NCERT Solution for Class 8 Hindi Vasant Chapter 3 बस की यात्रा

NCERT Solution for Class 8 Hindi Vasant
NCERT Solution for Class 8 Hindi Vasant Chapter 3 बस की यात्रा

NCERT Solution for Class 8 Hindi Vasant Chapter 3 बस की यात्रा

Book Ncert
Subject Hindi Vasant
Chapter बस की यात्रा
BoardCBSE

हम पाँच मित्रों ने तय किया कि शाम चार बजे की बस से चलें ।। पन्ना से इसी कंपनी की बस सतना के लिए घंटे भर बाद मिलती है जो जबलपुर की ट्रेन मिला देती है ।। सुबह घर पहुँच जाएँगे ।। हम में से दो को सुबह काम पर हाज़िर होना था इसीलिए वापसी का यही रास्ता अपनाना जरूरी था ।। लोगों ने सलाह दी कि समझदार आदमी इस शाम वाली बस से सफ़र नहीं करते ।। क्या रास्ते में डाकू मिलते हैं? नहीं, बस डाकिन है ।। ।।


बस को देखा तो श्रद्धा उमड़ पड़ी ।। खूब वयोवृद्ध थी ।। सदियों के अनुभव के निशान लिए हुए थी ।। लोग इसलिए इससे सफ़र नहीं करना चाहते कि वृद्धावस्था में इसे कष्ट होगा ।। यह बस पूजा के योग्य थी ।। उस पर सवार कैसे हुआ जा सकता है!


बस कंपनी के एक हिस्सेदार भी उसी बस से जा रहे थे ।। हमने उनसे पूछा – “यह बस चलती भी है?” वह बोले-“चलती क्यों नहीं है जी ! अभी चलेगी ।। ” हमने कहा- ” वही तो हम देखना चाहते हैं ।। अपने आप चलती है यह? हाँ जी और कैसे चलेगी?”

गज़ब हो गया ।। ऐसी बस अपने आप चलती है ।।

हम आगा-पीछा करने लगे ।। डॉक्टर मित्र ने कहा- “डरो मत, चलो! बस अनुभवी है ।। नयी नवेली बसों से ज्यादा विश्वसनीय है ।। हमें बेटों की तरह प्यार से गोद में लेकर चलेगी ।। ” हम बैठ गए ।। जो छोड़ने आए थे, वे इस तरह देख रहे थे जैसे अंतिम विदा दे रहे हैं ।। उनकी आँखें कह रही थीं-” आना-जाना तो लगा ही रहता है ।। आया है, सो जाएगा – राजा, रंक, फकीर आदमी को कूच करने के लिए एक निमित्त चाहिए ।। “


इंजन सचमुच स्टार्ट हो गया ।। ऐसा, जैसे सारी बस ही इंजन है और हम इंजन के भीतर बैठे हैं ।। काँच बहुत कम बचे थे ।। जो बचे थे, उनसे हमें बचना था ।। हम फ़ौरन खिड़की से दूर सरक गए ।। इंजन चल रहा था ।। हमें लग रहा था कि हमारी सीट के नीचे इंजन है ।।


बस सचमुच चल पड़ी और हमें लगा कि यह गांधीजी के असहयोग और सविनय अवज्ञा आंदोलनों के वक्त अवश्य जवान रही होगी ।। उसे ट्रेनिंग मिल चुकी थी ।। हर हिस्सा दूसरे से असहयोग कर रहा था ।। पूरी बस सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौर से गुज़र रही थी ।। सीट का बॉडी से असहयोग चल रहा था ।। कभी लगता सीट बॉडी को छोड़कर आगे निकल गई है ।। कभी लगता कि सीट को छोड़कर बॉडी आगे भागी जा रही है ।। आठ-दस मील चलने पर सारे भेदभाव मिट गए ।। यह समझ में नहीं आता था कि सीट पर हम बैठे हैं या सीट हम पर बैठी है ।।


