Up board solution for class 9 home science chapter 1 गृह विज्ञान के तत्त्व और क्षेत्र

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Up board solution for class 9 home science chapter 1 गृह विज्ञान के तत्त्व और क्षेत्र

प्रश्न 1:- ‘गृह विज्ञान’ का अर्थ स्पष्ट कीजिए तथा परिभाषा निर्धारित कीजिए ।
या
‘गृह विज्ञान’ से आप क्या समझती हैं? गृह विज्ञान के तत्वों का भी उल्लेख कीजिए ।


उत्तर:- 20वीं शताब्दी के प्रारम्भ में हई औद्योगिक क्रान्ति के परिणामस्वरूप जीवन-मूल्यों में भारी परिवर्तन आए, जिससे स्त्रियों को पुरुषों के समान घर से बाहर निकलकर काम करना पड़ा । इससे स्त्रियों के कार्यक्षेत्र और उत्तरदायित्वों में वृद्धि हुई । घर एवं घर से बाहर के उनके द्विमुखी उत्तरदायित्व को कुशलतापूर्वक निभाने के लिए एक ऐसे विषय की आवश्यकता अनुभव की जाने लगी जो सामान्य घरेलू जीवन को उत्तम, सरल, कम श्रम-साध्य तथा समय की बचत कराने में सहायक हो । इसी सन्दर्भ में क्रमश: एक विषय का विकास हुआ, जिसे आज गृह विज्ञान के रूप में जाना जाता है । घर-परिवार को सुविधाजनक व आर्थिक रूप से निर्भर बनाने के लिए सर्वप्रथम स्त्रियों की रुचि गृह-अर्थशास्त्र की ओर उत्पन्न करने का प्रयास किया गया । समय के साथ-साथ इस विषय का क्षेत्र विस्तृत होता गया तथा इसने अन्त में आज के गृह विज्ञान का रूप ले लिया ।

गृह विज्ञान का अर्थ एवं परिभाषा

गृह विज्ञान दो शब्दों से मिलकर बना है-‘गृह’ तथा ‘विज्ञान’ । गृह का अर्थ है ‘घर’ और विज्ञान का अर्थ है ‘व्यवस्थित ज्ञान’ । इस प्रकार, गृह विज्ञान का अर्थ गृह से सम्बन्धित विभिन्न पहलुओं; जैसे आवास, भोजन, वेशभूषा आदि का व्यवस्थित अध्ययन करना है । सर्वप्रथम गृह विज्ञान; अर्थशास्त्र की शाखा के रूप में अमेरिका में विकसित हुआ । अमेरिकन होम इकोनोमिक्स एसोसिएशन के अनुसार, “गृह-अर्थशास्त्र शिक्षा का विशिष्ट विषय है, जिसके अन्तर्गत आय-व्यय, भोजन की स्वच्छता एवं रुचिपूर्णता, वेशभूषा और आवास आदि के रुचिपूर्ण एवं उपयुक्त चुनाव तथा तैयारी और परिवार एवं अन्य मानव समुदायों द्वारा उनके उपयोग का अध्ययन किया जाता है । ” समय के साथ-साथ इस विषय ने अधिक व्यापक रूप धारण कर लिया तथा इसमें शरीर विज्ञान, स्वास्थ्य एवं रोगाणु विज्ञान, आहार एवं पोषण तथा पर्यावरण सम्बन्धी महत्त्वपूर्ण विषय भी सम्मिलित किए गए हैं ।

जापान में इस विषय को गृह-प्रशासन के नाम से जाना जाता है । गुड जॉनसन के अनुसार, “गृह व्यवस्था सामान्य देशों में अत्यधिक सामान्य व्यवस्था है जिसमें अधिकांश व्यक्ति कार्यरत होते हैं तथा अधिकतर धन का उपयोग किया जाता है और यह व्यक्तियों के स्वास्थ्य की दृष्टि से अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है । ”

‘गृह विज्ञान’ नामक विषय को कुछ अन्य नामों से भी जाना जाता है; जैसे कि ‘गृह विज्ञान तथा गृह-कला’ [Home Science and Household Art], ‘घरेलू विज्ञान एवं गृह-कला’ [Domestic Science and Home Craft] गृह विज्ञान के विस्तृत विषय-क्षेत्र को ध्यान में रखते हुए इस विषय की एक ब्यवस्थित परिभाषा इन शब्दों में प्रस्तुत की जा सकती है

“गृह विज्ञान वह सामाजिक विज्ञान है जो घर-परिवार से सम्बन्धित समस्त आवश्यकताओं एवं योजनाओं का व्यवस्थित अध्ययन करता है तथा पारिवारिक सुख-सुविधाओं में वृद्धि करने के लिए सैद्धान्तिक एवं व्यावहारिक ज्ञान प्रदान करता है । ”

गृह विज्ञान की एक परिभाषा दिल्ली के लेडी इरविन कॉलेज के “गृह विज्ञान संस्थान’ ने इन शब्दों में प्रस्तुत की है, ”गृह विज्ञान वह व्यावहारिक विज्ञान है जो अपने अध्ययनकर्ताओं को सफल पारिवारिक जीवन व्यतीत करने, सामाजिक तथा आर्थिक समस्याओं को हल करने और सुखमय जीवन यापन करने की दशाओं का ज्ञान कराता है । ”

उपर्युक्त विवरण द्वारा गृह विज्ञान का अर्थ स्पष्ट हो जाता है । संक्षेप में, हम कह सकते हैं कि गृह विज्ञान एक उपयोगी तथा व्यावहारिक महत्त्व का विषय है । इस विषय के अध्ययन का मुख्य उद्देश्य सुखी एवं आदर्श पारिवारिक जीवन-यापन करने के उपाय जानना है । इस विषय के अन्तर्गत उन समस्त उपायों को व्यवस्थित अध्ययन किया जाता है जो पारिवारिक जीवन की दैनिक समस्याओं का उत्तम समाधान प्राप्त करने में सहायक होते हैं ।

गृह विज्ञान के तत्त्व

गृह विज्ञान का अध्ययन गृह एवं परिवार के उत्तम जीवन–स्तर का मूल आधार है । गृह विज्ञान में वे सभी तत्त्व सम्मिलित हैं जो परिवार की आवश्यकताओं व उद्देश्यों की पूर्ति करते हैं । गृह विज्ञान के मूल तत्त्व निम्नलिखित हैं

