MP BOARD CLASS 12 CHEMISTRY CHAPTER 5 PRASTH RASAYAN प्रष्ठ रसायन

MP BOARD CLASS 12 CHEMISTRY CHAPTER 5 PRASTH RASAYAN प्रष्ठ रसायन

पाठ – 5 प्रष्ठ रसायन

महत्वपूर्ण बहुविकल्पीय प्रश्न ( 12th Chemistry Important Questions in hindi 2022 )

  1. किसी रासायनिक अभिक्रिया में उत्प्रेरक का प्रभाव को परिवर्तित करना होता है—
    (अ) साम्य सान्द्रता (ब) सक्रियण ऊर्जा
    (स) अभिक्रिया ऊष्मा (द) अंतिम उत्पाद
  2. किस प्रकार की धातुए प्रभावी उत्प्रेरक बनाती हैं—
    (अ) क्षार धातुएँ (ब) संक्रमण धातुएँ
    (स) क्षारीय मृदा धातुएँ (द) रेडियोक्टिव धातुएँ
  3. प्लेटिनम उत्प्रेरक के लिए नि.लि. में से कौन विष का कार्य करता है?

(अ) SO2 (ब) As2O3
(स) NO (द) H3PO4

  1. जब वायु परिक्षेपण माध्यम होती है तो बना सॉल कहलाता है—
    (अ) ऐल्कोसॉल (ब) हाइड्रोसॉल
    (स) बेन्जोसॉल (द) ऐरोसॉल
  2. कोहरा किस प्रकार का कोलॉइडी निकाय है——
    (अ) द्रव में गैस (ब) गैस में द्रव
    (स) द्रव में द्रव (द) गैस में ठोस
  3. झाग किस प्रकार का कोलॉइडी विलयन है?
    (अ) गैस में द्रव (ब) द्रव में गैस
    (स) द्रव में द्रव (द) गैस मे ठोस
  4. नि.लि. में जल विरोधी कोलॉइड है—
    (अ) स्टार्च (ब) गोंद
    (स) स्टेनिक ऑक्साइड (द) जिलेटिन
  5. कोलॉइडो को शुद्ध करने की विधि है—
    (अ) पेप्टीकरण (ब) स्कन्दन
    (स) अपोहन (द) बेडिग की आर्क विधि
  6. धनात्मक कोलॉइडी विलयन है—

(अ) As2S3 (ब) गोंद
(स) SnO2 (द) इनमें से कोई नहीं

  1. आर्सेनियस सल्फाइड के कोलॉइडी विलयन के स्कंदन में सबसे प्रभावी विलयन है—
    (अ) NaCl (ब) Na3PO4
    (स) BaCl2 (द) इनमें से कोई नहीं

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अति लघु उत्तरीय प्रश्न तथा लघु उत्तरीय प्रश्न ( mp board 12th Chemistry Important Questions in hindi 2022 )

प्रश्न 1. ठोस धातु की तुलना में धातु चूर्ण प्रभावी उत्प्रेरक है क्यों?
उत्तर – ठोस उत्प्रेरक का महीन चूर्ण अधिक सक्षम होता है इसका कारण यह है कि उत्प्रेरक के जितने अधिक टुकड़े होंगे उतने ही मुक्त संयोजकताएँ अधिक होंगी अर्थात् पृष्ठ क्षेत्रफल अधिक होगा, जिसके कारण उसकी कार्यक्षमता अधिक होगी ।।

प्रश्न 2. कोलॉइडी विलयन किसे कहते हैं? समझाइए ।।
उत्तर – आधुनिक विचारों के अनुसार कोलॉइडी अवस्था पदार्थ के कणों के आकार पर निर्भर करती है, वह पदार्थ जिनके छोटे–छोटे कण 10.4 से 10.7 सेमी आकार में परिक्षिप्त प्रावस्था के रूप् में परिक्षेपण माध्यम जिसे विलायक कहते हें, में परिक्षिप्त रहते हैं, कोलॉइडी पदार्थ कहलाते हैं ।। तथा इनके विलयन को कोलॉइडी विलयन कहते हैं ।। ।।

