Up Rajaswa Sanhita dhara 95 उ0 प्र0 राजस्व संहिता धारा 95

Up Rajaswa Sanhita dhara 95 उ0 प्र0 राजस्व संहिता धारा 95
Up Rajaswa Sanhita dhara 95

Up Rajaswa Sanhita dhara 95 उ0 प्र0 राजस्व संहिता धारा 95

धारा 95 किसी निःशक्त व्यक्ति द्वारा पट्टा करना-

उपधारा -1 कोई भूमिधर या ग्राम पंचायत से प्राप्त भूमि धारण करने वाला कोई असामी एक बार में तीन वर्ष की सीमा से अनधिक अवधि के लिए अपने पूरे जोत या भाग को पट्टे पर दे सकता है, यदि वह निःशक्त व्यक्ति है अर्थात् वह नीचे उल्लिखित वर्गों में से किसी एक वर्ग का है ;

(क) मानसिक रूप से बीमार या मन्दबुद्धि व्यक्ति, ऐसे मामले में उसके अभिभावक द्वारा या उसके सम्पत्ति के प्रबन्धक द्वारा पट्टा किया जाता है;

(ख) किसी शारीरिक अशक्तता के कारण खेती करने के लिए असमर्थ कोई व्यक्ति;

(ग) कोई देवता या कोई वक्फ;

(घ) कोई विधवा या कोई अविवाहित स्त्री;

(ङ) विवाहित महिला परन्तु वह तलाकशुदा हो या उसे पति द्वारा छोड़ दिया गया हो या अपने पति से न्यायिक रूप से पृथक है या अपने पति या अपने पति के सम्बन्धियों की क्रूरता के कारण पृथक् रह रही हो या उसका पति वर्ग (क), वर्ग (ख), वर्ग (छ) या वर्ग (ज) का हो;

(च) कोई अवयस्क जिसका पिता या तो मृत है या वर्ग (क), वर्ग (ख), वर्ग (छ), वर्ग (ज) या वर्ग (झ) या वर्ग (ञ) का हो, ऐसे मामले में उसकी सम्पत्ति के अभिभावक द्वारा पट्टा किया जाता है;

(छ) पैंतीस वर्ष की आयु से नीचे का ऐसा व्यक्ति जो किसी मान्यता प्राप्त शिक्षण संस्था में अध्ययन कर रहा है और जिसका पिता या तो मृत है या वर्ग (क), वर्ग (ख) वर्ग (ज), वर्ग (झ) या वर्ग (ञ) का है;


(ज) भारत सरकार की थल सेना, नौसेना या वायु सेना सम्बन्धी सेवा में सेवारत कोई व्यक्ति या उसके साथ रह रही उसकी पत्नी या उसके साथ रह रहा उसका पति;

(झ) कोई अन्य व्यक्ति जो विहित कारणों से अपनी जोत में खेती करने में असमर्थ है;

(ञ) निरोध के अधीन या कारावास भोग रहा कोई व्यक्ति।

उपधारा – 2 जहां उत्तर प्रदेश कृषि उधार अधिनियम, 1973 के अधीन कार्यवाहियों में कोई बैंक किसी भूमि को अधिगृहीत करता है, वह एक बार में एक वर्ष से अनधिक अवधि के लिए ऐसी सम्पूर्ण भूमि या उसके भाग को पट्टे पर दे सकता है और उक्त अवधि की समाप्ति के पश्चात् पट्टा धारक का, इस प्रकार पट्टे पर दी गयी भूमि में, कोई अधिकार, हक या हित समाप्त हो जायेगा।

स्पष्टीकरण– पद ‘मानसिक रूप से बीमार’ और ‘मन्दबुद्धि’ के वही अर्थ होंगे जो मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम, 1987 (अधिनियम संख्या 14 सन् 1987) में उनके लिये दिये गये हैं।