UP Board Solution for Class 8 Sanskrit Chapter 9 bhavya bhagirathi भव्या भागीरथी

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UP Board Solution for Class 8 Sanskrit Chapter 9 bhavya bhagirathi भव्या भागीरथी

हिमाद्रेः सम्भूता विहरसि तदङ्के हिममये,
ततो भूमिं याता विचरसि सुहासा समतले।
पुनासि त्वं लोकान् प्रवहसि समुद्रं प्रति सदा,
अहो दिव्ये गङ्गे! भवतु सुखदं नस्तव जलम्।।1।।

हिन्दी अनुवाद-हे गंगा माता! तुम हिमालय से उत्पन्न हुई, हिमालय की गोद में विचरण करती हो; तब पृथ्वी पर आती हो और समतल सन्न होकर हँसते हुए विचरण करती हो। फिर समुद्र की ओर निरन्तर बहती हुई तुम सभी को वित्र करटो होः हे ! माता! तुम्हारा जल हमें सुख प्रदान करने वाला है।

न जाने किं पुण्यं फलितमधुना नो भगवति,
प्रियो देशो जातः तव जलकणैर्नष्टकलुषः ।
हरिद्वारं काशी तव तटमहत्त्वं कथयतः,
प्रयागस्तीर्थानां पतिरतुलनीयस्तव तटे ।।2।।

हिन्दी अनुवाद-हे भगवती गंगा! हम नहीं जानते कि हमारा कौन-सा पुण्य फलीभूत हुआ है कि हमारा प्रिय देश तुम्हारे पवित्र जल-कणों से पवित्र हो गया है। हरिद्वार और काशी तुम्हारे तट की महिमा का गुणगान कर रहे हैं। सभी तीर्थों का अधिपति अतुलनीय प्रयागराज तुम्हारे तट पर स्थित है।

जनानां धात्री त्वं सुमधुर-फलान्नानि ददती,
विशालां सिञ्चन्ती मधुमयजलैर्भारतभुवम्।
अये शुभे गङ्गे विलसिततरङ्गे त्रिपथगे!
तवोत्सङ्गे धन्याः शिशव इव खेलन्ति मनुजाः ।। 3।।

हिन्दी अनुवाद-तुम सभी जनों का पालन करने वाली हो, मीठे फल तथा अन्न प्रदान करती हो, अपने मधुर जल से भारत भूमि को सींचती हो। हे शुभ गंगा। सुशोभित तरंगों वाली तुम्हारी गोद में बच्चों की भाँति खेलते हुए वे मनुष्य धन्य हैं।

पयस्ते कुल्याभिव्रजति बहु दूरं सुमधुरम्,
ततः सिक्तं क्षेत्र भवति हरितं चापि ललितम् ।
गभीरे ते नीरे तरणिषु सुखं यान्ति पथिकाः
वयं भूयो भूयो जगति तव कृत्यैरुपकृताः ।।4।।

हिन्दी अनुवाद– तुम्हारा मधुर जल नहरों से होकर बहुत दूर तक जाता है। उससे सींचे हुए खेत हरे-भरे और सुन्दर हो जाते हैं। तुम्हारे गहरे जल में नावों में बैठकर यात्री लोग सुखपूर्वक दूर तक जाते हैं। संसार में हम सब तुम्हारे कार्यों से सदा कृतज्ञ रहेंगे।

अये पुण्ये गजगति जननं चेन्मम पुनः
भवेत् क्रीडाभूमिः पुनरपि शुभा भारतधरा ।
सदा सेवे नीर सुरनदि तवेदं सुखकरम्
न मेऽन्या स्वाद हा तव तटविहारे विहरतः ।15।।

हिन्दी अनुवाद–हे पवित्र गंगा! यदि संसार में मेरा फिर जन्म हो, तो शुभ भारत भूमि ही मेरी क्रीड़ा-स्थली हो। मैं तुम्हारे सुखदायक जल का सदा ही सेवन करता रहूँ। तुम्हारे किनारे पर विहार करते हुए मुझ जैसे व्यक्ति की कोई दूसरी अभिलाषा ही नहीं है।

UP Board solutions for Class 8 Sanskrit Chapter 9 भव्या भागीरथी

भव्या भागीरथी कठिन शब्दों के अर्थ

हिमाद्रेः = हिमालय पर्वत से। सम्भूता = निकली हुई। सुहासा = सुन्दर हँसती हुई। पुनासि = पवित्र करती हो। धात्री = धारण करने वाली। त्रिपथगे = तीन मार्गों से जाने वाली (स्वर्गलोक, पृथ्वीलोक तथा पाताललोक में बहने वाली) गङ्गा। उत्सङ्गे = गोद में। कुल्याभिः = नहरों से। व्रजति = जाती है। तरणिषु = नौकाओं में। ईहा = इच्छा। यान्ति = जाते हैं। चेत् = यदि ।

भव्या भागीरथी पाठ के सभी प्रश्न और उत्तर

  1. एकपदेन उत्तरत –

(क) गङ्गा कुतः सम्भूता ?

उत्तर- हिमाद्रे

(ख) तीर्थानां पतिः कः ?

उत्तर- प्रयागराज

(ग) गङ्गायाः पयः काभि: बहुदूरं व्रजति ?

उत्तर – कुल्याभि:

(घ) गङ्गायाः गभीरे नीरे तरणिषु के सुखं यान्ति ?

उत्तर – पथिका: ।

(ङ) भागीरथी कान् पुनाति ?

उत्तर लोकान्

  1. पूर्णवाक्येन उत्तरत –

(क) गङ्गातटे कानि प्रसिद्धानि नगराणि स्थितानि ?

(ख) गङ्गा-जलात् सिक्तं क्षेत्र कीदृशं भवति ?

(ग) गङ्गा कीदृशैः जलैः भारतभुवम् सिञ्चति ?

  1. संस्कृतभाषायाम् अनुवादं कुरुत –

(क) गंगा सभी नदियों में श्रेष्ठ है।

(ख) इसका जल शीतल एवं पवित्र है।

(ग) पर्यटक गंगा में नौका विहार करते हैं।

(घ) गंगा-तट पर बैठकर लोग तप करते हैं।

(ड) वाराणसी में गंगा का तट बहुत सुन्दर है

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