[1] परिवार के सदस्यों की बहुमुखी विकास:-
परिवार के रूप में मनुष्य ने एक ऐसी संस्था का विकास किया है जहाँ उसका शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक सभी प्रकार का विकास होता है । परिवार में ही परिवार के प्रत्येक सदस्य को सुरक्षा प्राप्त होती है, प्रत्येक सदस्य का अपना उत्तरदायित्व होता है तथा प्रत्येक सदस्य के अधिकार और कर्तव्य होते हैं । अतः परिवार के सभी सदस्यों के स्वस्थ विकास और अभिवृद्धि के लिए सहायक पर्यावरण की व्यवस्था करना गृह विज्ञान का मूल तत्त्व है अर्थात् बालकों का समुचित पालन-पोषण हो, जिससे वे समाज की उन्नति में अपना योगदान दे सकें, यह गृह विज्ञान का मुख्य उद्देश्य है ।

[2] नियोजन:-
किसी भी कार्य को सफलतापूर्वक करने के लिए नियोजन आवश्यक है । पारिवारिक जीवन में आर्थिक सन्तुलन के लिए आय को नियोजित रूप से व्यय करने तथा नियमित बचत करने की आवश्यकता होती है । गृह विज्ञान से क्रय-विक्रय, बजट व बचत आदि से सम्बन्धित जानकारी मिलती है, जिससे व्यय एवं बचत का नियोजन करना सम्भव हो पाता है । गृह प्रबन्ध के लिए भी नियोजन अति महत्त्वपूर्ण है । गृह के सन्दर्भ में परिवार नियोजन, बजट बनाने तथा बचत नियोजन का महत्त्व आधुनिक युग की बढ़ती हुई आवश्यकताओं में प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है ।

[3] नियन्त्रण:-
नियोजन योजना के निर्माण में सहायक होता है, तो नियन्त्रण योजना के अनुसार कार्य करने के लिए उत्तरदायी है । नियन्त्रण चालू योजना को कार्यक्रम अथवा परिस्थितियों के अनुकूल परिवर्तित भी करता है । उदाहरण के लिए-गृहिणी अपने दैनिक कार्यक्रम की योजना स्वयं बनाती है । तथा आवश्यकता पड़ने पर इसमें इच्छित परिवर्तन भी कर लेती है, परन्तु जीवन में अनेक घटनाएँ इस प्रकार की होती हैं कि जिन पर नियन्त्रण सम्भव नहीं हो पाता । गृह विज्ञान हमें ऐसी घटनाओं से निपटने की शिक्षा देता है; जैसे कि जल जाना, हाथ कट जाना आदि दुर्घटनाओं के लिए गृह विज्ञान प्राथमिक चिकित्सा की जानकारी देता है ।

[4] मूल्यांकन:-
गृह विज्ञान एक जीवन दर्शन है, जिसका लक्ष्य सदैव परिवार के सभी सदस्यों का सर्वांगीण कल्याण करना रहता है । इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए मूल्यांकन एक महत्त्वपूर्ण कसौटी है । विभिन्न कार्यों के नियोजन का मूल्यांकन किया जानी चाहिए । नियोजन के मूल्यांकन पर नियोजन की सफलता अथवा असफलता निर्भर करती है । इसी प्रकार नियन्त्रण की सफलता भी मूल्यांकन पर निर्भर होती है । उदाहरण के लिए कोई गृहिणी अपने दिनभर के कार्यों का मूल्यांकन जब रात्रि में करती हैं, तो उसे पता चलता है कि कुछ कम आवश्यक कार्यों में अधिक समय लगने के कारण उसे ललित कलाओं अथवा सामाजिक गतिविधियों के लिए समय नहीं मिल पाया । अत: दूसरे दिन वह कार्यों की योजना में यथेष्ट परिवर्तन कर समय की बचत कर सकती है । इस प्रकारे, मूल्यांकन भावी योजनाओं के लिए ठोस आधार प्रस्तुत करता है तथा भविष्य में होने वाली हानियों से बचाता है ।

प्रश्न 2:- ”गृह विज्ञान कला और विज्ञान दोनों ही है । ” इस कथन की पुष्टि कीजिए ।
या
‘गृह विज्ञान की प्रकृति को स्पष्ट कीजिए । या गृह विज्ञान की प्रकृति का विवेचन करते हुए स्पष्ट कीजिए कि इस विषय में कलात्मक एवं वैज्ञानिक दोनों ही पक्ष विद्यमान हैं ।


उत्तर:- किसी भी विषय के व्यवस्थित अध्ययन के लिए उस विषय की प्रकृति को निर्धारित करना आवश्यक होता है । विषय की प्रकृति को निर्धारित करने के लिए सर्वप्रथम यह निश्चित करना आवश्यक होता है कि अमुक विषय विज्ञान’ है अथवा ‘कला’ । गृह विज्ञान की प्रकृति का विश्लेषण करने से ज्ञात होता है कि इसमें ‘विज्ञान’ तथा ‘कला’ दोनों के ही लक्षण विद्यमान हैं । इस तथ्य की पुष्टि अग्रवर्णित विवरण द्वारा हो जाएगी

[अ] गृह विज्ञान एक विज्ञान के रूप में–
विज्ञान शब्द का अर्थ एक विशिष्ट क्रमबद्ध ज्ञान से है । यह कार्य तथा कारण में सम्बन्ध स्थापित करता है । नियमों का निर्माण, सुनिश्चित अध्ययन प्रणाली एवं भावी घटनाओं का अनुमान इत्यादि विज्ञान की प्रमुख विशेषताएँ हैं । ये लगभग सभी गृह विज्ञान की भी विशेषताएँ हैं, जिन्हें निम्नलिखित विवरण द्वारा स्पष्ट करने का प्रयास किया गया है

[1] यह तथ्यात्मक है:-
गृह विज्ञान के अन्तर्गत हम शरीर विज्ञान, स्वास्थ्य विज्ञान, गृह परि चर्या, वस्त्र विज्ञान तथा अर्थव्यवस्था आदि से सम्बन्धित तथ्यों को एकत्रित कर उनका तथ्यात्मक अध्ययन करते हैं ।

[2] वैज्ञानिक पद्धति द्वारा अध्ययन:-
गृह विज्ञान में आहार एवं पोषण विज्ञान, स्वास्थ्य विज्ञान, प्राथमिक चिकित्सा एवं औषधि विज्ञान के वैज्ञानिक नियमों की जानकारी प्राप्त करके स्वास्थ्य, चिकित्सा एवं सुरक्षा आदि से सम्बन्धित नियम बनाये जाते हैं अर्थात् गृह विज्ञान के अध्ययन में वैज्ञानिक पद्धति को अपनाया जाता है ।

