समास संस्कृत व्याकरण
अमसनम् अनेकेषां पदानाम् एकपदीभवनम् समास:।।
जब दो या दो से अधिक शब्द आपस में मिलकर अपनी विभक्ति या चिन्ह को छोड़कर एक शब्द बन जाते हैं तो इस तो इस प्रकार एक पद बनने की क्रिया को समास कहते हैं तथा जो पद बनता है उसे सामासिक पद कहते हैं तथा जो अलग-अलग पद होते हैं उनको समास विग्रह कहते हैं किसी एक पद को दो या दो से अधिक पदों में तोड़ना जिसमें उनके जुड़ने वाले चिन्ह भी आएं इस प्रकार की क्रिया को समास विग्रह कहते हैं
संस्कृत में मुख्य रूप से निम्न प्रकार के समास होते हैं
- अव्ययीभाव समास
- तत्पुरुष समास
- कर्मधारय समास
- द्विगु समास
- द्वंद्व समास
- बहुब्रीहि समास
- नञ् समास
अव्ययीभाव समास की परिभाषा
इस समास में पूर्व पद अव्यय तथा अंतिम पद अनअव्यय होता है लेकिन पूर्व पद ही प्रधान होता है। अव्यय के प्रयोग से पूरा पद अव्यय बन जाता है।
अव्यय किसे कहते है।
जिन शब्दों पर लिंग कारक काल आदि का कोई असर नही होता है अर्थात ये अपरिवर्तित रहते है इन्हें अव्यय कहते है।
जैसे –
(बीता हुआ कल)
श्वः (आने वाला कल)
परश्वः (परसों)
अत्र (यहां)
तत्र (वहां)
कुत्र (कहां)
सर्वत्र (सब जगह)
यथा (जैसे)
तथा (तैसे)
कथम् (कैसे)
सदा (हमेशा)
कदा (कब)
यदा (जब)
तदा (तब)
अधुना (अब)
कदापि (कभी भी)
पुनः (फिर)
च (और)
न (नहीं)
वा (या
अव्ययी भाव समास के उदाहरण