व स्पष्ट कीजिए।
उ०- सड़क यातायात- सड़क यातायात परिवहन का वह साधन है, जो यात्रियों व सामान को सड़क मार्ग से एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचाने में सहायक है। कार, स्कूटर, ट्रक, ट्रैक्टर, बस आदि द्वारा सड़क यातयात संपन्न होता है।
(i) यातायात का सुगम साधन- सड़कें यातायात का सुगम साधन हैं। गाँव, कस्बे, नगर, महानगर, वन, पर्वत, पठार,
मरुस्थल सभी सड़क यातायात सुगमता से उपयोग कर लेते हैं। सड़कों का उपयोग पैदल यात्री, साइकिल सवार तथा गा ड़ीवान सभी कर लेते हैं। सड़कें घर को गाँव से, गाँव को नगर से तथा नगर को महानगरों से जोड़ती हैं ।
(ii) औद्योगीकरण में सहयोगी- सड़क यातायात ट्रकों के द्वारा कच्चा माल कारखानों तक तथा तैयार माल खपत के केंद्रों
तक पहुँचाकर उद्योगों की स्थापना और विकास में सहायक बनता है। मैदानी क्षेत्रों में जहाँ सड़कों का जाल बिछा हुआ है, उद्योग धंधों की स्थापना में बहुत सहयोग मिला है।
(iii) कृषि विकास में सहायक- सड़कें खेतों को मंडियों तथा वितरण केंद्रों से जोड़कर कृषि उपजों के विपणन में सहयोगी
बनती हैं। सड़क यातायात नगरों, मंडियों और कारखानों से कृषि यंत्र, उन्नत बीज, उर्वरक तथा कीटनाशक खेतों तक पहुँचाकर कृषि विकास में सहायक बनता है तथा हरित क्रांति कार्यक्रम को सफल बनाता है। देशी तथा विदेशी व्यापार का विस्तार- सड़क यातायात तैयार माल तथा कृषि उपज को मंडियों, औद्योगिक केंद्रों, महानगरों तथा बंदरगाहों तक पहुँचाकर देशी तथा विदेशी व्यापार के विस्तार में सहायक बनकर राष्ट्र की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाता है।
(v) खनिजों के शोषण में सहायक- सड़क परिवहन महत्वपूर्ण खनिज-उत्पादक क्षेत्रों की खानों से अयस्क कारखानों तक
पहुँचाकर राष्ट्र के आर्थिक विकास का मार्ग प्रशस्त करता है
(vi) राष्ट्रीय सुरक्षा में सहायक- सड़क यातायात के माध्यम से आवश्यक युद्ध सामग्री छावनी क्षेत्रों तक तथा छावनियों से
सैनिकों को युद्ध स्थल तक पहुँचाकर राष्ट्र की सुरक्षा में अभूतपूर्व योगदान देता है। राष्ट्र की आंतरिक तथा बाह्य सुरक्षा
सड़क यातायात पर निर्भर है।
(vii) आपदाओं के प्रबंधन में योगदान- सड़क यातायात आपदाओं के समय सुरक्षा दल, राहत सामग्री, दवाइयाँ तथा खाद्य
सामग्री प्रभावित क्षेत्र तक पहुँचाकर आपदा प्रबंधन में सक्रिय भागीदारी निभाता है।
(viii) क्षेत्रीय नियोजन में सहायक- सड़क यातायात, पर्वत, पठार, मरुस्थल तथा वन क्षेत्रों में अपनी सेवाएँ सुलभ कराकर
क्षेत्रीय नियोजन में सहायक होता है।
(ix) प्रशासन कार्य तथा संचार-तंत्र में सहयोग- सड़क यातायात प्रशासनिक अधिकारियों को यत्रतत्र पहुँचाकर तथा
समाचार-पत्र और पत्रिकाओं का वितरण करके प्रशासन तथा संचार-तंत्र को सफल बनाता है। पर्यटन का विकास- सड़क यातायात पर्यटकों को पर्वतीय क्षेत्रों, रमणीक स्थलों तथा प्राकृतिक दृश्यावली के क्षेत्रों में