[3] गृह विज्ञान में सर्वमान्य सिद्धान्त हैं:-
इसमें गृह-सज्जा, स्वास्थ्य, आहार और पोषण, चिकित्सा, बाल विकास, वस्त्रों की देख-रेख आदि के सर्वमान्य सिद्धान्त हैं । ये परिस्थितियों के अनुसार केवल कुछ संशोधनों के साथ विश्व के सभी भागों में स्वीकार किए जाते हैं ।

[4] गृह विज्ञान में भविष्यवाणी सम्भव है:-
गृह विज्ञान से सम्बन्धित अनेक विषयों पर तो निश्चित भविष्यवाणी की जा सकती है तथा अनेक विषयों पर सम्भावनाएँ व्यक्त की जा सकती हैं ।

[5] गृह विज्ञान के तथ्य प्रामाणिक होते हैं:-
गृह विज्ञान के सिद्धान्त एवं तथ्य सभी परिस्थितियों में प्रामाणिक होते हैं । । उपर्युक्त विवरण द्वारा स्पष्ट है कि ‘गृह विज्ञान’ में विज्ञान की विभिन्न विशेषताएँ विद्यमान हैं ।

[ब] गृह विज्ञान एक कला के रूप में :–
कला का अर्थ व्यावहारिक जीवन में ज्ञान के प्रयोग से हैं । यह एक मानवीय प्रयत्न है जिसके द्वारा वस्तुओं को पहले से श्रेष्ठ व सुन्दर बनाने का प्रयास किया जाता है । कल्पना एवं सृजनात्मकता कला की मुख्य विशेषताएँ हैं । गृह विज्ञान में भी कला के कुछ तत्त्व विद्यमान हैं । गृह विज्ञान का ज्ञान गृहिणी में मानवीय गुणों का विकास करता है जिसमें गृह, परिवार व समाज का सर्वांगीण उत्थान निहित है । निम्नलिखित विवरण इस तथ्य की पुष्टि करते हैं—

[1] सौन्दर्य बोध:- कला सौन्दर्य बोध की प्रतीक है । गृह विज्ञान में घर की सज्जा की शिक्षा दी जाती है । इसमें पाक-कला एवं आहार-नियोजन के व्यावहारिक वे कलात्मक दोनों पक्षों का अध्ययन किया जाता है ।

[2] परिवार की मूलभूत आवश्यकताओं का अध्ययन:-
परिवार के आर्थिक पक्ष अर्थात् आय-व्यय और बचत के विषय में जानकारी तथा नियोजन, नियन्त्रण एवं मूल्यांकन द्वारा जीवन को सुखमय एवं सुविधाओं से परिपूर्ण बनाने की शिक्षा मिलती है ।

[3] व्यक्तिगत सज्जा, वस्त्र-निर्माण एवं देख-रेख :-
ये सब जीवन के कलात्मक पक्ष को दिशा प्रदान करते हैं । इस प्रकार हम देखते हैं कि गृह विज्ञान में यदि एक ओर विज्ञान के अनेक विषयों का व्यावहारिक ज्ञान प्राप्त किया जाता है, तो दूसरी ओर गृह-व्यवस्था एवं गृह-सज्जा, अर्थव्यवस्था, व्यक्तिगत सज्जा आदि के कलात्मक सिद्धान्तों को भी व्यावहारिक रूप दिया जाता है । अतः यह कथन कि ”गृह विज्ञान कला और विज्ञान दोनों ही है” पूर्णरूप से तर्कसंगत है ।

प्रश्न 3:- गृह विज्ञान के अध्ययन-क्षेत्र का वर्णन कीजिए ।
या
“गृह विज्ञान एक व्यापक विषय है । ” सिद्ध कीजिए ।

उत्तर:- गृह विज्ञान का सम्बन्ध घर-परिवार के सामान्य जीवन के प्रायः सभी पक्षों से हैं । इसीलिए गृह विज्ञान का अध्ययन-क्षेत्र अत्यधिक व्यापक एवं बहुपक्षीय है । जीवन को सुख-सुविधाओं से परिपूर्ण तथा पहले से अच्छा बनाने में गृह विज्ञान महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करती है । यह उचित रहन-सहन, स्वास्थ्य, आर्थिक व्यवस्था, गृह प्रबन्ध, कर्तव्यपरायणता एवं नैतिक मूल्यों की शिक्षा देता है । इसमें व्यक्ति, परिवार, समाज एवं राष्ट्र सभी को सम्मिलित किया जाता है । अध्ययन की सुविधा के लिए गृह विज्ञान के अध्ययन क्षेत्र को अग्रलिखित भागों में बाँटा जा सकता है

गृह विज्ञान के प्रमुख क्षेत्र

[1] गृह-प्रबन्ध:-
गृह कार्यों की व्यवस्था, पारिवारिक कर्तव्यों का बोध, पारस्परिक सम्बन्ध इत्यादि गृह-प्रबन्ध के अन्तर्गत आते हैं । इसके अतिरिक्त उचित व्यवहार एवं नैतिक मूल्यों को ज्ञान भी सफल गृह-प्रबन्ध के लिए अत्यन्त आवश्यक है ।

[2] अर्थव्यवस्था:-
परिवार की मूलभूत आवश्यकताओं के अनुसार परिवार की आय से उचित बजट का बनाना तथा मितव्ययिता व बचत आदि के माध्यम से आय एवं व्यय में सन्तुलन बनाए रखना अर्थव्यवस्था के अन्तर्गत आते हैं ।

[3] सफाई, सजावट आदि से सम्बन्धित जानकारी:-
सफाई और सजावट आदि से सम्बन्धित जानकारी होना गृह विज्ञान का सबसे प्रमुख क्षेत्र है । सफाई हमारे रहने के वातावरण को शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से सुरक्षित बनाती है तथा सजावट से घर की सुन्दरता बढ़ती है ।

[4] स्वास्थ्य रक्षा:- स्वास्थ्य रक्षा से आशय है-व्यक्तिगत व परिवार के अन्य सदस्यों के स्वास्थ्य की देख-रेख और रक्षा करना । इस विषय में सामान्य एवं संक्रामक रोगों के उपचार एवं बचाव के उपायों की जानकारी के साथ-साथ पेय जल की शुद्धता का ज्ञान भी आवश्यक है । इसके अन्तर्गत जन-स्वास्थ्य के नियमों की समुचित जानकारी प्रदान की जाती है तथा पर्यावरण के प्रदूषण को नियन्त्रित रखने के उपाय भी सुझाए जाते हैं ।

[5] आहार एवं पोषण विज्ञान:-
गृह विज्ञान के अन्तर्गत ‘आहार तथा पोषण विज्ञान का भी अध्ययन किया जाता है । इसके अन्तर्गत मुख्य रूप से आहार के कार्यों, आहार के तत्त्वों, सन्तुलित आहार, आहार-आयोजन, पाक-क्रिया की प्रणालियों, खाद्य पदार्थों के संरक्षण, पोषण-प्रक्रिया तथा आहार द्वारा रोगों के उपचार का अध्ययन किया जाता है ।