प्रश्न 3. गोल्ड सॉल बनाने की विधि का वर्णन कीजिए ।।
उत्तर – जब AuCl3 के जलीय विलयन को SnCl2 के द्वारा अपचयित करते हैं तो इसका स्थायी सौल प्राप्त होता है ।।

2AuCl3 + 3SnCl2 → 2Au↓ + 3SnCl4

प्रश्न 4. पेप्टीकरण की क्रिया को एक उदाहरण द्वारा समझाइए ।। पेप्टीकरण क्या है? फेरिक हाइड्रॉक्साइड के अवक्षेपण के लिए उपयुक्त पेप्टीकरण बताइए ।।
उत्तर – वह प्रक्रम जिसमें किसी कोलॉइडी पदार्थ के एक ताजे बने अवक्षेप में उचित विद्युत – अपघट्य के विलयन की थोड़ी सी मात्रा मिलाकर उसे कोलाइडी अवस्था में परिवर्तित करते हैं पेप्टीकरण कहलाता है ।।

पेप्टीकरण प्रक्रम के अन्तरर्गत कोलाइडी पदार्थ के ताजे बने अवक्षेप में मिलाया गया, उपयुक्त विद्युत अपघट्य जिससे पुनः एक कोलॉइडी अवस्था मे विलयन प्राप्त होता है, पेप्टीकरण कहलाता है ।।
उदाहरण – फेरिक हाइड्रॉक्साइड [Fe(OH)3] में फेरिक क्लोराइड [FeCl3] पेप्टीकारक का तनु विलयन मिलाकर स्थायी सॉल प्राप्त किया जाता है ।।

Fe(OH)3 + FeCl3 → [Fe(OH)3] . Fe3 + 3Cl

अवक्षेप जलीय कोलाइडी परत विक्षरित परत

प्रश्न 4. अपोहन से आप क्या समझते हैं? इसका क्या महत्व है?
उत्तर – कोलॉइडी पदार्थों को महीन झिल्ली द्वारा क्रिस्टलॉइड से पृथक करके शुद्ध कोलॉइडी विलयन बनाने की विधि अपोहन कहलाती है ।। इसका महत्व कोलाइडी विलयनों के शोधन में होता है ।।

प्रश्न 5. विद्युत कण संचरण को समझाइए ।। विद्युत कण संचलन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए ।।
उत्तर – कोलॉइडी कण पर धनात्मक या ऋणात्मक विद्युत आवेश होता है जिससे ये कण विद्युत प्रभाव क्षेत्र में विपरीत आवेशित इलेक्ट्रॉड की ओर चलने लगता है ।। विद्युत क्षेत्र में कोलाइडी विलयनों से कोलाइडी कणों के इलेक्ट्रॉड अभिगमन की घटना विद्युत कण संचरण कहलाती है ।।

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प्रश्न 6. स्व—उत्प्रेरण तथा प्रेरित उत्प्रेरण को उदाहरण सहित समझाइए ।। अथवा स्व—उत्पेरण को एक उदाहरण द्वारा समझाइए ।। अथवा प्रेरित उत्प्रेरण पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए ।। अथवा स्व—उत्प्रेेरण पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए ।।
उत्तर – स्व—उत्प्रेरण – जब क्रियाफल पदार्थों में से कोई एक पदार्थ उत्प्रेरक का कार्य करता है तो परिघटना स्वउत्प्रेरण कहलाती है ।।
उदाहरण – CH3COOC2H5 + HOH ↔ CH3COOH + C2H5OH

इस अभिक्रिया में CH3COOH का H+ आयन स्वउत्प्रेरण का कार्य करता है ।।

प्रेरित उत्प्रेरण – जब एक क्रिया करने वाला पदार्थ समान रूप से क्रिया न करने वाले पदार्थ को मिश्रण में क्रियाशील कर देता है तो वह क्रियाशील पदार्थ प्रेरित उत्प्रेरण कहलाता है ।। और यह घटना प्रेरित – उत्प्रेरण कहलाती है ।।
उदाहरण – सोडियम सल्फाइड वायु से औक्सीकृत हो जाता है, परन्तु सोडियम आर्सेनाइट वायु से औक्सीकृत नहीं होता है, इन दोनों विलयनों के मिश्रण में वायु प्रवाहित करने पर ये दोनों ऑक्सीकृत हो जाते हैं ।। इस क्रिया में सोडियम सल्फाइड की ऑक्सीकरण क्रिया सोडियम आर्सेनाइट की ऑक्सीकरण क्रिया के लिए प्रेरित उत्प्रेरण का कार्य करती है ।।
अतः इसमें सोडियम सल्फाइड प्रेरित उत्प्रेरक है ।।

