Up board solution for class 9 sanskrit gady bharti chapter 2 अस्माकं राष्ट्रियप्रतीकानि

Up board solution for class 9 sanskrit gady bharti chapter 2 अस्माकं राष्ट्रियप्रतीकानि

Up board solution for class 9 sanskrit gady bharti chapter 2 अस्माकं राष्ट्रियप्रतीकानि

UP BOARD SOLUTION FOR CLASS 9 SANSKRIT chapter 2 अस्माकं राष्ट्रियप्रतीकानि

BoardUP Board
TextbookUP Board
ClassClass 9
SubjectSanskrit
ChapterChapter 2
Chapter Nameअस्माकं राष्ट्रियप्रतीकानि (गद्य – भारती)
CategoryUP Board Solutions
up class 9 sanskrit solution

[सभी राष्ट्र किन्ही विशेष वस्तुओं को अपने राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में स्वीकार करते हैं जिनमें राष्ट्र का गौरव और उसकी चारित्रिक विशेषताएँ स्पष्ट प्रतिभासित होती हैं । हमारे राष्ट्र ने भी कुछ प्रतीक चिह्न स्वीकार किये हैं, जिनके द्वारा हमारी भारतीय संस्कृति के चारित्रिक गुण व्यंजित होते हैं । भारत ने जो राष्ट्रीय प्रतीक निर्धारित किये हैं, वे इस प्रकार हैं-

मयूर – पक्षियों में मोर हमारा राष्ट्रीय प्रतीक है । आकाश के काले बादलों को देखकर अपने सुन्दर पंखों को फैलाकर मोर जब नृत्य करते हैं तो वह दृश्य मन तथा आँख दोनों को आनन्दित करता है । यह मधुर स्वरवाला मयूर विष से भरे हुए साँपों को खाता है । इसी प्रकार की हमारी भारतीय संस्कृति भी है, जहाँ सभी के साथ मधुर वाणी में मधुर व्यवहार किया जाता है । परन्तु देश की अखण्डता और एकता को नष्ट करनेवाले अत्याचारियों और देशद्रोहियों को उसी प्रकार नष्ट कर दिया जाता है, जैसे मयूर विषधरों को खाकर नष्ट कर देता है ।

व्याघ्र- पशुओं में व्याघ्र को राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में स्वीकार किया गया है । चितकबरे व्याघ्र का पराक्रम और स्फूर्ति प्रसिद्ध है । अत्यधिक तेज दौड़नेवाले ये व्याघ्र दूर से ही पास आनेवाले संकट को पहचान लेते हैं और अपने बचाव के लिए प्रयत्नशील हो जाते हैं ।

कमल – सरसिज, पद्म, पंकज आदि नामों से जाना जानेवाला कमल का पुष्प हमारा राष्ट्रीय प्रतीक है । उसकी कोमलता, मनोहरता, विकासशीलता और पवित्रता आदि गुणों का कवियों ने बहुतायत से वर्णन किया है । शरद ऋतु में ये मनोहर पुष्प तालाबों में अनायास खिल उठते हैं और सूर्य की रोशनी में पूर्णरूप से विकास को प्राप्त करते हैं । कीचड़ में उत्पन्न होने पर भी इनका इतना मनोहर होना राष्ट्र के लिए यह सन्देश है कि किसी भी कुल में जन्म लेनेवाला व्यक्ति अवसर प्राप्त होने पर आगे बढ़ने की क्षमता रखता है ।

राष्ट्रगान – सभी स्वतन्त्र राष्ट्रों का अपना एक गान होता है जिसे राष्ट्रगान कहा जाता है । सभी राष्ट्र अपने राष्ट्रगान का सम्मान करते हैं और महत्त्वपूर्ण अवसरों पर उसे गाते हैं । हमारा राष्ट्रगान विश्वकवि रवीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा लिखा गया है जो ‘जन-गण-मन’ इस नाम से विश्व में प्रसिद्ध है । हमारे राष्ट्रगान में विश्वकवि ने राष्ट्र की विशालता, अखण्डता और भारतीय संस्कृति का गौरवपूर्ण वर्णन किया है । सभाओं की समाप्ति पर और विद्यालयों में प्रार्थना के बाद राष्ट्रगान गाने की प्रथा है । राष्ट्रगान के समय सावधान की मुद्रा में खड़े होना आवश्यक है । इसका आरोह, अवरोह एवं उसके गाने में लगनेवाला समय सुनिश्चित है जिसमें परिवर्तन नहीं किया जा सकता । राष्ट्रगान श्रद्धा से गाया जाना चाहिए ।