[6] बैक्टीरिया विज्ञान:-
समस्त प्राणियों के आहार एवं स्वास्थ्य तथा अनेक बैक्टीरिया [जीवाणुओं] का घनिष्ठ सम्बन्ध है । विभिन्न बैक्टीरिया हमारे आहार एवं स्वास्थ्य पर अनुकूल अथवा प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं । कुछ बैक्टीरिया हमारे भोज्य पदार्थों की पोषकता तथा उपयोगिता में वृद्धि करते हैं जबकि कुछ अन्य बैक्टीरिया हमारे भोज्य पदार्थों को न केवल दूषित करते हैं बल्कि उन्हें नष्ट भी कर सकते हैं । कुछ बैक्टीरिया तथा विषाणु विभिन्न संक्रामक रोगों को भी जन्म देते हैं । अतः इन तथ्यों को ध्यान में रखते हुए गृह विज्ञान के अन्तर्गत बैक्टीरिया विज्ञान का भी व्यवस्थित अध्ययन किया जाता है ।

[7] प्राथमिक चिकित्सा एवं परिचर्या:-
दुर्घटनाग्रस्त व्यक्तियों और आकस्मिक रोगियों को तुरन्त आवश्यक एवं सम्भव उपचार उपलब्ध कराना प्राथमिक चिकित्सा कहलाता है । रोगी की उचित देख-रेख, औषधि का समय पर सेवन कराना, आवश्यक बिस्तर का प्रबन्ध करना, नाड़ी, श्वास-गति, ताप आदि का चार्ट बनाना इत्यादि गृह-परिचर्या के अन्तर्गत आते हैं । इन सभी विषयों का व्यवस्थित अध्ययन गृह विज्ञान के अध्ययन-क्षेत्र में सम्मिलित है ।

[8] मातृ-कला तथा शिशु-कल्याण:-
पारिवारिक सुख-समृद्धि के लिए मातृ-कला तथा शिशु-कल्याण को सभ्य समाज में महत्त्वपूर्ण एवं अति आवश्यक माना जाता है । इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए गृह विज्ञान के अध्ययन-क्षेत्र में मातृ-कला एवं शिशु-कल्याण को भी सम्मिलित किया गया है । इसके अन्तर्गत गर्भावस्था की देखरेख का व्यापक अध्ययन किया जाता है तथा शिशु-कल्याण सम्बन्धी समस्त गतिविधियों का विस्तृत अध्ययन किया जाता है ।

[9] बाल-विकास तथा पारिवारिक सम्बन्ध:-
गृह विज्ञान बाल-विकास एवं पारिवारिक सम्बन्धों का भी व्यवस्थित अध्ययन करता है । इसमें शिशु के जन्म से लेकर उसके आगे के क्रमिक विकास का अध्ययन निहित होता है । गृह विज्ञान में बालकों के शारीरिक, भावात्मक, भाषागत तथा सामाजिक विकास के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य का भी अध्ययन किया जाता है । पारिवारिक सम्बन्धों के अन्तर्गत परिवार के संगठन, विशेषताओं, महत्त्व, कार्यों एवं दायित्वों तथा बदलते सामाजिक प्रतिमानों आदि का अध्ययन किया जाता है ।

[10] वस्त्र-विज्ञान एवं परिधान:-
वस्त्र-विज्ञान के अन्तर्गत वस्त्र बनाने वाले प्राकृतिक एवं कृत्रिम तन्तुओं का, वस्त्र-निर्माण की विभिन्न विधियों का, वस्त्रों की परिष्कृति तथा प्ररिसज्जा का, वस्त्रों के रख-रखाव एवं संग्रह का, उचित प्रकार से धुलाई आदि का व्यवस्थित एवं वैज्ञानिक अध्ययन किया जाता है । ‘परिधान विज्ञान के अन्तर्गत परिवार के सदस्यों के लिए वस्त्रों के चुनाव, वस्त्रों की कटाई-सिलाई तथा उनकी सज्जा आदि का भी अध्ययन किया जाता है । ये समस्त विषय गृह विज्ञान के अध्ययन-क्षेत्र में सम्मिलित हैं ।

[11] गृह-गणित:-
वर्तमान प्रणालियों के आधार पर सामान्य गणित का ज्ञोर्न गृह-गणित कहलाता है । इसके द्वारा क्रय-विक्रय में लाभ-हानि, प्रतिशत एवं साधारण ब्याज सम्बन्धी सरल गणनाओं का ज्ञान प्राप्त होता है । गृह-गणित को सामान्य ज्ञान परिवार की अर्थव्यवस्था को सुचारु बनाए रखने में भी सहायक होता है ।

प्रश्न 4:- गृह विज्ञान शिक्षण क्षेत्र में कौन-कौन से प्रमुख विषय सम्मिलित किए जाते हैं और क्यों? समझाइए ।
या
“गृह विज्ञान में विभिन्न विषयों का समावेश है । ”इस कथन को उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए ।

उत्तर:- साधारण रूप से गृह विज्ञान को गृह-प्रबन्ध समझा जाता है, जिसके अन्तर्गत घर की व्यवस्था, आर्थिक सन्तुलन तथा रहन-सहन का स्तर आदि सम्मिलित हैं । परन्तु वास्तविकता यह है कि गृह-प्रबन्ध, गृह विज्ञान का एक पक्ष है, जबकि गृह विज्ञान के अन्तर्गत गृह से सम्बन्धित सम्पूर्ण पक्षों का समावेश होता है । गृह विज्ञान वास्तव में कोई एक स्वतन्त्र विषय नहीं है, वरन् यह विषय विभिन्न सामाजिक एवं वैज्ञानिक विषयों के ऐसे अंशों का समन्वित रूप है जिनका ज्ञान घर एवं सामाजिक परिवेश के सामान्य क्रिया-कलापों में भाग लेने एवं गृहस्थ-जीवन की दैनिक समस्याओं को हल करने हेतु आवश्यक है । इस प्रकार स्पष्ट है कि गृह विज्ञान का अध्ययन-क्षेत्र पर्याप्त विस्तृत है । इस विज्ञान के अन्तर्गत मुख्य रूप से निम्नलिखित विषयों का अध्ययन किया जाता है

[1] शरीर-रचना व स्वास्थ्य विज्ञान:-
इसके अन्तर्गत सुखी, सन्तुष्ट एवं स्वस्थ रहने के लिए हमें शरीर-रचना एवं स्वास्थ्य विज्ञान का आवश्यक ज्ञान दिया जाता है ।