Na2SO3 + [O] → Na2SO4

Na3AsO3 + [O] → कोई अभिक्रिया नहीं

Na2SO3 + Na3AsO3 + O2 → Na2SO3 + Na3AsO3

लघु उत्तरीय प्रश्न ( 12th Chemistry Important Questions in hindi 2022 )

प्रश्न 7. उत्प्रेरक विष तथा उत्प्रेरक वर्धक में क्या अंतर है? उदाहरण सहित समझाइए ।।

अथवा उत्प्रेरक वर्धक तथा उत्प्रेरक विष को उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए

अथवा उत्प्रेरक विष क्या है? एक उदाहरण द्वारा व्याख्या कीजिए

अथवा उत्प्रेरक वर्धक किसे कहते हैं? एक उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए ।।

उतर – उत्प्रेरक विष – वे बाहरी पदार्थ जो उत्प्रेरण क्रिया में प्रयुक्त उत्प्रेरक की क्रियाशीलता को कम कर देते हैं अथवा पूर्ण रूप् से नष्ट कर देते हैं, उतप्रेरक विष कहलाते हैं ।।
उदाहरण – 2SO2 + O2 → 2 SO3

उत्प्रेरक वर्धक – वह बाहरी पदार्थ जो उत्प्रेरण क्रिया में प्रयुक्त उत्प्रेरक की क्रियाशीलता को बढ़ा देते हैं, उत्प्रेरक वर्धक कहलाते हैं ।।
उदाहरण – N2 + 3 H2 → 2 NH3↑

प्रश्न 8. उत्प्रेरक वर्धक की क्रियाविधि समझाइए ।।
उत्तर – किसी ठोस उत्प्रेरक की सतह पर सभी केन्द्रों पर उत्प्रेरण क्षमता एक समान नहीं होती है बल्कि कुछ केन्द्रों पर उत्प्रेरक क्षमता अत्यधिक होती है, जिन्हें सक्रिय केन्द्र कहते हैं ।। इन केन्द्रों पर असंतृप्त मुक्त संयोजकताएँ बहुत अधिक होती है, यह सक्रिय केन्द्र केवल अभिकारक के अणुओं के अधिक शोषण से ही अभिक्रिया का वेग नहीं बढ़ाते हैं, अपितु यह अधिशोषण अणुओं को तनाव के कारण भी सक्रिय करते हैं ।। उत्प्रेरक वर्धक उत्प्रेरक की सतह पर सक्रिय केन्द्रों की संख्या मे वृद्धि करते हैं इससे असंतृप्त मुक्त संयोजकताओं की संख्या बढ़ जाती है ।।
और उत्प्रेरक की कार्यक्षमता भी बढ़ जाती है इस कारण उत्प्रेरक वर्धक की उपस्थिति के कारण अभिक्रिया की तीव्रता में वृद्धि होती है ।।

प्रश्न 9. निम्नलिखित को उदाहरण द्वारा समझाइए—
(1) ऋणात्मक उत्प्रेरण
(2) स्कन्दन

उत्तर –
ऋणात्मक उत्प्रेरण – उत्प्रेरण अभिक्रियाओं में जब प्रयुक्त उत्प्रेरक रासायनिक अभिक्रिया की गति को घटाता है तो यह घटना ऋणात्मक उत्प्रेरक कहलाती है तथा यह उत्प्रेरक ऋणात्मक उत्प्रेरण कहलाता है ।।
उदाहरण – हाइड्रोजन परॉक्साइड साधारण ताप पर स्वंय ही जल तथा ऑक्सीजन मे अपघटित होता रहता है, परन्तु फॉस्फोरस अम्ल तथा ग्लिसरीन इस अभिक्रिया में ऋणात्मक उत्प्रेरक है ।।