एकाएक बस रुक गई ।। मालूम हुआ कि पेट्रोल की टंकी में छेद हो गया है ।। ड्राइवर ने बाल्टी में पेट्रोल निकालकर उसे बगल में रखा और नली डालकर इंजन में भेजने लगा ।। अब मैं उम्मीद कर रहा था कि थोड़ी देर बाद बस कंपनी के हिस्सेदार इंजन को निकालकर गोद में रख लेंगे और उसे नली से पेट्रोल पिलाएँगे, जैसे माँ बच्चे के मुँह में दूध की शीशी लगाती है ।।

बस की रफ़्तार अब पंद्रह-बीस मील हो गई थी ।। मुझे उसके किसी हिस्से पर भरोसा नहीं था ।। ब्रेक फेल हो सकता है, स्टीयरिंग टूट सकता है ।। प्रकृति के दृश्य बहुत लुभावने थे ।। दोनों तरफ़ हरे-भरे पेड़ थे जिन पर पक्षी बैठे थे ।। मैं हर पेड़ को अपना दुश्मन समझ रहा था ।। जो भी पेड़ आता, डर लगता कि इससे बस टकराएगी ।। वह निकल जाता तो दूसरे पेड़ का इंतज़ार करता ।। झील दिखती तो सोचता कि इसमें बस गोता लगा जाएगी ।।

हिस्सेदार साहब ने इंजन खोला और कुछ सुधारा ।। बस आगे चली ।। उसकी चाल और कम हो गई थी ।। धीरे-धीरे वृद्धा की आँखों की ज्योति जाने लगी ।। चाँदनी में रास्ता टटोलकर

वह रेंग रही थी ।। आगे या पीछे से कोई गाड़ी आती दिखती तो वह एकदम किनारे खड़ी हो जाती और कहती “निकल जाओ, बेटी! अपनी तो वह उम्र ही नहीं रही ।। “

एक पुलिया के ऊपर पहुँचे ही थे कि एक टायर फिस्स करके बैठ गया ।। वह बहुत जोर से हिलकर थम गई ।। अगर स्पीड में होती तो उछलकर नाले में गिर जाती ।। मैंने उस कंपनी के हिस्सेदार की तरफ़ पहली बार श्रद्धाभाव से देखा ।। वह टायरों की हालत जानते हैं फिर भी जान हथेली पर लेकर इसी बस से सफर कर रहे हैं ।। उत्सर्ग की ऐसी भावना दुर्लभ है ।। सोचा इस आदमी के साहस और बलिदान भावना का सही उपयोग नहीं हो रहा है ।। इसे तो किसी क्रांतिकारी आंदोलन का नेता होना चाहिए ।। अगर बस नाले में गिर पड़ती और हम सब मर जाते तो देवता बाँहें पसारे उसका इंतज़ार करते ।। कहते – ” वह महान आदमी आ रहा है जिसने एक टायर के लिए प्राण दे दिए ।। मर गया, पर टायर नहीं बदला ।। “

दूसरा घिसा टायर लगाकर बस फिर चली ।। अब हमने वक्त पर पन्ना पहुँचने की उम्मीद छोड़ दी थी ।। पन्ना कभी भी पहुँचने की उम्मीद छोड़ दी थी ।। पन्ना क्या कहीं भी, कभी भी पहुँचने की उम्मीद छोड़ दी थी ।। लगता था, जिंदगी इसी बस में गुजारनी है और इससे सीधे उस लोक को प्रयाण कर जाना है ।। इस पृथ्वी पर उसकी कोई मंज़िल नहीं है ।। हमारी बेताबी तनाव खत्म हो गए ।। हम बड़े इत्मीनान से घर की तरह बैठ गए ।। चिंता जाती रही ।। हँसी-मज़ाक चालू हो गया ।।

                                                                    - हरिशंकर परसाई

कारण बताएँ:


1 . “मैंने उस कंपनी के हिस्सेदार की तरफ पहली बार श्रद्धाभाव से देखा ।। ” • लेखक के मन में हिस्सेदार साहब के लिए श्रद्धा क्यों जग गई?
उत्तर : लेखक के मन में बस कंपनी के हिस्सेदार साहब के लिए श्रद्धा इसलिए जाग गई कि वह टायर की स्थिति से परिचित होने के बावजूद भी बस को चलाने का साहस जुटा रहा था ।। कंपनी का हिस्सेदार अपनी पुरानी बस की खूब तारीफ़ कर रहा था ।। अर्थ मोह की वजह से आत्मबलिदान की ऐसी भावना दुर्लभ थी जिसे देखकर लेखक हतप्रभ हो गया और उसके प्रति उनके मन में श्रद्धा भाव उमड़ता है ।।

