up board class 10 hindi full solution chapter 7 sanskrit khand छान्दोग्य उपनिषद् षष्ठोध्यायः
up board class 10 hindi full solution chapter 7 sanskrit khand छान्दोग्य उपनिषद् षष्ठोध्यायः सभी श्लोकों की हिंदी में व्याख्या
श्लोक 1 –
॥ ॐ ॥ श्वेतकेतुहरुणेय आस तं ह पितोवाच श्वेतकेतो वस ब्रह्मचर्यं न वै सोम्यास्मत्कुलीनोऽननूच्य ब्रह्मबन्धुरिव भवतीति ॥1||
कठिन शब्दों का अर्थ -up board class 10 hindi full solution chapter 7 sanskrit khand छान्दोग्य उपनिषद् षष्ठोध्यायः सभी श्लोकों की हिंदी में व्याख्या
[ आरुणेय = आरुणि का पुत्र । आस = था । पितोवाच = पिता ने कहा । वस ब्रह्मचर्यम् = ब्रह्मचर्य का पालन करो। वै = क्योंकि । कुलीनोऽननूच्य = कुल (परिवार) में कोई ऐसा (व्यक्ति) नहीं हुआ । ब्रह्मबन्धुरिव = ब्रह्मबंधु के समान ]
सन्दर्भ – प्रस्तुत श्लोक हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी’ के ‘संस्कृत-खण्ड’ के ‘छान्दोग्य उपनिषद् षष्ठोध्यायः’ पाठ से उद्धृत है।
प्रसंग — इस श्लोक में आरुणि अपने पुत्र श्वेतकेतु को ज्ञान की बातें बता रहे हैं।
हिंदी में व्याख्या – आरुणि का पुत्र श्वेतकेतु था। उससे एक बार पिता ने कहा-“हे श्वेतकेतु! तुम ब्रह्मचर्य का पालन करो क्योंकि हमारे कुल में ऐसा कोई व्यक्ति नहीं हुआ, जो ब्रह्मबन्धु के समान ने लगता हो।
श्लोक 2-
स ह द्वादशवर्ष उपेत्य चतुर्विंशतिवर्षः सर्वान्चेदानधीत्य महामना अनूचानमानी स्तब्ध एयाय तं ह पितोवाच ॥2॥
कठिन शब्दों का अर्थ – up board class 10 hindi full solution chapter 7 sanskrit khand छान्दोग्य उपनिषद् षष्ठोध्यायः सभी श्लोकों की हिंदी में व्याख्या
[ द्वादशवर्षम् उपेत्य = बारह वर्ष पर्यन्त । सर्वान्वेदानधीत्य = समस्त वेदों को पढ़कर । अनूचानमानी = स्वाभिमानी, अहंकार युक्त होकर । स्तब्ध = शान्त होकर । एयाय = लौटा ]
प्रसंग — इस श्लोक में आरुणि अपने पुत्र श्वेतकेतु को ज्ञान की बातें बता रहे हैं।
हिंदी में व्याख्या – बारह वर्ष पर्यन्त आश्रम जाकर चौबीस वर्ष आयु पर्यन्त श्वेतकेतु समस्त वेदों को पढ़कर स्वाभिमानी, पाण्डित्यमना, अहंकार युक्त होकर लौटा तो उसके पिता ने कहा ।
श्लोक 3
श्वेतकेतो यन्नु सोम्येदं महामना अनूचानमानी स्तब्धोऽस्युत तमादेशमप्राक्ष्य: येनाश्रुतं श्रुतं भवत्यमतं मतमविज्ञातं विज्ञातमिति कथं नु भगवः स आदेशो भवतीति ॥3॥
कठिन शब्दों का अर्थ –
[ स्तब्धोऽस्युत = किंकर्तव्यविमूढ़ होते हुए । येनाश्रुतम् = जिसके द्वारा (समझ लेने पर) जो सुना न गया हो ऐसा पदार्थ । अविज्ञातम् = जो ज्ञात न हुआ हो । कथं नु भगवः = क्या आपने पूछा है। ]
प्रसंग — इस श्लोक में आरुणि अपने पुत्र श्वेतकेतु को ज्ञान की बातें बता रहे हैं ।
हिंदी में व्याख्या – हे श्वेतकेतु ! तुम जो इस तरह से अमनस्वी, पाण्डित्यमना और अभिमान से युक्त हो, तुमने कौन-सी विशेषता पायी है ? क्या तुम जानते हो कि कौन-सा ऐसा पदार्थ है जिसके समझ लेने पर अश्रुत पदार्थ का ज्ञान हो जाता है, जो अतार्किक है उसे तार्किक भी याद हो जाये, और अविज्ञात भी ज्ञात होता है अनिश्चित भी निश्चित हो जाता है । क्या तुमने अपने गुरु से पूछा है?