राष्ट्रध्वज- सभी राष्ट्रीय प्रतीकों में राष्ट्रध्वज का सर्वाधिक महत्त्व होता है । सभी स्वतन्त्र राष्ट्रों का अपना राष्ट्रध्वज होता है । राष्ट्रध्वज का सम्मान और उसकी रक्षा देशवासी अपने प्राणों को न्योछावर करके भी करते हैं । हमारा राष्ट्रध्वज तीन रंगों का है और विश्व में तिरंगे के नाम से प्रसिद्ध है । ध्वज के सबसे नीचे का हरा रंग सुख, समृद्धि और विकास का द्योतक है । बीच में श्वेत रंग ज्ञान, सौहार्द और शान्ति का प्रतीक है । सबसे ऊपर का केसरिया रंग त्याग और शौर्य का प्रतीक है । ध्वज के मध्य श्वेत वर्ण के बीच में अशोक का चक्र धर्म, सत्य और अहिंसा का प्रतीक है । चक्र में चौबीस तीलियाँ हैं जो चक्र के मध्य भाग में एक स्थान पर जुड़ी हुई है । ये प्रतीक हैं भारत और उसकी राष्ट्रीय एकता की, जहाँ अनेक भाषा, धर्म, जाति और वर्ण के लोग एक साथ मिलकर रहते हैं । सूर्य के अस्त होने पर ध्वज उतारकर सुरक्षित रख दिया जाता है । राष्ट्रीय शोक के अवसर पर ध्वज आधा झुका रहता है ।

ये राष्ट्रीय प्रतीक हमारी स्वतन्त्रता के प्रतीक हैं । सभी देशवासियों को इनका आदर करना चाहिए और प्राण न्योछावर करके भी इनकी रक्षा करनी चाहिए । ]

सर्वेषु राष्ट्रेषु राष्ट्रिय वैशिष्ट्ययुक्तानि वस्तूनि प्रतीकरूपेण स्वीक्रियन्ते तत्रत्यैः जनैः । तेषु प्रतीकेषु तद्राष्ट्रस्य गौरवं चारित्र्यं गुणाश्च प्रतिभासन्ते । तान्येव राष्ट्रियप्रतीकानि निगद्यन्ते ।

अस्माकं राष्ट्र भारतेऽपि कतिपयानि प्रतीकानि स्वीकृतानि सन्ति । तान्यस्माकं चारित्र्यं संस्कृतिं महत्त्वं च व्यञ्जयन्ति । पक्षिषु कतमः पशुषु कतमः पुष्पेषु कतमम् वाऽस्माकं राष्ट्रियमहिम्नः प्रातिनिध्यं विदधातीति विचार्येव प्रतीकानि निर्धारितानि सन्ति ।

अनुवाद – सभी राष्ट्रों में वहाँ के निवासियों के द्वारा राष्ट्र की विशेषताओं से युक्त वस्तुएँ प्रतीक रूप में स्वीकार की जाती हैं। उन प्रतीक-वस्तुओं में उस राष्ट्र का गौरव, चरित्र और गुण प्रतिबिम्बित होते हैं। उन्हें ही राष्ट्र के प्रतीक कहा जाता है। | हमारे राष्ट्र भारत में भी कुछ प्रतीक स्वीकार किये गये हैं। वे हमारे देश के चरित्र, संस्कृति और महत्त्व को प्रकट करते हैं। पक्षियों में कौन-सा (पक्षी), पशुओं में कौन-सा (पशु) अथवा फूलों में कौन-सा (फूल) हमारे राष्ट्र की महिमा का प्रतिनिधित्व करता है, ऐसा विचार करके ही प्रतीक निर्धारित किये गये हैं।