2 . ” लोगों ने सलाह दी कि समझदार आदमी इस शाम वाली बस से सफ़र नहीं करते ।। ” • लोगों ने यह सलाह क्यों दी?
उत्तर : लोगों ने लेखक को यह सलाह इसलिए दी क्योंकि वे जानते थे की बस की हालत बहुत खराब है ।। बस का कोई भरोसा नहीं है कि यह कब और कहाँ रुक जाए, शाम बीतते ही रात हो जाती है और रात रास्ते में कहाँ बितानी पड़ जाए, कुछ पता नहीं रहता ।। उनके अनुसार यह बस डाकिन की तरह है ।।

3 . ” ऐसा जैसे सारी बस ही इंजन हैं और हम इंजन के भीतर बैठे हैं ।। ” • लेखक को ऐसा क्यों लगा ?
उत्तर: जब बस चालक ने इंजन स्टार्ट किया तब सारी बस झनझनाने लगी ।। लेखक को ऐसा प्रतीत हुआ कि पूरी बस ही इंजन है मानो वह बस के भीतर न बैठकर इंजन के भीतर बैठा हुआ हो ।। अर्थात् इंजन के स्टार्ट होने पर इंजन के पुर्जो की भांति बस के यात्री हिल रहे थे ।।

4 . ” गज़ब हो गया ।। ऐसी बस अपने आप चलती है ।। ‘ लेखक को यह सुनकर हैरानी क्यों हुई ?

उत्तर : बस की वर्तमान स्थिति देखते हुए इस प्रकार का आश्चर्य व्यक्त करना स्वाभाविक था ।। देखने से लग नहीं रहा था कि बस चलती भी होगी परन्तु जब लेखक ने बस के हिस्सेदार से पूछा तो उसने कहा चलेगी ही नहीं, अपने आप चलेगी ।।

5 . ” मैं हर पेड़ को अपना दुश्मन समझ रहा था ।। • लेखक पेड़ों को दुश्मन क्यों समझ रहा था
उत्तर: बस की जर्जर अवस्था से लेखक को ऐसा महसूस हो रहा था कि बस की स्टीयरिंग कहीं भी टूट सकती है तथा ब्रेक फेल हो सकता है ।। ऐसे में लेखक को डर लग रहा था कि कहीं उसकी बस किसी पेड़ से टकरा न जाए ।। एक पेड़ निकल जाने पर वह दूसरे पेड़ का इंतज़ार करता था कि बस कहीं इस पेड़ से न टकरा जाए ।। यही वजह है कि लेखक को हर पेड़ अपना दुश्मन लग रहा था ।।

पाठ से आगे:


1 . ‘सविनय अवज्ञा आंदोलन’ किसके नेतृत्व में, किस उद्देश्य से तथा कब हुआ था ? इतिहास की उपलब्ध पुस्तकों के आधार पर लिखिए |
उत्तर : ‘सविनय अवज्ञा आंदोलन’ महात्मा गाँधी के नेतृत्व में १९३० में अंग्रेजी सरकार से असहयोग करने तथा पूर्ण स्वाधीनता प्राप्त करने के लिए किया गया था ।।

2 . सविनय अवज्ञा का उपयोग व्यंग्यकार ने किस रूप में किया है? लिखिए ।।
उत्तर : ‘सविनय अवज्ञा आंदोलन’ १९३० में में सरकारी आदेशों का पालन न करने के लिए किया था ।। इसमें अंग्रेजी सरकार के साथ सहयोग न करने की भावना थी ।।
लेखक ने ‘सविनय अवज्ञा का उपयोग बस के सन्दर्भ में किया है ।। वह इस प्रतीकात्मक भाषा के माध्यम से यह बताना चाह रहा है कि बस विनय पूर्वक अपने मालिक व यात्रियों से उसे स्वतंत्र करने का अनुरोध कर रही है ।।

