Up board social science class 10 chapter 22 राज्य की कार्यपालिका (राज्यपाल और मंत्रिपरिषद्)

Up board social science class 10 chapter 22  राज्य की कार्यपालिका (राज्यपाल और मंत्रिपरिषद्)

Up board social science class 10 chapter 22 राज्य की कार्यपालिका (राज्यपाल और मंत्रिपरिषद्)

उ०- राज्यपाल की नियुक्ति- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 155 के अनुसार प्रत्येक राज्य में राज्यपाल की नियुक्त राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। राज्यपाल पद के लिए आवश्यक योग्यताएँ- संविधान के अनुच्छेद 157 में राज्यपाल बनने वाले व्यक्ति में निम्नलिखित योग्यताएँ होना आवश्यक है

(i) वह भारत का नागरिक हो।

(ii) उसकी आयु 35 वर्ष से अधिक हो।

(iii) वह विधानमंडल या संसद का सदस्य न हो।

(iv) वह सरकार के अधीन किसी लाभ के पद पर न हो। (v) वह किसी न्यायालय द्वारा दिवालिया घोषित न किया गया हो।
राज्यपाल को पद सँभालने से पूर्व कर्तव्यनिष्ठा और गोपनीयता की शपथ ग्रहण करनी पड़ती है। 2. राज्य प्रशासन में राज्यपाल का क्या महत्व है? उ०- राज्य प्रशासन में राज्यपाल का महत्व निम्न प्रकार है

(i) राज्यपाल ही मंत्रिपरिषद् का संवैधानिक प्रधान होता है। अतः राज्य के संपूर्ण शासन संबंधी कार्य उसी के नाम से
संचालित किए जाते हैं।

(ii) राज्यपाल मुख्यमंत्री की नियुक्ति करता है, मुख्यमंत्री की सलाह से अन्य मंत्रियों की नियुक्ति करता है तथा उनके कार्यों
का विभाजन करता है।

(iii) राज्यपाल मुख्यमंत्री से शासन संबंधी कोई भी सूचना माँग सकता है। (iv) राज्यपाल मुख्यमंत्री के परामर्श से विधानसभा को भंग करके नए चुनाव कराने की सिफारिश कर सकता है।

(v) राज्य का शासन सुचारू रूप से न चलने पर राज्यपाल राष्ट्रपति को अपनी रिपोर्ट भेजकर राज्य में राष्ट्रपति शासन के
लागू किए जाने की सिफारिश कर सकता है।

(vi) राज्यपाल साधारण और वित्त विधेयकों को अपनी स्वीकृति देकर कानून का रूप देता है।

प्रश्न —–3. राज्य मंत्रिपरिषद् के सामूहिक उत्तरदायित्व से आप क्या समझते हैं?

उ०- राज्य मंत्रिपरिषद् के सभी विधानसभा के प्रति उत्तरदायी होते है। एक मंत्री के कार्यों, भूलों तथा त्रुटियों के लिए संपूर्ण
मंत्रिपरिषद् उत्तरदायी होती है। इसे सामूहिक उत्तरदायित्व कहा जाता है। 4. राज्यपाल की प्रमुख शक्तियाँ लिखिए। उ०- राज्यपाल की प्रमुख शक्तियाँ निम्नलिखित हैं
(i) कार्यपालिका संबंधी शक्तियाँ

(ii) विधायी शक्तियाँ

(iii) वित्तीय शक्तियाँ

(iv) न्यायिक शक्तियाँ

प्रश्न ——मुख्यमंत्री की नियुक्ति किसके द्वारा की जाती है? राज्य प्रशासन में उसकी भूमिका की व्याख्या कीजिए।

उ०- मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल के द्वारा की जाती है। केंद्र प्रशासन में जो महत्व प्रधानमंत्री का होता है, राज्य प्रशासन में वही महत्व मुख्यमंत्री का होता है। मुख्यमंत्री राज्य मंत्रिपरिषद् की बैठकों की अध्यक्षता एवं उसकी कार्यवाही का संचालन करता है। मुख्यमंत्री की इच्छानुसार ही राज्यपाल मंत्रियों की नियुक्ति तथा उनके विभागों का पितरण करता है। वह राज्यपाल और मंत्रिपरिषद् तथा विधानमण्डन एवं मंत्रिपरिषद् के बीच सम्पर्क बनाए रखने वाली एक कड़ी का कार्य करता है। मुख्यमंत्री राज्य प्रशासन का केंद्र बिन्दु होता है, पूरा प्रशासन चक्र उसी के चारों ओर घूमता है। राज्यपाल तथा मुख्यमंत्री के परस्पर संबंध पर टिप्पणी लिखिए। मुख्यमंत्री तथा राज्यपाल के मध्य संबंध- राज्य प्रशासन की दो ही महत्वपूर्ण कड़ियाँ हैं- पहली मुख्यमंत्री तथा दूसरी राज्यपाल। दोनों के संबंध एक-दूसरे को संपूर्ण बनाते हैं। इनके संबंधों को निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से प्रस्तुत किया जा सकता है