2H2O2 ————> H2O2 + O2 ( ऋणात्मक उत्प्रेरण ग्लिसरीन की उपस्थिति में )

वायु द्वारा क्लोरोफॉर्म के फॉस्जीन में परिवर्तन को 2% ऐथेनॉल विलयन मिलाने पर कम किया जा सकते है यहाँ पर एथेनॉल ऋणात्मक उत्प्रेरक का कार्य करता है ।।

स्कन्दन – जब किसी कोलाइडी विलयन में किसी वि़द्युत अपघट्य के विलयन को मिलाते है तो कोलाइडी कणों के आवेश को विधुत अपघट्य के विलयन से विपरीत आवेशित आयन उदासीन करता है, फलस्वरूप उनका आकार बढ़ जाता है ।। और वह अवक्षेपित हो जाते हैं ।। इस अवक्षेपण प्रक्रिया को स्कन्दन कहते हैं ।।

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प्रश्न 10. ब्राऊनी गति क्या है? कोलाइडी कणों को आकार और परिक्षेपण माध्यम की श्यानता इसे किस प्रकार प्रभावित करते हैं? अथवा
ब्राऊनी गति क्या है इसका कारण तथा इसको प्रभावित करने वाले दो प्रमुख कारक लिखिए ।। ब्राऊनी गति पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए ।।
उत्तर – ब्राऊनी गति – परिक्षेपित प्रावस्था के रूप् मे कोलाइडी पदार्थाें का परिक्षेपण माध्यम से बना कोलाइडी विलयन एक विषमांग विलयन होता है ।। कोलाइडी विलयन का अतिसूक्ष्मदर्शी द्वारा अवलोकन करने पर ज्ञात होता है कि कोलाइडी विलयन में कोलाइड कण टेढ़े—मेढ़े तरीके से सभी दिशाओं में अनियमित रूप से गतिशील रहते हैं
कोलाइडी कणों का इस प्रकार गति करना ब्राऊनी गति कहलाता है ।।
वीयर के अनुसार यह गति कोलाइडी कणों के परिक्षेपण माध्यम के कणों से टकराने के कारण होती है ।। यह गति कणों का आकार बढ़ाने पर घटती है तथा परिक्षेपण माध्यम की श्यानता बढ़ने पर ब्राऊनी गति घटती है अन्य परिक्षेपण माध्यम की श्यानता कम हो तो ब्राऊनी गति बढ़ती है ।।

प्रश्न 11. आप हार्डी शुल्जे नियम से संशोधन के लिए क्या सुझाव दे सकते हैं?
उत्तर – हार्डी शुल्जे के अनुसार वे आयन जिन पर सॉल कणों से विपरीत आवेश होता है स्वंय को उदासीन कर लेते हैं ।। जो उनके स्कन्दन अथवा अवक्षेपण का कारण बनता है ।। यह नियम आयन द्वारा धारित आवेश का संदर्भ लेता है न कि उसके आकार का ।। आयन का आकार जितना कम होता है उसकी ध्रवण क्षमता अधिक होती है
अतः हार्डी शुल्जे नियम को ऊर्णित आयन अथवा अवक्षेपण के कारक आयन की ध्रवण क्षमता के पदों में संशोधित किया जाना चाहिए ।। नियम का संशोधन रूप इस प्रकार होगा ऊर्णित अथवा अवक्षेपण के कारक आयन की ध्रवण क्षमता अधिक होगी उसकी अवक्षेपित होने की क्षमता भी उतनी ही अधिक होगी ।।

प्रश्न 12. नदियाँ समुद्र में मिलने से पहले डेल्टा का निर्माण करती हैं, क्यों?
उत्तर – नदी के जल में मिट्टी रेत आदि कोलॉइडी विलयन के रूप् में उपस्थित रहते हैं क्यों कि जल में रेत परिक्षेपित रहता है जबकि समुन्द्री जल में जैसे लवण विलेय रहते हैं जो विद्युत अपघट्य है इन जलों के मिलन बिन्दु पर समुद्र के द्वारा नदी के कोलॉइडी कणों का स्कन्दन हो जाता है जिसमें मिट्टी रेत आदि एकत्र होकर डेल्टा का निर्माण कर देते हैं ।।