मयूर:- पक्षिषु मयूरः राष्ट्रियपक्षिरूपेण स्वीकृतोऽस्ति मयूरोऽतीव मनोहर पक्षी वर्तते । चन्द्रकवलयसंवलितानि चित्रितानि तस्य पिच्छानि मनांसि हरन्ति । यदा गगनं श्यामलैर्मेधैराच्छन्नं भवति तदा मयूरो नृत्यति । तस्य तदानीन्तनं नर्त्तनं नयनसुखकरमपि च चेतश्चमत्कारकं भवति । मधुमधुरस्वरोऽपि मयूरो विषधरान् भुङ्क्ते इदमेवास्माकं राष्ट्रियचारित्र्यं विद्यते । सर्वैः सह मधुरं वाच्यं, मधुरं व्यवहर्तितव्यं मधुरमाचरितव्यं किन्तु ये राष्ट्रद्रोहिणोऽत्याचारपरायणाः राष्ट्रियाखण्डतायाः राष्ट्रियैक्यस्य वा विघातकाः विषमुखाः सर्पतुल्याः मयूरेणैव राष्ट्रेण व्यापादयितव्याः।

अनुवाद – मोर-पक्षियों में मोर को राष्ट्रीय पक्षी के रूप में स्वीकार किया गया है। मोर अत्यन्त सुन्दर पक्षी है। चन्द्राकार वृत्त (गोलाकार चिह्नों) से चित्रित उसकी पूँछ के पंख मन को हरते हैं, अर्थात् उसके रंग-बिरंगे पंखों को देखकर मन प्रसन्न हो जाता है। जब आकाश काले बादलों से ढक जाता है, तब मोर नाचता है। उस समय का उसका नृत्य नेत्रों को सुख देने वाला और चित्त को आह्लादित करने वाला होता है। मधु के समान मीठे स्वर वाला होता हुआ भी मोर सर्पो को खाता है। यही हमारा राष्ट्रीय चरित्र है। सबके साथ मधुर बोलना चाहिए, सौहार्दपूर्ण व्यवहार करना चाहिए, शिष्ट आचरण करना चाहिए, किन्तु जो राष्ट्रद्रोही, अत्याचारी, राष्ट्र की अखण्डता या राष्ट्र की एकता के नाशक सर्प के समान विष से भरे हुए हैं, उन्हें उस राष्ट्र के नागरिकों द्वारा उसी प्रकार नष्ट कर देना चाहिए, जिस प्रकार मोर विषैले सर्यों को नष्ट कर देता है।

व्याघ्रः – पशुषु व्याघ्रः भारतस्य राष्ट्रियप्रतीकम् । व्याघ्रेषु चित्रव्याघ्रः बहुवैशिष्ट्यविशिष्टो विद्यते । को न जानाति चित्रव्याघ्रस्यौजः पराक्रमं स्फूर्तिञ्च ? एतज्जातीयाः व्याघ्राः अस्मद्देशस्य वनेषूपलभ्यन्ते एतेषां शरीरे स्थूल कृष्णरेखाः भवन्ति । व्याघ्रोऽसावतीव तीव्रधावकः सततसावहितः संकटं विदूरादेव जिघ्रन् तदपनेतुं सचेष्टः स्वलक्ष्यमवाप्तुं कृतिरतः स्वसीम्नि एव पर्यटन् वन्यो जन्तुर्विश्रुतो जगति ।

अनुवाद – पशुओं में बाघ भारत का राष्ट्रीय प्रतीक है। बाघों में चितकबरा बाघ बहुत विशेषताओं से युक्त होता है। चितकबरे बाघ के बल, वीरता और स्फूर्ति को कौन नहीं जानता है; अर्थात् प्रत्येक व्यक्ति जानता है। इस जाति के बाघ हमारे देश के वनों में मिलते हैं। इनके शरीर पर मोटी काली रेखाएँ होती हैं। यह बाघ अत्यधिक तेज दौड़ने वाला, सदा सावधान रहने वाला, संकट को दूर से ही सूंघने वाला और उसको दूर करने के  लिए प्रयत्नशील, अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कार्यशील अपनी सीमा में ही घूमने वाला संसार में प्रसिद्ध जंगली जानवर है।

कमलम्- कमलं सरसिजं पद्मं पङ्कजं शतदलमित्यादिनामभिः प्रथितं पुष्पमस्माकं राष्ट्रियप्रतीकत्वेन स्वीकृतं राष्ट्रियपुष्पस्य यशो विधते । तस्य कोमलत्वं मनोहरत्वं विकासशीलत्वं पवित्रत्वञ्चाभिलक्ष्यैव कविभिः तस्य बहुशः वर्णनं कृतम् । न कश्चिन्महाकविः संस्कृतभाषायां हिन्दीभाषायां वा विद्यते येनैतस्य पुष्पस्य माहात्म्यं न गीतम् । देवानां स्तुतिप्रसङ्गे दिव्यकरचरणादीनामङ्गानां मानवहृदयस्य चोपमानीकृतं सत्सांस्कृतिकं महत्त्वं विभर्ति पुष्पमिदम् ।