(i) मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल स्वविवेक से करता है।

(ii) मुख्यमंत्री मंत्रिपरिषद् के अन्य सदस्यों की नियुक्ति तथा मंत्रालयों का बँटवारा राज्यपाल से कराता है।

(iii) राज्यपाल राज्य के महाधिवक्ता, राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों तथा विश्वविद्यालयों के उपकुलपतियों की नियुक्तियाँ मुख्यमंत्री की सलाह से ही करता है। (iv) मुख्यमंत्री राज्य का संपूर्ण प्रशासन राज्यपाल के माध्यम से चलाता है।

(v) राज्यपाल सभी कार्य मंत्रिपरिषद् (मुख्यमंत्री) की सलाह से ही संपन्न करने को बाध्य होता है। (vi) राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू होने पर राज्यपाल राज्य का वास्तविक प्रशासक बन जाता है।

7. राज्यपाल की न्यायिक शक्तियों का उल्लेख कीजिए।

उ०- राज्यपाल को न्याय के क्षेत्र में निम्नलिखित शक्तियाँ प्राप्त हैं
(i) राज्यपाल उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश तथा अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति में राष्ट्रपति को परामर्श देता है। (ii) जिला न्यायाधीशों की नियुक्ति तथा उन्हें पदोन्नति देने का अधिकार राज्यपाल को ही है। (iii) राज्यपाल उस अपराधी की सजा को माफ कर सकता है, घटा सकता है या स्थगित कर सकता है, जिसे राज्य के कानून का उल्लंघन करने पर दंडित किया गया हो।

* विस्तृत उत्तरीय प्रश्न *

प्रश्न—1. राज्यपाल की शक्तियों का विस्तार से उल्लेख कीजिए। उ०- राज्यपाल की शक्तियाँ ( अधिकार ) और कार्य- राज्यपाल को राष्ट्रपति ने निम्नलिखित शक्तियाँ प्रदान की हैं, जिनके
आधार पर वह निम्नलिखित कार्य करता है

(i) कार्यपालिका संबंधी शक्तियाँ- राज्यपाल की कार्यपालिका संबंधी शक्तियाँ निम्नलिखित हैं
(क) राज्य का समस्त प्रशासनिक कार्य राज्यपाल के नाम पर संपन्न होता है। (ख) राज्यपाल राज्य के मुख्यमंत्री की नियुक्ति करता है। (ग) वह मुख्यमंत्री की सलाह से मंत्रियों की नियुक्ति करता है, तथा उन्हें उनके पद से हटाता है। (घ) राज्यपाल राज्य के महाधिवक्ता, लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष तथा अन्य उच्च पदाधिकारियों आदि को नियुक्त
करता है।

(ङ) वह उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की नियुक्ति में राष्ट्रपति को परामर्श देता है। (च) राज्यपाल मंत्रिपरिषद् के निर्णयों को पुनःविचार करने के लिए वापिस कर सकता है।

(छ) वह मुख्यमंत्री से कोई भी प्रशासनिक जानकारी प्राप्त कर सकता है।
(ज) अनुच्छेद 356 के अनुसार राज्यपाल राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की राष्ट्रपति से सिफारिश कर सकता है। (ii) विधायी शक्तियाँ- विधानमंडल का ही एक अंग होने के कारण निम्नलिखित विधायी शक्तियाँ प्राप्त हैं
(क) राज्यपाल राज्य विधानमंडल का सत्र बुलाता है तथा उसका अवसान करता है।

(ख) वह विधानमंडल के दोनों सदनों में भाषण दे सकता है तथा उन्हें संदेश भेज सकता है।

(ग) वह मुख्यमंत्री के परामर्श से विधानसभा को भंग कर सकता है। (घ) राज्यपाल विधानसभा के प्रथम सत्र का शुभारंभ अपने भाषण से करता है, जिसमें वह राज्य की नीतियों का
विवरण देता है।