[2] चिकित्सा एवं परिचर्या:-
गृह विज्ञान द्वारा महत्त्वपूर्ण रोगों के निदान अथवा प्राथमिक चिकित्सा के लिए चिकित्सा विज्ञान का अध्ययन तथा रोगी की देखभाल के लिए गृह-परिचर्या का आवश्यक ज्ञान प्राप्त किया जाता है ।

[3] आहार व पोषणविज्ञान:-
इनके अध्ययन से भोजन व इसके पोषक तत्वों को आवश्यक ज्ञान प्राप्त किया जाता है । प्रत्येक परिवार में प्रतिदिन आहार की अनिवार्य रूप से व्यवस्था की जाती है तथा इस व्यवस्था का दायित्व मुख्य रूप से गृहिणी का ही होता है । अतः गृह विज्ञान में बालिकाओं को आहार एवं पोषण विज्ञान की समुचित जानकारी प्रदान की जाती है ।

[4] मातृकला और बाल-कल्याण:-
आज की बालिकाएँ ही भावी माताएँ हैं; अतः उनके भावी जीवन को सरल एवं सफल बनाने के लिए गृह विज्ञान के अन्तर्गत मातृकला एवं बाल-कल्याण का आवश्यक ज्ञान प्रदान किया जाता है ।

[5] जीव विज्ञान:- यह हमें लाभदायक पौधों एवं प्राणियों से सम्बन्धित ज्ञान उपलब्ध कराता है । इस ज्ञान का भी व्यावहारिक जीवन में महत्त्व है । अतः गृह विज्ञान में जीव विज्ञान का प्रारम्भिक ज्ञान प्रदान किया जाता है ।

[6] भौतिक व रसायन विज्ञान:-
ये हमें आधुनिक यन्त्रों एवं ऊर्जा के स्रोतों का व्यावहारिक ज्ञान एवं पर्यावरण सम्बन्धी महत्त्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध कराते हैं । यह ज्ञान प्रत्येक व्यक्ति एवं परिवार के लिए अति आवश्यक एवं महत्त्वपूर्ण है; अतः इस क्षेत्र के प्रारम्भिक ज्ञान को गृह विज्ञान में अनिवार्य रूपसे सम्मिलित किया जाता है

[7] अर्थशास्त्र व गृह-गणित:-
इनके अध्ययन से हमें आय-व्यय, बचत, बजट अर्थात् परिवार के लिए आवश्यक एवं उपयोगी आर्थिक जानकारी एवं सम्बन्धित गणित का ज्ञान होता है । गृहिणियों के लिए दैनिक जीवन में इस ज्ञान की अत्यधिक आवश्यकता होती है; अतः इस विषय को भी गृह विज्ञान में सम्मिलित किया गया है ।

[8] मनोविज्ञान, दर्शन व नीतिशास्त्र:- इनको अध्ययन मानव जीवन में मनोवैज्ञानिक, दार्शनिक एवं नैतिक मूल्यों के महत्त्व पर प्रकाश डालता है ।

[9] पारिवारिक समाजशास्त्र:- परिवार के संगठन, स्वरूपों, कार्यों तथा समस्याओं आदि का व्यवस्थित अध्ययन पारिवारिक समाजशास्त्र के अन्तर्गत किया जाता है । पारिवारिक जीवन को सुखी एवं व्यवस्थित बनाने के लिए यह ज्ञान अति आवश्यक होता है । इस तथ्य यह खते ? रिट में पारिवारिक समाजशास्त्र का भी अध्ययन किया जाता हैं ।

[10] नागरिकशास्त्र:- नागरिकों के मूल अधिकार क्या हैं? नागरिकों के प्रमुख कर्त्तव्य क्या हैं? इन्हें जानने के लिए नागरिकशास्त्र का अध्ययन आवश्यक है । गृह विज्ञान के मूल उद्देश्यों की प्राप्ति में यह ज्ञान सहायक होता है; अतः इस विषय का भी प्रारम्भिक अध्ययन गृह विज्ञान के अन्तर्गत किया जाता है ।

[11] वस्त्र विज्ञान:- वस्त्र व्यक्ति की मौलिक आवश्यकता है । वस्त्र विज्ञान के अन्तर्गत वस्त्रों के निर्माण, गुणों, परिधान के चुनाव एवं निर्माण आदि का व्यवस्थित अध्ययन किया जाता है । प्रत्येक घर-परिवार में परिवार के सदस्यों के लिए वस्त्रों की समुचित व्यवस्था की जाती है । इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए ही गृह विज्ञान में वस्त्र विज्ञान का भी व्यवस्थित अध्ययन किया जाता है ।
उपर्युक्त विवेचन से स्पष्ट होता है कि व्यक्ति एक सामाजिक प्राणी है । इस प्रकार वह अपने परिवार का सदस्य होने के साथ-साथ सम्पूर्ण देश तथा विश्व से भी जुड़ा हुआ है । इसलिए गृह विज्ञान का विषय-क्षेत्र भी घर तक ही सीमित नहीं है, वरन् इसका क्षेत्र समाज व विश्व भी है । इसी आधार पर गृह विज्ञान अपने सिद्धान्तों और क्रियाओं द्वारा बालक व बालिका को पूर्णता प्रदान करता है । अतः स्पष्ट है कि गृह विज्ञान अपने अन्तर्गत उन सभी आवश्यक विषयों को सम्मिलित करता है जो परिवार के विभिन्न सदस्यों के सर्वांगीण विकास हेतु अत्यन्त आवश्यक है ।

प्रश्न 5:- गृह विज्ञान के अध्ययन के महत्त्व को विस्तारपूर्वक स्पष्ट कीजिए ।
या
”गृह विज्ञान एक उपयोगी एवं महत्त्वपूर्ण विषय है । ” इस कथन की पुष्टि करते हुए गृह विज्ञान के महत्त्व एवं उपयोगिता को स्पष्ट कीजिए ।


उत्तर:- गृह विज्ञान एक उपयोगी एवं व्यावहारिक महत्त्व का विज्ञान है । इसका प्रत्यक्ष सम्बन्ध घर एवं परिवार के सामान्य जीवन के प्रायः सभी पक्षों से है । गृह विज्ञान मुख्य रूप से बालिकाओं की शिक्षा-पाठ्यचर्या का एक अनिवार्य विषय है । वास्तव में, आज की छात्राएँ ही भावी गृहिणियाँ एवं माताएँ है, उन्हें ही धर-गृहस्थी का दायित्व सँभालना तथा बच्चों का पालन-पोषण करना होता है । इस स्थिति में बालिकाओं के लिए गृह विज्ञान का समुचित ज्ञान अर्जित करना नितान्त अनिवार्य है । गृह विज्ञान के अध्ययन के महत्त्व एवं उपयोगिता का विवरण निम्न वर्णित है-

