NCERT Solution For Class Chapter 15 Mahavir Prasad Dwivedi
प्रश्न 1. कुछ पुरातन पंथी लोग स्त्रियों की शिक्षा के विरोधी थे ।। ‘द्विवेदी ‘जी ने क्या-क्या तर्क देकर स्त्री-शिक्षा का समर्थन किया ?
उत्तर:- कुछ पुरातन पंथी लोग स्त्रियों की शिक्षा के विरोधी थे ।। ‘द्विवेदी ‘जी ने अनेक तर्कों के द्वारा उनके विचारों का खंडन किया है –
(1) प्राचीन काल में भी स्त्रियाँ शिक्षा ग्रहण कर सकती थीं ।। सीता, शकुंतला, रुकमणी, आदि महिलाएँ इसका उदाहरण हैं ।। वेदों, पुराणों में इसका प्रमाण भी मिलता है ।।
(2) भारत में वेद मन्त्र और पदों की रचना से लेकर, व्याखान और शास्त्रार्थ करनेवाली सुशिक्षित नारियाँ हुई हैं अतः प्राचीन नारियों को शिक्षा से वंचित नहीं कहा जा सकता ।।
(3) रुक्मिणी द्वारा श्रीकृष्ण को पत्र लिखना स्त्रियों के शिक्षित होने का ही प्रमाण है ।।
(4) अत्रि-पत्नी धर्म पर घंटों व्याख्यान देती थी ।। गार्गी ने बड़े बड़े ब्रह्मवादियों को हरा दिया था ।। मंडन मिश्र की पत्नी ने शंकराचार्य को शास्त्रार्थ में हरा दिया था ।। ये सारे उदहारण स्त्री शिक्षा का समर्थन करते हैं ।।
प्रश्न 2. ‘स्त्रियों को पढ़ाने से अनर्थ होते हैं’ – कुतर्कवादियों की इस दलील का खंडन द्विवेदीजी ने कैसे किया है, अपने शब्दों में लिखिए ।।
उत्तर:- द्विवेदीजी ने कुतर्कवादियों की स्त्री शिक्षा विरोधी दलीलों का जोरदार खंडन किया है ।। अनर्थ स्त्रियों द्वारा होते हैं,
तो पुरुष भी इसमें पीछे नहीं हैं ।। अतः पुरुषों के भी विद्यालय बंद कर दिए जाने चाहिए ।। दूसरा तर्क यह है कि शंकुतला का दुष्यंत को कुवचन कहना या अपने परित्याग पर सीता का राम के प्रति क्रोध दर्शाना उनकी शिक्षा का परिणाम न हो कर उनकी स्वाभाविकता थी ।। तीसरा तर्क व्यंग पूर्ण तर्क है – ‘स्त्रियों के लिए पढ़ना कालकूट और पुरूषों के लिए पीयूष का घूँट ! ऐसी दलीलों और दृष्टान्तों के आधार पर कुछ लोग स्त्रियों को अपढ़ रखकर भारतवर्ष क गौरव बढ़ाना चाहते हैं ।।
प्रश्न 3. ‘द्विवेदी ‘जी ने स्त्री-शिक्षा विरोधी कुतर्कों का खंडन करने के लिए व्यंग्य का सहारा लिया है – जैसे ‘यह सब पापी पढ़ने का अपराध है ।। न वे पढ़तीं, न वेपूजनीय पुरूषों का मुकाबला करतीं ।। ‘ आप ऐसे अन्य अंशों को निबंध में से छाँटकर समझिए और लिखिए ।।
उत्तर:- स्त्री शिक्षा से सम्बन्धित कुछ व्यंग्य जो ‘द्विवेदी ‘जी द्वारा दिए गए हैं.
