लाल बहादुर शास्त्री की ईमानदारी
2 अक्टूबर को महात्मा गांधी की जयंती के साथ-साथ अपने देश के दूसरे प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री का भी जन्मदिन होता है.। लाल बहादुर शास्त्री की जीवन में सादगी सच्चाई और ईमानदारी इस तरह कूट-कूट कर भरी हुई है कि उनके किस्से और कहानी सुनाई जाते हैं । लाल बहादुर शास्त्री एक साधारण जीवन जीने वाले शख्स थे ।
जब लाल बहादुर शास्त्री को प्रधानमंत्री बनाया गया तो उनके पास निजी कर नहीं थी तब उनके परिवार वालों ने उन पर जबरदस्ती दबाव बनाया कि आप प्रधानमंत्री है आपके पास एक आकर तो होनी चाहिए। उन्होंने सोचा की एक कार खरीद ले, शास्त्री जी की कार खरीदने का किस्सा बड़ा मशहूर है।
लाल बहादुर शास्त्री ईमानदारी और सादगी भरा जीवन जीने में विश्वास रखते थे शास्त्री जी अपना वेतन अक्सर गांधीवादी विचारधारा में और सामाजिक कार्यों में लगा देते थे इस कारण उnके घर में पैसों की किल्लत रहा करती थ-लाल बहादुर शास्त्री प्रधानमंत्री बनने के बाद करना होने के कारण कार खरीदने के बारे में विचार करने लगे यह उन्होंने घर वालों के कहने पर सोचा। उन्होंने अपने बैंक खाते का स्टेटमेंट निकलवाया तो देखा कि बैंक के खाते में सिर्फ ₹7000 हैं और कार की कीमत ₹12000 है शास्त्री जी के जमाने में कार की कीमत ₹12000 होती थी ।
अब उन्होंने सोचा की सरकारी पैसे से कार खरीदने की बजाय अपने पैसे से खरीदी जाए उन्होंने पंजाब नेशनल बैंक में आम लोगों की तरह लाइन में लगकर लोन के लिए अप्लाई किया और ₹5000 का लोन लिया। लोन लेते समय शास्त्री जी ने कहा था की जितनी सुविधा मुझे मिल रही है उतनी हर नागरिक को भी मिलनी चाहिए । उसके बाद शास्त्री जी ने गाड़ी खरीदी और उसके बाद समय से EMI भरते रहे लेकिन पूरा लोन चुका पाने से पहले उनका निधन हो गया ।। उसके बाद इंदिरा गांधी को भारत का प्रधानमंत्री बनाया गया इंदिरा गांधी ने लाल बहादुर शास्त्री के लोन को माफ करने की पेशकश की लेकिन शास्त्री जी की पत्नी ललिता शास्त्री ने लोन माफ करने से मना कर दिया। उन्होंने कहा हम लोन की पूरी पाई पाई चुकाएंगे शास्त्री जी की मौत के बाद उनकी पत्नी 4 साल तक कर की ईएमआई देती रही और उन्होंने लोन का पूरा भुगतान किया
कहा जाता है कि लाल बहादुर शास्त्री द्वारा खरीदी हुई कार हमेशा लाल बहादुर शास्त्री के साथ में रही और यह कार अभी भी लाल बहादुर शास्त्री मेमोरियल दिल्ली में रखी हुई है|||
ईमानदारी का एक किस्सा यह भी है
शास्त्री की ईमानदारी का एक किस्सा और है स्वतंत्रता संग्राम में वे जब जेल में थे और निर्धन परिवारों के जो लोग जेल में थे उनके परिवार का खर्च चलाने के लिए कांग्रेस से जुड़े नेता लाला लाजपत राय ने ₹50 महीने की सहायता की व्यवस्था कर दी थी यह रकम शास्त्री जी की पत्नी को भी जाती थी पत्नी ने पत्राचार में शास्त्री जी से एक बार पूछा कि घर का खर्च उनके जेल के बाद कैसे चल रहा है तो पत्नी ने बताया की पार्टी से हर महीने उनको ₹50 मिलते हैं₹40 में घर का काम चल जाता है इसके बाद शास्त्री जी ने पार्टी के उसे व्यक्ति को अर्थात लाला लाजपत राय को पत्र लिखा कि मेरे घर का महीने का खर्च ₹40 है इसलिए मुझे हर महीने ₹40 ही भेजे जाएं। बचे हुए पैसे किसी दूसरे जरूरतमंद को दे दिए जाएं||||
