NCERT SOLUTION FOR CLASS 8 SOCIAL CHAPTER 3 ग्रामीण क्षेत्र पर शासन चलाना

NCERT SOLUTION FOR CLASS 8 SOCIAL CHAPTER 3  ग्रामीण क्षेत्र पर शासन चलाना

NCERT SOLUTION FOR CLASS 8 SOCIAL CHAPTER 3 ग्रामीण क्षेत्र पर शासन चलाना

पाठ – 3 ग्रामीण क्षेत्र पर शासन चलाना
12 अगस्त 1765 को मुगल बादशाह ने ईस्ट इंडिया कंपनी को बंगाल का दीवान तैनात किया। बंगाल की दीवानी हाथ आ जाना अंग्रेजों के लिए निश्चय ही एक बड़ी घटना थी।

• दीवान के तौर पर कंपनी अपने नियंत्रण वाले भूभाग के आर्थिक मामलों की मुख्य शासक बन गई थी।

• 1865 से पहले कंपनी ब्रिटेन से सोने और चाँदी का आयात करती थी और इन चीजों के बदले सामान खरीदती थी। अब बंगाल में इकट्ठा होने वाले पैसे से ही निर्यात के लिए चीजों खरीदी जा सकती थीं।

• बंगाल की अर्थव्यवस्था एक गहरे संकट में फँसती जा रही थी । कारीगर गाँव छोड़कर भाग रहे थे क्योंकि उन्हें बहुत कम कीमत पर अपनी चीजें कंपनी को जबरन बेचनी पड़ती थीं। किसान अपना लगान नहीं चुका पा रहे थे। कारीगरों का उत्पादन गिर रहा था और खेती चौपट होने की दिशा में बढ़ रही थी |

• 1770 में पड़े अकाल ने बंगाल में एक करोड़ लोगों को मौत की नींद सुला दिया। इस अकाल में लगभग एक तिहाई आबादी समाप्त हो गई।

• बंगाल की अर्थव्यवस्था संकट में थी । इसलिए कंपनी ने स्थायी बंदोबस्त लागु किया |

• मगर स्थायी बंदोबस्त ने भी समस्या पैदा कर दी। कंपनी के अफसरों ने पाया कि अभी भी जमींदार जमीन में सुधार के लिए खर्चा नहीं कर रहे थे। असल में, कंपनी ने जो राजस्व तय किया था वह इतना ज़्यादा था कि उसको चुकाने में जमींदारों को भारी परेशानी हो रही थी।

जो जमींदार राजस्व चुकाने में विफल हो जाता था उसकी जमींदारी छीन ली जाती थी। बहुत सारी जमींदारियों को कंपनी बाकायदा नीलाम कर चुकी थी।


• उन्नीसवीं सदी के पहले दशक तक हालात बदल चुके थे। बाजार में कीमतें बढ़ीं और धीरे-धीरे खेती का विस्तार होने लगा। इससे जमींदारों की आमदनी में तो सुधार आया लेकिन कंपनी को कोई फायदा नहीं हुआ क्योंकि कंपनी तो हमेशा के लिए राजस्व तय कर चुकी थी। अब वह राजस्व में वृद्धि नहीं कर सकती थी।


• महल ब्रिटिश राजस्व दस्तावेजों में महल एक राजस्व इकाई थी। यह एक गाँव या गाँवों का एक समूह होती थी।

• किसान को जो लगान चुकाना था वह बहुत ज़्यादा था और जमीन पर उसका अधिकार सुरक्षित नहीं था । लगान चुकाने के लिए अकसर महाजन से कर्जा लेना पड़ता था। अगर वह लगान नहीं चुका पाता था तो उसे पुश्तैनी जमीन से बेदखल कर दिया जाता था।

उन्नीसवीं सदी की शुरुआत में ही कंपनी के बहुत सारे अधिकारियों को इस बात का यकीन हो चुका था कि राजस्व बंदोबस्त में दोबारा बदलाव लाना जरूरी है।