अनुवाद – कमले-कमल, सरसिज, पद्म, पंकज, शतदल इत्यादि नामों से प्रसिद्ध फूल हमारे राष्ट्र के प्रतीक के रूप में स्वीकार किया गया, राष्ट्रीय पुष्प के यश को धारण करता है। उसकी कोमलता, सुन्दरता, विकासशीलता और पवित्रता को लक्ष्य करके ही कवियों ने उसका बहुत प्रकार से वर्णन किया है। संस्कृत भाषा या हिन्दी भाषा में ऐसा कोई महाकवि नहीं है, जिसने इस पुष्प के महत्त्व का गान न किया हो। देवताओं की स्तुति के  अवसर पर, सुन्दर हाथ-पैर आदि अंगों के और मानव हृदय के उपमान के रूप में प्रयोग किया गया यह फूल सुन्दर सांस्कृतिक महत्त्व को धारण करता है। 

शरदृतौ मनोहरं पुष्पमिदं यत्र तत्र जलसंकुलेषु तडागेषु सरस्सु चानायासेनोत्पद्यते वर्धते रविकरनिकरसंसर्गात् प्रस्फुटति । पङ्के जायते पङ्कजं जलसंयोगं शरत्कालञ्चावाप्य वर्धते शोभते च तथैव कस्मिश्चित् कुले जातः जनः सौविध्यमुपयुक्तावसरञ्च लब्ध्वा वर्धितुं क्षमत इति तत्पुष्पस्य राष्ट्रकृते सन्देशः ।

अनुवाद – शरद् ऋतु में यह सुन्दर फूल जहाँ-तहाँ जल से भरे तालाबों और पोखरों में सरलता से उत्पन्न होता है और बढ़ता है। सूर्य की किरणों के समूह के सम्पर्क से खिलता है। कीचड़ में उत्पन्न होता है, उसी प्रकार किसी भी कुल में उत्पन्न हुआ मनुष्य सुविधा और उपयुक्त (अनुकूल) अवसर पाकर बढ़ने में समर्थ होता है। यही इस पुष्प की राष्ट्र के लिए सन्देश है। |

राष्ट्रगानम्- सर्वेषां स्वतन्त्रदेशानां स्वकीयमेकं गानं भवति तदैव राष्ट्रगानसंज्ञयाऽवबुध्यते । प्रत्येकं राष्ट्र स्वराष्ट्रगानस्य सम्मानं करोति । महत्स्ववसरेषु तद्गानं गीयते । यदि कश्चिदन्यराष्ट्राध्यक्षोऽस्माकं देशमागच्छति तदा तस्य सम्मानाय तस्य राष्ट्रगानमस्मद्राष्ट्रगानं च वादकैः वाद्येते । महतीनां सभानां समापने तस्य गानमावश्यकम् । विद्यालयेषु प्रार्थनानन्तरं प्रतिदिनं राष्ट्रगानं गीयते ।

अनुवाद – राष्ट्रगान–सभी स्वतन्त्र देशों का अपना एक गान होता है, वही राष्ट्रगान’ इसे नाम से जाना जाता है। प्रत्येक राष्ट्र अपने राष्ट्रगान का सम्मान करता है। बड़े महत्त्वपूर्ण अवसरों पर उस गान। को गाया जाता है। यदि किसी दूसरे देश का राष्ट्राध्यक्ष (राष्ट्रपति या प्रधानमन्त्री) हमारे देश में आता है, तब उसके सम्मान के लिए उसके देश का राष्ट्रगान और हमारा राष्ट्रगान वादकों के द्वारा बजाया जाता है। बड़ी सभाओं के समापन पर राष्ट्रगान का गायन ओवश्यक है। विद्यालयों में प्रार्थना के बाद प्रतिदिन राष्ट्रगान गाया जाता है।

अस्माकं राष्ट्रगानं विश्वकविना कवीन्द्रेण रवीन्द्रेण रचितं, ‘जनगणमन’ इति संज्ञया विश्वस्मिन् विश्वे विश्रुतं वर्तते । अस्माकं राष्ट्रगाने भारताङ्गभूतानामनेकप्रान्तानां विन्ध्यहिमालयपर्वतयोः गङ्गायमुनाप्रभृतिनदीनाञ्चोल्लेखं कृत्वा देशस्य विशालत्वं राष्ट्रस्याखण्डत्वं संस्कृतेः गौरवञ्च विश्वकविना वर्णितम् ।