पहुँचाकर, होटल तथा रेस्टोरेंट कारोबार को पनपाकर पर्यटन का विकास करने में सहभागिता निभाता है।
(xi) रोजगार का स्रोत- सड़क परिवहन, ड्राइवरों तथा बस संचालित करने वालों एवं कार किराए पर देने वालों को रोजगार
के अवसर जुटाकर प्रतिव्यक्ति आय और राष्ट्रीय आय में वृद्धि करता है।
प्रश्न—-2. सड़क सुरक्षा क्या है? इसे बाधित करने वाले कारणों की विवेचना कीजिए।
उ०- सड़क सुरक्षा का अर्थ- बढ़ते सड़क यातायात के वाहनों की भीड़ और कम पड़ती सड़कों ने सड़क यातायात के समक्ष जो सबसे गंभीर समस्या उत्पन्न की है, उसे ‘सड़क सुरक्षा’ कहा जाता है। भारत में अब सड़क सुरक्षा एक बहस का मुद्दा बन गया है। वर्तमान में सड़कों पर सुरक्षा की धज्जियाँ उड़ाकर हजारों लोगों के लहू से सड़कों को रँगा जाना आम बात हो गई है। प्रश्न यह उठता है कि सड़क सुरक्षा है क्या? “सड़क परिवहन की अवधि में अपने आप को सुरक्षित बनाए रखना तथा दूसरों की सुरक्षा का ध्यान रखते हुए अपने लक्ष्य तक पहुँच जाना ही सड़क सुरक्षा है।
” सड़क सुरक्षा की अवधारणा परिवार, समाज और राष्ट्र की सुरक्षा के प्रति एक महत्वपूर्ण कदम है। प्राचीन कहावत है, “धीरे चलिए, सुरक्षित रहिए। घर पर कोई आपकी प्रतीक्षा कर रहा है।”
सड़क यातायात के समय सड़क सुरक्षा के नियमों का अनुपालन करते हुए सुखद यात्रा सम्पन्न करना ही सड़क सुरक्षा है। दूसरे शब्दों में, सड़क यातायात के समय वाहनों के टकराव को रोककर स्वयं के जीवन की रक्षा करते हुए दूसरों को सुरक्षित यात्रा करने में सहभागी बनना ही सड़क सुरक्षा का मूलमंत्र है। सड़क सुरक्षा नियमों तथा ट्रेफिक सिग्नलों को ध्यान में रखकर सड़क परिवहन में सावधान रहना और सुरक्षित चलना ही सड़क सुरक्षा है। विकास के साथ-साथ संस्कृति का विकास कर निरापद सड़कों का उपयोग करना ही सड़क सुरक्षा है। कहावत है,
“सावधानी हटी और दुर्घटना घटी।”
सड़क सुरक्षा के मार्ग की बाधाएँ- सड़क सुरक्षा के मार्ग में निम्नलिखित बाधाएँ उत्पन्न होती हैं
(i) सड़क दुर्घटनाएँ- सड़क सुरक्षा के लिए सर्वाधिक उत्तरदायी कारण सड़क दुर्घटनाएँ हैं। सर्वेक्षण के अनुसार भारत में प्रत्येक 4 मिनट पर सड़क दुर्घटना में 1 व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है। सड़क दुर्घटनाओं के लिए निम्नलिखित कारण उत्तरदायी हैं(क) बहुत तेज गति से वाहन चलाना |(ख) नशे में वाहन चलाना |
(ग) चालक का ध्यान बँटाने वाली गतिविधियाँ होना |
(घ) मोबाइल पर बातें करते हुए वाहन चलाना |
(ङ) सीट बेल्ट, हेलमेट आदि सुरक्षा के उपायों की अनदेखी करना |
(च) ओवर टेकिंग करना |
(छ) चालक का प्रशिक्षित न होना |(ज) सड़क पर अचानक जंगली पशु आ जाना |
(झ) मौसम का बिगड़ जाना, आँधी, तूफान, कोहरा तथा हिमपात आरंभ हो जाना |
() सड़क की दशा खराब होना, उसमें गड्ढे आदि होना |
(ii) यातायात के नियमों का पालन न करना- पैदल यात्रियों और वाहन चालकों द्वारा यातायात के नियमों की अनदेखी