श्लोक 4–
यथा सोम्यैकेन मृत्पिण्डेन सर्वं मृन्मयं विज्ञातं स्याद्वाचारम्भणं विकारो नामधेयं मृत्तिकेत्येव सत्यम् ॥4॥
कठिन शब्दों का अर्थ –
[ मृत्पिण्डेन = मिट्टी से बने पदार्थ के द्वारा। मृन्मयम् = मिट्टी से युक्त । आचारम्भणम् = आवरण । मृत्तिकेत्येव = मिट्टी से ही]
प्रसंग — इस श्लोक में आरुणि अपने पुत्र श्वेतकेतु को ज्ञान की बातें बता रहे हैं ।
हिंदी में व्याख्या – पिता आरुणि ने कहा-“हे श्वेतकेतु! जिस प्रकार (मिट्टी के बने) पात्रों को देखकर उनके मिट्टी द्वारा बने होने का आभास नहीं किया जा सकता है किन्तु वास्तव में वे मिट्टी के बने होते हैं। अर्थात् पात्रों में मृत्तिकत्व है यही सत्य है।
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श्लोक 5-
यथा सोम्यैकेन लोहमणिना सर्वं लोहमयं विज्ञातं स्याद्वाचारम्भणं विकारो नामधेयं लोहमित्येव सत्यम् ॥5॥
कठिन शब्दों का अर्थ –
[ यथा = जैसे। लोहमणिना = चुम्बक । लोहमयम् = लौह तत्व युक्त ]
प्रसंग — इस श्लोक में आरुणि अपने पुत्र श्वेतकेतु को ज्ञान की बातें बता रहे हैं।
हिंदी में व्याख्या – पिता आरुणि ने कहा – “हे श्वेतकेतु ! जिस प्रकार चुम्बक को देखकर उसके लोहे द्वारा बने होने का आभास नहीं किया जा सकता है, किन्तु वास्तव में वह लोहे का बना होता है। अर्थात् चुम्बक में लौहत्व है यही सत्य है ।
श्लोक 6- up board class 10 hindi full solution chapter 7 sanskrit khand छान्दोग्य उपनिषद् षष्ठोध्यायः सभी श्लोकों की हिंदी में व्याख्या
यथा सोम्यैकेन नखनिकृन्तनेन सर्वं काष्र्णायसं विज्ञातं स्याद्वाचारम्भणं विकारो नामधेयं कृष्णायसमित्येव सत्यमेवं सोम्य स आदेशो भवतीति ॥6॥
कठिन शब्दों का अर्थ –
[ नखनिकृन्तनेन = नाखून काटने का यंत्र विशेष (नेलकटर)। काष्र्णायसम् =काँसे की धातु का ]
प्रसंग — इस श्लोक में आरुणि अपने पुत्र श्वेतकेतु को ज्ञान की बातें बता रहे हैं ।
हिंदी में व्याख्या – पिता आरुणि ने आगे कहा–“हे श्वेतकेतु! जिस प्रकार नेलकटर को देखकर उसके काँसे द्वारा बने होने का आभास नहीं किया जा सकता है किन्तु वास्तव में वह काँसे का बना होता है। अर्थात् नेलकटर में काँसत्व है यही सत्य है ।
श्लोक 7- up board class 10 hindi full solution chapter 7
न वै नूनं भगवन्तस्त एतदवेदिषुर्यध्द्येतदवेदिष्यन्कथं मे नावक्ष्यन्निति भगवांस्त्वेव मे तदबीविति तथा सोम्येति होवाच ॥7॥
कठिन शब्दों का अर्थ –
[ न वै नूनम् =ऐसा कहे जाने पर । भगवांस्त्वेव =आप ही मेरे ]
प्रसंग — इस श्लोक में आरुणि अपने पुत्र श्वेतकेतु को ज्ञान की बातें बता रहे हैं।
हिंदी में व्याख्या – पिता के ऐसा कहने पर श्वेतकेतु ने कहा-“आप ही मेरे पूजनीय गुरुजी हैं। जिसने उसे इस प्रकार का आत्म-बोध कराया।
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