(ङ) राज्यपाल विधानसभा में एक एंग्लो इंडियन तथा विधान परिषद् में विभिन्न वर्गों के निश्चित सदस्यों (राज्यों के
अनुसार अलग-अलग) को मनोनीत करता है।

(च) राज्य विधानमंडल द्वारा पारित साधारण विधेयक या वित्त विधेयक, राज्यपाल की अनुमति मिल जाने पर ही कानून बन पाता है।

(छ) वह आवश्यकता पड़ने पर अध्यादेश भी जारी कर सकता है। (ज) विधान परिषद् में सभापति तथा उपसभापति का पद रिक्त होने पर, वह किसी भी सदस्य को अस्थायी सभापति
बना सकता है।

(iii) वित्तीय शक्तियाँ- राज्यपाल को निम्नलिखित वित्तीय शक्तियाँ प्राप्त हैं
(क) वित्त विधेयक विधानसभा में राज्यपाल की अनुमति से ही प्रस्तुत किया जा सकता है। (ख) राज्य सरकार धन (अनुदान) की माँग राज्यपाल की सिफारिश पर ही कर सकती है।

(ग) सरकार के वार्षिक बजट को राज्यपाल ही वित्तमंत्री द्वारा विधानसभा में प्रस्तुत करवाता है।
(घ) राज्य की संचित निधि पर राज्यपाल का ही नियंत्रण रहता है।

(iv) न्यायिक शक्तियाँ- राज्यपाल को न्याय के क्षेत्र में निम्नलिखित शक्तियाँ प्राप्त हैं
(क) राज्यपाल उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश तथा अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति में राष्ट्रपति को परामर्श देता
(ख) जिला न्यायाधीशों की नियुक्ति तथा उन्हें पदोन्नति देने का अधिकार राज्यपाल को ही है। (ग) राज्यपाल उस अपराधी की सजा को माफ कर सकता है, घटा सकता है या स्थगित कर सकता है, जिसे राज्य के
कानून का उल्लंघन करने पर दंडित किया गया हो।

(v) अन्य शक्तियाँ- राज्यपाल को निम्नलिखित अन्य शक्तियाँ भी प्राप्त हैं
(क) राज्यपाल राज्य में संवैधानिक संकट उत्पन्न हो जाने पर राष्ट्रपति को रिपोर्ट भेजता है। (ख) राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हो जाने पर राज्यपाल राष्ट्रपति के प्रतिनिधि के रूप में शासन चलाता है।

(ग) राज्यपाल अपने राज्य के विश्वविद्यालयों का कुलाधिपति होता है। (घ) राज्यपाल पर अपने पद पर रहते हुए कोई फौजदारी का मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है।

(ङ) उसके कार्यकाल में उसे बंदी बनाकर न्यायालय में प्रस्तुत नहीं किया जा सकता है।
(च) उस पर दीवानी मुकदमा चलाने के लिए, उसे दो माह पूर्व सूचना देना आवश्यक है।

प्रश्न—- 2. राज्यपाल की नियुक्ति कौन करता है? उसे कौन हटा सकता है? राज्य मंत्रिपरिषद् तथा राज्यपाल के संबंध समझाइए।

उ०- राज्यपाल की नियुक्ति- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 155 में की गई व्यवस्था के अनुसार, “प्रत्येक राज्य के लिए राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति करेगा।” राज्यपाल राष्ट्रपति की इच्छा पर और विश्वास बने रहने तक ही अपने पद पर बना रह सकता है। उसके स्थानांतरण से लेकर पद से हटाने तक के सभी अधिकार राष्ट्रपति को प्राप्त हैं। राष्ट्रपति एक ही राज्यपाल को एक से अधिक राज्यों का कार्यभार भी सौंप सकता है, अथवा एक राज्य से दूसरे राज्य में स्थानांतरित कर सकता है। राज्यपाल का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है, वह स्वयं इससे पूर्व त्याग पत्र देकर पद से हट सकता है। राज्यपाल को ₹1,10,000 मासिक वेतन, भत्ते, नि:शुल्क निवास तथा कार आदि की सुविधाएँ प्राप्त होती हैं। जब एक ही व्यक्ति को दो या अधिक राज्यों का राज्यपाल नियक्त किया जाता है तो राज्यपाल को देय उपलब्धियाँ तथा वेतन-भत्ते ऐसे अनुपात में बाँट दिए जाते हैं, जो राष्ट्रपति आदेश देकर निश्चित करें। राज्यपाल को भारत के संचित कोष से वेतन व भत्ते दिए जाते हैं। मंत्रिपरिषद् तथा राज्यपाल के मध्य संबंध- मंत्रिपरिषद् और राज्यपाल के बीच घनिष्ठ संबंध पाए जाते हैं, जिन्हें निम्नवत् स्पष्ट किया जा सकता है