(1) स्त्रियों के लिए पढ़ना कालकूट और पुरुषों के लिए पीयूष का घूँट! ऐसी ही दलीलों और दृष्टांतो के आधार पर कुछ लोग स्त्रियों को अपढ़ रखकर भारतवर्ष का गौरव बढ़ाना चाहते हैं ।।
(2) स्त्रियों का किया हुआ अनर्थ यदि पढ़ाने ही का परिणाम है तो पुरुषों का किया हुआ अनर्थ भी उनकी विद्या और शिक्षा का ही परिणाम समझना चाहिए ।।
(3) ” आर्य पुत्र, शाबाश! बड़ा अच्छा काम किया जो मेरे साथ गांधर्व-विवाह करके मुकर गए ।। नीति, न्याय, सदाचार और धर्म की आप प्रत्यक्ष मूर्ति हैं!”
(4) अत्रि की पत्नी पत्नी-धर्म पर व्याख्यान देते समय घंटो पांडित्य प्रकट करे, गार्गी बड़े-बड़े ब्रह्मवादियों को हरा दे, मंडन मिश्र की सहधर्मचारिणी शंकराचार्य के छक्के छुड़ा दे ! गज़ब! इससे अधिक भयंकर बात और क्या हो सकेगी!
(5) जिन पंडितों ने गाथा सप्तशती, सेतुबंध-महाकाव्य और कुमारपालचरित आदि ग्रंथ प्राकृत में बनाए हैं, वे यदि अपढ़ और गँवार थे तो हिंदी के प्रसिद्ध से भी प्रसिद्ध अख़बार का संपादक को इस ज़माने में अपढ़ और गँवार कहा जा सकता है; क्योंकि वह अपने ज़माने की प्रचलित भाषा में अख़बार लिखता है ।।
प्रश्न 4. पुराने समय में स्त्रियों द्वारा प्राकृत भाषा में बोलना क्या उनके अपढ़ होने का सबूत है – पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए ।।
उत्तर:- पुराने ज़माने की स्त्रियों द्वारा प्राकृत में बोलना उनके अपढ़ होने का प्रमाण नहीं है, क्योंकि बोलचाल की भाषा प्राकृत ही थी जिसे सुशिक्षितों द्वारा भी बोला जाता था ।। जिस तरह आज हिंदी जन साधारण की भाषा है ।। यदि हिंदी बोलना और लिखना अपढ़ और अशिक्षित होने का प्रमाण नहीं है, तो उस समय प्राकृत बोलने वाले भी अनपढ़ या गँवार नहीं हो सकते ।। इसका एकमात्र कारण यही है कि प्राकृत उस समय की सर्वसाधारण की भाषा थी ।। अत: उस समय की स्त्रियों का प्राकृत भाषा में बोलना उनके अपढ़ होने का सबूत नहीं है ।।
प्रश्न 5. परंपरा के उन्हीं पक्षों को स्वीकार किया जाना चाहिए स्त्री-पुरुष समानता को बढ़ाते हों – तर्क सहित उत्तर दीजिए ।।
उत्तर:- हमारी परम्परा वैसे भी काफ़ी पुरानी है, ज़रूरी नहीं की हमें सारी बातें अपनानी ही चाहिए जो अपनाने योग्य बातें हैं हमें वही अपनानी चाहिए ।। जहाँ तक परंपरा का प्रश्न है, परंपराओं का स्वरुप पहले से बदल गया है ।। प्राचीन परम्पराएँ कहीं-कहीं पर स्त्री-पुरूषों में अंतर करती थी परन्तु आज स्त्री तथा पुरुष दोनों ही एक समान हैं ।। समाज की उन्नति केलिए दोनों का सहयोग ज़रुरी है ।। ऐसे में स्त्रियों का कम महत्व समझना गलत है, इसे रोकना चाहिए ।। अत: स्त्री तथा पुरुष की असमानता की परंपरा को भी बदलना ज़रुरी है ।।
