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Class 8 Hindi Manjari SANSKRIT वंदना
ईशं विश्व निदानं वन्दे
निगम-गीत-गुण-गानं वन्दे ।
परितो वितत-वितानं वन्दे
शोभा शक्ति-निधानं वन्दे ॥11॥
मन्दिर-मस्जिद-वासं वन्दे
गिरजाभवन-निवासं वन्दे ।
जन-जन-हृदय-विलासं वन्दे
कण-कण कलित- प्रकाशं वन्दे ||2||
नव-लतिकासु लसन्तं वन्दे
कुसुमेष्वपि विकसन्तं वन्दे ।
शिशु-वदनेषु हसन्तं वन्दे
शुचि- हृदयेषु वसन्तं वन्दे । | 3 ||
ईशं विश्व निदानं वन्दे ।।
शब्दार्थ:-
विश्व-निदानम् =संसार के कारण वन्दे-वन्दना करता हूँ। निगमः वेद । गीतम् = गाया है। परितः = चारों तरफ । विततम् = फैला हुआ । वितानम् = चन्दोवा (चाँदनी)। निधानम् = जो भण्डार है, उसको)। कलितम् = शोभित लसन्तम् = शोभा पाते हुए । कुसुमेषु अपि = पुष्पों में भी। विकसन्तम्-खिलते हुए को हसन्तम् हँसते हुए को शुचिः = पवित्र वसन्तम् = निवास करने वाले को ।
अन्वय:-
विश्वनिदानं ईशं वन्दे निगमगीतगुणगानं वन्दे । परितो विततवितानम् वन्दे । शोभाशक्तिनिधानं वन्दे ।। 1 ।।
मन्दिर मस्जिदवासं वन्दे । गिरजाभवन निवासं वन्दे । जन-जन-हृदय-विलासं वन्दे । कण-कण कलित- प्रकाशं वन्दे ।।2।।
नव- लतिकासु लसन्तं वन्दे । कुसुमेष्वपि विकसन्तं वन्दे । शिशु वदनेषु हसन्तं वन्दे । शुचि – हृदयेषु वसन्तं वन्दे । ईशं विश्व निदानं वन्दे ॥ 3 ॥
भावार्थ:-
(1) सम्पूर्ण विश्व को उत्पन्न करने वाले, वेदों द्वारा वर्णित गुणों वाले, चारों ओर अपना प्रकाश फैलाने वाले, शोभा और शक्ति के भण्डार, हे ईश्वर! तुम्हें हम सब प्रणाम करते हैं।
(2) मन्दिर, मस्जिद, गिरिजाघर तथा जन-जन के हृदय में समान रूप से रहने वाले, अपनी सुन्दर आभा से कण-कण को आलोकित करने वाले, हे ईश्वर! तुम्हें हम सब प्रणाम करते हैं।
(3)नवीन लताओं में सुशोभित होने वाले, पुष्पों में खिलने वाले, शिशु मुख में मुस्कान करने वाले, सज्जनों के हृदय में निवास करने वाले, सम्पूर्ण संसार को उत्पन्न करने वाले, हे ईश्वर ! तुम्हे हम सब प्रणाम करते हैं।