Up board solution for class 12 sanskrit chandrapeed katha part 4

UP BOARD CLASS 12 SANSKRIT SYLLABUS 2022-23 FREE PDF

Up board solution for class 12 sanskrit chandrapeed katha part 4

कक्षा 12 संस्कृत चन्द्रपीड कथा

गते च तस्मिन् …………………………… लज्जाम् उवाह । (2018 BD, 20 ZS)

गते च तस्मिन् गन्धर्वराजपुत्री, विसृज्य सकलं सखीजनम् परिजनं च प्रासादम् आरुरोह । तत्र च शयनीये निपत्य, एकाकिनी एवं चिन्तयामास ‘अहो! किमिदम् आरब्धं चपलया मया । न परीक्षिता अस्य चित्तवृत्तिः । परित्यक्तः कुलकन्यकानां क्रमः । न परिक्षिता अस्य चित्तवृत्तिः । परित्यक्तः कुलकन्यकानां क्रमः । गुरुजनात् न त्रस्तम् । लोकापवादात् नौद्विग्नम् । आसन्नवर्ती, सखीजनोऽपि उपलक्षयतीति मन्दया मया न लक्षितम् । तथा महाश्वेताव्यतिकरेण प्रतिज्ञा कृता श्रुत्वैतं वृत्तान्तं किं वक्ष्यति अम्बा तातो वा? किं करोमि? केनोपायेन स्खलितम् इदं प्रच्छादयामि ? पूर्वकृतापुण्यसंचयेनैवायम् आनीतो मम विप्रलम्भकः चन्द्रापीडः’ इति सचिन्त्य गुर्वीम् लज्जाम् उवाह ।

शब्दार्थ– गते च तस्मिन् उसके चले जाने पर गन्धर्वराजपुत्री = कादम्बरी विसृज्य = छोड़कर परिजनम् सेविकाओं को प्रासादम् आरुरोह महल पर चढ़ गयी । शयनीये विस्तर पर निपत्य = पड़कर एकाकिनी अकेली चिन्तयामास = विचार किया । आरब्धम् = किया । चपलया गया मुझ चंचला ने न परीक्षिता परीक्षा नहीं ली । अस्य चित्तवृत्तिः = इसकी (चन्द्रापीड की) भावना परित्यक्तः = छोड़ दिया । कुलकन्यकानां क्रमः = कुलीन कन्याओं की परिपाटी न त्रस्तम् = नहीं डरी । लोकापवादात् = संसार की बदनामी से नोद्विग्नम् = घबरायी नहीं । आसन्नवर्ती समीप से स्थित सखीजनोऽपि सखियाँ भी । उपलक्षयतीति = देखती हैं । मन्दया गया मुझ मूर्ख ने । लक्षितम् = नहीं देखा नहीं सोचा । महाश्वेताव्यतिकरेण = महाश्वेता के सम्बन्ध में प्रतिज्ञा कृता = प्रतिज्ञा की । किं वक्ष्यति = क्या कहेंगे । केनोपायेन = किस उपाय से स्खलितम् इदम् = इस गलती को । प्रच्छादयामि = ढकूँ, छिपाऊँ । पूर्वकृतापुण्यसंचयेनैव = मेरे पूर्व जन्म के संचित पापों द्वारा ही आनीतः = लाया गया है । मम विप्रलम्भकः = मेरा वंचक संचिन्त्य = सोचकर गुर्वीम् = बहुत भारी उवाह धारण किया ।

हिन्दी अनुवाद- चन्द्रापीड के जाने पर गंधर्वराजपुत्री कादम्बरी सभी सखियों और सेविकाओं को छोड़कर महल में चली गयी । वहाँ शय्या पर पड़कर अकेली सोचने लगी- अरे, मुझ चंचला ने यह क्या कर डाला ? उसकी भावनाओं की परीक्षा नहीं ली । कुल कन्याओं की परिपाटी छोड़ दी । मैं गुरुजनों से भयभीत नहीं हुई । संसार की बदनामी से भी व्याकुल नहीं हुई । पास में स्थित सखियाँ भी समझ रही हैं । मुझ मूर्ख ने इसका भी ध्यान नहीं रखा । महाश्वेता के सम्बन्ध से मैंने (अविवाहित रहने की ) प्रतिज्ञा की थी, किन्तु इस वृत्तान्त को (चन्द्रापीड के प्रति मेरी अनुरक्ति को) सुनकर माता-पिता क्या कहेंगे । क्या करूँ? कैसे इस भूल पर पर्दा डालूँ? निश्चय ही मेरे पूर्व जन्म में किये पापों ने ही मुझे ठग लेने वाले इस चन्द्रापीड को यहाँ ला दिया है । इस प्रकार सोचकर वह बहुत अधिक लज्जित हो उठी ।

व्याकरणात्मक टिप्पणी — लोकापवादात् = लोक अपवादात् । केनोपायेन केन + उपायेन ।

॥ प्रश्नोत्तरः ॥

प्रश्न 1. उपर्युक्त गद्यांशस्य पुस्तकं लेखकं च नाम लिखत |
उत्तर – प्रस्तुत गद्यांशस्य पुस्तकं नाम ‘चन्द्रापीडकथा’ लेखकः च ‘बाणभट्टः’ अस्ति ।


प्रश्न 2 . ‘अहो! किमिदम् आरब्धं चपलया मया । ‘ रेखांकित अंश का अनुवाद कीजिए
उत्तर- ‘अरे! मुझ चंचला ने यह क्या कर डाला?”

प्रश्न 3. गन्धर्वराज पुत्री, विसृज्य सकलं सखीजनं परिजनं च कुत्र आरुरोह ?
उत्तर- गन्धर्वराज पुत्री, विसृज्य सकलं सखीजनं परिजनं च प्रासादम् आरुरोह ।


प्रश्न 4. कस्य न परीक्षिता चित्तवृत्तिः ?
उत्तर – चन्द्रापीडस्य न परीक्षिता चित्तवृत्तिः ।

प्रश्न 5. गुरुजनात् न त्रस्तं का?
उत्तर – कादम्बरी गुरुजनात् न त्रस्तम् ।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

join us
Scroll to Top