• राजस्व इकट्ठा करने और उसे कंपनी को अदा करने का जिम्मा जमींदार की बजाय गाँव के मुखिया को सौंप दिया गया। इस व्यवस्था को महालवारी बंदोबस्त का नाम दिया गया।

• ब्रिटिश नियंत्रण वाले दक्षिण भारतीय इलाकों में भी स्थायी बंदोबस्त की जगह नयी व्यवस्था अपनाने का प्रयास किया जाने लगा। वहाँ जो नयी व्यवस्था विकसित हुई उसे रैयतवार या (रैयतवारी) का नाम दिया गया।
• रैयतवार या ( रैयतवारी) व्यवस्था को ही मुनरों व्यवस्था कहा जाता है।

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प्रश्न : निम्नलिखित के जोड़े बनाएँ :
रैयत………….किसान
ग्राम समूह………महाल

निज…रैयतों की जमीन पर खेती
रैयती……….बागान मालिकों की अपनी जमीन पर खेती

उत्तर:— रैयत=किसान
महाल=ग्राम समूह
निज=बागान मालिकों की अपनी जमीन पर खेती
रैयत = रैयतों की जमीन पर खेती

प्रश्न 2 : रिक्त स्थान भरें :

(क) यूरोप में वोड उत्पादकों को……………….से अपनी आमदनी में गिरावट का खतरा दिखाई देता था ।
(ख) अठारहवीं सदी के आखिर में ब्रिटेन में नील की माँग…………..के कारण बढ़ने लगी |
(ग)……………. की खोज से नील की अंतर्राष्ट्रीय माँग पर बुरा असर पड़ा
(घ) चंपारण आंदोलन …………..के खिलाफ था |

उत्तरः—(क) नील
(ख) औद्योगीकरण
(ग) कृत्रिम रंग
(घ) नील बागान मालिकों

प्रश्न3: स्थायी बंदोबस्त के मुख्य पहलुओं का वर्णन कीजिए?

उत्तर:–(1) राजाओ और तालुकादारो को जमीनदारो के रूप में मान्यता दी गई।
(2) किसानों से लगान वसूलने और कंपनी राजस्व चुकाने का जिम्मा सौपा गया |
(3) उनकी ओर से चुकाई जाने वाली राशि स्थायी रूप से तय कर दी गई थी ।
(4) जमीन में निवेश करना और खेती के लिये अंग्रेजो ने कानून बनाया |

प्रश्न 4 : महालवारी व्यवस्था स्थायी बंदोबस्त के मुकाबले कैसे अलग थी?

उत्तर: राजस्व इक्कट्ठा करने और उसे कंपनी को अदा करने का जिम्मा जमींदार की बजाय गाँव के मुखिया को सौप दिया गया | इस व्यवस्था को महालवारी बंदोबस्त का नाम दिया गया ।

प्रश्न: राजस्व निर्धारण की नयी मुनरों व्यवस्था के कारण पैदा हुई दो समस्याएँ लिखों ?
उत्तरः राजस्व निर्धारण की नयी मुनरों व्यवस्था के कारण पैदा हुई दो समस्याएँ निम्नलिखित है |

(i) रैयतों से यह आशा की गई थी की वे भूमि सुधार का प्रयास करेंगे किन्तु उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया
| (ii) राजस्व अधिकारियों ने भू-राजस्व की दर काफी ऊँची रखी थी, रैयत इतना अधिक भू-राजस्व देने की स्थिति में नहीं थे |

प्रश्न 6 : रैयत नील की खेती से क्यों कतरा रहे थे।
उत्तर:–(1) उन्हें नील की खेती के लिए अग्रिम कर्ज दिया जाता था |
(2) फसल कटने पर उन्हें बहुत कम कीमतों पर फसलो को बेचने के लिए मजबूर किया जाता था |
(3) उन्हें अपनी जमीन के एक निशचित हिस्से पर ही खेती करनी पड़ती थी | अतः दूसरी फसल के लिए उनके पास जमीन का एक छोटा सा ही हिस्सा बचता था |
(4) नील की खेती के लिए अतिरिक्त समय और मेहनत की आवश्यकता होती थी

प्रश्न 7 : किन परिस्थितयों में बंगाल में नील का उत्पादन धराशायी हो गया ?