करना भी सड़क सुरक्षा के मार्ग में बाधा है। यातायात के नियमों का अनुपालन न करने से सड़क सुरक्षा नष्ट हो जाती है। (iii) वाहन का त्रुटिपूर्ण होना- वाहन का टायर फट जाना, ब्रेक फेल हो जाना, हेडलाइटों का न जलना तथा अधिक सामान
लादना या अधिक सवारियाँ बैठाना भी सड़क सुरक्षा में सेंध लगाने के सक्षम कारण हैं।
प्रश्न—-3. सड़क सुरक्षा बनाए रखने के उपाय सुझाइए।
उ०- सड़क सुरक्षा बनाए रखने के उपाय- सड़क सुरक्षा बनाए रखने के लिए निम्नलिखित सुझाव दिए जा सकते हैं
(i) वाहन धीमी गति से सुरक्षित रूप से चलाना |।
(ii) यात्रा पर जाने से पूर्व वाहन की भली प्रकार जाँच करना |
(iii) ओवर टेकिंग से बचना |
(iv) ड्राइविंग लाइसेंस प्रशिक्षित चालकों को ही देना |
(v) यातायात के नियमों का कठोरता से पालन करना |
(vi) पैदल यात्रियों का पैदल पथ पर चलना तथा सड़क पार करने के लिए जेबरा क्रॉसिंग का उपयोग करना |
(vii) बच्चों को सड़कों पर अकेला नहीं छोड़ना |
(viii) बाइक, स्कूटर तथा साईकिल पर यात्रा करते समय स्टंटबाजी न करना |
(ix) यात्रा करते समय गाने न सुनना |
(x) वाहन चलाते समय मोबाइल पर बातें नहीं करना |
(xi) साईकिल पर यात्रा करते समय सावधान रहते हुए साईकिल-मार्ग का उपयोग करना |
(xii) स्कूल बस में स्कूल जाते समय अथवा स्कूल से घर आते समय अपनी सीट पर शांत बैठकर यात्रा करना |
(xiii) चलते वाहन से न तो बाहर झाँकना और न शरीर का कोई अंग बाहर निकालना |
(xiv) सदैव प्राधिकृत स्थलों पर ही उचित ढंग से वाहन को पार्क करना |
(xv) वाहन का रख-रखाव उचित ढंग से करना |
(xvi) नशा करके वाहन न चलाना |
प्रश्न—-4. सड़क सुरक्षा में बच्चों की भूमिका’ पर प्रकाश डालिए।
उ०- बच्चे और सड़क सुरक्षा-सड़कें राष्ट्र की धरोहर हैं, जबकि बच्चे राष्ट्र का भविष्य। अत: प्रत्येक समाज और राष्ट्र चाहता है कि दोनों सुरक्षित रहें। अत: बच्चों को सड़क सुरक्षा के महत्व को समझ लेना आवश्यक हो जाता है
(i) बच्चे नटखट और शैतान होते हैं, अत: उनका सड़क पर उत्पात मचाना उनके स्वयं तथा सड़क सुरक्षा के लिए घातक हो
सकता है।
(ii) बच्चे कभी-कभी बिना सावधानी बरते दौड़कर सड़क पार करने लग जाते हैं, जिससे वाहनों की चपेट में आ जाते हैं।
(iii) बच्चे गली से अचानक मुख्य सड़क पर आकर वाहन की चपेट में आ जाते हैं।
(iv) सड़क के बीच में पहुँचकर बच्चे हड़बड़ा जाते हैं और दुर्घटना का शिकार बन जाते हैं। बच्चों के लिए सड़क सुरक्षा के नियम- बच्चों को अपनी सुरक्षा के साथ-साथ सड़क सुरक्षा को बनाए रखने के लिए निम्नलिखित नियमों का पालन करना चाहिए(i) बच्चों को सड़क पार करते समय पहले बाएँ, फिर दाएँ तथा फिर बाएँ देखकर सड़क पार करनी चाहिए।
(ii) बच्चों को बड़ों का हाथ पकड़कर ही सड़क पार करनी चाहिए।
(iii) सड़क पर दौड़ लगाना, खेलना या मस्ती करना स्वयं तथा सड़क सुरक्षा दोनों के लिए घातक है।
(iv) सड़क पर पैदल यात्रा करते समय बच्चों को फुटपाथ का प्रयोग करना चाहिए।
(v) चौराहे पर सड़क पार करने के लिए यातायात की बत्तियों (लाल बत्ती-रुको, पीली बत्ती-तैयार हो जाओ और हरी
