
Elections Results 10 march : 5 राज्यों के लिए 10 मार्च वो दिन है जब 05 राज्यों में वोटों की ईवीएम खोली जाएंगी . वोटों की गिनती होगी. फिर तय होता कौन जीतेगा और कौन हारेगा. ।
चुनाव आयोग की ऑफिशियल वेबसाइट Link
आइए जानते हैं कि मतगणना केंद्रों पर ईवीएम मशीनों से वोट काउंटिंग का काम कैसे होता है. औऱ फिर कैसे होता है रिजल्ट घोषित राज्यों में विधानसभा चुनावों में मतदान के बाद अब 10 मार्च को वोटों की गिनती शुरू होगी. मतगणना के लिए खास तैयारियां की जाती हैं. इसकी अपनी एक खास प्रक्रिया होती है. हर जिले पर एक बड़ा मतगणना केंद्र होता है, जहां ईवीएम के जरिए वोटों की काउंटिंग होती है. वोटों की गणना के दौरान चुनाव आयोग की खास नजर रहती है ।
मतगणना वाले दिन कैसे क्या होता है?
सुबह 5 बजे काउंटिंग सुपरवाइजर्स और असिस्टेंट्स की रैंडम तैनाती होती है।
तय समय पर RO, उम्मीदवारों/चुनाव एजेंट्स और ECI ऑब्जर्वर्स की मौजूदगी में स्ट्रॉन्ग रूम को खोला जाता है। सब लोग लोग बुक में एंट्री करते है । लॉग बुक में एंट्री के बाद, ताले की सील चेक की जाती है और फिर तोड़ी जाती है। पूरी प्रक्रिया का डेट-टाइम स्टैंप के साथ वीडियो बनाया जाता है।
EVM मशीनों को काउंटिंग हॉल में स्ट्रांग रूम से टेबल तक लाया जाता है। रिटर्निंग ऑफिसर्स की निगरानी में सुबह 8 बजे मतगणना शुरू होती है।
सबसे पहले RO की टेबल पर इलेक्ट्रॉनिकली ट्रांसमिटेड पोस्टल बैलट पेपर्स (ETPBs) और पोस्टल बैलट्स (PBs) की गिनती होती है।
EVM मशीनों से वोटों की गिनती 30 मिनट बाद शुरू हो सकती है, अगर तब तक पोस्टल बैलट्स की गिनती पूरी नहीं हुई है तो भी।
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— रिपब्लिक भारत (@Republic_Bharat) March 9, 2022
क्या होती है EVM मशीनों की पैरलल काउंटिंग
हर राउंड की काउंटिंग में 14 EVM मशीनों में पड़े वोट गिने जाते हैं। उस राउंड की सभी EVMs की गिनती के बाद ECI ऑब्जर्वर कि(चुनाव आयोग द्वारा चयनित) भी कोई भी दो रैंडम EVM मशीनों की पैरलल काउंटिंग करते हैं फिर नतीजों की टेबल तैयार होती है।
हर राउंड के नतीजों पर सुपरवाइजर, काउंटिंग एजेंट्स या कैंडिडेट्स के साइन होते हैं। फिर रिटर्निंग ऑफिसर साइन करता है। उसके बाद बाहर आकर बताया जाता है कौन कितने वोट से आगे चल रहा है।
फिर RO अगले राउंड के लिए स्ट्रॉन्ग रूम से EVM मशीन निकालकर काउंटिंग हॉल में लाने को कहते हैं। मतगणना की पूरी प्रक्रिया वीडियो कैमरों की निगरानी में होती है।
इसके बाद VVPAT वेरिफिकेशन की अनिवार्य प्रक्रिया पूरी की जाती है।
VVPAT मशीन क्या होती है?

जब वोटर EVM का कोई बटन दबाता है तो साथ लगी VVPAT मशीन से एक पर्ची निकलती है। पर्ची पर जिसे वोट दिया गया है, उस उम्मीदवार का नाम और चुनाव निशान होता है । जिसे वोट दिया गया है। इससे वोटर को पता चलता है कि उसका वोट सही जगह गया है।
वोटर को VVPAT पर सात सेकंड्स के लिए पर्ची दिखाई देती है, उसके बाद वह VVPAT मशीन के ड्रॉप-बॉक्स में गिर जाती है और एक बीप सुनाई देती है।
VVPAT मशीन को केवल पोलिंग अधिकारी ही एक्सेस कर सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार, हर विधानसभा क्षेत्र के किन्हीं पांच पोलिंग स्टेशंस की VVPAT पर्चियों का मिलान वहां की EVM मशीन के CU कंट्रोल यूनिट के नतीजों से किया जाएगा।
VVPAT वेरिफिकेशन अनिवार्य है और इसे पूरा किए बिना अंतिम नतीजे जारी नहीं किए जा सकते।
चुनाव आयोग से समझिए, VVPAT कैसे काम करता है
अंतिम नतीजे जारी नहीं किए जा सकते। चुनाव आयोग से समझिए, VVPAT कैसे काम करता है
अगर EVM और VVPAT के आंकड़े मेल न खाएं तो क्या होगा?
अगर VVPAT मशीन में निकली चुनाव निशान पर्चियां स्लिप्स और EVM नतीजों की गिनती मेल नहीं खाती तो उस VVPAT की पर्चियां फिर से गिनी जाएंगी और फिर चुनाव निशानों की पर्चियां देखी जाएंगी। इसके बावजूद भी अगर आंकड़े नहीं मिलते तो VVPAT पर्चियों की गिनती ही मान्य होगी।
अंत में सब बूथों की चुनावी गिनती के साथ जीतने वाले उम्मीदवारों की घोषणा की जाती है । तथा उसे जीतने का प्रमाण पत्र प्रदान किया जाता है ।
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