अनुवाद – हमारा राष्ट्रगान विश्वकवि कवीन्द्र रवीन्द्र द्वारा रचा गया ‘जन-गण-मन’ इस नाम से सारे संसार में प्रसिद्ध है। हमारे राष्ट्रगान में भारत के अंगस्वरूप अनेक प्रान्तों का, विन्ध्याचल और हिमालय पर्वतों का, गंगा-यमुना आदि नदियों का उल्लेख करके विश्वकवि ने देश की विशालता, राष्ट्र की अखण्डता और संस्कृति के गौरव का वर्णन किया है।

राष्ट्रगानमिदं द्वापञ्चाशत्पलात्मकं भवति । तस्य गाने द्वापञ्चाशत्पलात्मकः समयोऽपेक्ष्यते । न ततोऽधिको न वा ततो न्यूनः । तस्यारोहावरोहावपि निश्चितौ । तत्र विपर्ययः कर्तुं न शक्यते । राष्ट्रगानं सदोत्थितैः जनैः सावधानमुद्रया गेयम् । राष्ट्रगानावसरेऽङ्गसञ्चालनं निषिद्धम् । चलतोऽपि कस्यचित्कर्णकुहरे गीयमानस्य राष्ट्रगानस्य ध्वनिः दूरादप्यापतति चेत्तदा तत्रैव सावधानमुद्रा तेनाविचलं स्थातव्यम् । राष्ट्रगानं श्रद्धास्पदं भवति । श्रद्धयैवेदं गेयम् ।

अनुवाद- यह राष्ट्रगान बावन सेकण्ड का होता है। उसके गाने में बोवन सेकण्ड के समय की आवश्यकता होती है। न उससे अधिक की और न ही उससे कम की। उसके स्वरों का आरोह-अवरोह (चढ़ाव और उतार) भी निश्चित है। उसमें परिवर्तन नहीं किया जा सकता है। राष्ट्रगान को सदा खड़े हुए लोगों के द्वारा सावधान मुद्रा में गाया जाना चाहिए। राष्ट्रगान के अवसर पर अंग हिलाना भी वर्जित । है। यदि चलते हुए भी किसी व्यक्ति के कान के छेद में गाये जाते हुए राष्ट्रगान की ध्वनि दूर से भी आ पड़ती है, तब वहीं पर सावधान मुद्रा में उसे स्थिर खड़े हो जाना चाहिए। राष्ट्रगान श्रद्धायोग्य होता है।. श्रद्धापूर्वक ही इसे गाना चाहिए।

राष्ट्रध्वज:- सर्वेषु राष्ट्रप्रतीकेषु राष्ट्रध्वजस्य सर्वाधिकं महत्त्वं वर्तते । सर्वस्य स्वतन्त्रराष्ट्रस्य स्वकीयो ध्वजो भवति । तद्देशवासिनो जनाः नराः नार्यश्च स्वराष्ट्रध्वजस्य सम्मानं प्राणपणेन रक्षन्ति ।

अनुवाद – राष्ट्रध्वज-सभी राष्ट्रीय-प्रतीकों में राष्ट्रध्वज का सबसे अधिक महत्त्व है। सभी स्वतन्त्र राष्ट्रों का अपना राष्ट्रध्वज होता है। उस देश के रहने वाले स्त्री और पुरुष अपने राष्ट्रध्वज के सम्मान की रक्षा प्राणों की बाजी लगाकर करते हैं। तीन रंगों वाला, मध्य में अशोक चक्र से चिह्नित हमारा राष्ट्रध्वज तिरंगा’ शब्द से संसार में प्रसिद्ध है।

त्रिवर्णात्मको मध्येऽशोकचक्राङ्कितोऽस्माकं राष्ट्रध्वजः ‘तिरङ्गा’ शब्देन विश्वे विश्रुतो विद्यते । ध्वजस्याधोभागः हरितवर्णात्मकः सुखसमृद्धिविकासानां सूचकः, मध्यभागे श्वेतवर्णः ज्ञान-सौहार्द सदाशयादिसद्गुणानां द्योतकः, ऊर्ध्वभागे च स्थितः गैरिक वर्णः त्यागस्य शौर्यस्य च बोधकः ध्वजस्य मध्यभागस्थितश्वेतवर्णमध्येऽवस्थितमशोकचक्रं धर्मस्य सत्यस्याहिंसायाश्च प्रत्यायकम् । चक्रे चतुः विंशतिशलाका: पृथगपि चक्रमूले एकत्र सम्बद्धा: भारते भाषाधर्मजातिवर्णलिङ्गभेदेषु सत्स्वपि भारतमेकं राष्ट्रमिति द्योतयन्ति ।