बत्ती- आगे बढ़ जाओ) से सीख लेनी चाहिए।
(vi) साईकिल चलाते समय सड़क के एक ओर चलना चाहिए।
(vii) यातायात के नियमों का ठीक से पालन करना चाहिए।
प्रश्न—- 5. सड़क परिवहन एवं सड़क सुरक्षा अधिनियम 2014 के प्रावधानों का वर्णन कीजिए।
उ०- सड़क परिवहन एवं सड़क सुरक्षा विधेयक 2014- केंद्र सरकार सड़क यातायात के विकास के साथ-साथ सड़क यातायात की सुरक्षा बनाए रखने के प्रति भी वचनबद्ध है। इसीलिए केंद्र सरकार ने सड़क परिवहन एवं सड़क सुरक्षा विधेयक 2014 पारित किया। इस विधेयक के मुख्य प्रावधान निम्नवत् हैं
(i) सड़क यातायात का विकास करना और सड़क दुर्घटनाओं पर लगाम लगाकर सड़कों को सुरक्षित बनाना |
(ii) ‘मेक इन इंडिया’ मिशन के अंतर्गत सुरक्षित, त्वरित और अल्पव्यय से सड़क यातायात का चरम विकास करना |
(iii) सड़क परिवहन के क्षेत्र में गुणवत्ता लाकर प्रतिवर्ष 2 लाख लोगों को सड़क दुर्घटनाओं से सुरक्षित रखना |
(iv) सड़क यातायात के सुरक्षा मानकों को ध्यान में रखकर मोटर वाहन नियमन एवं सड़क सुरक्षा प्राधिकरण का गठन करना |
(v) राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा यातायात, प्रबंधन को लागू कराना |।
(vi) सड़क सुरक्षा को सुनिश्चित करने की दृष्टि से कठोर कानून बनाने का प्रावधान करना |
(vii) ड्राइविंग लाइसेंस देने तथा बीमा प्रणाली को बायोमैट्रिक सिस्टम से जोड़ना तथा वाहन स्थानांतरण ऑनलाइन व्यवस्था से जोड़ना |
(viii) सड़क दुर्घटना हो जाने पर घायलों को एक घंटे की अवधि में चिकित्सा सुविधाएँ उपलब्ध कराना |
(ix) मोटर एक्सीडेंट फंड की स्थापना करके प्रत्येक व्यक्ति को अनिवार्य बीमा योजना का लाभ देना |
(x) यातायात के नियमों का उल्लंघन करने वालों के लिए निम्नलिखित कठोर दण्डों का प्रावधान करना
(क) लापरवाही से वाहन चलाने पर लाइसेंस रद्द करना |
(ख) खराब वाहन की स्थिति पर वाहन स्वामी पर जुर्माना करना |
(ग) नशे की हालत में वाहन चलाने पर प्रथम बार 25,000 रुपए दंड या तीन माह की जेल, द्वितीय बार पकड़े जाने पर
50,000 रुपए जुर्माना या एक वर्ष की जेल तथा लाइसेंस रद्द करने का प्रावधान होना |
(घ) चालक द्वारा सीट बैल्ट न बाँधने पर 5,000 रुपए जुर्माना लगाना |
(ङ) चालक की लापरवाही से किसी की मौत हो जाने पर 3 लाख रुपए जुर्माना तथा 7 साल की जेल की व्यवस्था।
(च) असुरक्षित वाहन रखने पर 1 लाख रुपए जुर्माना तथा 6 माह की जेल की व्यवस्था।
(छ) तीन बार ट्रैफिक सिग्नल का उल्लंघन करने पर 15,000 रुपए जुर्माना तथा चालक का ड्राइविंग लाइसेंस रद्द करना |(झ) स्कूल बस चलाने वाला चालक नशे की दशा में बस चलाता पकड़ा गया तो उस पर 50,000 रुपए जुर्माना और तीन वर्ष के लिए जेल की सजा।
(ज) सड़क सुरक्षा नियमों की अवहेलना करने वाले 18 से 25 वर्ष के चालकों का ड्राइविंग लाइसेंस सदैव के लिए
रद्द करने का प्रावधान
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