प्रश्न 13. टिण्डल घटना पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए ।। टिण्डल प्रभाव क्या है? इसकेा प्रभावित करने वाले दो कारक लिखिए टिण्डल प्रभाव क्या है? इसका कारण तथा इसकेा प्रभावित करने वाले दो पुमुख कारक लिखिए ।।
उतर – जिस प्रकार अँधेरे कमरे में प्रकाश की किरण में वायु में धूल के कण चमकते हुए दिखाई पड़ते हैं , उसी प्रकारर लेन्सों से केन्द्रित प्रकाश को कोलॉइडी विलयन में डालकर समकोण दिशा में रखे एक सूद्वमदर्शी से देखने पर कोलॉइडी कण अंधेरे में घूमते हुए दिखाई देते हैं ।। इस घटना के आधार पर वैज्ञानिक टिण्डल ने कोलॉइडी विलयनों मे एक प्रभाव का अध्ययन किया जिसे टिण्डल प्रभाव कहा गया ।। अतः कोलॉइडी कणों द्वारा प्रकाश के प्रकीर्णन के कारण टिण्डल प्रभाव होता है ।। कोलॉइडी कणों द्वारा प्रकाश के प्रकीर्णन के कारण टिण्डल प्रभाव होता है ।।

कोलाइड कणों का आकार प्रकाश की तरंगदैर्ध्य से कम होता है ।। अतः प्रकाश की किरणों के कोलाइडी कणों पर पड़ने पर कण प्रकाश की ऊर्जा का अभिशोषण करके स्वयं आत्मदीप्त हो जाते है ।। अभिशोषित ऊर्जा के पुनः छोटी तरंगों के प्रकाश के रूप् में प्रकीर्णित होने से नीले रंग का एक संख दिखाता है, जिसे टिण्डल शुकु कहते हैं ।। और यह घटना टिण्डल घटना कहलाती है ।। टिण्डल घटना कोलाइडी कणों के प्रकीर्णित प्रकाश एवं प्रकीर्णित प्रकाश की तीव्रता परिक्षेपण माध्यम तथा परिक्षिप्त प्रावस्था के अपवर्तनांकों के अन्तर पर निर्भर करती है ।। यदि यह अन्तर कम होता है तो द्रव स्नेही कोलाइडी विलयनों में टिण्डल प्रभाव बहुत ही क्षीण होता है और यदि यह अन्तर अधिक होता है तो इनमें टिण्डल प्रभाव अधिक होता है ।। आकाश का नीला रंग दिखाई देना तथा समुद्री जल नीले रंग का जलीय होना, धूमकेतु की पूछँ का दिखना, सितारों का चमकना,अंधेरे कमरे में प्रकाश का चमकना टिण्डल प्रभाव के उदाहरण हैं ।।

प्रश्न 14. हार्डी शुल्जे नियम का उल्लेख कीजिए इस नियम में निम्नलिखित विलयनों की स्कन्दन क्षमता का कम कारण सहित समझाइए ।।

उत्तर – हार्डी—शुल्जे नियम— अधिक मात्रा में विद्युत अपघट्य मिलाकर किसी कोलाइडी विलयन की स्कंदन क्रिया के लिए हार्डी शुल्जे ने नि.लि. दो नियम दिए जिन्हें हार्डी शुल्जे नियम कहते है ।।
(1.) कोलाइडी विलयन के स्कन्दन के लिए मिलाए गए विद्युत अपघट्य के वे आयन सक्रिय होते हैं, जिनका आवेश कोाइडी कणों के आवेश के विपरीत होता है ।।
(2. ) सॉल को स्कन्दित करने वाले आयन की शक्ति आयन की संयोजकता पर निर्भर होती है ।। समान संयोजकता वाले आयनों की स्कन्दित करने की शक्ति तथा मात्र समान होती है ।। अधिक संयोजकता वाले आयनों की स्कन्दन क्षमता अधिक होती है अर्थात् हार्डी शुल्जे नियम के अनुसार आयनों की स्कन्दन शक्ति आयन की संयोजकता बढ़ने के साथ बढ़ती है ।।