प्रश्न 6. तब की शिक्षा प्रणाली और अब की शिक्षा प्रणाली में क्या अंतर है ? स्पष्ट करें ।।
उत्तर:- पहले की शिक्षा प्रणाली और आज की शिक्षा प्रणाली में बहुत परिवर्तन आया है ।। तब की शिक्षा प्रणाली में स्त्रियों को शिक्षा से वंचित रखा जाता था पहले शिक्षा प्राप्त करने के लिए विद्यार्थियों को गुरुकुल में रहना ज़रूरी था परन्तु आज शिक्षा प्राप्त करने के लिए विद्यालय है ।। पहले शिक्षा एक वर्ग तक सीमित थी ।। लेकिन आज किसी भी जाति के तथा वर्ग के लोग शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं ।। आज की शिक्षा प्रणाली में स्त्री पुरूषों की शिक्षा में अंतर नहीं किया जाता है ।। पहले की शिक्षा में जहाँ जीवन-मूल्यों की शिक्षा पर बल दिया जाता था वहीँ आज व्यवसायिक तथा व्यावहारिक शिक्षा पर बल दिया जाता है ।। गुरु-परम्परा भी लगभग समाप्त सी हो चली है ।।
प्रश्न 7. महावीरप्रसाद ‘ ‘द्विवेदी ”का निबंध उनकी दूरगामी और खुली सोच का परिचायक है, कैसे ?
उत्तर:- महावीर प्रसाद ‘द्विवेदी ‘जी ने निबंध के माध्यम से ये स्पष्ट हो जाता है कि उनकी सोच कितनी दूरगामी थी ।। उस समय समाज में स्त्री शिक्षा पर प्रतिबंध था ।। उन्होंने स्त्री शिक्षा के महत्व को समाज के सामने रखा ।। वे जानते थे कि घर की स्त्री के शिक्षित होने पर पूरा समाज शिक्षित हो सकेगा और राष्ट्र उन्नति करेगा आज समाज में, स्त्रियों में बहुत बदलाव आया है ।। आज की स्त्रियाँ पुरुषों के समान हैं ।। ये सारे परिवर्तन ऐसी ही सोच का परिणाम है ।।
प्रश्न 8. दिवेदी जी की भाषा-शैली पर एक अनुच्छेद लिखिए ।। ।।
उत्तर: द्विवेदीजी अपने समय के भाषा सुधारक थे ।। अतः इन्होंने व्याकरण तथा वर्तनी की अशुद्धियों पर विशेष ध्यान दिया ।। उन्होंने व्यंग्यात्मक शैली का भी प्रयोग किया है ।। उन्होंने अपने निबंध में संस्कृत निष्ठ तत्सम शब्दों, के साथ साथ देशज, तद्भव तथा उर्दू और अंग्रेजी शब्दों का भी प्रयोग किया है ।।
प्रश्न 9. निम्नलिखित अनेकार्थी शब्दों को ऐसे वाक्यों में प्रयुक्त कीजिए जिनमें उनके एकाधिक अर्थ स्पष्ट हों – चाल, दल, पत्र, हरा, पर, फल, कुल
उत्तर:
चाल – यदि दुनिया की चाल बदलना चाहते हो तो पहले लोगों की चालों से बचों ।।
दल – इस बार के लोकसभा चुनाव में मोदीजी के दल ने सभी राजनैतिक दलों के इरादे दल दिए ।।
पत्र- आज के समाचार पत्र में नेहरूजी द्वारा इंदिराजी को लिखा पत्र छपा है ।।
हरा – भारत के खिलाडियों ने इंग्लैंड के हरे मैदानों में हर प्रतिद्वंद्वी टीम को हरा दिया ।।
पर – उस डाल पर बैठे हुए पक्षी के पर कितने सुन्दर हैं ।।
फल – सावधान ज्यादा फल खाने का फल भी अच्छा नहीं होता है ।।
कुल- हमारे कुल के छात्रों के कुल अंक 75% रहे हैं ।।
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