अनुवाद – ध्वज के हरे रंग का नीचे का भाग सुख, समृद्धि और विकास का सूचक है। बीच में सफेद रंग ज्ञान, मैत्री, सदाशयता आदि उत्तम गुणों का बोधक है। ध्वज के ऊपरी भाग पर स्थित केसरिया रंग त्याग और शौर्य (वीरता) को सूचक है। ध्वज के मध्य भाग में सफेद रंग के बीच में स्थित अशोक चक्र धर्म, सत्य (mpboardinfo.in) और अहिंसा का विश्वास दिलाने वाला है। चक्र में चौबीस रेखाएँ अलग होती हुई भी चक्र के मूल में एक जगह जुड़ी हुई भारत में भाषा, धर्म, जाति, वर्ण, लिंग के भेदों के होते हुए भी ‘भारत एक राष्ट्र है’ ऐसा सूचित करती हैं।

राष्ट्रध्वजो निर्धारितदीर्घविस्तारपरिमितो भवितव्यम् । एषः सदा स्वच्छोऽविकृतवर्णः तिष्ठेत् । जीर्ण शीर्णो विदीर्णो वा ध्वजो नोपयोगयोग्यः । समुच्छ्रियमाणः ध्वजोऽस्तंगते सूर्ये समवतार्य सुरक्षित: संरक्षितव्यः । राष्ट्रियशोकावसरेध्वजोऽर्धमुच्छ्रीयते । इत्येतानि राष्ट्रियप्रतीकान्यस्माकं स्वातन्त्र्यस्य प्रत्यायकानि समादृतव्यानि तु सन्त्येव प्राणपणैः रक्षितव्यानि च ।

अनुवाद – राष्ट्रध्वज निश्चित विस्तार वाला होना चहिए। यह सदा साफ, भद्दे न हुए रंगों वाला होना चाहिए। पुराना, कटा-फटा ध्वज उपयोग के योग्य नहीं है। फहराता हुआ ध्वज सूर्य के छिपने पर उतारकर सुरक्षित रख लेना चाहिए। राष्ट्रीय शोक के अवसर पर ध्वज आधा (mpboardinfo.in) फहराया जाता है।
ये राष्ट्रीय प्रतीक हमारी स्वतन्त्रता का विश्वास दिलाने वाले हैं। ये आदर के योग्य तो हैं ही, साथ ही प्राणपण से रक्षा के योग्य भी हैं।

कठिन शब्दों का अर्थ

प्रतीकानि = चिह्न। सर्वेषु = सभी । राष्ट्रेषु = देशों में । राष्ट्रियवैशिष्ट्ययुक्तानि = राष्ट्रीय विशेषताओं से युक्त ।
प्रतीकरूपेण = प्रतीक (चिह्न) के रूप में। प्रतिभासन्ते = प्रकाशित होते हैं। निगद्यन्ते =कहे जाते हैं। व्यञ्जयन्ति = व्यक्त करते हैं। कतिपयानि =कुछ। कतमः =कौन-सा । तत्रत्यैः =वहाँ के । प्रातिनिध्यं = प्रतिनिधित्व करना।
विदधाति = करता है। अतीव = बहुत । चित्रितानि = चित्रित । पिच्छानि = पूँछ के पंख । आच्छन्नं =
तदानीन्तनं = उस समय का । विषधरान् = साँपों को। भुङ्क्ते =खा जाते हैं। वाच्य = व्यवहार तथा वाणी । विघातकाः = नष्ट करनेवाले । व्यापादयितव्याः = मारने योग्य हैं। चित्रव्याघ्रः = चितकबरा शेर। ओजः = स्फूर्ति (शक्ति)। तीव्रधावकः = तेज दौड़नेवाला । सततसावहितः = निरन्तर सावधान । तदपनेतुं = उससे बचने में, उसे दूर करने के लिए। प्रथितं = प्रसिद्ध । विभर्ति = धारण करता है। रविकरनिकरसंसर्गात् = सूर्य की किरणों के सम्पर्क से। प्रस्फुटति = विकसित होता है। पङ्के = कीचड़ । जलसंकुलेषु = जल से भरे हुए। सौविध्यम् = सुविधा । अवबुध्यते = समझा जाता है। महत्सु = बड़े। समापने = समाप्त होने पर विश्रुत प्रसिद्ध । द्वापञ्चाशत्पलात्मकः = बावन पल (बावन सेकेण्ड)। अपेक्ष्यते आवश्यक है। विपर्ययः = विपरीत। सदोत्थितैः सदैव खड़े होकर ही । निषिद्धं मना है। त्रिवर्णात्मकः = तिरंगा। अधोभागः = नीचे का भाग। ऊर्ध्व = ऊपर का प्रत्यायकम् = ज्ञान करानेवाला । समुच्छ्रियमाणः = ऊपर फहराता हुआ। अनायासेन = बिना प्रयास के समवतार्य ठीक से उतार कर अर्धमुच्छ्रीयते आधा झुका हुआ।