( 12th Chemistry Important Questions in hindi 2022 )

प्रश्न 12. स्वर्ण संख्या या स्वर्णाक पर संक्षिप्त टिप्पणी दीजिए ।। स्वर्ण संख्या क्या है? स्पष्ट कीजिए ।। स्वर्ण संख्या को उदाहरण सहित समझाइए ।।
उत्तर – रक्षी कोलाइड की शक्ति को स्वर्ण संख्या से व्यक्त किया जाता है ।। स्वर्ण संख्या की परिभाषा निम्नलिखित प्रकार से दी जाती है

 – किसी द्रव स्नेही कोलॉइडी की स्वर्ण संख्या उसका मिलीग्राम में वह भार है जो गोल्ड सॉल के 10 मिली में उपस्थित होन पर 10%NaCl के मिली विलयन द्वारा उसका स्कन्दन होन से रोक देती है ।। स्वर्ण संख्या रक्षी सॉल की शक्ति व्यक्त करने का प्रतीक है ।। स्वर्ण संख्या जितनी अधिक होगी, सॉल की स्कन्दन शक्ति उतनी ही कम होगी ।। अथवा कम स्वर्ण संख्या होने पर सॉल की स्कन्दन शक्ति अधिक होगी ।। जिलेटिन की स्वर्ण संख्या 0.005 से 0.01, स्टार्च को 25 एल्बुमिन की 0.1 से 0.2 तथा गम अरेविक की 0.15 से 0.25 होती है ।।

कक्षा 12 रसायन विज्ञान के सम्पूर्ण पाठों के महत्वपूर्ण प्रश्न 2022 बोर्ड परीक्षा के लिए ( 12th Chemistry Important Questions in hindi 2022 )

पाठ संख्या पाठ का नाम डाउनलोड लिंक

  1. ठोस अवस्था Click Here
  2. विलियन Click Here
  3. विधयुत रसायन Click Here
  4. रासायनिक बलगतिकी Click Here
  5. प्रष्ट रसायन Click Here
  6. तत्वों के निष्कर्षण के सिद्धान्त एवं प्रक्रम Click Here
  7. p— ब्लाक के तत्व Click Here
  8. d और f – ब्लाक के तत्व Click Here
  9. उपसहसंयोजन यौगिक Click Here
  10. हैलोएल्केन्स और हैलोएरीन्स Click Here
  11. ऐल्कोहाल, फिनाल और ईथर Click Here
  12. एल्डिहाइड, कीटोन, कार्बोक्सिलिक अम्ल Click Here
  13. नाइट्रोजन युक्त कार्बनिक यौगिक Click Here
  14. जैव अणु Click Here
  15. बहुलक Click Her

रोजमर्रा की जिंदगी में रसायन शास्त्र Click Here

ऊपर दिए गए पोस्ट में आपने पढ़ा है mp board 12th Chemistry Important Questions in hindi 2022 जो कि बोर्ड परीक्षा 2022 के लिए बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण है ।। अगर आप 12th Chemistry Important Questions in hindi 2022 इन सभी प्रश्नों को पढ़ लेते हो तो आप अवश्य ही बोर्ड परीक्षा में अच्छे नंबर लाने में सफलता हासिल कर सकते हो ।। 12th Chemistry Important Questions in hindi 2022 ये प्रश्न ऐसे है जो लगभग हर साल लगातार पिछले कई सालों से बोर्ड परीक्षा में आ रहे है ।। अतः तो फिर आपको 12th Chemistry Important Questions in hindi 2022 इन प्रश्नों को एकबार रिवीजन करके जरूर जाना है जिससे आपको पेपर को सोलके करते समय बहुत ज्यादा आत्मविश्वास आ सके ।। आगर आप 12th Chemistry Important Questions in hindi 2022 इन प्रश्नों को समझ कर जाओगे तो आपका आत्मविश्वास सबसे ऊपर होगा ।।

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