Mp board solution for class 10 hindi chapter 2 वात्सल्य भाव

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Mp board solution for class 10 hindi chapter 2 वात्सल्य भाव

कवि परिचय – हिन्दी काव्य के प्रमुख कवि   गोस्वामी तुलसीदास जी भक्तिकाल के प्रतिनिधि कवि हैं। भारतीय संस्कृति और सामाजिक मूल्यबोध के चितेरे तुलसी का जन्म मध्ययुग की विषम परिस्थितियों में माता हुलसी और पिता आत्माराम दुबे के घर, उत्तरप्रदेश के राजापुर ग्राम में श्रावण शुक्ला सप्तमी संवत् 1589 कों हुआ। अशुभ मूल-नक्षत्र में जन्म लेने के कारण वे माता-पिता के द्वारा परित्यक्त हुए।

‘रामचरित मानस’, ‘कवितावली’, ‘दोहावली’, ‘गीतावली’, ‘विनयपत्रिका’, ‘जानकीमंगल’, ‘पार्वती-मंगल’, ‘रामलला नहछू’ उनके प्रमुख प्रामाणिक ग्रंथ हैं।

आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के अनुसार तुलसीदास जी ‘जीवनगाथा’ के कवि हैं, मनुष्य के सम्पूर्ण भावों एवं व्यवहारों पर उनकी मजबूत पकड़ है। तुलसीदास जी ने रामचरित मानस के द्वारा श्रीराम के लोकरंजक एवं लोकमंगल स्वरूप को प्रतिष्ठित किया है। राम-राज्य के माध्यम से आदर्श राज्य की स्थापना उनके काव्य का प्रमुख उद्देश्य है, जो आज भी प्रांसगिक है। इस महाकाव्य में समाज के प्रत्येक ‘संबंध’ के मर्यादित आदर्श स्वरूप के दर्शन सहज ही हो जाते हैं। इसी कारण तुलसीदास जी जन-जन के मन में बसे हैं।

‘रामचरित मानस’ की रचना करके युगकवि ने जहाँ तत्कालीन विषम परिस्थितियों में शैव एवं वैष्णवों के मतभेदों को समाप्त करके उन्हें एकता के सूत्र में बाँधा, वहीं लोक-मानस में कर्तव्यबोध की अभिप्रेरणा ने नवीन दृष्टि उत्पन्न की। रामचरित मानस युग-युगान्तर तक समाज को नवजीवन प्रदान करने में सक्षम है।

तुलसीदासजी सच्चे अर्थो में करुणा के कवि है।

कवि परिचय – हरिनारायण व्यास का जन्म मध्यमवर्गीय परिवार में 14 अक्टूबर सन् 1923 को ग्राम सुंदरसी जिला शाजापुर में हुआ। अभावों के मध्य उन्होंने उज्जैन और बड़ौदा में शिक्षा प्राप्त की। बाल्यावस्था से ही काव्य रचना में रुचि होने के कारण मामा गोपीवल्लभ उपाध्याय के बौद्धिक प्रभाव और प्रेरणा से वे आगे बढ़े। मुक्तिबोध, प्रभाकर माचवे और गिरिजाकुमार माथुर के सम्पर्क से आपकी काव्य रचना और अधिक पुष्ट हुई।

हरिनारायण व्यास की काव्य यात्रा सन् 1951 में अज्ञेय जी के ‘दूसरा सप्तक’ में सम्मिलित होने से विधिवत् आरम्भ हुई, ‘मृग और तृष्णा’ काव्य संकलन में उनके काव्य जीवन का प्रतिबिम्व है। सामाजिक विकास और वातावरण उनके बाहरी संघर्ष और आत्म विकास को प्रेरणा देता है, यही उनकी कविता को नया स्वरूप प्रदान करता है।

कवि की प्रमुख मान्यताएँ कविता को जीवन और प्रतीक से जोड़कर स्वरूप लेती हैं। आपके मतानुसार जीवन और समाज का एक प्रबल अस्त्र है ‘भाषा’; जो जीवन से अलग न होकर उसी में जीती है। व्यास जी कवि को सपनों का संसार कहते हैं; किंतु अपने आसपास के खुरदरे यथार्थ और जीवंत परिवेश से जुड़कर ही आपकी कविता का विकास रचनात्मक आयाम लेता है।

हरिनारायण व्यास की प्रमुख रचनाएँ हैं ‘मृग और तृष्णा’, ‘त्रिकोण पर सूर्योदय’, ‘बरगद के चिकने पत्ते’, ‘आउटर पर रुकी ट्रेन’ आदि।

