Tugalak vansh important Note तुगलक वंश के महत्व पूर्ण तथ्य
तुगलक वंश (सन् 1320 से 1413 ई.तक)
◆●◆ तुगलक वंश का संस्थापक ग्यासुद्दीन तुगलक (1320-25 ई.) था।
◆●◆ ग्यासुद्दीन तुगलक ने नहरों तथा कुओं का निर्माण करवाया तथा डाक व्यवस्था को संगठित किया।
◆●◆मुहम्मद बिन तुगलक (1325-51 ई.) का मूल नाम जौना खाँ था। कुछ इतिहासकारों ने मुहम्मद बिन तुगलक को ‘पागल’, ‘रक्त- पिपासु’ कहा है।
◆●◆ मुहम्मद तुगलक द्वारा अपने शासनकाल में चार प्रयोग किये गए, ये राजधानी परिवर्तन, दोआब क्षेत्र में कर वृद्धि, सांकेतिक मुद्रा का प्रचलन तथा कराचिल एवं खुरासान विजय की योजना थी।
◆●◆ उसने अपनी राजधानी दिल्ली से दौलताबाद (देवगिरि) स्थानान्तरित की। परंतु बाद में पुन: दिल्ली ही राजधानी बनी।
◆●◆ सांकेतिक मुद्रा के प्रचलन के लिए उसने ताँबे तथा इससे मिश्रित काँसे के सिक्के चलाए थे। पर यह योजना भी कुछ कारणों से असफल रही।
◆●◆ ‘रेहला’ पुस्तक का रचयिता मोरक्को का यात्री इब्नबतूता था, जो मुहम्मद बिन तुगलक के शासनकाल में भारत आया था।
◆●◆ मुहम्मद बिन तुगलक ने कृषि के विकास के लिए एक नवीन कृषि विभाग ‘दीवान-ए-अमीर कोही’ की स्थापना की।
◆●◆ फिरोजशाह तुगलक (1351-88 ई.) अपने कल्याणकारी कार्यों के लिए प्रसिद्ध है।
●◆●◆ फिरोजशाह ने सिंचाई की सुविधा के लिए कई नहरों का निर्माण करवाया। वह पहला सुल्तान था जिसने प्रजा से सिंचाई कर ‘शब’ वसूला।
● फिरोजशाह ने एक दान विभाग “दीवान-ए-खैरान” नामक की स्थापना की। उसने एक दास विभाग ‘दीवान-ए-बन्दगान’ की भी स्थापना की थी।
◆●◆ यही पहला सुल्तान था जिसने ब्राह्मणों पर भी ‘जजिया कर’ लगाया।
◆●◆ फिरोजशाह तुगलक ने अपनी आत्मकथा ‘फुतूहात-ए-फिरोजशाही’ की रचना की।
◆●◆ मुहम्मदशाह ‘तुगलक वंश’ का अन्तिम शासक था, जिसके शासनकाल में तैमूरलंग का दिल्ली पर आक्रमण (1398 ई.) हुआ।