(i) राज्यपाल मंत्रिपरिषद् की सलाह से सभी कार्य करता है।

(ii) वही मुख्यमंत्री तथा अन्य मंत्रियों की नियुक्ति करता है।

(iii) राज्यपाल मुख्यमंत्री से शासन संबंधी सूचना माँगता है।

(iv) मुख्यमंत्री उसे सूचनाएँ उपलब्ध कराता है।

(v) राज्यपाल ही राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की रिपोर्ट राष्ट्रपति को भेजता है।

(vi) राज्यपाल ही केंद्र सरकार के कानूनों को राज्य में लागू करवाता है तथा उनका क्रियान्वयन करवाता है। 3. मुख्यमंत्री की नियुक्ति किस प्रकार होती है? प्रशासन में उसकी स्थिति ( भूमिका ) स्पष्ट कीजिए

उ०- मुख्यमंत्री की नियुक्ति- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 164(1) में स्पष्ट लिखा गया है, “मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्य
का राज्यपाल करेगा।” मुख्यमंत्री की नियुक्ति करने में राज्यपाल मनमानी नहीं कर सकता। मुख्यमंत्री की नियुक्ति की व्यवस्था निम्नवत् है

(i) राज्यपाल विधानसभा में बहुमत दल के नेता को मुख्यमंत्री नियुक्त करता है। (ii) विधानसभा में किसी भी दल का बहुमत न होने की दशा में वह संयुक्त दल के नेता को मुख्यमंत्री नियुक्त कर, उसे विधानसभा में बहुमत सिद्ध करने को कहता है।

(iii) खंडित जनादेश और त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में राज्यपाल मुख्यमंत्री की नियुक्ति में स्वविवेक से काम लेता है।

(iv) चुनावों के उपरांत राज्य में सरकार न बन पाने कि स्थिति में, राज्यपाल राष्ट्रपति को रिपोर्ट देकर राज्य में 6 माह के लिए राष्ट्रपति शासन लागू करवा देता है।

(v) 6 माह तक सरकार का गठन न हो पाने पर या तो संसद राष्ट्रपति शासन को 6 माह के लिए बढ़ा देती है अन्यथा नए चुनाव कराए जाते हैं। मुख्यमंत्री का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है, परंतु विधानसभा में बहुमत रहने तक ही वह अपने पद पर बना रहता है। विधानसभा द्वारा ‘अविश्वास प्रस्ताव’ पारित कर अथवा अनुच्छेद 356 के अनुसार राज्य में संकटकाल की उदघोषणा होने तथा राष्ट्रपति शासन लागू होने पर मुख्यमंत्री पद से हट जाता है। यदि कोई ऐसा व्यक्ति मुख्यमंत्री बन गया है, जो राज्य विधानमंडल का सदस्य नहीं है, तब 6 माह के भीतर ही उसे विधानमंडल का सदस्य बन जाना अनिवार्य होगा, अन्यथा उसे पद छोड़ना पड़ेगा। राज्य के प्रशासन में मुख्यमंत्री की भूमिका ( महत्व)- राज्य के प्रशासन में मुख्यमंत्री का वही महत्व है, जो केंद्र के शासन में प्रधानमंत्री का होता है। राज्य के प्रशासन में मुख्यमंत्री की भूमिका तथा महत्व को निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से प्रस्तुत किया जा सकता है

(i) मुख्यमंत्री राज्य प्रशासन का केंद्र बिंदु होता है, पूरा प्रशासनात्मक चक्र उसी के चारों ओर घूमता है।

(ii) मुख्यमंत्री राज्य प्रशासन का मुखिया और सूत्रधार होता है, उसी के निर्णय और निर्देश के अनुसार प्रशासन तंत्र संचालित होता है।

(iii) मुख्यमंत्री राज्य प्रशासन का नियंत्रक और संचालक होता है, वह प्रशासन रूपी रेलगाड़ी का गार्ड है, उसके हरी झंडी दिखाते ही प्रशासन की गाड़ी चल पड़ती है।

(iv) वह राज्यपाल के माध्यम से राज्य के महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्तियाँ कराकर प्रशासन का सर्वेसर्वा बन जाता है।