up board class 9 Sanskrit लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1- भारत के राष्ट्रीय प्रतीकों की गणना कीजिए ।
उत्तर:- भारत के पाँच राष्ट्रीय प्रतीक हैं, जिनमें ‘मोर’ राष्ट्रीय पक्षी, ‘बाघ’ राष्ट्रीय पशु, ‘कमल’ राष्ट्रीय पुष्प, ‘जन गण मन’ राष्ट्रीय गान और तिरंगा राष्ट्रध्वज के रूप में स्वीकृत हैं । |

प्रश्न 2 – राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में स्वीकृत ‘मोर’ की विशेषता लिखिए । यह राष्ट्रवासियों को क्या सन्देश देता है?
उत्तर:- मोर अत्यन्त सुन्दर पक्षी है और इसकी बोली भी अत्यधिक मधुर है । इसका भोजन विषैले सर्प हैं । यह हमें सन्देश देता है कि हमें भी सभी से मधुर वाणी में बोलना चाहिए । अच्छा व्यवहार करना चाहिए और राष्ट्रीय एकता-अखण्डता को नष्ट करने वाले सर्प के समान दुष्ट व्यक्तियों को मार देना चाहिए ।

प्रश्न 3- राष्ट्रीय पुष्पकमल’ का राष्ट्र के लिए क्या सन्देश है? |
उत्तर:- ‘कमल’ कीचड़ में उत्पन्न होता है, शरद् ऋतु में बढ़ता है और खिलकर शोभा पाता है । यह राष्ट्रवासियों को सन्देश देता है कि प्रतिकूल परिस्थितियों के उत्पन्न होने पर भी उन्हें अपना धैर्य बनाये रखना चाहिए और अनुकूल अवसर की प्रतीक्षा करते रहना चाहिए ।

प्ररन4- राष्ट्रीय ध्वज में प्रयुक्त अशोक चक्र का क्या महत्त्व है?
उत्तर:- राष्ट्रीय ध्वज में प्रयुक्त अशोक चक्र सत्य, धर्म और अहिंसा का बोध कराता है । जिस प्रकार चक्र की शलाकाएँ अलग-अलग होते हुए भी केन्द्र में मिली होती हैं, उसी प्रकार हमें भी भाषा, धर्म, जाति आदि की भिन्नताओं के बाद भी एकजुट होकर रहना चाहिए । यही भावना अशोक चक्र के द्वारा प्रकट होती है ।

प्रश्न 5- अपने राष्ट्र-गान और राष्ट्रध्वज की विशेषताएँ लिखिए ।
उत्तर:- हमारा राष्ट्र-गान कविवर रवीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा रचित है । इसमें कवि ने भारत के प्रान्तों, पर्वतों और नदियों का उल्लेख किया है, जो राष्ट्र की विशालता, अखण्डता, संस्कृति तथा गौरव को ध्वनित करता है । हमारा राष्ट्रध्वज तीन रंगों वाला है और ‘तिरंगा’ नाम से जाना जाता है । इसका हरा रंग सुख, समृद्धि और विकास का सूचक है, सफेद रंग ज्ञान, भाईचारा, उच्च विचार जैसे सदगुणों का द्योतक है । और केसरिया रंग त्याग और शूरता का बोधक है । सफेद रंग के मध्य में स्थित चक्र ‘अनेकता में एकता’ को प्रकट करता है ।

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