उत्तर: निम्नलिखित परिस्थितयों में बंगाल में नील का उत्पादन धराशायी हो गया
(1) बंगाल में नील उत्पादक किसानों को कर्ज दिया गया था |
(2) रैयतो को उनकी फसल की जो कीमत मिलती थी वह बहुत कम होती थी
(3) नील की फसल जमीन की उर्वरता को कम कर देती है |

प्रश्न: मुगल बादशाह ने ईस्ट इंडिया कंपनी को बंगाल का दीवान कब तैनात किया?
उत्तर: 12 अगस्त 1765 को मुगल बादशाह ने ईस्ट इंडिया कंपनी को बंगाल का दीवान तैनात किया

प्रश्नः नील का पौधा मुख्य रूप से कहा पाया जाता है ?
उत्तरः नील का पौधा मुख्य रूप से उष्णकटिबंधीय में पाया जाता है।

प्रश्नः किस अंग्रेज़ ने एक महालवारी व्यवस्था तैयार की उसे कब लागू किया गया?
उत्तर: होल्ट मैकेंजी नामक अंग्रेज़ ने महालवारी व्यवस्था तैयार की जिसे 1822 में लागू किया गया |

प्रश्नः नील की खेती कितने प्रकार की होती है ?
उत्तरः नील की खेती दो प्रकार की होती है।

  1. निज
  2. रैयती

प्रश्नः स्थानीय बंदोबस्त की स्थापना किसने कब और कहा की?
उत्तर: चार्ल्स कार्नवालिस ने 1793 में बंगाल में की ।

प्रश्न: मद्रास का गवर्नर कौन था?
उत्तरः मद्रास का गवर्नर टॉमस मुनरो था |

प्रश्न: दुनिया का नील उत्पादन कब आधा रह गया था?
उत्तर: 1783 से 1789 के बीच दुनिया का नील उत्पादन आधा रह गया था |

प्रश्न: 1865 में पहले कंपनी ब्रिटेन से किस वस्तु का आयात करते थे?
उत्तर : 1865 में पहले कंपनी ब्रिटेन से सोना और चांदी आयात करते थे।

प्रश्न: ब्रिटेन द्वारा आयात कब किया गया?
उत्तर: 1788 में ब्रिटेन द्वारा किया गया |

प्रश्नः रीड और मुनरो जैसी जातियों की क्या तर्क था ?
उत्तरः उनका यह तर्क था कि उन्हें सीधे किसानों से ही बंदोबस्त करना चाहिए जो पीढीयों से जमीन पर खेती करते आ रहे है। राजस्व अनकूलन से पहले उनकी जमीनो का सावधानी पूर्वक और अलग से सर्वेक्षण होना चाहिए |

प्रश्नः किन्ही छः राज्यो में उगाये जाने फसलो के नाम लिखो?

उत्तरः– (1) बंगाल में पटसन,
(2) असम में चाय,
(3) उत्तरप्रदेश में गन्ना,
(4) पंजाब में गेहू और कपास,
(5) महाराष्ट्र में कपास,
(6) मद्रास में चावल |

प्रश्नः स्थानीय बंदोबस्त किसे कहते है?

उत्तर: जमीन में निवेश करना और खेती के लिए अंग्रेजो ने कानून बनाया कि इस बंदोबस्त की शर्तों के हिसाब से राजाओं और तालुकदारो को जमीनदारो के रूप में मान्यता दी गई| उन्हें किसानों से लगान वसूलने और कंपनी को राजस्व चुकाने का जिम्मा सौंपा गया। उनकी ओर से चुकाई जाने वाली राशि स्थायी रूप से तय कर दी गई थी | इसे स्थानीय बंदोबस्त कहते है ।

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