शास्त्री जी की मृत्यु के समय उनके खाते में कितने रुपए थे
शास्त्री जी के निधन के बाद जब उनके बैंक पासबुक को लोगों ने देखा तो दंग रह गए उनके खाते में 365 रुपए का बैलेंस था|||
बेटे को कार चलने से किया मना
भारत के प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री के बेटे सुनील शास्त्री ने अपने निजी प्रयोग के लिए सरकारी वाहन का प्रयोग किया इसके बाद जब यह जानकारी शास्त्री जी को हुई तो उन्होंने अपने बेटे को साफ-साफ मना कर दिया कि आप इस प्रकार सरकारी वाहन का उपयोग अपने निजी हित में नहीं कर सकते । उनके परिवार के सदस्यों के इस्तेमाल के लिए यह वहां नहीं मिला है इतना ही नहीं उसके बाद उन्होंने ड्राइवर से अपनी कार के चलने का ब्यौरा मांगा और उसमें देखा कि उसके बेटे सुनील शास्त्री ने जितने किलोमीटर की यात्रा की थी वह सब पैसे शास्त्री जी ने सरकारी खजाने में जमा करवाए थे¶¶¶
बेटे का प्रमोशन रुकवा दिया
लाल बहादुर शास्त्री अपनी ईमानदारी की लिए जाने जाते हैं और उनकी ईमानदारी के चर्चे काफी मशहूर है उन्होंने अपने कार्यालय में भ्रष्टाचार से निपटने के लिए कमेटी बनाई थी और उन्हें करप्शन को रोकने के आदेश दिए थे । करप्शन के नाम पर उन्होंने अपने बेटे को भी नहीं बख्सा। एक बार जब शास्त्री जी को पता चला कि उनके बेटे सुनील शास्त्री को गलत तरीके से प्रमोशन मिल रहा है तो उन्होंने अपने बेटे को प्रमोशन को रुकवा दिया¶¶¶
हरित क्रांति के जनक
लाल बहादुर शास्त्री की वजह से भारत में सफेद क्रांति और हरित क्रांति आई वह हरित क्रांति से इस कदर जुड़ गए थे की हर व्यक्ति को यथासंभव खेती-बाड़ी शुरू कर देनी चाहिए इसके लिए उन्होंने बहुत भाषण दिए कोने-कोने का भ्रमण किया। वह देश के सामने एक आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करना चाहते थे। इसलिए उन्होंने अपने खुद के लोन में कृषि कार्य करना शुरू कर दिया तथा हर भारतवासी को संदेश दिया कि हमें अधिक से अधिक खेती-बाड़ी का कार्य करना चाहिए¶¶¶¶
जीवन परिचय
लाल बहादुर शास्त्री जी का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को मुगलसराय में हुआ था पहले उनका नाम बहादुर लाल वर्मा था वाराणसी के काशी विद्यापीठ से ग्रेजुएशन करने के बाद उनके नाम में शास्त्री जुड़ने से उनका नाम लाल बहादुर शास्त्री हो गया । शास्त्री जी देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के निधन के बाद जून 1964 में प्रधानमंत्री बने थे।
How to download online Ayushman Card pdf 2024 : आयुष्मान कार्ड कैसे ऑनलाइन डाउनलोड करें
संस्कृत अनुवाद कैसे करें – संस्कृत अनुवाद की सरलतम विधि – sanskrit anuvad ke niyam-1
Garun Puran Pdf In Hindi गरुण पुराण हिन्दी में
Bhagwat Geeta In Hindi Pdf सम्पूर्ण श्रीमद्भगवद्गीता हिन्दी में