(v) मुख्यमंत्री कानूनों के निर्माण से लेकर उनके क्रियान्वयन तक प्रमुख और महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

(vi) बहुमत के बल पर मुख्यमंत्री कानून निर्माण से लेकर प्रशासन चलाने तक अपनी मनमानी करता है।

(vii) मुख्यमंत्री के निर्देश पर राज्य का वित्तमंत्री बजट बनाकर पारित करवाता है, वही वित्तीय नीतियों की घोषणा करके
वित्तीय व्यवस्था का नियंत्रक बन जाता है।

(viii) मुख्यमंत्री राज्य में कल्याणकारी योजनाएँ चलाकर तथा सार्वजनिक हित की घोषणा करके जनप्रिय नायक बन जाता है।
मुख्यमंत्री मंत्रिपरिषद् का निर्माता, जीवनदाता और उसका अंत करने वाला होते हुए, राज्य प्रशासन का मुखिया और प्रशासन की धुरी बन जाता है।

प्रश्न . राज्य मंत्रिपरिषद् के गठन एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।

उ०- राज्य मंत्रिपरिषद्-राज्य मंत्रिपरिषद् वास्तविक कार्यपालिका होती है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 163 में लिखा गया है,
“राज्यपाल को प्रशासनिक कार्यों में सहयोग और सलाह देने के लिए एक मंत्रिपरिषद होगी जिसका अध्यक्ष मुख्यमंत्री होगा।” राज्यपाल को सहयोग और परामर्श देने के लिए जिस मंत्रिपरिषद् का गठन किया जाता है, व्यवहार में वही शासन चलाती है। मुख्यमंत्री, कैबिनेट मंत्री, राज्यमंत्री और उपमंत्रियों के संगठन का ही नाम मंत्रिपरिषद् है। मुख्यमंत्री राज्य मंत्रिपरिषद् का मुखिया और निर्माता होता है। राज्य मंत्रिपरिषद् केंद्रीय मंत्रिपरिषद् का ही लघु प्रतिरूप होती है। मुख्यमंत्री और कैबिनेट मंत्री मिलकर मंत्रिमंडल की रचना करते हैं। यही मंत्रिमंडल राज्य के लिए नीतियों को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण निर्णय लेता है। मंत्रिपरिषद् का गठन (रचना)- मंत्रिपरिषद् का निर्माता और मुखिया राज्य का मुख्यमंत्री होता है। मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा की जाती है। राज्यपाल मुख्यमंत्री की नियुक्ति में परिस्थितियों के अनुसार निम्नवत् निर्णय लेता है

(i) राज्यपाल विधानसभा में बहुमत वाले दल के नेता को मुख्यमंत्री नियुक्त करता है।

(ii) त्रिशंकु विधानसभा होने की स्थिति में राज्यपाल संयुक्त दल के नेता को मुख्यमंत्री नियुक्त करता है तथा उसे
विधानसभा में बहुमत सिद्ध करने का परामर्श देता है।

(iii) खंडित जनादेश होने की स्थिति में वह राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कराने की सिफारिश करता है।

(iv) अगले 6 माह में भी राज्य में दलीय सरकार बनने की संभावना समाप्त हो जाने पर नए चुनाव करा सकता है।
मुख्यमंत्री अन्य मंत्रियों की सूची तैयार कर राज्यपाल के पास भेजता है, जो स्वीकृति प्रदान कर मंत्रियों की नियुक्ति कर देता है। यदि कोई ऐसा व्यक्ति मंत्री बन जाता है, जो विधानमंडल का सदस्य नहीं है, तब उसे 6 माह में किसी भी सदन की सदस्यता ग्रहण करना अनिवार्य होगा, नहीं तो उसे अपना पद त्यागना पड़ता है। मंत्रिपरिषद में मंत्रियों की संख्या विधानसभा के कुल सदस्यों का 15% तक हो सकती है। मुख्यमंत्री राज्यपाल के परामर्श से मंत्रियों में विभागों का वितरण कर उन्हें कार्य सौंपता है। मंत्रिपरिषद् का प्रत्येक सदस्य मुख्यमंत्री के प्रसादपर्यंन्त अपने पद पर बना रहता है।

अवधि- मंत्रिपरिषद् की कार्यावधि 5 वर्ष रखी गई है, परंतु वह तभी तक कार्य करती है, जब तक उसे विधानसभा का विश्वास प्राप्त रहता है। विधानसभा ‘अविश्वास प्रस्ताव’ पारित करके मंत्रिपरिषद् को भंग करा सकती है। कार्यभार ग्रहण करते समय प्रत्येक मंत्री गोपनीयता और कर्तव्य निष्ठा की शपथ ग्रहण करता है। राज्य मंत्रिपरिषद् की शक्तियाँ तथा कार्य- राज्य मंत्रिपरिषद् की शक्तियाँ और कार्य निम्नलिखित हैं