गृह विज्ञान का महत्त्व एवं उपयोगिता

[1] श्रम, समय एवं व्यय की बचत में सहायक:-
गृह विज्ञान में उन समस्त उपायों एवं विधियों का वैज्ञानिक दृष्टिकोण से अध्ययन किया जाता है जिनके उपयोग से हमारे सभी घरेलू कार्य शीघ्र, आसानी से कम खर्च करके पूरे हो जाते हैं । गृह विज्ञान में ही श्रम, समय, धन तथा ईंधन आदि की बचत करने वाले उपकरणों को उचित ढंग से प्रयोग करने का अध्ययन किया जाता है । इसके अतिरिक्त गृह विज्ञान की छात्रा को सिखाया जाता है कि वह किस प्रकार से अपने सभी कार्य व्यवस्थित रूप से कर सकती है । इन तथ्यों को ध्यान में रखते हुए हम कह सकते हैं कि गृह विज्ञान का ज्ञान श्रम, समय एवं धन को बचत में सहायक है ।

[2] आर्थिक नियोजन में सहायक:-
गृह विज्ञान के अन्तर्गत प्रारम्भिक आर्थिक नियमों का भी अध्ययन किया जाता है तथा प्रारम्भिक गणित भी सीखा जाता है । इससे गृहिणियों को अपने घर के खर्च व्यवस्थित करने तथा उसका ठीक-ठीक हिसाब रखने में सहायता प्राप्त होती है । गृह विज्ञान में घर का बजट तैयार करना तथा उसके अनुसार खर्च करना भी सिखाया जाता है । बजट के अनुसार खर्च करने से व्यक्ति कभी भी आर्थिक संकट में नहीं फँसता । आर्थिक दृष्टि से नियोजित परिवार सदैव सुखी एवं समृद्ध कहता है । इस दृष्टिकोण से भी गृह विज्ञान के ज्ञान को उपयोगी एवं महत्त्वपूर्ण माना जाता है ।

[3] आहार एवं पोषण सम्बन्धी ज्ञान अर्जित करने में सहायक:-
गृह विज्ञान के अध्ययन का एक उल्लेखनीय महत्त्व यह भी है कि इससे हमें आहार एवं पोषण सम्बन्धी समुचित ज्ञान प्राप्त हो जाता है । गृह विज्ञान के अन्तर्गत हम आहार के तत्त्वों, विभिन्न भोज्य पदार्थों की उपयोगिता, सन्तुलित आहार तथा पोषण आदि के विषय में वैज्ञानिक दृष्टिकोण से अध्ययन करते हैं । इस प्रकार के ज्ञान को प्राप्त करके कोई भी गृहिणी अपने परिवार के सदस्यों के लिए सीमित आय में भी सन्तुलित आहार उपलब्ध करा सकती है । यही नहीं गृह विज्ञान के ज्ञान के आधार पर आहार-आयोजन के नियमों को जानकर तथा आहार–संरक्षण एवं संग्रह की विधियों को समझकर, अनेक प्रकार से बचत की जा सकती है ।

[4] क्रय-विक्रय एवं बचत का ज्ञान अर्जित करने में सहायक:-
गृह विज्ञान विषय के अन्तर्गत बालिकाओं की क्रय-विक्रय एवं बाजार की गतिविधियों में ध्यान रखने योग्य बातों की भी जानकारी प्रदान की जाती है तथा उपभोक्ताओं के हितों का ज्ञान प्रदान किया जाता है । इस जानकारी से आगे चलकर गृहिणियों को अपने दैनिक जीवन में विशेष सहायता प्राप्त होती है । गृह विज्ञान के अन्तर्गत बैंक, डाकघर तथा जीवन बीमा आदि की कार्य-प्रणालियों का भी अध्ययन किया जाता है । इससे भी गृहिणियों को विशेष लाभ होता है ।

[5] स्वास्थ्य एवं शरीर सम्बन्धी ज्ञान अर्जित करने में सहायक:-
गृह विज्ञान में स्वास्थ्य के नियमों का विस्तृत रूप में अध्ययन किया जाता है । व्यक्तिगत स्वच्छता, व्यायाम तथा विश्राम आदि के नियमों एवं लाभों का भी अध्ययन किया जाता है । गृह विज्ञान में स्वास्थ्य के लिए लाभदायक आदतों को अपनाने तथा हानिकारक आदतों को छोड़ने के लिए भी सुझाव प्रस्तुत किए जाते हैं एवं उपाय बताए जाते हैं । इसके अतिरिक्त गृह विज्ञान में शरीर सम्बन्धी बहुपक्षीय ज्ञान भी प्रदान किया जाता है । इस ज्ञान का सम्पूर्ण परिवार के लिए विशेष महत्त्व है । इस दृष्टिकोण से भी गृह विज्ञान को उपयोगी एवं महत्त्वपूर्ण विषय माना जाता है ।

[6] मातृ-कला एवं शिशु-कल्याण का ज्ञान अर्जित करने में सहायक:-
आज की छात्राएँ ही भावी माताएँ हैं । लड़कियों के लिए मातृ-कला’ एवं ‘शिशु-कल्याण’ का समुचित ज्ञान विशेष रूप से उपयोगी होता है । गृह विज्ञान के अन्तर्गत इस विषय से सम्बन्धित व्यावहारिक एवं वैज्ञानिक ज्ञान प्रदान किया जाता है । इस ज्ञान को प्राप्त करके, गृहिणियाँ गृहस्थ जीवन की समस्याओं एवं परेशानियों का विवेकपूर्ण ढंग से सामना कर लेती हैं । इस तथ्य के आधार पर कहा जा सकता है कि गृह विज्ञान का अध्ययन लड़कियों के लिए विशेष महत्त्वपूर्ण होता है ।

[7] प्राथमिक चिकित्सा का ज्ञान प्राप्त करने में सहायक:-
गृह विज्ञान के अन्तर्गत प्राथमिक चिकित्सा तथा गृह-परिचर्या का सैद्धान्तिक एवं व्यावहारिक ज्ञान प्रदान किया जाता है । इससे घर में घटित होने वाली किसी भी आकस्मिक दुर्घटना के समय, गृहिणियाँ घबराती नहीं, बल्कि सूझ-बूझ तथा जानकारी द्वारा दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति को, हर सम्भव सहायता प्रदान करती हैं । परिवार के किसी सदस्य के बीमार हो जाने पर उसकी परिचर्या की व्यवस्था की जाती है । इस दृष्टिकोण से भी कहा जा सकता हैं कि गृह विज्ञान का अध्ययन विशेष महत्त्वपूर्ण है ।