भाषा की बात


1 . बस, वश, बस तीन शब्द हैं- इनमें बस सवारी के अर्थ में, वश अधीनता के अर्थ में, और बस पर्याप्त ( काफी) के अर्थ में प्रयुक्त होता है, से चलना होगा ।। मेरे वश में नहीं है ।। अब बस करो ।।
• उपर्युक्त वाक्यों के समान वंश और बस शब्द से दो-दो वाक्य बनाइए ।।

उत्तर : वश आज-कल के बच्चों को समझाना सबके वश की बात नहीं ।। –
वश भगवान की करनी मनुष्य के वश में नहीं ।।
बस बस करो, कितना खाओगे?
बस बस करो, इतना काफी है ।।

2 . “हम पाँच मित्रों ने तय किया कि शाम चार बजे की बस से चलें ।। पन्ना से इसी कंपनी की बस सतना के लिए घंटे भर बाद मिलती है ।। ” ऊपर दिए गए वाक्यों में ने की से आदि वाक्य के दो शब्दों के बीच संबंध स्थापित कर रहे हैं ।। ऐसे शब्दों को कारक कहते हैं ।। इसी तरह दो वाक्यों को एक साथ जोड़ने के लिए ‘कि’ का प्रयोग होता है ।। • कहानी में से दोनों प्रकार के चार वाक्यों को चुनिए |


उत्तर: कारक शब्द से निर्मित वाक्य
१ यह समझ में नहीं आता कि सीट पर हम बैठे हैं या सीट हम पर बैठी है ।।
२ नई नवेली बसों से ज्यादा विश्वसनीय है ।।
३ यह बस पूजा के योग्य थी ।।
४ बस कंपनी के एक हिस्सेदार भी उसी बस में जा रहे थे ।।

3 . “हम फ़ौरन खिड़की से दूर सरक गए ।। चाँदनी में रास्ता टटोलकर वह रेंग रही थी ।। “
दिए गए वाक्यों में आई ‘सरकना’ और ‘रंगना’ जैसी क्रियाएँ दो प्रकार की गतियाँ दर्शाती हैं ।। ऐसी कुछ और क्रियाएँ एकत्र कीजिए जो गति के लिए प्रयुक्त होती हैं, जैसे-घूमना इत्यादि ।। उन्हें वाक्यों में प्रयोग कीजिए
उत्तर : टहलना दादाजी को टहलना अच्छा लगता है ।।
चलना – चलना सेहत के लिए बहुत लाभदायक है ।।

4 . “काँच बहुत कम बचे थे ।। जो बचे थे, उनसे हमें बचना था ।। ” इस वाक्य में ‘बच’ शब्द को दो तरह से प्रयोग किया गया है ।। एक ‘शेष’ के अर्थ में और दूसरा ‘सुरक्षा’ के अर्थ में ।।
नीचे दिए गए शब्दों को वाक्यों में प्रयोग करके देखिए ।। ध्यान रहे, एक ही शब्द वाक्य में दो बार आना चाहिए और शब्दों के अर्थ में कुछ बदलाव होना चाहिए ।।
(क) जल (ख) हार

उत्तर : (क) जल मीना गरम जल से बुरी तरह जल गई ।।
(ख) हार – यह प्रतियोगिता के इस पड़ाव में जिसकी जीत होगी उसे मोतियों का हार मिलेगा और जिसकी हार होगी वह प्रतियोगिता के बाहर हो जाएगा ।।

5 . बोलचाल में प्रचलित अंग्रेजी शब्द ‘फर्स्ट क्लास’ में दो शब्द हैं- फर्स्ट और क्लास ।। यहाँ क्लास का विशेषण है फर्स्ट ।। चूँकि फर्स्ट संख्या है, फर्स्ट क्लास संख्यावाचक विशेषण का उदाहरण है ।। ‘महान आदमी’ में किसी आदमी की महानता का वर्णन है |
उत्तर: संख्यावाचक विशेषण चार, आठ, दस

गुणवाचक विशेषण चाँदनीरात, समझदार आदमी

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