(i) राज्यपाल को परामर्श देना- राज्य मंत्रिपरिषद् प्रशासनिक कार्यों में राज्यपाल को परामर्श देती है। साधारण रूप से
राज्यपाल मुख्यमंत्री के परामर्श से ही कार्य करता है।

(ii) नीतियों का निर्धारण करना- राज्य मंत्रिपरिषद् का मुख्य कार्य प्रशासन के लिए उचित नीतियों का निर्धारण करना
है। सत्तारूढ़ दल चुनाव के समय किए गए वायदे पूरे करने की रणनीति बनाता है। (iii) प्रशासन पर नियंत्रण- राज्य मंत्रिपरिषद् का प्रत्येक सदस्य अपने उत्तरदायित्वों की पूर्ति के लिए प्रशासन पर नियंत्रण बनाए रखता है। मंत्रिपरिषद् प्रशासन के लिए विधानसभा के प्रति उत्तरदायी होती है।

(iv) कानूनों का क्रियान्वयन- राज्य मंत्रिपरिषद् का सबसे महत्वपूर्ण कार्य कानूनों का क्रियान्वयन करना है। इसके सदस्य
विधेयक प्रस्तुत कर विधानमंडल में कानून बनवाते हैं तथा मंत्रिपरिषद् राज्य में शांति और व्यवस्था बनाए रखने के लिए कानूनों को ठीक से लागू करवाती है।

(व) नियुक्तियाँ कराना- राज्यपाल राज्य में महत्वपूर्ण पदों पर जो नियुक्तियाँ करता है, वह मंत्रिपरिषद् की सलाह मानकर
ही करता है।

(vi) आय-व्यय निश्चित करना- मंत्रिपरिषद राज्य की विभिन्न मदों के लिए आय-व्यय को निश्चित करने के उद्देश्य
से वार्षिक बजट तैयार करके, उसे पारित करवाती है।

5. राज्य प्रशासन में राज्यपाल का क्या महत्व है? राज्यपाल तथा मुख्यमंत्री के संबंधों का वर्णन कीजिए।

उ०- राज्यपाल की प्रशासनिक स्थिति और महत्व- राज्यपाल की राज्य में प्रशासनिक स्थिति बड़े महत्व की है, जिसे निम्नवत्
प्रस्तुत किया जा सकता है

(i) संवैधानिक प्रधान- राज्यपाल ही मंत्रिपरिषद् का संवैधानिक प्रधान होता है। सरकार की समस्त शक्तियाँ राज्यपाल में
निहित होती हैं। राज्य का संपूर्ण कार्य उसी के नाम पर चलाया जाता है। संवैधानिक प्रधान होते हुए भी वह नाममात्र का
प्रशासक रह जाता है।

(ii) राष्ट्रपति का प्रतिनिधि- राज्यपाल राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हो जाने पर राष्ट्रपति के प्रतिनिधि के रूप में प्रशासन
का सर्वेसर्वा बन जाता है।

(iii) मुख्यमंत्री की नियुक्ति- राज्य के मुख्यमंत्री की नियुक्ति करने का पूर्ण अधिकार राज्यपाल का है। इस कार्य में वह
स्वविवेक का प्रयोग करता है।

(iv) विधानसभा को भंग करना- राज्यपाल मुख्यमंत्री के परामर्श से विधानसभा को भंग करके नए चुनाव कराने की
सिफारिश कर देता है।

(v) सूचना प्राप्त करना- राज्यपाल मुख्यमंत्री से प्रशासनिक और वैधानिक सूचनाएँ प्राप्त कर उन्हीं के अनुरूप परामर्श
देता है।

(vi) विधेयकों को कानून का रूप देना- राज्यपाल साधारण और वित्त विधेयकों को जो विधानमंडल से पारित होते हैं,
अपनी अनुमति देकर तथा हस्ताक्षर करके कानून का रूप देता है। राज्यपाल तथा मुख्यमंत्री के मध्य संबंध- इसके लिए लघु उत्तरीय प्रश्न संख्या- 6 के उत्तर का अवलोकन कीजिए।

Up board social science class 10 chapter 20 केंद्रीय मंत्रिपरिषद्- गठन एवं कार्य

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