[8] वस्त्रों को तैयार करने तथा रख-रखाव के ज्ञान की प्राप्ति:-
गृह विज्ञान में वस्त्रों की कटाई-सिलाई तथा मरम्मत आदि का प्रयोगात्मक रूप में अध्ययन किया जाता है । इसके साथ-साथ वस्त्रों की उचित धुलाई तथा संग्रह की विधियों को भी सिखाया जाता है । इन सबसे परिवार के सदस्यों के वस्त्र जहाँ एक ओर कम खर्चे में तैयार हो जाते हैं, वहीं वस्त्र अधिक समय तक अच्छी हालत में रहते हैं । इस प्रकार स्पष्ट है कि इस क्षेत्र में भी गृह विज्ञान का अध्ययन विशेष रूप से उपयोगी एवं महत्त्वपूर्ण सिद्ध होता है ।

[9] शारीरिक श्रम तथा सामाजिक कार्यों के प्रति रुचि जाग्रत करना:-
गृह विज्ञान में ज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों के सैद्धान्तिक अध्ययन के साथ-साथ प्रयोगात्मक कार्य भी किए जाते हैं । इस प्रकार के प्रयोगात्मक कार्यों को करने से छात्रों में शारीरिक श्रम तथा सामाजिक कार्यों के प्रति भी रुचि उत्पन्न होती है । इस प्रवृत्ति से पूरे समाज को ही लाभ होता है ।

[10] गृह विज्ञान का व्यावसायिक महत्त्व:-
गृह विज्ञान की शिक्षा ग्रहण करने वाली छात्राओं के लिए गृह विज्ञान के अध्ययन का व्यावसायिक महत्त्व भी है । गृह विज्ञान की शिक्षा प्राप्त छात्राओं के लिए विभिन्न व्यवसाय अपनाने के लिए पर्याप्त अवसर उपलब्ध हो सकते हैं; जैसे बालवाड़ी एवं आँगनवाड़ी शिक्षिका, समाज-सेविका, प्राथमिक चिकित्सा निर्देशिका, ग्राम-सेविका, परिवार नियोजन निर्देशिका, पोषण-विशेषज्ञा तथा गृह विज्ञान अध्यापिका आदि पद प्राप्त हो सकते हैं । ये समस्त व्यवसाय मानव एवं समाज-सेवा से सम्बद्ध हैं । इस प्रकार स्पष्ट है कि गृह विज्ञान का व्यावसायिक महत्त्व भी उल्लेखनीय है ।
उपर्युक्त विवरण द्वारा स्पष्ट है कि गृह विज्ञान के अध्ययन का बहुपक्षीय महत्त्व एवं उपयोग है । यहाँ यह स्पष्ट कर देना आवश्यक है कि गृह विज्ञान का ज्ञान केवल बालिकाओं एवं महिलाओं के लिए ही उपयोगी नहीं है बल्कि इस ज्ञान से परिवार के सभी सदस्य लाभान्वित हो सकते हैं ।

प्रश्न 1:- स्पष्ट कीजिए कि गृह विज्ञान परिवार के सभी सदस्यों के लिए महत्त्वपूर्ण है ।
या
‘गृह विज्ञान केवल बालिकाओं के लिए ही नहीं वरन् लड़कों के लिए भी उपयोगी विषय है । ” स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर:- पारम्परिक रूप से यह माना जाता रहा है कि गृह विज्ञान केवल बालिकाओं एवं महिलाओं के लिए ही उपयोगी एवं महत्त्वपूर्ण विषय है, किन्तु यह धारणा भ्रामक है । वास्तव में गृह विज्ञान का ज्ञान परिवार के सभी सदस्यों के लिए उपयोगी एवं महत्त्वपूर्ण है । आधुनिक पारिवारिक परिस्थितियों में गृह-व्यवस्था, गृह-सज्जा तथा परिवार की सुख-सुविधाओं में वृद्धि के लिए परिवार के सभी सदस्यों का समुचित योगदान आवश्यक होता है । इस स्थिति में परिवार के सभी सदस्यों के लिए गृह विज्ञान का समुचित ज्ञान आवश्यक है । इसी तथ्य को ध्यान में रखते हुए अब लड़कियों के अतिरिक्त लड़कों के लिए भी गृह विज्ञान के अध्ययन को प्रोत्साहन दिया जा रहा है । लड़कों द्वारा अपनाए जाने वाले कुछ व्यवसाय ऐसे भी हैं, जिनमें गृह विज्ञान का अध्ययन एवं ज्ञान सहायक होता है । उदाहरण के लिए-होटल प्रबन्धन, खाद्य-संरक्षण तथा परिधान-निर्माण आदि कुछ ऐसे ही व्यवसाय हैं । इस स्थिति में हम कह सकते हैं कि गृह विज्ञान केवल बालिकाओं के लिए ही नहीं वरन् लड़कों के लिए भी समान रूप से उपयोगी विषय है ।

प्रश्न 2:- स्पष्ट कीजिए कि गृह विज्ञान एक व्यापक और व्यावहारिक दृष्टिकोण से महत्त्वपूर्ण विषय है ।
उत्तर:- हम जानते हैं कि गृह विज्ञान वह व्यवस्थित अध्ययन है जिसके अन्तर्गत उन सभी विषयों का अध्ययन किया जाता है जो सुखी एवं आदर्श परिवार के निर्माण में सहायक होते हैं । पारिवारिक जीवन के अनेक पक्ष एवं क्षेत्र हैं; अतः गृह विज्ञान के अन्तर्गत ज्ञान के विभिन्न पक्षों एवं क्षेत्रों का अनिवार्य रूप से अध्ययन किया जाता है । गृह विज्ञान में गृह-प्रबन्ध एवं गृह-सज्जा, गृह कार्य-व्यवस्था, गृह अर्थव्यवस्था, सामान्य स्वास्थ्य एवं शरीर शास्त्र, प्राथमिक चिकित्सा एवं गृह-परिचर्या, आहार एवं पोषण विज्ञान, वस्त्र विज्ञान तथा पारिवारिक समाजशास्त्र एवं मनोविज्ञान आदि अनेक विषयों का अध्ययन किया जाता है । इस स्थिति में हम कह सकते हैं कि गृह विज्ञान एक व्यापक विषय है ।
गृह विज्ञान एक कोरा सैद्धान्तिक विषय नहीं है । इसके अध्ययन का मुख्य उद्देश्य पारिवारिक जीवन को अधिक-से-अधिक सरल, सुविधाजनक एवं उत्तम बनाना है । इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए ही गृह विज्ञान को व्यावहारिक दृष्टिकोण से उपयोगी एवं महत्त्वपूर्ण बनाया गया है । गृह विज्ञान के अन्तर्गत विभिन्न विज्ञानों से प्राप्त ज्ञान को दैनिक जीवन में उपयोग में लाया जाता है तथा उससे लाभ प्राप्त किया जाता है । इस प्रकार हम कह सकते हैं कि गृह विज्ञान एक व्यापक तथा व्यावहारिक दृष्टिकोण से महत्त्वपूर्ण विषय है