कवितावली

अवधेस के द्वारें सकारें गई सुत गोद कै भूपति लै निकसे ।

 अवलोकि हौं सोच बिमोचन को ठगि-सी रही, जे न ठगे धिक-से ॥

 तुलसी मन-रंजन रंजित अंजन, नैन सुखंजन-जातक से।

 सजनी ससि में समसील उभै नवनील सरोरुह से बिकसे ॥ 1 ॥

 पग नुपूर औं पहुँची करकंजनि मंजु बनी मनिमाल दिएँ ।

नवनील कलेवर पीत झंगा झलकै पुलकै नृषु गोद लिएँ ॥

अरबिंदु सो आननु रूप मरंदु अनंदित लोचन भृंग पिएँ ।

मनमोंन बस्यौ अस बालकु जौं तुलसी जग में फलु कौन जिएँ ॥ 2 ॥

तनकी दुति स्याम सरोरुह लोचन कंज की मंजुलताई हौं।

अति सुंदर सोहत धूरिभरे छवि भूरि अनंगकी दूरि घरै ॥

दमकैं दतियाँ दुति दामिनि ज्यौं किलकैं कल बालविनोद करें।

अवधेसके बालक चारि सदा तुलसी-मन-मंदिर में बिहरैं ॥ 3 ॥

कबहुँ ससि माँगत आरि करें कबहुँ प्रतिबिंब निहारि डरें।

कबहुँ करताल बजाइकै नाचत मांतु सबै मन मोद भरै ॥

कबहुँ रिसिआइ कहैं हठिकैं पुनि लेत सोई जेहि लागि अरैं।

अवधेसके बालक चारि सदा तुलसी-मन-मंदिर में बिहरैं ॥4॥

वर दंतकी पंगति कुंदकली अधराधर-पल्लव खोलन की।

चपला चमकैं घन बीच जगै छवि मोतिन माल अमोलन की ॥

 घुँघरारि लटैं लटकैं मुख ऊपर कुंडल लोल कपोलन की ।

 नेवछावरि प्रान करै तुलसी बलि जाउँ लला इन बोलन की ॥ 5॥

सोए हुए बच्चे से

मेरे ख्याल इतने खबसूरत नहीं हैं

 जिनको मैं फूलों-सी खूबसूरत तुम्हारी पलकों को

 छुआ दूँ और ये तुम्हारे लिए

 खूबसूरत सपने बन जाएँ।

ये ख्याल इन दुनियादारी की

 लपटों से झुलस गए हैं,

 पहाड़ों से टकराती नाव है,

 नाकामयाबी की चोट से ये लहूलुहान हैं।

विक्ली की पाँखों-सी

तुम्हारी आँखों में उगते हुए उजाले के

इन्द्रधनुष सपने इनमें फैसकर बिखर जाएँगे।

बिवाई वाली इन पथरीली हथेलियों से तुम्हारे

 रेशमी बालों की शैशवी लापरवाही को स्पर्श नहीं करूंगा।

फटी हुई चमड़ी में उलझकर

कोई बाल कोई रंगीन मनसूबा कोई

कामयाब भविष्य दूर जाएगा आने

बाला जमाना, मुझे दोषी ठहराए‌गा।

तुम्हारी पलकों में तैरती उनींदी पुतलियों पर

सेमल को रूई-सी सुबह की गौंद जागने से पहले की खुमारी

 मैडरा ही है और तुम्हला मन आजूर है कुसाँचे भरने।

हम तुम ही से तो अपनी अहमियत पहचानते हैं

तुम हो इसीलिए तो हमारी भूख-प्यास मकसद रखती है।

मैं तुम्हारे गालों को बीमार ओठों की छुअन से नहीं जलाऊँगा

तुम इसी तरह मुस्कुराते सोये रहो सूरज खुद तुमको जगाएगा।

हरिनारायण व्यास

अति लघु उत्तरीय –

1. सखी प्रातःकाल किसके द्वार पर जाती है ?

2. बालक राम किस वस्तु को माँगने का हठ करते हैं ?

3. बच्चे की आँखों की तुलना किससे की गई है ?

4. तुलसीदास जी के मन मंदिर में सदैव कौन विहार करता रहता है ?

5. ईश्वर ने रोगों को दूर करने के लिए मनुष्य को क्या दिया ?

लघु उत्तरीय प्रश्न :

1. सखी ठगी सी क्यों रह गई ?

2. माताएँ बालक राम की कौन-सी चेष्टाओं से प्रसन्न होती हैं ?

3. बालक राम का मुख-सौंदर्य कैसा है ?

4. बच्चे के रेशमी बालों को कवि अपनी हथेलियों से क्यों स्पर्श करना नहीं चाहता?

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न :

1. तुलसीदास ने बालक राम के किस स्वभाव का चित्रण किया है ?

2. ‘तुलसी ने बालहठ’ का स्वाभाविक चित्रण किया है। इस उक्ति को पाठ के आधार पर सिद्ध कीजिए।

3. हरिनारायण व्यास ने अपने ‘ख्यालों’ की किन कमियों की ओर संकेत किया है ?

4. निम्नांकित पंक्तियों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए –

अ} ‘पग नूपुर औ पहुँची कर कंजनि ………………

…………………तुलसी जग में फलु कौन जिएँ।’

.’कबहुँ ससि माँगत आरि करें. ……………….

……………….तुलसी-मन-मंदिर में बिहरें।’

अथवा

(ब) ये ख्याल इस दुनियादारी की / लपटों से झुलस गए हैं पहाड़ों से टकराती नाव हैं / नाकामयाबी की चोट से / ये लहूलुहान हैं।

अथवा

फटी हुई चमड़ी में उलझकर / कोई बाल, कोई रंगीन मनसूबा, कोई कामयाब भविष्य/ टूट जाएगा / आनेवाला जमाना / मुझे दोषी ठहराएगा।

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