प्रश्न 1:- गृह विज्ञान को इसके विकास के प्रथम चरण में किस नाम से जाना जाता था?
उत्तर:- गृह विज्ञान को इसके विकास के प्रथम चरण में ‘गृह अर्थशास्त्र’ के नाम से जाना जाता था

प्रश्न 2:- वर्तमान समय में गृह विज्ञान को अन्य किन-किन नामों से भी जाना जाता है?
उत्तर:- वर्तमान समय में गृह विज्ञान को ‘गृह विज्ञान तथा गृह-कला’ “घरेलू विज्ञान तथा गृह-कला’ तथा गृह शिल्प एवं सम्बन्धित कला’ आदि नामों से भी जाना जाता है ।

प्रश्न 3:- गृह विज्ञान के मुख्य तत्त्वों का उल्लेख कीजिए ।
उत्तर:- गृह विज्ञान के मुख्य तत्त्वे चार हैं अर्थात् ‘परिवार के सदस्यों का बहुमुखी विकास, नियोजन, नियन्त्रण तथा मूल्यांकन’ ।

प्रश्न 4:- गृह विज्ञान के अध्ययन का मुख्यतम उद्देश्य क्या है?
उत्तर:- गृह विज्ञान के अध्ययन का मुख्यतम उद्देश्य सुखी एवं आदर्श पारिवारिक जीवन व्यतीत करने के उपाय जानना है ।

प्रश्न 5:- गृह विज्ञान की एक व्यवस्थित परिभाषा लिखिए ।
उत्तर:- “गृह विज्ञान वह व्यावहारिक विज्ञान है, जो अपने अध्ययनकर्ताओं को सफल पारिवारिक जीवन व्यतीत करने, सामाजिक तथा आर्थिक समस्याओं को हल करने और सुखमय जीवन-यापन करने की दशाओं का ज्ञान कराता है ।

प्रश्न 6:- गृह विज्ञान के अध्ययन के किन्हीं चार केन्द्रों के नाम बताइए ।
उत्तर:- आगरा [उ० प्र०],पन्तनगर [उ० प्र०],
लेडी इरविन कॉलेज [दिल्ली ], तथा बंगलुरू [कर्नाटक]

प्रश्न 7:- गृह विज्ञान किस प्रकार का विज्ञान है?
उत्तर:- गृह विज्ञान एक सामान्य तथा व्यावहारिक महत्त्व का विज्ञान है ।

प्रश्न 8:- परिवार में गृह विज्ञान के अध्ययन का सर्वाधिक महत्त्व किसके लिए है?
उत्तर:- परिवार में गृह विज्ञान के अध्ययन का सर्वाधिक महत्त्व गृहिणी के लिए है ।

प्रश्न 9:- पारिवारिक जीवन में गृह विज्ञान के ज्ञान के दो मुख्य लाभ बताइए ।
उत्तर:- पारिवारिकजीवन में गृह विज्ञान के ज्ञान के दो मुख्य लाभ हैं
श्रम, समय एवं व्यय की बचत में सहायक तथा
आर्थिक-नियोजन में सहायक ।

प्रश्न 10:- क्या गृह विज्ञान का अध्ययन गृहिणी के अतिरिक्त परिवार के अन्य सदस्यों के लिए भी महत्त्वपूर्ण है?
उत्तर:- गृह विज्ञान का अध्ययन एवं सम्बन्धित जानकारी परिवार के सभी सदस्यों के लिए समान रूप से महत्त्वपूर्ण है ।

प्रश्न:- प्रत्येक प्रश्न में चार वैकल्पिक उत्तर दिए गए हैं । इनमें से सही विकल्प चुनकर लिखिए

[1] ‘गृह विज्ञान’ से आशय है
[क] गृह-निर्माण,
[ख] घर-परिवार सम्बन्धी व्यवस्थित ज्ञान,
[ग] गृहिणियों का अध्ययन विषय,
[घ] घर को सजाने सँवारने का ज्ञान ।

[2] गृह विज्ञान है
[क] शुद्ध विज्ञान,
[ख] शुद्ध कला,
[ग] विज्ञान एवं कला दोनों,
[घ] इनमें में से कोई नहीं ।

[3] गृह विज्ञान के अन्तर्गत अध्ययन किया जाता है
[क] आहार एवं पोषण विज्ञान का,
[ख] आय एवं व्यय के नियोजन का,
[ग] वस्त्र एवं परिधान शास्त्र का,
[घ] सम्पूर्ण गृह-व्यवस्था का

[4] गृह विज्ञान का क्षेत्र होता है
[क] सीमित,
[ख] व्यापक,
[ग] व्यावहारिक,
[घ] अव्यावहारिक

[5] गृह विज्ञान के अन्तर्गत अध्ययन किया जाता है
[क] गृह-प्रबन्ध का,
[ख] गृह अर्थव्यवस्था का,
[ग] आहार एवं पोषण का,
[घ] इन सभी का ।

[6] गृह विज्ञान किस दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है?
[क] केवल सैद्धान्तिक,
[ख] केवल व्यावहारिक,
[ग] सैद्धान्तिक तथा व्यावहारिक दोनों,
[घ] इनमें से कोई नहीं ।

[7] गृह विज्ञान उपयोगी एवं महत्त्वपूर्ण है
[क] गृह विज्ञान की छात्राओं के लिए,
[ख] केवल गृहिणियों के लिए,
[ग] परिवार के सभी सदस्यों के लिए,
[घ] किसी के लिए भी नहीं ।

उत्तर:- [1] [ख] घर-परिवार सम्बन्धी व्यवस्थित ज्ञान,
[2] [ग] विज्ञान एवं कला दोनों,
[3] [घ] सम्पूर्ण गृह-व्यवस्था को,
[4] [ख] व्यापक,
[5] [घ] इन सभी का,
[6] [ग] सैद्धान्तिक तथा व्यावहारिक दोनों,
[7] [ग] परिवार के सभी सदस्यों के लिए ।